80 और 90 के दशक में मनोज कॉमिक्स ने अपनी एक अलग और मजबूत पहचान बनाई थी। उस दौर में मनोज कॉमिक्स के किरदार जैसे राम–रहीम, तिरंगा और तूफान पाठकों के बीच काफी लोकप्रिय थे। आज हम मनोज कॉमिक्स की एक ऐसी ही क्लासिक कॉमिक ‘तूफान और बिच्छू डंक’ की विस्तार से समीक्षा करने जा रहे हैं। यह कॉमिक सिर्फ एक सुपरहीरो की ऑरिजिन स्टोरी नहीं है, बल्कि उस समय के समाज, अपराध के नजरिए और साइंस–फिक्शन (Sci-Fi) सोच का भी शानदार मेल दिखाती है।
इस कॉमिक के लेखक नाज़म खान हैं और इसके कला निर्देशन की जिम्मेदारी महान कलाकार प्रताप मुल्लिक ने निभाई है। प्रताप मुल्लिक का नाम भारतीय कॉमिक्स जगत में बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। उनकी ड्रॉइंग स्टाइल और विजुअल प्रेज़ेंटेशन इस कॉमिक को सच में जीवंत बना देते हैं।
प्रतिशोध से न्याय तक का सफर
कहानी की शुरुआत देश की राजधानी दिल्ली के मशहूर इलाके कनॉट प्लेस (Connaught Place) से होती है। अचानक एक सिनेमा हॉल में जोरदार बम धमाका होता है। कुछ ही देर बाद कहानी हमें इसके नायक अजय और उसके पिता से मिलवाती है, जो एक मोटरसाइकिल पर सवार हैं। अजय के पिता एक बेखौफ पत्रकार और फोटोग्राफर हैं। वह अजय को बताते हैं कि वह उसी सिनेमा हॉल में फिल्म की रिव्यू रिपोर्ट बनाने गए थे। वहीं उन्होंने शौचालय में कुछ आतंकवादियों को बम रखते हुए देखा और छुपकर उनकी तस्वीरें खींच लीं।

जब आतंकवादियों को पता चलता है कि उनकी तस्वीरें ली जा चुकी हैं, तो वे अजय के पिता का पीछा करने लगते हैं। उस वक्त तो वह बस में चढ़कर बच निकलते हैं, लेकिन बाद में आतंकवादी घात लगाकर उन पर हमला कर देते हैं। इस हमले में अजय के पिता की बेरहमी से हत्या कर दी जाती है और अजय खुद गंभीर रूप से घायल हो जाता है। आतंकवादी उनसे वह कैमरा और रील छीन लेते हैं, जो उनके खिलाफ सबसे बड़ा सबूत थी।
यहीं से कहानी एक बड़ा मोड़ लेती है। अस्पताल में होश में आने के बाद अजय अपने पिता की मौत का बदला लेने की ठान लेता है। वह दिल्ली पुलिस के कमिश्नर से मिलता है और उन्हें पूरी सच्चाई बताता है। अजय पुलिस में भर्ती होकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ना चाहता है, लेकिन घायल होने की वजह से उसे शारीरिक रूप से अनफिट बताकर मना कर दिया जाता है।

अजय की मजबूत इच्छाशक्ति को देखकर कमिश्नर उसे प्रोफेसर भास्कर से मिलवाते हैं। प्रोफेसर भास्कर एक बेहद गोपनीय सरकारी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे होते हैं। उन्हें ऐसे युवक की तलाश होती है जो एक खतरनाक वैज्ञानिक प्रयोग के लिए अपनी जान जोखिम में डाल सके। अजय बिना हिचकिचाए इसके लिए तैयार हो जाता है।
रूपांतरण और शक्तियों का जन्म:
प्रोफेसर भास्कर की प्रयोगशाला में अजय को कई कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है। उसे तेज इलेक्ट्रिक शॉक दिए जाते हैं, कोल्ड एक्सपेरिमेंट से गुजारा जाता है, खास रसायन पिलाए जाते हैं और आखिर में उस पर घातक गामा किरणों का प्रयोग किया जाता है। अजय इन सभी खतरनाक टेस्ट को झेल लेता है और उसके शरीर में जबरदस्त ताकत आ जाती है।
प्रोफेसर भास्कर उसे एक खास बुलेटप्रूफ सूट देते हैं, जो आधुनिक गैजेट्स से भरा होता है। इस पोशाक में जहरीली पिनें लगी होती हैं और ऐसे बटन होते हैं जो बीटा–एक्स किरणें छोड़ सकते हैं। इसके साथ ही अजय को एक हाई-टेक मोटरसाइकिल दी जाती है, जो 500 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकती है, हवा में उड़ सकती है और जरूरत पड़ने पर मिसाइलें भी दाग सकती है।
यहीं से अजय को उसका नया नाम मिलता है — ‘तूफान’। अब वह अपराधियों के लिए एक डरावना नाम बन जाता है।
मुख्य मुकाबला: बिच्छू डंक से टक्कर
अपनी पहली ही कार्रवाई में तूफान आतंकवादियों के एक बड़े अड्डे पर हमला करता है। वहीं उसे मुख्य विलेन ‘महान स्कोर्पियन’ और उसके सबसे खतरनाक साथी ‘बिच्छू डंक’ के बारे में पता चलता है। बिच्छू डंक एक बेहद डरावना और राक्षस जैसा जीव है, जिसके पूरे शरीर पर हजारों जहरीले बिच्छू रेंगते रहते हैं। वह अपने नाखूनों और बिच्छू के जहर से किसी को भी तड़पा-तड़पा कर मार सकता है।

दिल्ली के महरौली इलाके की पहाड़ियों में बने आतंकवादियों के गुप्त किले में तूफान और बिच्छू डंक के बीच जबरदस्त लड़ाई होती है। तूफान अपनी समझदारी और अपनी पोशाक में लगे फ्लेमथ्रोवर का इस्तेमाल करके बिच्छू डंक के जहरीले बिच्छुओं को खत्म कर देता है और आखिरकार उसे हरा देता है। कहानी के अंत में मुख्य सरगना हेलीकॉप्टर से भागने की कोशिश करता है, लेकिन तूफान अपनी उड़ने वाली बाइक और मिसाइल से उसे आसमान में ही खत्म कर देता है।
कहानी के आखिर में पुलिस कमिश्नर अजय यानी तूफान को पुलिस बल में इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्त करते हैं। अब वह दिन में एक जिम्मेदार पुलिस अफसर और जरूरत पड़ने पर रात में सुपरहीरो तूफान बनकर समाज की रक्षा करता है।
पात्रों का गहरा विश्लेषण
अजय / तूफान:
अजय का किरदार एक ऐसे पारंपरिक नायक का है, जो अपने निजी दुख यानी पिता की मौत को समाज की जिम्मेदारी में बदल देता है। उसकी असली ताकत उसकी मसल्स नहीं, बल्कि उसकी मजबूत इच्छाशक्ति है। प्रोफेसर भास्कर भी मानते हैं कि प्रयोग की सफलता का सबसे बड़ा कारण अजय की मानसिक दृढ़ता थी। तूफान की पोशाक उस दौर के अमेरिकी सुपरहीरोज की याद दिलाती है, लेकिन उसका मकसद पूरी तरह भारतीय और देशभक्ति से जुड़ा हुआ है।
बिच्छू डंक (The Antagonist):
इस कॉमिक का सबसे दमदार पहलू इसका विलेन है। बिच्छू डंक का लुक बेहद डर पैदा करने वाला है। लाल बाल, झुर्रियों से भरा चेहरा और पूरे शरीर पर रेंगते बिच्छू उसे यादगार विलेन बना देते हैं। वह सिर्फ एक अपराधी नहीं, बल्कि एक चलता-फिरता बायोलॉजिकल वेपन है। उसकी हार यह दिखाती है कि बुराई चाहे कितनी भी खतरनाक क्यों न हो, समझदारी, तकनीक और हिम्मत के आगे टिक नहीं सकती।

प्रोफेसर भास्कर:
प्रोफेसर भास्कर इस कहानी के मार्गदर्शक यानी मेंटोर हैं। उनका किरदार यह बताता है कि अगर विज्ञान का सही इस्तेमाल किया जाए, तो वह देश की सुरक्षा में कितनी बड़ी भूमिका निभा सकता है। वह अजय को सिर्फ ताकत नहीं देते, बल्कि उसे यह भी सिखाते हैं कि इन शक्तियों का इस्तेमाल मानवता और समाज की भलाई के लिए ही होना चाहिए।
कला और चित्रांकन (Art and Illustrations)
‘तूफान और बिच्छू डंक’ की सबसे बड़ी ताकत इसका शानदार चित्रांकन है, जिसे प्रताप मुलिक ने बखूबी निभाया है। उनके बनाए हुए एक्शन सीन इतने ‘डायनामिक’ हैं कि हर फ्रेम में गति और ऊर्जा साफ महसूस होती है। जब कॉमिक में ‘धाड़’ और ‘कड़क’ जैसे साउंड इफेक्ट्स आते हैं, तो हर वार और टक्कर का असर और ज्यादा जोरदार लगने लगता है।
इसके साथ ही दिल्ली के असली और जाने-पहचाने इलाकों जैसे कनॉट प्लेस और महरौली की मीनार को पृष्ठभूमि में दिखाना कहानी को एक भरोसेमंद और जमीन से जुड़ा एहसास देता है। प्रयोगशाला के दृश्यों में दिखाए गए जटिल वैज्ञानिक उपकरण, तूफान की लाल-नीली आकर्षक पोशाक और उसकी उड़ने वाली सुपर बाइक का डिजाइन इस कॉमिक को विजुअल रूप से काफी समृद्ध बनाता है। वहीं विलेन ‘बिच्छू डंक’ को गहरे रंगों और छायाओं के जरिए जिस तरह दिखाया गया है, वह उसके डरावने और खतरनाक व्यक्तित्व को और भी प्रभावी बना देता है।
वैज्ञानिक और काल्पनिक तत्व (Sci-Fi Elements)
उस दौर की कॉमिक्स में विज्ञान और कल्पना का मेल आम बात थी और ‘तूफान’ भी इसी परंपरा को आगे बढ़ाती है। तूफान की शक्तियाँ कहीं न कहीं मार्वल के ‘कैप्टन अमेरिका’ या गामा किरणों के संदर्भ में ‘हल्क’ से प्रेरित लगती हैं, जबकि उसके हाई-टेक गैजेट्स उसे ‘बैटमैन’ जैसा एहसास देते हैं।
इस कॉमिक की सबसे खास चीज उसकी ‘सुपर बाइक’ है। जेट इंजन से चलने वाली यह मोटरसाइकिल, जिसमें मशीन गन और मिसाइलें लगी होती हैं, उस समय के बच्चों के लिए किसी सपने से कम नहीं थी। वहीं ‘बीटा-एक्स’ किरणें, जो लोहे तक को पिघला सकती हैं, लेखक की जबरदस्त कल्पनाशक्ति को दर्शाती हैं और कहानी को और ज्यादा रोमांचक बनाती हैं।
समीक्षा: खूबियां और खामियां
खूबियां:
‘तूफान’ की सबसे बड़ी सफलता इसकी तेज रफ्तार कहानी है। पिता की दर्दनाक मौत से लेकर नायक के जन्म और आखिर में बदले की कार्रवाई तक कहानी कहीं भी धीमी नहीं पड़ती। भावनात्मक जुड़ाव भी इसका मजबूत पक्ष है। एक बेटे का अपने पिता के लिए न्याय पाने का संकल्प और उनके रिश्ते की संवेदनशीलता पाठक को नायक के मकसद से भावनात्मक रूप से जोड़ देती है। इसके साथ ही प्रताप मुलिक का बेहतरीन आर्टवर्क हर दृश्य में जान डाल देता है। सबसे अहम बात यह है कि बिच्छू डंक जैसा अनोखा और खतरनाक विलेन इस कॉमिक को एक साधारण क्राइम कहानी से ऊपर उठाकर एक यादगार सुपरहीरो एडवेंचर बना देता है।

खामियां:
इतनी खूबियों के बावजूद कुछ जगहों पर कहानी थोड़ी जल्दी-जल्दी आगे बढ़ती हुई महसूस होती है। अजय का ‘तूफान’ में बदलना बहुत कम समय में दिखा दिया गया है। अगर वैज्ञानिक प्रयोग की जटिलता और उसमें आने वाली मुश्किलों को थोड़ा और विस्तार दिया जाता, तो नायक का उदय और ज्यादा दमदार लगता। इसी तरह क्लाइमेक्स में तूफान का बिच्छू डंक पर जीत हासिल करना कुछ ज्यादा ही आसान और जल्दी होता है। अगर दोनों के बीच आखिरी टकराव थोड़ा लंबा और चुनौतीपूर्ण होता, तो रोमांच अपने चरम पर पहुंच सकता था और पाठक को ज्यादा मजबूत ‘पे-ऑफ’ मिलता।
सामाजिक संदर्भ और संदेश
यह कॉमिक उस दौर की है जब भारत आतंकवाद और आंतरिक सुरक्षा जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रहा था। कहानी के जरिए यह दिखाने की कोशिश की गई है कि आतंकवाद से लड़ने में सिर्फ पुलिस ही नहीं, बल्कि आम नागरिकों का साहस और वैज्ञानिकों का योगदान भी उतना ही जरूरी है। यह कॉमिक बलिदान और कर्तव्य की भावना को मजबूती से सामने रखती है।

इसके साथ ही यह संदेश भी देती है कि शारीरिक कमजोरियां आपको अपने लक्ष्य तक पहुंचने से नहीं रोक सकतीं। अजय को ‘अनफिट’ बताकर पुलिस में भर्ती नहीं किया गया था, लेकिन वही अजय आगे चलकर देश का सबसे बड़ा रक्षक बनकर उभरता है।
निष्कर्ष: एक कालातीत रचना (Final Verdict)
‘तूफान और बिच्छू डंक’ सिर्फ एक कॉमिक नहीं, बल्कि उन यादों का हिस्सा है जिसने एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित किया। यह कहानी हमें याद दिलाती है कि सच्चे नायक सिर्फ सुपरपावर से नहीं, बल्कि सही सोच और मजबूत इरादों से बनते हैं।
मनोज कॉमिक्स की यह पेशकश आज भी उतनी ही रोचक और पढ़ने लायक है, जितनी अपने समय में थी। अगर आप भारतीय कॉमिक्स के इतिहास को समझना चाहते हैं या एक दमदार एक्शन-एडवेंचर कहानी पढ़ना चाहते हैं, तो यह कॉमिक आपके कलेक्शन में जरूर होनी चाहिए। भले ही ‘तूफान’ बाद में राज कॉमिक्स जैसे बड़े यूनिवर्स का हिस्सा न बन पाया हो, लेकिन अपनी सादगी, देशभक्ति और वीरता की वजह से वह हमेशा कॉमिक्स प्रेमियों के दिलों में ‘तूफान’ बनकर चलता रहेगा।
समीक्षा रेटिंग: 4.5/5
