‘The Dead Girls’ (Las Muertas), 10 सितंबर को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई एक सीरीज है। ये कहानी 1960 के दशक के मेक्सिको की है, जहाँ बालाद्रो बहनें – सेराफिना (पॉलिना गैटन) और आर्केंजेला (आर्सेलिया रामिरेज़) – वेश्यालयों का बड़ा नेटवर्क चलाती थीं।
छह एपिसोड की इस सीरीज में दिखाया गया है कि कैसे दोनों बहनें डर, धोखे और शोषण पर खड़ा अपना साम्राज्य चलाती हैं। लेकिन जैसे ही उनकी आपराधिक गतिविधियाँ अधिकारियों और उन लड़कियों की नजर में आने लगती हैं जिन्हें जबरदस्ती उनके लिए काम करना पड़ता है, हालात बदलने लगते हैं।
ये एक पीरियड ड्रामा है, जिसमें बहनों को चालाक और रणनीति बनाने वाली, लेकिन साथ ही बेहद निर्दयी भी दिखाया गया है। सेराफिना वेश्यालय में अनुशासन और नियम संभालती है, जबकि आर्केंजेला पैसे और स्थानीय अधिकारियों से रिश्ते संभालती है। उनकी महत्वाकांक्षा और आसपास का भ्रष्टाचार उन्हें सत्ता तक ले जाता है। लेकिन जब पुलिस जांच शुरू करती है और उनके गुनाहों का असली चेहरा सामने आता है, तो सब बिखरने लगता है।
बालाद्रो बहनों का नेटवर्क: क्रूरता और ताकत
शुरुआत से ही बालाद्रो बहनें अपने वेश्यालयों में सख्त नियम और काम करने वाली लड़कियों का व्यवस्थित शोषण करती हैं। उनका जाल मेक्सिको के कई शहरों तक फैला होता है। सीरीज दिखाती है कि कैसे वे समाज और कानून का दबाव झेलते हुए भी रिश्वत देकर अपना धंधा चलाती हैं। उनकी महत्वाकांक्षा उतनी ही बड़ी है जितनी उनकी बेरहमी। लड़कियों को तस्करी करके लाया जाता है और लगातार उनका शोषण किया जाता है।

शुरुआत में उनका साम्राज्य बहुत सफल रहता है, लेकिन जल्द ही इसमें दरारें पड़ने लगती हैं। आर्केंजेला का बेटा हम्बर्टो गुनाहों में फंस जाता है और उसका दुखद अंत होता है। इसके बाद बहनों को कैसिनो डांज़ोन में शिफ्ट होना पड़ता है और खेत में निवेश करना पड़ता है। ये घटनाएँ दिखाती हैं कि उनका धंधा अंदर से कितना कमजोर है और यहीं से उनके पतन की शुरुआत होती है।
ब्लैंका की दुखभरी कहानी और लड़कियों की मुश्किलें
ब्लैंका नाम की एक युवा लड़की, जिसे बहनों को बेच दिया जाता है, कहानी का अहम किरदार बनती है। एक मेडिकल प्रक्रिया बिगड़ने से उसकी मौत हो जाती है। ब्लैंका की मौत से जुड़े हालात और भी कई त्रासद घटनाएँ पैदा करते हैं। एवेलिया और फेलिज़ा, ब्लैंका के सामान को लेकर हुई लड़ाई में मारी जाती हैं। इससे साफ दिखता है कि बहनों के क्रूर मैनेजमेंट और उनके धंधे में लड़कियों की हालत कितनी खतरनाक थी।
सीरीज में दिखाया गया है कि कैसे लड़कियों को कैद किया जाता है, शारीरिक और मानसिक शोषण किया जाता है और उन्हें किसी इंसान की तरह नहीं, बल्कि मुनाफा कमाने के साधन की तरह इस्तेमाल किया जाता है।
साइमन्स की बेकरी में आग से बहनों की गिरफ्तारी तक
1963 के आखिर तक लड़कियों में गुस्सा और डर की जगह बगावत लेने लगती है। कई लड़कियाँ भागने की कोशिश करती हैं, तो कई एक-दूसरे पर हमला कर देती हैं। बहनों का प्रवर्तक बेडोया उन्हें बुरी तरह सज़ा देता है। इस बीच परिवार का ही एक सदस्य तेओफिलो, जो खेत और पैसों का काम देखता है, वित्तीय गड़बड़ियों में उलझ जाता है और इससे हालात और बिगड़ते हैं।
इसी समय सेराफिना की पुरानी नफरत फिर से सामने आती है। उसका पुराना प्रेमी सिमोन्स कोरोना बार-बार उसे छोड़ देता है। गुस्से और बदले की आग में वह सिमोन्स की बेकरी में गोलीबारी करवा देती है। ये कदम उसके पागलपन और क्रूर स्वभाव को और उजागर करता है। पुलिस जांच शुरू होती है, लेकिन शुरू में सेराफिना बच निकलती है।
जनवरी 1964 तक पुलिस का शिकंजा कस जाता है। बेकरी फायरिंग का राज़ खुलने पर सेराफिना फंस जाती है। दोनों बहनें गिरफ्तारी से बचने के लिए खेत में छिप जाती हैं। लेकिन पुलिस को उनकी संपत्ति पर कई शव मिलते हैं – ब्लैंका, एवेलिया, फेलिज़ा और बाकी लड़कियाँ।
इसके बाद बहनों समेत उनके 17 साथी पकड़े जाते हैं, जिनमें बेडोया, निकोलस, तेओफिलो और टिचो शामिल हैं। मुकदमे में कई लड़कियाँ गवाही देती हैं कि उनके साथ कैसा अत्याचार और शोषण हुआ। आखिरकार सेराफिना और आर्केंजेला को हत्या, गैरकानूनी कैद, दुर्व्यवहार और अवैध गर्भपात जैसे अपराधों में दोषी ठहराया जाता है। दोनों को 35 साल की जेल की सज़ा मिलती है। उनके साथी भी अलग-अलग सजा पाते हैं।
बालाद्रो बहनों के लिए न्याय: बचने का कोई रास्ता नहीं
सीरीज के उपसंहार में बताया गया है कि गिरफ्तारी के बाद सबके साथ क्या हुआ। सिमोन्स कोरोना जेल से छूटकर एक नई बेकरी खोलता है। निकोलस, टिचो और एस्केलेरा भी अपने-अपने तरीके से जिंदगी दोबारा शुरू करने की कोशिश करते हैं। यूललिया जेल के बाहर मिठाई बेचने लगती है। वहीं बेडोया जेल के अंदर से भी अपना असर बनाए रखती है।
सेराफिना और आर्केंजेला जेल के महिला सुधारगृह में रहते हुए भी अवैध धंधे से पैसा कमाती रहती हैं। लेकिन अब उनके पास आज़ादी की कोई उम्मीद नहीं है। बची हुई लड़कियों को पीड़ित मानकर मुआवज़ा दिया जाता है, लेकिन उनके आगे के जीवन के बारे में बहुत कम जानकारी है।
सीरीज का अंत बालाद्रो बहनों के साम्राज्य की असली तस्वीर दिखाता है – कानून का शिकंजा, उनके अपराधों का पर्दाफाश और उन सब पर पड़ा गहरा जख्म जो इसमें शामिल थे।
लास पोकियानचिस: नेटफ्लिक्स सीरीज के पीछे का सच्चा सच
हाँ, ये किरदार असलियत से प्रेरित हैं। बालाद्रो बहनें दरअसल ‘लास पोकियानचिस’ नाम की असली चार बहनों पर आधारित हैं। 1940 से 1960 के बीच उन्होंने मेक्सिको में वेश्यालय, मानव तस्करी और हत्या का जाल फैलाया था।
हालाँकि सीरीज में कुछ बातें काल्पनिक हैं, लेकिन असल घटनाओं से काफी कुछ लिया गया है। जब कोई लड़की गर्भवती होती, तो उसे बेरहमी से पीटा जाता और जबरन गर्भपात करवाया जाता। भ्रूणों को पिछवाड़े फेंक दिया जाता या लोमा डेल एंजेल के खेत में दफना दिया जाता, जो किसी कंसंट्रेशन कैंप जैसा लगता था। बीमार या कुपोषित लड़कियों को कमरे में बंद किया जाता, कभी भूखा रखा जाता, और कभी बाकी लड़कियों से पीट-पीटकर मार डालने को कहा जाता। शवों को “द ब्लैक ईगल” और बहनों का ड्राइवर जलाते या सामूहिक कब्रों में दफना देते। अमीर ग्राहकों को भी मार दिया जाता और उनके पैसे हड़प लिए जाते।
1963 में, रमोन टोरेस “एल टेपो” पुलिस से झड़प में मारा गया। डेल्फिना ने गुस्से में हर्मेनेगिल्डो जुनिगा को पुलिसवालों को ढूंढकर मारने का आदेश दिया, और उन्होंने उन्हें मार डाला।

जनवरी 1964 में, ओर्टेगा नाम की एक लड़की लोमा डेल एंजेल से दीवार के छेद से भाग निकली और पुलिस तक पहुँची। पुलिस ने तुरंत बहनों के खिलाफ छानबीन और गिरफ्तारी वारंट जारी किया। 14 जनवरी 1964 को लास पोकियानचिस उनके “नरक जैसे खेत” से पकड़ी गईं।
पुलिस पहुँचने पर बहनें अभी भी मातम मना रही थीं। बाहर गुस्साए ग्रामीण इकट्ठा थे और फांसी की मांग कर रहे थे। खेत में पुलिस और पत्रकारों को दर्जनभर कमजोर लड़कियाँ मिलीं, जिन्हें कमरे में बंद किया गया था। खुदाई में कम से कम 91 शव, हड्डियाँ और भ्रूण बरामद हुए—महिलाएँ, पुरुष और बच्चे।
भारी सुरक्षा में बहनों को जेल ले जाया गया। पूरा शहर उन्हें फांसी देना चाहता था, इसलिए उन्हें इरापुआटो सिटी जेल भेजा गया। एक हफ्ते बाद, मारिया लुइसा गोंजालेज़ वालेंजुएला ने खुद को आत्मसमर्पण किया, लेकिन जैसे ही वह जेल पहुँची, उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद शुरू हुआ सदी का सबसे सनसनीखेज मुकदमा।