राज कॉमिक्स द्वारा प्रस्तुत ‘कमांडो फोर्स‘, सुपर कमांडो ध्रुव का ऐसा विशेषांक है जो सिर्फ एक कॉमिक नहीं, बल्कि अपराध, इंसानी मन, समाज और कानून के टकराव पर एक गहरी बात कहता है। जॉली सिन्हा की कहानी और अनुपम सिन्हा के शानदार चित्र इस कॉमिक को ध्रुव की सबसे सोचने-पर-मजबूर करने वाली कहानियों में से एक बना देते हैं। यह सिर्फ़ एक्शन या मारधाड़ पर टिके रहने वाली कहानी नहीं है, बल्कि यह पाठक को सोचने पर मजबूर करती है कि असली हीरो किसे कहते हैं, और कानून व न्याय के बीच की जो बारीक रेखा होती है, वह कितनी आसानी से धुंधली हो सकती है।
‘ग्रीन पेज’ (संपादकीय) में बताया गया है कि यह कहानी पाठकों की “पुरानी डिमांड” पर आधारित थी, और पढ़ते ही समझ में आता है कि क्यों। यह एक मैच्योर और अपने समय से आगे की कहानी है।
सुलगता महानगर
कहानी शुरू होती है राजनगर में एक नई मुसीबत के साथ: ‘स्ट्रीट गैंग्स’ का बढ़ता आतंक। ये गैंग अब सिर्फ छोटी-मोटी गुंडागर्दी नहीं कर रहे, बल्कि संगठित होकर ऑटोमैटिक हथियारों तक पहुँच चुके हैं।
यहीं से कहानी का असली तनाव शुरू होता है। कमिश्नर मेहरा इन गैंगों के खिलाफ सख्त कदम उठाना चाहते हैं, लेकिन मेयर सांवरिया उन्हें रोक देती हैं। मेयर की दलील भी अपने आप में हैरान करने वाली है—वह इन स्ट्रीट गैंग्स की तुलना ध्रुव की ‘कमांडो फोर्स’ से करती हैं। उनका कहना है कि ये गैंग भी अपने ढंग से अपने मोहल्लों की सुरक्षा कर रहे हैं। वह कमिश्नर से इतना भी कह देती हैं कि अगर स्ट्रीट गैंग्स रोकने हैं तो पहले कमांडो फोर्स को बंद कीजिए।
कमिश्नर मेहरा को मेयर का यह रवैया अजीब और संदिग्ध लगता है, खासकर इसलिए क्योंकि उन्हें याद है कि बीस साल पहले मेयर सांवरिया खुद कोली पाड़ा के स्लम एरिया में रहती थीं—जो इन गैंगों का गढ़ है। यही वह पहला धागा है जो कहानी को एक बड़े राजनीतिक और अपराधी गठजोड़ की तरफ इशारा करता है।
‘गार्जियन’ का उदय
ध्रुव एक तरफ इन गैंगों (‘किंग’, ‘थंडर बोल्ट’, ‘एलीगेटर’ आदि) की लिस्ट बनाकर उन्हें समझने की कोशिश कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ पर्दे के पीछे एक रहस्यमयी खिलाड़ी अपनी चालें बिछा रहा है—गार्जियन।

गार्जियन का प्लान बहुत खतरनाक और चालाकी भरा है। वह राजनगर में एक तरह का “महायज्ञ” शुरू करना चाहता है, जिसकी आखिरी कुर्बानी वह सुपर कमांडो ध्रुव को बनाना चाहता है। इस “महायज्ञ” की शुरुआत वह ‘थंडर बोल्ट’ गैंग के लीडर धन्नू को मारकर करता है।
गार्जियन, धन्नू की हत्या का इल्ज़ाम ‘एलीगेटर’ गैंग पर डाल देता है, ताकि दोनों के बीच भयंकर ‘गैंगवार’ शुरू हो जाए। वह ‘थंडर बोल्ट’ के नए लीडर रॉनी को बदला लेने के लिए भड़काता है और साथ ही उन्हें “बड़े धंधे” का लालच देकर ऑटोमैटिक हथियार भी पहुँचाता है।
इसी बीच कहानी में एक और नया किरदार आता है—‘जस्टिस’। जस्टिस, ध्रुव के साथ मिलकर गैंग्स से लड़ता है, लेकिन उसका तरीका ध्रुव से बिल्कुल उलट है—वह बेरहम है और कानून अपने हाथ में लेने से बिल्कुल नहीं कतराता।
एक रहस्य, कई नकाब: कहानी के अद्भुत ट्विस्ट
‘कमांडो फोर्स’ की असली ताकत इसके अचानक आने वाले मोड़ (Twists) हैं। यह कोई सीधी-सादी कहानी नहीं, बल्कि कई परतों वाला रहस्य है, जहाँ लगभग हर किरदार एक नकाब पहने घूम रहा है।

पहला ट्विस्ट (जस्टिस): कहानी के बीच में जब ध्रुव की मुलाकात ‘जस्टिस’ नाम के नकाबपोश से होती है, जो खुद को ‘गार्जियन’ बताता है और कमांडो फोर्स में शामिल होने की इच्छा जताता है, तो लगता है कि शायद असली विलेन सामने आ चुका है। लेकिन यह गार्जियन का सबसे पहला जाल था—एक चाल, जिससे वह ध्रुव को गलत दिशा में ले जाना चाहता था।
दूसरा और सबसे बड़ा ट्विस्ट (असली गार्जियन): जब असली सच सामने आता है तो वह चौंकाने वाला होता है। कहानी का असली मास्टरमाइंड वह निकलता है जिसकी किसी को उम्मीद ही नहीं थी—मेयर सांवरिया का पति पीटर, जो कोलीपाड़ा स्लम में एक साधारण स्कूल टीचर बनकर रहता है। यही पीटर असली ‘गार्जियन’ है।
गार्जियन (पीटर) का अतीत भी काफी उलझा हुआ है। वह पहले शहर का एक कुख्यात गैंगस्टर ‘पेटीग्रेव’ था, जिसने बाद में अपराध छोड़ दिया था। लेकिन एक गैंगवार में उसके भाई की मौत होने के बाद, वह एक बार फिर हिंसा की राह पर लौट आया और ठान लिया कि वह सभी गैंग्स को खत्म करेगा—अपने खुद के सख्त और बेरहम तरीकों से।
तीसरा ट्विस्ट (जस्टिस की असलियत): ध्रुव जिसे गार्जियन समझ रहा था—यानी ‘जस्टिस’—वह असल में मारे गए ‘थंडर बोल्ट’ गैंग के लीडर धन्नू का भाई था। असली गार्जियन (पीटर) ने ही उसे भड़काया, गुमराह किया और अपने काम के लिए इस्तेमाल किया। पीटर ने एक नकली कमांडो फोर्स भर्ती विज्ञापन डाला, जिसके जाल में धन्नू का भाई फँस गया। उसे यकीन दिलाया गया कि उसके भाई को ‘एलीगेटर’ गैंग ने मारा है और ध्रुव उन्हें बचा रहा है।

चौथा ट्विस्ट (मेयर सांवरिया): मेयर सांवरिया, जो बार-बार कमिश्नर मेहरा को कार्रवाई से रोक रही थीं, असल में सबकुछ जानती थीं। वह खुद स्लम एरिया की पुरानी ‘वेदेता’ (Vedeta) थी और अपने पति—असली गार्जियन (पीटर)—को बचाने के लिए अपनी राजनीतिक शक्ति का इस्तेमाल कर रही थीं।
पांचवां ट्विस्ट (छबीली): गार्जियन की टीम की एक अहम सदस्य ‘छबीली’, जो हर लड़ाई में बेहद खतरनाक और हिंसक दिखाई देती है, वह वास्तव में एक बहादुर अंडरकवर पुलिस अफसर ‘शबाना’ निकलती है। वह अपनी जान पर खेलकर पूरे ऑपरेशन के सबूत इकट्ठा कर रही थी।
पूरी कहानी बिल्कुल एक शतरंज की बिसात जैसी लगती है, जहाँ गार्जियन (पीटर) एक चालाक खिलाड़ी की तरह हर मोहरे को अपनी चाल के मुताबिक चलाता है—चाहे वह ध्रुव हो, जस्टिस, पुलिस हो या फिर उसकी खुद की पत्नी मेयर सांवरिया।
कला और लेखन: एक बेजोड़ जुगलबंदी
चित्रांकन (अनुपम सिन्हा): अनुपम सिन्हा का आर्टवर्क इस कॉमिक की असली जान है। हर पैनल जिंदा लगता है। एक्शन सीक्वेंस—खासकर राज मेटल स्टोर की पार्किंग में हुआ सीन और आखिर में कंटेनर यार्ड की लड़ाई—सीधा हॉलीवुड-लेवल लगते हैं। ‘जस्टिस’ का ग्रीन आर्मर, ‘गार्जियन’ का डार्क कॉस्ट्यूम और ‘छबीली’ के फाइटिंग पोज़—सब कुछ बेहद शानदार तरीके से डिज़ाइन किया गया है। भावनाओं का चित्रण भी कमाल का है—चाहे ध्रुव का शांत स्वभाव हो, जस्टिस का गुस्सा हो या गार्जियन (पीटर) की आँखों में छिपी पागलपन की चमक—सब अनुपम सिन्हा की कूची का कमाल है।

कथा (जॉली सिन्हा): जॉली सिन्हा ने ऐसी कहानी लिखी है जो आम “अच्छाई बनाम बुराई” वाली कहानियों से कहीं ऊपर उठती है। यह एक टाइट और दिमाग घुमा देने वाली क्राइम-थ्रिलर है। संवाद तेज, असरदार और सही जगह चोट करते हैं। कहानी की रफ्तार (Pace) इतनी टाइट है कि पाठक एक पल के लिए भी कहानी से नज़रे नहीं हटा सकता। हर किरदार की वजह और मकसद (Motivation) साफ दिखता है, जिससे कहानी और भी असली लगती है।
आदर्शवाद की अग्निपरीक्षा: ध्रुव का धर्मसंकट
यह कहानी सुपर कमांडो ध्रुव के कैरेक्टर की सबसे बड़ी परीक्षा है। इस बार उसका सामना किसी सुपरविलेन से नहीं, बल्कि एक टूटी हुई व्यवस्था और एक ऐसे आदर्शवादी से है जो गलत दिशा में चला गया—गार्जियन।
गार्जियन (पीटर) का मानना था कि कानून कमजोर है और अपराधियों को उन्हीं की भाषा में जवाब देना चाहिए। उसका भी मकसद समाज को अपराध-मुक्त करना था, लेकिन उसका तरीका हिंसा और खून-खराबे से भरा हुआ था।
दूसरी तरफ ‘जस्टिस’ (धन्नू का भाई) पूरी तरह बदले की आग में जल रहा था।

इन दोनों के बीच खड़ा है ध्रुव—जो कानून पर भरोसा करता है, चाहे हालात कितने भी बिगड़े हों। कहानी का सबसे भावुक पल अंत में आता है, जब गार्जियन (पीटर) ध्रुव से कहता है कि ध्रुव ने भी अपने कमांडो फोर्स कैडेट्स को हथियार उठाने दिए और कानून तोड़ा है। एक पल के लिए ध्रुव खुद भी उलझ जाता है और कमिश्नर मेहरा को कह देता है कि वे उसके अपने कैडेट्स को गिरफ्तार कर लें—क्योंकि ध्रुव के लिए कानून हमेशा सबसे ऊपर है, फिर चाहे उसके आदर्श ही क्यों न टूटें।
लेकिन आखिर में खुलासा होता है कि ध्रुव ने कैडेट्स को असली गोलियों की बजाय ‘स्टन-गन’ (Stun-Guns) दी थीं। यह दिखाता है कि ध्रुव सिर्फ एक बेहतरीन योद्धा ही नहीं, बल्कि एक दूर सोचने वाला प्लानर भी है—जो किसी भी सूरत में कानून की सीमा नहीं लांघता।
निष्कर्ष
‘कमांडो फोर्स’ सिर्फ एक कॉमिक नहीं, बल्कि एक सीख है। जैसा कि ‘ग्रीन पेज’ में कहा गया है, यह कहानी “अपने अंदर की बुराइयों” को पहचानने और उनसे लड़ने की ताकत देती है। यह दिखाती है कि अच्छे इरादे भी अगर गलत रास्ते पर निकल जाएँ तो नतीजे खतरनाक होते हैं—जैसा गार्जियन के साथ हुआ।
यह कहानी ध्रुव के किरदार को और मजबूत बनाती है। ध्रुव हमें सिखाता है कि असली हीरो वह नहीं जो बदले की आग में जलकर सब मिटा दे—बल्कि वह जो सबसे कठिन परिस्थितियों में भी सही, कानूनी रास्ता चुनता है।
एक्शन, सस्पेंस, ड्रामा और गहरे नैतिक संदेश से भरी हुई ‘कमांडो फोर्स’ राज कॉमिक्स के इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय है—जिसे हर कॉमिक प्रेमी को ज़रूर पढ़ना चाहिए।
