“एंथोनी”, एक ऐसी जीवित लाश (ज़िंदा मुर्दा) है जो धरती पर हुए अन्याय का प्रतिशोध लेने के लिए अपनी कब्र से बाहर आता है। तरुण कुमार वाही द्वारा लिखित और तौसीफ द्वारा चित्रांकित कॉमिक्स “मुर्दा बाप” एंथोनी के इसी अमिट दर्द, निःस्वार्थ त्याग और अडिग पितृत्व की एक हृदयस्पर्शी गाथा है।
इस कॉमिक्स का शीर्षक “मुर्दा बाप” अपने आप में गहरा विरोधाभास और तीव्र भावनाएँ समेटे हुए है। एंथोनी शाब्दिक रूप से एक ‘मुर्दा’ है, परंतु उसके कर्म एक ‘बाप’ के हैं, जो अपनी लाडली संतान के लिए असंभव की सीमा तक जा सकता है। यह कथा सिर्फ रोमांचक एक्शन या साहसिक कारनामों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानवीय भावनाओं की एक ऐसी तीव्र यात्रा है जो पाठक के अंतर्मन को गहराई से स्पर्श करती है।
कथानक और कहानी का विश्लेषण
कहानी की शुरुआत ही एक गहरे संकट से होती है। एंथोनी की बेटी मारिया गंभीर रूप से घायल है और उसके ऑपरेशन के लिए एंथोनी को पैसों की सख्त ज़रूरत है। एक ज़िंदा मुर्दा, जिसके पास दुनियावी धन-दौलत कुछ भी नहीं है, अपनी बेटी को बचाने के लिए किसी भी तरह का काम करने और मेहनत करने के लिए शहर की सड़कों पर निकलता है। यहीं से कहानी का भावनात्मक आधार तैयार होता है, जो अंत तक बना रहता है।

काम की तलाश में भटकते हुए एंथोनी एक ऐसी जगह पहुँचता है जहाँ एक पुरानी, जर्जर हो चुकी अनाथालय की इमारत ‘जीवन धारा’ गिरने की कगार पर है। इस इमारत के गिरने से न सिर्फ सैकड़ों अनाथ बच्चे बेघर हो जाएँगे, बल्कि आसपास की औद्योगिक इमारतों को भी करोड़ों का नुकसान होगा। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पुलिस और प्रशासन इसे सुरक्षित रूप से ध्वस्त करने का उपाय खोज रहे हैं, लेकिन उनके पास न तो समय है और न ही उन्नत तकनीक।
तभी एक विशाल लोहे का गार्डर इमारत से टूटकर नीचे गिरने लगता है, जो एक बड़ी तबाही का कारण बन सकता था। भीड़ में से कोई कुछ समझ पाता, उससे पहले ही एंथोनी अपनी अलौकिक शक्तियों का प्रयोग कर उस गार्डर को हवा में ही गायब कर देता है। वह सामने आता है और दावा करता है कि वह इस इमारत को बिना किसी नुकसान के ध्वस्त कर सकता है। बदले में वह एक अजीबोगरीब रकम की माँग करता है – पूरे दो लाख बयालीस हज़ार रुपये। बगल की इमारत का मालिक सेठ ओच्छामल, करोड़ों के नुकसान से बचने के लिए तुरंत तैयार हो जाता है।
यहाँ पाठक एंथोनी की शक्तियों का एक अनूठा प्रदर्शन देखते हैं। वह अपनी ‘ठंडी आग’ को लपटों के रूप में नहीं, बल्कि एक ऊर्जा के शिकंजे के रूप में इस्तेमाल करता है। वह पूरी इमारत को इस ऊर्जा से इस तरह जकड़ लेता है कि वह किसी उबलते हुए दूध की तरह अपने ही आधार में सिमटकर ढेर हो जाती है, और एक भी ईंट बाहर नहीं छिटकती। यह दृश्य कला और कल्पना का अद्भुत संगम है।
पैसे मिलने के बाद कहानी का सबसे मार्मिक मोड़ आता है। एंथोनी, जो अपनी बेटी के इलाज के लिए एक-एक रुपये का मोहताज था, वह पूरा चेक उन बेघर हुए अनाथ बच्चों को एक नई छत देने के लिए सौंप देता है। यह क्षण एंथोनी के ‘बाप’ वाले चरित्र को स्थापित करता है। वह सिर्फ मारिया का ही नहीं, बल्कि हर मजबूर और बेसहारा का पिता है।
लेकिन उसका व्यक्तिगत संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है। उसे अब भी मारिया के लिए पैसों का इंतज़ाम करना है। वह एक कुली के रूप में काम करने के लिए रेलवे स्टेशन पहुँचता है। यहाँ उसकी मुलाकात एक बूढ़े और अपाहिज कुली से होती है, जिसके प्रति वह दया दिखाता है। जल्द ही उसे एक तस्कर, विक्रम सेठ, से एक काम का प्रस्ताव मिलता है। पैसों की सख्त ज़रूरत के कारण, न चाहते हुए भी, एंथोनी यह खतरनाक काम करने के लिए तैयार हो जाता है।

काम था तूफानी समुद्र में एक मोटरबोट से स्टीमर तक सामान पहुँचाना। यहाँ लेखक ने एंथोनी के चरित्र में एक और परत जोड़ी है – उसका ‘वाटर फोबिया’ यानी पानी से डर। एक अजेय और शक्तिशाली ज़िंदा मुर्दे का पानी से डरना उसे और अधिक मानवीय और भरोसेमंद बनाता है। यह उसका आंतरिक द्वंद्व है, जहाँ उसे अपनी बेटी की जान बचाने के लिए अपने सबसे बड़े डर का सामना करना पड़ता है।
एंथोनी अपनी आँखों पर पट्टी बाँधकर, अपने डर पर काबू पाकर मिशन के लिए निकलता है। जल्द ही उसे एहसास होता है कि कोस्ट गार्ड ने उन्हें घेर लिया है। विक्रम सेठ भागने की कोशिश में अपनी ही गाड़ी को उड़ाने की योजना बनाता है, लेकिन एंथोनी अपनी सूझबूझ और ताकत से न सिर्फ उसे पकड़वाता है, बल्कि पुलिस की भी मदद करता है।
कहानी का अंत एक सुखद और संतोषजनक मोड़ पर होता है। इंस्पेक्टर इतिहास उसे बताता है कि यह सब एक योजना थी। विक्रम सेठ एक कुख्यात अपराधी था जिस पर ढाई लाख का इनाम था। पुलिस को एंथोनी की मजबूरी का पता था, इसलिए उन्होंने उसे इस जाल में एक मोहरे के रूप में इस्तेमाल किया। इनाम की राशि एंथोनी को दी जाती है, और उसे यह भी पता चलता है कि मारिया का ऑपरेशन सफलतापूर्वक हो चुका है। अंत में, अपने दोस्त प्रिंस (कौआ) के साथ एंथोनी राहत की साँस लेता है।
चरित्र–चित्रण
एंथोनी: इस कॉमिक्स का नायक होकर भी वह पारंपरिक सुपरहीरो नहीं है। वह एक त्रासद नायक (Tragic Hero) है। उसकी शक्तियाँ असाधारण हैं, लेकिन उसका जीवन दर्द और अकेलेपन से भरा है। वह एक मुर्दा है, लेकिन उसकी भावनाएँ किसी भी ज़िंदा इंसान से ज़्यादा गहरी हैं। “मुर्दा बाप” में उसका पितृत्व का रूप उभरकर सामने आता है। वह कठोर है, लेकिन उसका दिल करुणा से भरा है।
सहायक पात्र: इंस्पेक्टर इतिहास एक चतुर और समझदार पुलिस अधिकारी के रूप में चित्रित हैं, जो कानून के दायरे में रहकर न्याय करना जानता है। सेठ ओच्छामल और विक्रम सेठ जैसे पात्र कहानी को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं, लेकिन कहानी का पूरा ध्यान एंथोनी के संघर्ष पर ही केंद्रित रहता है।
कला और लेखन
तौसीफ का चित्रांकन कहानी के मूड को पूरी तरह से पकड़ता है। एक्शन दृश्य गतिशील और प्रभावशाली हैं। एंथोनी के चेहरे पर दर्द, गुस्सा, और लाचारी के भाव बहुत ही सजीवता से उकेरे गए हैं। ‘ठंडी आग’ के ऊर्जा रूप का चित्रण विशेष रूप से प्रशंसनीय है। कॉमिक्स के रंग 90 के दशक की क्लासिक राज कॉमिक्स शैली को दर्शाते हैं, जो पुराने प्रशंसकों के लिए एक सुखद अनुभव है।

तरुण कुमार वाही का लेखन इस कॉमिक की जान है। संवाद संक्षिप्त लेकिन प्रभावशाली हैं। कहानी की गति कहीं भी धीमी नहीं पड़ती। उन्होंने एक्शन, इमोशन और सस्पेंस का एक बेहतरीन संतुलन बनाया है। एक ज़िंदा मुर्दे के मन में अपनी बेटी के लिए इतनी गहरी भावनाएँ और समाज के प्रति जिम्मेदारी का भाव दिखाना उनके लेखन की परिपक्वता को दर्शाता है।
विषय–वस्तु और संदेश
“एंथोनी”, एक ऐसी जीवित लाश है जो धरती पर हुए अन्याय का प्रतिशोध लेने के लिए अपनी कब्र से बाहर आता है। तरुण कुमार वाही द्वारा लिखित और तौसीफ द्वारा चित्रांकित कॉमिक्स “मुर्दा बाप” एंथोनी के इसी अमिट दर्द, निःस्वार्थ त्याग और अडिग पितृत्व की एक हृदयस्पर्शी गाथा है। इसका शीर्षक “मुर्दा बाप” अपने आप में गहरा विरोधाभास और तीव्र भावनाएँ समेटे हुए है। एंथोनी शाब्दिक रूप से एक ‘मुर्दा’ है, परंतु उसके कर्म एक ‘बाप’ के हैं, जो अपनी लाडली संतान के लिए असंभव की सीमा तक जा सकता है। यह कथा सिर्फ रोमांचक एक्शन या साहसिक कारनामों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानवीय भावनाओं की एक ऐसी तीव्र यात्रा है जो पाठक के अंतर्मन को गहराई से स्पर्श करती है, क्योंकि यह पितृत्व की अलौकिक परिभाषा को दर्शाती है कि पिता होना सिर्फ जैविक नहीं, बल्कि निःस्वार्थ उत्तरदायित्व है। साथ ही, यह कहानी हमें निःस्वार्थ त्याग का वास्तविक अर्थ सिखाती है, जहाँ सच्चा सुख दूसरों के कल्याण के लिए किए गए आत्म-बलिदान में निहित है। यह कॉमिक्स एक तीखा प्रश्न भी उठाती है कि वास्तव में ‘ज़िंदा’ कौन है—वे जो स्वार्थ में डूबे हैं, या एंथोनी जैसा देह-रहित मुर्दा जो दूसरों के लिए जीता है? अंततः, “मुर्दा बाप” यह शक्तिशाली संदेश देती है कि घोर निराशा के बावजूद भी, सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने वालों के लिए उम्मीद की डोर कभी नहीं टूटती।
निष्कर्ष
“मुर्दा बाप” सिर्फ एक कॉमिक्स नहीं, बल्कि भावनाओं, त्याग और असीम प्रेम की एक कहानी है। यह राज कॉमिक्स के उस सुनहरे दौर का एक उत्कृष्ट उदाहरण है जब कहानियाँ सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि पाठकों के साथ एक भावनात्मक जुड़ाव बनाने के लिए लिखी जाती थीं। यह एंथोनी के सबसे बेहतरीन कारनामों में से एक है जो यह साबित करता है कि नायक बनने के लिए आपको ज़िंदा होना ज़रूरी नहीं, आपके अंदर इंसानियत का ज़िंदा रहना ज़रूरी है। यह हर कॉमिक्स प्रेमी के लिए एक अवश्य पढ़ी जाने वाली कहानी है।
