भारतीय कॉमिक्स में सुपर कमांडो ध्रुव की पहचान एक ऐसे नायक की है जिसके पास कोई जादुई या अलौकिक शक्तियाँ नहीं हैं। उसकी सबसे बड़ी ताकत उसका तेज दिमाग, हिम्मत और कभी हार न मानने वाला जज़्बा है। अनुपम सिन्हा, जिन्हें ध्रुव का निर्माता माना जाता है, ने ‘बालचरित’ शृंखला में ध्रुव के बीते समय को एक नए अंदाज़ में दिखाने की कोशिश की है। “फिनिक्स” इस पूरी कहानी का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है।
नाम से ही समझ आता है कि ‘फिनिक्स’ वो पौराणिक पक्षी है जो अपनी ही राख से दोबारा जन्म लेता है। यही तुलना इस कहानी में ध्रुव पर बिल्कुल फिट बैठती है, जो मौत जैसी हालत से वापस लौटता है और अपने अतीत के उन रहस्यों को सामने लाता है जो उसके जन्म से पहले घटे थे।
यह कॉमिक सिर्फ एक्शनभर नहीं है, बल्कि इसमें भावनाएँ भी हैं—एक माँ-बाप का संघर्ष, उनकी बेचैनियाँ और एक अजन्मे बच्चे की अद्भुत संवेदनाएँ भी इस कहानी का हिस्सा हैं।
कथानक और पटकथा (Plot and Script)
कहानी वहीं से शुरू होती है जहाँ ‘नो मैन्स लैंड’ खत्म हुई थी। ध्रुव अस्पताल में है, ज़िंदगी और मौत के बीच फँसा हुआ। डॉक्टरी भाषा में उसे ‘क्लीनिकली डेड’ कहा जा सकता है, लेकिन ध्रुव का दिमाग अब भी काम कर रहा है। वह उस अजीब-सी अवस्था में है जिसे ‘नो मैन्स लैंड’ कहा गया—जहाँ इंसान अपनी गहरी दबी हुई यादों को फिर से महसूस करता है।
फ्लैशबैक: अतीत का संघर्ष

कहानी का बड़ा हिस्सा फ्लैशबैक में चलता है। हम जुपिटर सर्कस के उस दौर में पहुँच जाते हैं जब ध्रुव पैदा भी नहीं हुआ था। उसकी माँ राधा गर्भवती हैं और उसके पिता श्याम सर्कस के स्टार परफॉर्मर हैं। सबकुछ खुशी-खुशी चल रहा होता है, लेकिन तभी इस खुशहाल माहौल पर ‘हंटर्स’ (Hunters) का ख़तरा मंडराने लगता है। हंटर्स एक गुप्त संगठन है जो जुपिटर सर्कस से कुछ बेहद कीमती चीज़ चाहता है—एक ऐसा रहस्यमयी फार्मूला जो उन्हें अजेय बना सकता है।
इस कॉमिक में दिखाया गया है कि हंटर्स कैसे राधा और उनके पेट में पल रहे शिशु (यानी ध्रुव) को खत्म करने के लिए एक के बाद एक कई खतरनाक वार करते हैं। एक सीन में एक खरगोश पर टाइम बम बाँधकर सर्कस में छोड़ा जाता है। एक नकली नर्स बनकर एक महिला राधा को ज़हर वाला इंजेक्शन देने की कोशिश करती है। एक खास तरह से ट्रेन किया हुआ बाज राधा पर हमला करता है। सर्कस के शेर के पिंजरे का ताला खोलकर उसे राधा पर हमला करने के लिए भड़काया जाता है।

इन सभी जानलेवा हमलों को श्याम अपनी बहादुरी और समझदारी से नाकाम कर देते हैं। खास बात यह है कि राधा के पेट में पल रहा ध्रुव भी इन खतरों को महसूस करता है और अपनी माँ को चेतावनी देने के लिए पेट में हिलता-डुलता है या लात मारता है। यही चीज़ इस कॉमिक को दिलचस्प बनाती है और अनुपम सिन्हा ने इसे ‘सिक्स सेंस’ या ‘सहज ज्ञान’ की तरह पेश किया है।
The adventure of the present
साथ-साथ, वर्तमान समय में भी एक्शन बिल्कुल कम नहीं होता। हंटर्स के गुर्गे अस्पताल में घुसकर ध्रुव को खत्म करने की कोशिश में लगे हुए हैं। ब्लैक कैट (नताशा) और चंडिका (श्वेता) ध्रुव की ढाल बनकर उसके साथ खड़ी हैं। वे अस्पताल के अंदर और बाहर दोनों जगह दुश्मनों से लड़ रही हैं। कहानी का रोमांच तब चरम पर पहुँचता है जब कोमा में पड़े ध्रुव की आंखें अपनी पुरानी यादों की मदद से खुलती हैं—कुछ ठीक वैसे ही जैसे फीनिक्स राख से उठता है। ध्रुव समझ जाता है कि उसके माता-पिता जिस खतरे से जूझ रहे थे, वही खतरा अब उसके सामने और उसकी मौजूदा फैमिली (कमिश्नर राजन मेहरा और इगवान) के सामने भी खड़ा है।
Character analysis
Super Commando Dhruv (past and present):
इस कॉमिक में ध्रुव का किरदार दो अलग तरीकों से दिखाई देता है। एक तरफ वह अजन्मा बच्चा है जो माँ के गर्भ में रहते हुए भी खतरों को महसूस कर रहा है। दूसरी तरफ वही बच्चा बड़ा होकर एक ऐसा सुपरहीरो बन चुका है जो मौत को हराकर वापस लौटा है। ‘फिनिक्स’ जैसा टाइटल ध्रुव की जीने की जिद को दिखाता है। उसका यह विश्वास कि “मैं नहीं मर सकता, क्योंकि मुझे अपने सवालों के जवाब चाहिए”—उसकी मजबूत सोच और हिम्मत को सामने लाता है।

Shyam and Radha:
अक्सर सुपरहीरो कहानियों में माता-पिता सिर्फ बैकस्टोरी में दिखाई देकर खत्म हो जाते हैं, लेकिन यहाँ श्याम और राधा पूरी तरह एक्शन हीरो की तरह दिखाए गए हैं। श्याम एक आदर्श पति और रक्षक हैं। वह सिर्फ ताकतवर ही नहीं, बेहद समझदार भी हैं। राधा भी गर्भवती होने के बावजूद कमजोर नहीं दिखतीं। वे भी अपने होने वाले बच्चे की सुरक्षा के लिए लड़ती हैं। इससे साफ होता है कि ध्रुव ने जो ‘हीरो वाला स्वभाव’ पाया है, वह उसके माता-पिता से ही मिला है।
Hunters (Villain):
हंटर्स गैंग की विविधता इस कॉमिक की खासियत है। वे सिर्फ बंदूक वाले गुंडे नहीं हैं। वे जानवरों (शेर, बाज, खरगोश) का इस्तेमाल करते हैं, भेष बदलने में माहिर हैं और दिमागी खेल भी खेलते हैं। उनका असली मकसद अभी भी पूरी तरह साफ नहीं है, जो अगले भाग के लिए उत्सुकता बढ़ाता है।
Supporting characters (Jacob, Natasha, Shweta):
अतीत की कहानी में जैकब अंकल का रोल काफी प्यारा है। वह श्याम के सच्चे दोस्त और मददगार के रूप में सामने आते हैं। वर्तमान में नताशा और श्वेता की भूमिकाएँ ज़्यादातर एक्शन से भरी हैं। ध्रुव के न होने पर दोनों हालात संभालती हैं, जो महिला शक्ति का एक बेहतर उदाहरण बनकर सामने आता है।
Art and portraiture
अनुपम सिन्हा का आर्टवर्क हमेशा से ही राज कॉमिक्स की पहचान रहा है। ‘फिनिक्स’ में उनका काम पहले से भी ज्यादा निखरकर सामने आया है।

Action Scene: शेर वाले फाइट सीन (लगभग पेज 70–75) को बहुत ही जीवंत तरीके से बनाया गया है। शेर की खतरनाक आँखें, उसकी मांसपेशियों का तनाव, और उससे हो रहा संघर्ष—सब कुछ बहुत बारीकी से दिखाया गया है।
Detailing: सर्कस का माहौल, टेंट, जानवरों के पिंजरे और भीड़भाड़—हर फ्रेम में खूब डिटेल दिखाई देती है।
कलरिंग: सुनील दस्तुरिया की रंग सज्जा पूरे माहौल को सही मूड देती है। फ्लैशबैक वाले हिस्सों में रंगों का टोन थोड़ा अलग रखा गया है, ताकि पढ़ते समय आसानी से समझ आ जाए कि कौन-सा दृश्य अतीत का है और कौन-सा वर्तमान का।
कवर पेज: कवर पेज काफी डायनामिक है। इसमें ध्रुव को एक्शन मूड में दिखाया गया है और बैकग्राउंड में वे सारे खतरे (शेर, जोकर, आग) नजर आते हैं जिनका सामना उसने या उसके माता-पिता ने किया था।
कथा प्रवाह और संवाद (Narrative Flow and Dialogue)
कहानी का प्रवाह बहुत तेज है। अनुपम सिन्हा की खासियत यही है कि वे पढ़ते वक्त आपको रुकने नहीं देते। एक मुश्किल खत्म होती नहीं कि दूसरी तुरंत सामने आ जाती है।
संवाद: संवाद काफी असरदार हैं। जैसे डॉक्टर का यह कहना—”मेडिकल साइंस के हिसाब से यह मर चुका है, लेकिन इसका दिमाग अभी भी लड़ रहा है”—ध्रुव की जबरदस्त इच्छाशक्ति को बहुत अच्छे से दिखाता है।

इमोशनल कनेक्ट: राधा और श्याम के बीच के संवाद काफी भावुक हैं। एक होने वाले पिता की बेचैनी और एक माँ का हौसला दिल को छू जाता है।
तर्क (Logic): अनुपम जी अपनी कहानियों में तर्क का पूरा ध्यान रखते हैं। गर्भ में पल रहे बच्चे का खतरों को समझना थोड़ा बढ़ा-चढ़ाकर लग सकता है, लेकिन उन्होंने इसे ‘मां-बच्चे के गहरे मानसिक जुड़ाव’ और ध्रुव की ‘म्यूटेंट जैसी क्षमताओं’ से जोड़कर इसे काफी हद तक विश्वसनीय बना दिया है।
विषयगत गहराई (Thematic Depth)

वंशानुगत वीरता (Inherited Heroism):
इस कॉमिक में यह साफ दिखता है कि ध्रुव सिर्फ ट्रेनिंग की वजह से सुपर कमांडो नहीं बना, बल्कि वह जन्म से ही एक हीरो जैसी सोच लेकर आया था। उसके माता-पिता ने जिस तरह की मुश्किलों का सामना किया, वही उसके व्यक्तित्व की नींव बनते हैं।
अतीत का बोझ:
“फिनिक्स” यह भी बताती है कि इंसान अपने अतीत से भाग नहीं सकता। जुपिटर सर्कस जल गया, कई लोग मारे गए, लेकिन उसी अतीत के दुश्मन आज भी मौजूद हैं। आगे बढ़ने के लिए ध्रुव को अपने पुराने जख्मों और रहस्यों का सामना करना ही होगा।
पुनर्जन्म और आशा:
अस्पताल के दृश्यों में, जब लगभग हर कोई उम्मीद छोड़ देता है, तब भी ध्रुव भीतर ही भीतर लड़ता रहता है। यह उसकी सकारात्मक सोच और हार न मानने वाले जज्बे को दिखाता है—बिल्कुल फीनिक्स की तरह, जो राख से दोबारा उठ खड़ा होता है।
आलोचनात्मक समीक्षा (Critical Analysis)
सकारात्मक पहलू (Pros):
ओरिजिन स्टोरी का विस्तार: पुराने पाठकों के लिए यह जानना बहुत मज़ेदार और रोमांचक है कि जुपिटर सर्कस के खत्म होने से पहले क्या-क्या हुआ था।
सस्पेंस: ‘हंटर्स’ आखिर ढूंढ क्या रहे हैं? वह ‘फॉर्मूला’ किस काम का है? यह रहस्य आखिर तक बना रहता है और अगली कॉमिक के लिए उत्सुकता और बढ़ा देता है।
मल्टी-लेयर स्टोरी: इसमें सिर्फ एक विलेन की पिटाई नहीं, बल्कि एक बड़ी साज़िश को धीरे-धीरे खोला गया है, जो कहानी को और गहरा बनाती है।
नकारात्मक पहलू (Cons):
दोहराव (Repetition): कहानी के कुछ भाग थोड़े रिपिटेटिव लगते हैं। हंटर्स बार-बार अलग-अलग हत्यारे भेजते हैं और श्याम हर बार उन्हें मात दे देता है। कुछ समय बाद यह पैटर्न थोड़ा अनुमानित लगने लगता है।
जटिलता: नए पाठकों के लिए, जिन्होंने ‘बालचरित’ के पहले वाले भाग नहीं पढ़े हैं, प्लॉट थोड़ा मुश्किल लग सकता है क्योंकि कई संदर्भ पिछली कॉमिक्स से जुड़े हुए हैं।
अधूरापन: चूंकि यह एक बड़ी शृंखला का हिस्सा है, इसलिए इसमें कोई फाइनल निष्कर्ष नहीं मिलता। यह एक कड़ी भर है, जो उन पाठकों को थोड़ा अधूरा महसूस करा सकती है जो पूरी, एक-सिटिंग में खत्म होने वाली कहानी चाहते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
“फिनिक्स” राज कॉमिक्स के इतिहास में एक याद रखने लायक कॉमिक है। यह ध्रुव के किरदार को नई गहराई देता है। अनुपम सिन्हा ने फिर साबित किया कि वे सिर्फ शानदार आर्टिस्ट ही नहीं, बल्कि एक बेहतरीन कहानीकार भी हैं, जो पुराने किरदारों को भी नई ताजगी दे सकते हैं।
यह कॉमिक हमें याद दिलाती है कि सुपर कमांडो ध्रुव कोई आम इंसान नहीं है। वह असली ‘फीनिक्स’ है—उसे जितनी बार गिराओ, वह उतनी ही बार दोबारा उठकर खड़ा हो जाता है और न्याय के लिए लड़ता है।
किसे पढ़नी चाहिए?
अगर आप ध्रुव के फैन हैं, तो यह आपके लिए एकदम अनिवार्य (Must Read) है। और अगर आपको सस्पेंस, थ्रिल और पारिवारिक इमोशन वाला मिश्रण पसंद है, तब भी यह कॉमिक आपको जरूर पसंद आएगी।
रेटिंग: 4.5/5
अंतिम शब्द:
इस कॉमिक को पढ़ने के बाद आप पक्का अगली कड़ी “डेड एंड” उठाने के लिए उत्साहित हो जाएंगे। ‘बालचरित’ शृंखला भारतीय कॉमिक्स के स्वर्ण युग की वापसी जैसा एहसास दिलाती है, और ‘फिनिक्स’ इस शृंखला का एक चमकता हुआ सितारा है।
