सुपर कमांडो ध्रुव का चरित्र भारतीय कॉमिक्स के इतिहास में सबसे दिलचस्प और कई परतों वाला (layered) चरित्र माना जाता है। अनुपम सिन्हा ने ‘बालचरित’ श्रृंखला के ज़रिए ध्रुव के जन्म से पहले और उसके बचपन की घटनाओं को एक बिल्कुल नए नज़रिए से दिखाने की कोशिश की। “डेड एंड” इस पूरी श्रृंखला का एक बहुत अहम मोड़ है। जैसा कि नाम “डेड एंड” (आखिरी सिरा) बताता है, कहानी उस जगह पहुँचती है जहाँ हीरो के पास भागने के लगभग सारे रास्ते बंद हो जाते हैं, और उसे अपने अस्तित्व को बचाने के लिए एक अंतिम, बेहद कठिन लड़ाई लड़नी पड़ती है।
यह कॉमिक अतीत और वर्तमान के बीच पेंडुलम की तरह आगे-पीछे चलती है। एक तरफ ध्रुव अपने मौजूदा दुश्मनों से भिड़ रहा है, और दूसरी तरफ हम उसके माता-पिता (श्याम और राधा) को उन मुश्किल हालात से जूझते देखते हैं जिन्होंने आगे चलकर ध्रुव की ज़िंदगी की नींव रखी।
विस्तृत कथानक (Detailed Plot Analysis)
कहानी दो अलग-अलग समय-सीमाओं (Timelines) में आगे बढ़ती है:
वर्तमान काल (The Present):
कहानी की शुरुआत अस्पताल के उसी सीन से होती है जहाँ पिछली कॉमिक ‘फिनिक्स’ खत्म हुई थी। ध्रुव कोमा से बाहर आ चुका है, लेकिन खतरा अभी भी उसके आसपास मंडरा रहा है। ‘हंटर्स’ का हमला करने वाला ग्रुप, जिसका लीडर खतरनाक ‘वक्र’ है, ध्रुव को खत्म करने के लिए अस्पताल और पुलिस हेडक्वार्टर पर हमला बोल देता है।

यहाँ एक बेहद रोमांचक पल आता है—एक नकली पुलिस वाला (डडवाल) ध्रुव को मारने की कोशिश करता है, लेकिन ध्रुव अपनी समझदारी और ‘सिक्स सेंस’ की बदौलत उससे बच जाता है। अस्पताल में चल रही इस लगातार लड़ाई में श्वेता (चंडिका) और नताशा (ब्लैक कैट) ध्रुव की सुरक्षा ढाल बनकर खड़ी रहती हैं। ध्रुव अभी पूरी तरह ठीक नहीं हुआ है, लेकिन अपनी इच्छाशक्ति के बल पर खुद को संभालता है। उसे एहसास होता है कि उसके पुराने दुश्मन (हंटर्स) सिर्फ उसे ही नहीं, बल्कि उसके परिवार और पूरे राजनगर पर हमला करने की तैयारी में हैं।
वर्तमान की कहानी ध्रुव, नताशा और श्वेता की कोशिशों पर घूमती है, जो हंटर्स की प्लानिंग को फेल कर उनके मुख्य अड्डे तक पहुंचने की जद्दोजहद में लगे हैं।
फ्लैशबैक (The Past):
कहानी का सबसे भावुक और मजबूत हिस्सा फ्लैशबैक है, जो हमें जुपिटर सर्कस के सुनहरे दिनों में वापस ले जाता है। यहाँ हम ध्रुव के माता-पिता श्याम और राधा को एक नए रंग में देखते हैं। राधा गर्भवती हैं (ध्रुव उसी समय उनके गर्भ में है), लेकिन इसके बावजूद उनका हौसला किसी योद्धा से कम नहीं दिखाई देता।
फ्लैशबैक में एक अहम उप-कथानक (Sub-plot) “पोचर्स” यानी अवैध शिकारियों से जुड़ा है। श्याम और राधा जानवरों से बहुत प्यार करते हैं। जब उन्हें पता चलता है कि जंगल में जानवरों का अवैध शिकार हो रहा है और उन्हें सर्कस या गेम पार्क के लिए पकड़कर ले जाया जा रहा है, तो वे इसका जमकर विरोध करते हैं। इस हिस्से में हमें श्याम की बहादुरी और राधा की ममता का शानदार मेल देखने को मिलता है।
फ्लैशबैक के मुख्य घटनाक्रम:
जानवरों का प्रेम:
श्याम और राधा का जानवरों के साथ बेहद गहरा रिश्ता दिखाया गया है। चाहे शेर हो, हाथी हो या कोई और जीव—वे सिर्फ उनकी देखभाल ही नहीं करते, बल्कि उनकी भाषा और भावनाओं को भी समझ लेते हैं।

हंटर्स के हमले:
हंटर्स नाम का यह गिरोह एक रहस्यमयी “फार्मूला” की तलाश में है, और इसी वजह से वे जुपिटर सर्कस पर बार-बार चोरी-छिपे हमला करते रहते हैं। कभी वे “बम वाले कबूतर” भेजते हैं, तो कभी “विस्फोटक डार्ट” का इस्तेमाल करते हैं। इन हमलों से सर्कस का माहौल हमेशा डर और तनाव में रहता है।
अजन्मे ध्रुव की भूमिका:
अनुपम सिन्हा ने यहाँ एक बेहद अनोखी और दिलचस्प अवधारणा दिखाई है—ध्रुव की “खतरा पहचानने की शक्ति” (Sixth Sense) गर्भ में ही विकसित हो गई थी। जब भी राधा पर कोई खतरा आता, गर्भ में मौजूद ध्रुव हलचल करके उन्हें सावधान कर देता था। यह बात ध्रुव की सुपरपावर की शुरूआत (Origin) को एक साथ वैज्ञानिक और आध्यात्मिक रूप देती है।
क्लाइमेक्स की ओर:
कहानी के आखिरी हिस्से में वर्तमान और अतीत एक ही बिंदु पर आकर जुड़ जाते हैं। ध्रुव को समझ आता है कि जिस “फार्मूले” की तलाश में हंटर्स इतने बेचैन हैं, उसका सुराग उसके जन्म और उसके माता-पिता की पुरानी डायरी या सामान में छिपा हो सकता है। कॉमिक ऐसे मोड़ पर खत्म होती है जहाँ ध्रुव और उसके साथी हंटर्स से अंतिम और निर्णायक भिड़ंत के लिए तैयार खड़े हैं। यह सीधे अगली और अंतिम कड़ी “एंड गेम” की तरफ इशारा करता है।
चरित्र चित्रण (Characterization)
सुपर कमांडो ध्रुव:
“डेड एंड” में ध्रुव अपनी ताकत से ज्यादा अपने दिमाग और हौसले पर भरोसा करता है। अस्पताल के बिस्तर पर होने के बावजूद दुश्मनों से भिड़ जाना दिखाता है कि ध्रुव का असली हथियार उसकी अटूट इच्छाशक्ति है। वह अपने दत्तक पिता (कमिश्नर मेहरा) और अपनी बहन के प्रति बेहद सुरक्षात्मक है। उसका यह संवाद—“इंसान का वर्तमान और भविष्य हमेशा उसके अतीत पर निर्भर करता है”—पूरी कॉमिक की थीम को साफ करता है।

श्याम और राधा:
इस पूरी शृंखला की सबसे बड़ी ताकत है श्याम और राधा का शानदार चरित्र-निर्माण। वे सिर्फ “ध्रुव के माता-पिता” नहीं हैं—वे खुद अपने आप में नायक हैं। श्याम का जानवरों को बचाने के लिए पोचर्स से भिड़ जाना और राधा का गर्भवती होने के बावजूद दुश्मनों को चकमा देना यह साबित करता है कि ध्रुव की बहादुरी उसके खून में है।
राधा का चरित्र खास तौर पर मज़बूत दिखाया गया है—वह सिर्फ एक माँ नहीं, बल्कि एक चालाक रणनीतिकार और धैर्यवान योद्धा भी है।
नताशा और श्वेता (चंडिका):
ये दोनों महिलाएँ ध्रुव की ज़िंदगी की मज़बूत सहारा हैं। नताशा का तेज, आक्रामक अंदाज़ और श्वेता की संतुलित वीरता—दोनों एक-दूसरे को पूरा करती हैं। जब ध्रुव कमजोर होता है, ये दोनों उसकी ताकत बनकर खड़ी होती हैं। नताशा और ध्रुव के बीच का अनकहा रिश्ता और भरोसा इस कॉमिक में भी साफ दिखाई देता है।
हंटर्स (खलनायक):
हंटर्स का गिरोह रहस्यमय और बेहद क्रूर है। वे तकनीक, चालाकी और हिंसा—तीनों का मिला-जुला इस्तेमाल करते हैं। ‘वक्र’ ऐसा विलेन है जो ताकत में ध्रुव का सीधा मुकाबला करता है, जबकि इसके पीछे काम करने वाले दूसरे विलेन अपनी चालें चलते रहते हैं। वे जानवरों का इस्तेमाल हथियार की तरह करते हैं (जैसे बम वाले कबूतर), जो उनकी बेरहमी और निर्दयता साफ दिखाता है।
कला और चित्रांकन (Art and Artwork)

सिन्हा की कला में सबसे बड़ा आकर्षण है उनके एक्शन सीन—जो हमेशा तेज, जीवंत और बेहद डायनामिक लगते हैं। पेज 12–14 पर शेर का पिंजरा तोड़कर निकलना और फिर जाल में फँसने वाला दृश्य इतना शानदार है कि जैसे पूरी घटना आंखों के सामने हो रही हो।
सिन्हा ने जानवरों की बनावट (Anatomy), उनकी हरकतें और गुस्से को बड़ी बारीकी से खींचा है, जिससे एक्शन और भी असली महसूस होता है।
भावनात्मक दृश्यों की बात करें, तो यहाँ भी कला बेहद प्रभावशाली है। अस्पताल के सीन में पात्रों के चेहरों पर डर, चिंता और बेचैनी बहुत साफ दिखती है। पेज 80 वाला सीन, जब राधा को अपनी गर्भावस्था का पता चलता है—उसमें चेहरे के भाव और रंगों का संयोजन बहुत सुखद और गहरा लगता है, जो उस पल को खास और भावनात्मक बनाता है।
कवर पेज भी काफी दमदार है। इसमें ध्रुव और उसके साथी हंटर्स से घिरे दिखते हैं। पूरा दृश्य कहानी के शीर्षक “डेड एंड” वाली बेचैनी और गंभीरता को तुरंत महसूस करा देता है।
सुनील दस्तुरिया ने रंग भरने में कमाल कर दिया है। फ्लैशबैक वाले सीन में रंग हल्के और अलग रखे गए हैं, जिससे तुरंत पता चल जाता है कि समय बदल गया है। यह कहानी के प्रवाह और उसकी दृश्य पहचान दोनों को और मजबूत करता है।
लेखन और संवाद (Writing and Dialogues)
अनुपम सिन्हा की लिखाई की सबसे बड़ी खासियत है—फैंटेसी और यथार्थ को बहुत खूबसूरती से मिलाना।
कहानी में कई जगह गहरे और सोचने पर मजबूर करने वाले संवाद हैं, जो जिंदगी, मौत, कर्म और इंसानियत जैसी बड़ी बातों पर बात करते हैं। इससे कहानी सिर्फ एक्शन-कॉमिक नहीं रहती, बल्कि दिमाग को छूने वाली बन जाती है।
ध्रुव की खास शक्तियों को समझाने के लिए लेखक ने DNA और आनुवंशिक विज्ञान का सहारा लिया है, जो इसकी फैंटेसी को एक तार्किक आधार देता है। इससे विज्ञान पसंद करने वाले पाठकों को कहानी और भी विश्वसनीय लगती है।
संवाद छोटे, असरदार और हर पात्र के स्वभाव के हिसाब से लिखे गए हैं। हंटर्स के संवादों में उनकी निर्दयता और घमंड साफ दिखता है, जबकि ध्रुव और उसके परिवार के संवादों में प्यार और चिंता झलकती है।
समीक्षात्मक विश्लेषण (Critical Analysis)

सकारात्मक पक्ष (Pros):
सस्पेंस: कहानी में रहस्य लगातार बना रहता है—हंटर्स आखिर चाहते क्या हैं? यह “फार्मूला” क्या है? यही सवाल पाठक को अंत तक जोड़े रखता है।
इमोशनल कनेक्ट: ध्रुव का अपनी माँ राधा की डायरी पढ़ना और अपने अतीत को महसूस करना दिल को छू लेने वाला हिस्सा है।
कहानी का विस्तार: यह कॉमिक ध्रुव के ओरिजिन को केवल जुपिटर सर्कस की आग तक सीमित नहीं रखती, बल्कि उससे भी पुरानी परतें खोलती है। इससे ध्रुव का किरदार और अधिक गहरा बनता है।

नकारात्मक पक्ष (Cons):
जटिलता: चूंकि यह लंबी शृंखला का पाँचवाँ भाग है, नए पाठकों को घटनाओं और पात्रों का बैकग्राउंड समझने में थोड़ी दिक्कत हो सकती है।
गति (Pacing): बीच के कुछ हिस्सों में, खासकर फ्लैशबैक में, कहानी थोड़ी धीमी महसूस होती है।
क्लिफहेंगर: यह भी पिछली कड़ियों की तरह अधूरी कहानी है, जो “एंड गेम” पर खत्म होती है। जो पाठक पूरी कहानी वहीं चाहते हैं, उन्हें थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा।
निष्कर्ष (Conclusion)
“डेड एंड” राज कॉमिक्स की एक शानदार पेशकश है, जो सुपर कमांडो ध्रुव की विरासत को और मजबूत करती है। अनुपम सिन्हा ने एक बार फिर दिखा दिया कि वे सिर्फ बेहतरीन कलाकार ही नहीं, बल्कि जबरदस्त कहानीकार भी हैं। उन्होंने ध्रुव के अतीत को इतने सुंदर और सूक्ष्म ढंग से पेश किया है कि पाठक खुद उस दौर का हिस्सा महसूस करने लगते हैं।
यह कॉमिक एक्शन, इमोशन, सस्पेंस और ड्रामा—सब कुछ एक साथ परोसती है। यह यह भी बताती है कि जिन हालात में हमें कोई रास्ता न दिखे (Dead End), हिम्मत और समझदारी से वहीँ से नया रास्ता निकाला जा सकता है।
रेटिंग: 4/5
अंतिम शब्द:
अगर आप सुपर कमांडो ध्रुव के फैन हैं और उसके जीवन की हर परत को जानना चाहते हैं, तो यह कॉमिक जरूर पढ़नी चाहिए। यह सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि ध्रुव के इतिहास की एक अहम कड़ी है। इसे खत्म करते ही अगली और आखिरी कड़ी “एंड गेम” पढ़ने की बेचैनी बढ़ जाएगी।
