राज कॉमिक्स का स्वर्ण युग भारतीय कॉमिक्स इतिहास का वह पन्ना है, जिसे पलटते ही सुपर कमांडो ध्रुव जैसा नायक अपनी पूरी चमक के साथ सामने आ जाता है। ध्रुव, जो अपनी अमानवीय शक्ति से नहीं, बल्कि अपनी बुद्धि, अदम्य साहस, वैज्ञानिक सोच और जानवरों से बात करने की अद्भुत क्षमता के लिए जाना जाता है, हमेशा से पाठकों का चहेता रहा है। “कालध्वनि” उसी श्रृंखला की एक ऐसी कहानी है जो सिर्फ एक आम ‘बुराई पर अच्छाई की जीत’ की कहानी नहीं है। यह एक गहन, भावनात्मक और एक्शन से भरपूर त्रासद गाथा (Tragedy) है, जो न केवल ध्रुव के सबसे खतरनाक दुश्मनों में से एक ‘ध्वनिराज’ को एक नए, भयावह स्तर पर स्थापित करती है, बल्कि एक नए और जटिल चरित्र ‘निनाद’ को भी जन्म देती है।
जॉली सिन्हा की कलम से निकली यह कहानी और अनुपम सिन्हा के कूची से सजे पन्ने, कॉमिक्स के उस दौर की याद दिलाते हैं जब हर विशेषांक एक उत्सव की तरह होता था। “कालध्वनि” अपने नाम के अनुरूप ही है – यह ‘काल’ यानी समय (और मृत्यु) की ‘ध्वनि’ है, एक ऐसी गूंज जो कहानी खत्म होने के बाद भी पाठक के ज़ेहन में बस जाती है।
कथानक का विस्तृत विश्लेषण: षड्यंत्र, विज्ञान और विनाश की ध्वनि
यह कॉमिक्स एक बहुत ही दमदार ‘फ़्लैश-फॉरवर्ड’ या ‘इन मीडिया रेस’ (In Medias Res – कहानी के बीच से शुरुआत) तकनीक से शुरू होती है। पहले ही पन्ने पर हम ध्रुव को एक नए, ज़्यादा ख़तरनाक कवच पहने ध्वनिराज और एक रहस्यमयी, शुद्ध ऊर्जा से बनी स्त्री ‘निनाद’ से जूझते हुए देखते हैं। ध्वनिराज ऐलान करता है कि वह निनाद की मदद से राजनगर को तबाह कर देगा। यह दृश्य तुरंत पाठक के मन में सैंकड़ों सवाल खड़े कर देता है – यह निनाद कौन है? ध्वनिराज इतना शक्तिशाली कैसे हो गया? और यह सब हुआ कैसे?

इसके बाद कहानी हमें अतीत (Flashback) में ले जाती है, जो इस विशेषांक का लगभग 95% हिस्सा है और इन सभी सवालों का जवाब देती है।
गुप्त लैब और ‘वायब्रेनियम‘ का जन्म
कहानी की असली शुरुआत राजनगर की सीमा पर स्थित एक गुप्त प्रयोगशाला में होती है, जिसे कमांडर नताशा (जो कुख्यात आतंकवादी ग्रैंडमास्टर रोबो की बेटी है) चला रही है। उसके वैज्ञानिक, डॉक्टर चिंग, दो साल की मेहनत के बाद एक क्रांतिकारी धातु ‘वायब्रेनियम’ (मार्वल कॉमिक्स के ‘वायब्रेनियम’ को एक स्पष्ट श्रद्धांजलि) बनाने में सफल हो जाते हैं। यह एक ऐसी धातु है जो ध्वनि ऊर्जा को सोखकर उसे एक विनाशकारी हथियार में बदल सकती है। उनकी लैब में ‘साउंड एनर्जी कन्वर्टर’ भी है, जो किसी भी पदार्थ को ठोस ध्वनि तरंगों में बदल सकता है।

यहीं पर कहानी का पहला पेंच आता है। लैब का एक गार्ड, जो वास्तव में एक घुसपैठिया है, सम्मोहक संगीत बजाकर पूरी लैब को सुला देता है। यह कोई और नहीं, बल्कि ध्वनिराज का भेजा हुआ आदमी है।
ध्वनिराज का हमला और ध्रुव का आगमन
ध्वनिराज अपने गुंडों और एक विशाल ‘सोनिक कैनन’ टैंक के साथ लैब पर हमला कर देता है। उसका लक्ष्य स्पष्ट है – वायब्रेनियम हासिल करना। नताशा, जो एक ’10वीं डिग्री ब्लैक बेल्ट’ धारक है, बहादुरी से लड़ती है, लेकिन ध्वनिराज के टैंक के आगे उसकी एक नहीं चलती।

ठीक इसी समय सुपर कमांडो ध्रुव की एंट्री होती है। ध्रुव बताता है कि वह इस इलाके में बिजली की असामान्य रूप से बढ़ी खपत की जाँच करने आया था। ध्रुव और नताशा, जो अक्सर एक-दूसरे के खिलाफ रहे हैं, मजबूरन एक साथ मिलकर ध्वनिराज का सामना करते हैं। ध्रुव अपनी अद्भुत फुर्ती और सूझबूझ का परिचय देते हुए ध्वनिराज के टैंक को उसी के कैनन से नष्ट कर देता है।
‘निनाद‘ का त्रासद जन्म
टैंक से निकलने के बाद, ध्वनिराज अपने व्यक्तिगत सोनिक ब्लास्टर का उपयोग करता है। वह ध्रुव पर वार करता है, लेकिन नताशा ध्रुव को धक्का दे देती है और खुद उस घातक ध्वनि तरंग की चपेट में आ जाती है। यह ब्लास्ट उसे सीधा ‘साउंड एनर्जी कन्वर्टर’ मशीन में फेंक देता है। मशीन ओवरलोड होती है और नताशा का शरीर… विखंडित हो जाता है। वह ऊर्जा में बदलकर जैसे हवा में विलीन हो जाती है।

यह दृश्य ध्रुव के लिए एक गहरा आघात है। वह नताशा को अपना दुश्मन समझता था, लेकिन उसके इस बलिदान से वह क्रोध और दुःख से भर जाता है। वह ध्वनिराज पर टूट पड़ता है, लेकिन ध्वनिराज अपने ‘सोनिक जेट स्कूटर’ पर भाग निकलने में सफल हो जाता है।
एक नई शक्ति का उदय और दूसरा षड्यंत्र
कहानी का रुख तब बदलता है जब पुलिस स्टेशन में एक चमत्कार होता है। नताशा मरी नहीं है; वह ‘साउंड एनर्जी कन्वर्टर’ द्वारा शुद्ध ध्वनि ऊर्जा के एक जीव ‘निनाद’ में बदल गई है। वह भ्रमित है, क्रोधित है और अपनी नई शक्तियों से अनजान है। वह लैब के वैज्ञानिकों को मारने पहुँच जाती है, जिन्हें पुलिस ने सुरक्षा के लिए लॉकअप में रखा है। वह डॉक्टर चिंग पर उसे धोखा देने का आरोप लगाती है।
तभी ध्रुव वहाँ पहुँचता है और उसे रोकता है। लेकिन इससे पहले कि वे कुछ समझ पाते, एक और खलनायक ‘सोनिक बैट’ (एक विशालकाय चमगादड़ जैसा प्राणी) हमला कर देता है। यह पता चलता है कि डॉक्टर चिंग ही असली गद्दार था; वह ध्वनिराज के लिए काम करता था और ‘सोनिक बैट’ उसी का बनाया हुआ एक और हथियार है। ध्रुव अपनी सूझबूझ से सोनिक बैट को हरा देता है, जो ‘रडार सेंस’ पर निर्भर करता है।
काल–खानी में अंतिम टकराव
ध्वनिराज वापस आता है और खुलासा करता है कि वह ‘निनाद’ (नताशा) को अपने ध्वनि-नियंत्रण यंत्र से कंट्रोल कर सकता है। वह निनाद को ध्रुव से लड़ने पर मजबूर करता है। साथ ही, वह लैब से चुराए हुए ‘वायब्रेनियम’ को राजनगर के नीचे ‘काल-खानी’ (एक पुरानी खदान) में ले जाता है। उसका प्लान है कि वह आने वाले भयंकर ‘गरजदार तूफान’ की ध्वनि ऊर्जा को वायब्रेनियम में सोखकर एक कृत्रिम भूकंप ‘कालध्वनि’ पैदा करेगा और पूरे राजनगर को मलबे में बदल देगा।

ध्रुव, निनाद से बचते-बचाते राजनगर यूनिवर्सिटी के साउंड रिसर्च सेंटर पहुँचता है। वह निनाद को एक ‘वैक्यूम चैम्बर’ (निर्वात कक्ष) में फँसा देता है। चूँकि निनाद खुद ‘ध्वनि’ है, इसलिए बिना किसी माध्यम (हवा) के उसका अस्तित्व बिखरने लगता है।
इसके बाद ध्रुव ‘काल-खानी’ पहुँचता है। वहाँ उसका सामना ध्वनिराज से होता है। लेकिन कहानी में एक और मोड़ आता है। निनाद (नताशा) भी वहाँ पहुँच जाती है और खुलासा करती है कि वह ध्वनिराज के नियंत्रण में होने का नाटक कर रही थी। वह यूनिवर्सिटी लैब में वापस ‘साउंड कन्वर्टर’ को छूकर किसी तरह अपना मानवीय रूप (अस्थायी तौर पर) वापस पा चुकी थी।
अंतिम लड़ाई में, ध्रुव और नताशा मिलकर ध्वनिराज को हराते हैं। ध्रुव खदान की दीवार तोड़कर समुद्र का पानी अंदर ले आता है, जिससे ध्वनिराज के उपकरण शॉर्ट-सर्किट हो जाते हैं और ‘कालध्वनि’ हथियार निष्क्रिय हो जाता है।
उपसंहार: एक अनसुलझी पहेली
कहानी का अंत सुखद नहीं है। नताशा ने अपना मानवीय रूप पा तो लिया है, लेकिन वह बताती है कि उसका शरीर अभी भी अस्थिर है और ध्वनि तरंगों में बदल रहा है। ध्रुव उसे कानूनी सज़ा से यह कहकर बचाता है कि जो भी अपराध हुए, वे ‘निनाद’ ने किए थे, नताशा ने नहीं। वह उसे एक सस्पेंशन (निलंबन) में जाने का सुझाव देता है जब तक कि उसका इलाज न मिल जाए।

और यहीं पर कहानी उस पहले पन्ने (प्रोलाग) से जुड़ जाती है। कहानी का अंत यह संकेत देता है कि यह शांति अस्थायी है। ध्वनिराज वापस लौटेगा, वह अपने कवच को अपग्रेड करेगा (जैसा हमने पेज 2 पर देखा) और शायद नताशा फिर से ‘निनाद’ बनकर उसके नियंत्रण में आ जाएगी। यह कॉमिक्स असल में एक बड़ी गाथा की सिर्फ शुरुआत थी।
चरित्र–चित्रण: भावनाओं के कई शेड्स
सुपर कमांडो ध्रुव: यह कॉमिक्स ध्रुव के चरित्र के हर पहलू को दर्शाती है। उसकी बुद्धिमत्ता (बिजली की खपत ट्रैक करना), उसकी रणनीति (टैंक को नष्ट करना, वैक्यूम चैम्बर का उपयोग, खदान में पानी लाना), उसका भावनात्मक पक्ष (नताशा की ‘मौत’ पर उसका क्रोध) और उसका नैतिक बल (अंत में नताशा को बचाने का प्रयास)। वह एक संपूर्ण नायक के रूप में उभरता है।
कमांडर नताशा / निनाद: निस्संदेह, यह कहानी नताशा की है। एक ग्रे-शेड (Grey-shaded) चरित्र से (जो रोबो की बेटी है) एक दुखद नायिका (Tragic Heroine) बनने तक का उसका सफर दिल छू लेता है। ‘निनाद’ के रूप में उसकी भ्रम की स्थिति, उसकी अपार शक्ति और उसका क्रोध, सब कुछ बहुत अच्छी तरह से लिखा गया है। वह ध्रुव की सबसे जटिल सहयोगियों (या दुश्मनों?) में से एक बन जाती है।
ध्वनिराज: यह कॉमिक्स ध्वनिराज को ध्रुव के ‘टॉप-टियर’ दुश्मनों में स्थापित करती है। वह केवल ध्वनि से खेलने वाला एक आम खलनायक नहीं है; वह एक मास्टर प्लानर, एक षड्यंत्रकारी और एक वैज्ञानिक बुद्धि वाला अपराधी है। उसकी महत्वाकांक्षा और क्रूरता उसे एक यादगार विलेन बनाती है।
कला और पटकथा: एक परफेक्ट जुगलबंदी
अनुपम सिन्हा का आर्टवर्क इस कहानी का मुख्य आकर्षण है। एक्शन सीक्वेंस बेहद गतिशील (Dynamic) हैं। हर पैनल ऊर्जा से भरा है। ‘निनाद’ का डिज़ाइन (एक पारभासी, ऊर्जावान नारी-आकृति) और ‘सोनिक बैट’ का भयावह रूप, दोनों ही बेहतरीन हैं। ध्रुव के चेहरे पर गुस्सा, पीड़ा और दृढ़ संकल्प के भाव बहुत स्पष्टता से दिखाए गए हैं। सुनील पाण्डेय का रंग-संयोजन कॉमिक्स को उस दौर का क्लासिक लुक देता है।

जॉली सिन्हा की पटकथा कसी हुई है। कहानी की गति कहीं भी धीमी नहीं पड़ती। विज्ञान, एक्शन, ड्रामा और इमोशन का संतुलन एकदम सटीक है। संवाद दमदार हैं, जैसे “अफसोस रहेगा तो सिर्फ ये कि घुटने टेकने के लिए तू ज़िंदा नहीं बचेगा!”। ‘ध्वनि’ की थीम को कहानी में हर जगह (ध्वनिराज, निनाद, सोनिक बैट, कालध्वनि, साउंड कन्वर्टर) बहुत रचनात्मक तरीके से पिरोया गया है।
निष्कर्ष: एक ‘मस्ट–रीड‘ क्लासिक
“कालध्वनि” सुपर कमांडो ध्रुव की सर्वश्रेष्ठ कहानियों में से एक है। यह सिर्फ एक कॉमिक्स नहीं, बल्कि एक संपूर्ण सिनेमाई अनुभव है। यह एक ऐसी कहानी है जो विज्ञान-कथा को मानवीय भावनाओं और त्रासदी के साथ खूबसूरती से जोड़ती है। यह एक खलनायक को अपग्रेड करती है और एक नए, जटिल चरित्र को जन्म देती है, जिसका असर ध्रुव की दुनिया पर लंबे समय तक रहना था।
यह विशेषांक इस बात का सबूत है कि भारतीय कॉमिक्स में गहराई, जटिलता और भावनात्मक परिपक्वता की कोई कमी नहीं थी। अनुपम सिन्हा और जॉली सिन्हा की जोड़ी ने हमें एक ऐसी कृति दी है जो आज भी उतनी ही प्रभावशाली और रोमांचक है। यह हर कॉमिक्स प्रेमी, विशेषकर सुपर कमांडो ध्रुव के प्रशंसकों के लिए एक अनिवार्य पठन (Must-Read) है।
