महान निर्देशक क्रिस्टोफर नोलन (Christopher Nolan) की अगली फिल्म का नाम ‘द ओडिसी’ (The Odyssey) होगा, जो एपिक सिनेमा के फैंस के लिए बेहद रोमांचक खबर है। नोलन ने 21वीं सदी के सबसे सक्षम और बहुमुखी (versatile) निर्देशकों में अपनी पहचान बनाई है। उनकी फिल्मों में साइंस-फिक्शन फिल्में , गंभीर जीवनी, और ब्लॉकबस्टर एक्शन थ्रिलर, जैसे इंटरस्टेलर, ओपेनहाइमर, और ब्लॉकबस्टर एक्शन थ्रिलर द डार्क नाइट ट्रिलॉजी शामिल हैं। यह ब्रिटिश निर्देशक हर विषय को एक भव्य और विशाल स्तर (epic sense of scale) पर पेश करते हैं, जिसके लिए वह अक्सर अत्याधुनिक तकनीक (cutting-new technology) का इस्तेमाल करते हैं। ‘ओपेनहाइमर’ के लिए ऑस्कर जीतने के बाद, पूरी दुनिया उनकी अगली फिल्म के ऐलान का बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी। महीनों तक यह रहस्यमयी प्रोजेक्ट चर्चा में रहा, जिसके बारे में कभी हेलीकॉप्टर पायलटों पर तो कभी वैम्पायरों पर फिल्म बनाने की अफवाहें थीं। हालाँकि, अब यह पुष्टि हो गई है कि नोलन की अगली फिल्म ‘द ओडिसी’ होगी, जिससे उन्हें एक और ऐतिहासिक महाकाव्य (historical epic) को निर्देशित करने का मौका मिलेगा।
क्रिस्टोफर नोलन की अगली फिल्म ‘द ओडिसी’ (The Odyssey) होगी, जो प्राचीन यूनानी महाकाव्य पर आधारित है। नोलन ने 1998 में ब्रिटिश क्राइम थ्रिलर ‘फॉलोइंग’ (Following) से अपने करियर की शुरुआत की थी और तब से उन्होंने कई फिल्मों का निर्देशन किया है। उनकी हर फिल्म को आलोचक पसंद करते हैं और बॉक्स ऑफिस पर भी ये बड़ी हिट होती रही हैं। नोलन अब हॉलीवुड के सबसे बड़े और चर्चित निर्देशकों में गिने जाते हैं और 2023 में अपनी फिल्म ‘ओपेनहाइमर’ के लिए उन्हें पहला ऑस्कर भी मिला।

अब नोलन अपनी अगली फिल्म में फिर से एक बड़ी, दिलचस्प कहानी लेकर आ रहे हैं। ‘द ओडिसी’ होमर के यूनानी महाकाव्य का नया रूप होगी और इसे नोलन की कई फिल्मों की तरह खास तौर पर IMAX में फिल्माया जाएगा। यूनिवर्सल पिक्चर्स के साथ उनका यह जुड़ाव भी जारी रहेगा, जिन्होंने ‘ओपेनहाइमर’ को बड़ी सफलता दिलाई थी। फिल्म 17 जुलाई, 2026 को रिलीज़ होगी और इसे “पूरी दुनिया में नई IMAX टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके बनाई गई एक पौराणिक एक्शन फिल्म” कहा जा रहा है।
क्रिस्टोफर नोलन की अगली फिल्म का विषय तय होने से पहले ही ‘द ओडिसी’ ने बड़े सितारों को अपनी ओर खींच लिया था। अब तक मैट डेमन, ऐनी हैथवे, टॉम हॉलैंड, ज़ेंडाया, रॉबर्ट पैटिनसन, लुपिटा न्योंगो, और चार्लीज़ थेरॉन जैसे नाम इस फिल्म की कास्ट में शामिल हो चुके हैं। हालांकि, इनके किरदार अभी सामने नहीं आए हैं। कहानी का दायरा इतना बड़ा है कि और भी कई एक्टर्स इसमें जुड़ सकते हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, नोलन की ‘द ओडिसी’ की शूटिंग 2025 की शुरुआत में शुरू होने की उम्मीद है और इसे 2026 में रिलीज़ किया जाएगा। यह नोलन की पुरानी फिल्मों के पैटर्न के मुताबिक है—इंटरस्टेलर, डनकर्क, टेनेट, और ओपेनहाइमर सभी तीन साल के अंतराल पर आई थीं, और ‘द ओडिसी’ भी ओपेनहाइमर के ठीक तीन साल बाद रिलीज़ होगी।
‘द ओडिसी’ की कहानी बड़े पर्दे पर पहले भी दिखाई जा चुकी है। 1954 में यूलिसिस (किर्क डगलस), 1997 में मिनीसीरीज़ द ओडिसी (आर्मंड असांटे) और हाल ही में 2024 में द रिटर्न (राल्फ फ़िएनेस) बनी। इसके अलावा, यह कहानी कई फिल्मों और टीवी शोज़ के लिए भी प्रेरणा रही, जैसे ओ ब्रदर, वेयर आर्ट दाउ?, कोल्ड माउंटेन, और स्टार ट्रेक: ओडिसी।
लेकिन क्रिस्टोफर नोलन का रिकॉर्ड और IMAX टेक्नोलॉजी में उनका एक्सपर्ट होना इस फिल्म को अलग बनाता है। द ओडिसी की कहानी एक होनहार हीरो की है जो अपने ज़ख्म (trauma) और घमंड (hubris) से जूझता है। यही थीम नोलन की कई पिछली फिल्मों में भी दिखी है, इसलिए यह कहानी उनके लिए बिल्कुल सही है। IMAX कैमरे इस महाकाव्य के बड़े पैमाने को और शानदार तरीके से दिखाएंगे, और फिल्म एक दमदार विज़ुअल शोकेस होगी।
इतनी बड़ी स्टार कास्ट और जबरदस्त टीम के साथ, इसमें कोई शक नहीं कि क्रिस्टोफर नोलन की ‘द ओडिसी’ 2026 की सबसे बड़ी फिल्मों में से एक होगी।
क्या है ओडिसी की कहानी?

ओडिसी होमर द्वारा लिखी गई एक ऐसी महाकाव्य कथा है जिसे प्राचीन ग्रीक साहित्य का सबसे खास रत्न माना जाता है। इसकी कहानी है इथाका के राजा ओडिसियस की, जो 10 साल लंबी समुद्री यात्रा पर निकलता है और बार-बार मुश्किलों में फंसने के बावजूद अपने घर लौटने की कोशिश करता है। ओडिसियस की सबसे बड़ी ताकत उसकी बुद्धि और उसकी चतुराई थी, जिसकी कहानियां दूर-दूर तक फैली हुई थीं। घर वापस लौटने का यह सफर सिर्फ समुद्र पार करने का ही नहीं था, बल्कि यह उसके दिल और दिमाग के भीतर की लड़ाई भी थी—जहां उसे अपने डर, शक और बलिदानों से टकराना पड़ा। इस महाकाव्य के हर हिस्से में हम ओडिसियस के साथ उसके संघर्ष, चुनौतियों और उसके अदम्य इरादों का अहसास करते हैं।
ट्रोजन हॉर्स – ओडिसियस की सबसे बड़ी चाल
ट्रोजन युद्ध के आखिरी दिनों में ओडिसियस की चालाकी ने एक नई मिसाल कायम की। इसी समय उसने एक ऐसी योजना बनाई, जिसने न सिर्फ ट्रोजन युद्ध को खत्म किया बल्कि इतिहास में हमेशा के लिए उसकी छाप छोड़ दी। उसने एक विशाल लकड़ी का घोड़ा बनवाया, जिसके अंदर ग्रीक योद्धाओं को छिपा दिया गया। इस घोड़े को ट्रॉय के द्वार पर एक तोहफे की तरह छोड़ दिया गया। ट्रोजन लोग इसे असली उपहार समझ बैठे और घोड़े को शहर के भीतर ले आए। लेकिन रात होते ही ग्रीक सैनिक घोड़े से बाहर निकले और अचानक हमला बोल दिया। इस चाल ने न केवल युद्ध को खत्म कर दिया बल्कि ट्रॉय जैसी महान नगरी को भी मिट्टी में मिला दिया।
साइक्लोप्स पोलीफेमस – चतुराई बनाम ताक़त

समुद्री सफर के दौरान ओडिसियस और उसके साथी एक अजनबी द्वीप पर पहुँचे। यहां उनका सामना हुआ एक भयानक और विशालकाय साइक्लोप्स, पोलीफेमस, से। शुरुआत में पोलीफेमस ने उन्हें अपनी गुफा में आने दिया, लेकिन जल्द ही उसकी असली खौफनाक फितरत सामने आ गई। उसने ओडिसियस के कुछ साथियों को पकड़कर निगल लिया। यह देखकर सबके होश उड़ गए।
लेकिन ओडिसियस भी कोई मामूली इंसान नहीं था। उसने अपनी बुद्धि का जादू चलाया। पहले तो उसने पोलीफेमस को ताक़तवर शराब पिलाई। फिर जब दैत्य ने उसका नाम पूछा, तो ओडिसियस ने बड़ी चालाकी से जवाब दिया—”मेरा नाम नोबडी (Nobody) है।” शराब के नशे में धुत पोलीफेमस सो गया और उसी वक्त ओडिसियस और उसके साथियों ने एक नुकीली लकड़ी आग में लाल करके उसकी एकमात्र आँख फोड़ डाली।
अंधा होकर जब पोलीफेमस मदद के लिए चिल्लाया तो वह बार-बार कहता रहा—”नोबडी ने मुझे मारा है!” यह सुनकर बाकी साइक्लोप्स हैरान हो गए और सोचे कि यह खुद ही पागल हो गया है। इस चतुराई की वजह से ओडिसियस और उसके साथी गुफा से जान बचाकर बाहर निकलने में कामयाब हुए।
इसके बाद ओडिसियस और उसके साथी पहुंचे ईओलस, यानी हवाओं के देवता, के द्वीप पर। वहां उनका बड़ा शानदार स्वागत हुआ। ईओलस ने ओडिसियस को एक अनोखा तोहफ़ा दिया—एक चमड़े की थैली। इस थैली में सभी विपरीत हवाएं कैद थीं, ताकि सफर आसान हो सके।
कई दिनों की यात्रा के बाद जब वे इथाका के बहुत करीब आ गए, तो ओडिसियस ने चैन की नींद लेने का सोचा। लेकिन इसी बीच उसके साथियों को लगा कि थैली में ज़रूर सोना-चांदी या कोई कीमती खज़ाना है। लालच में आकर उन्होंने थैली खोल दी। जैसे ही थैली खुली, सारी बंद हवाएं बाहर निकल पड़ीं। नाव बेकाबू होकर उलटी दिशा में भागने लगी और ओडिसियस की पूरी टोली फिर से उसी जगह लौट गई—ईओलस के द्वीप पर।
लेस्ट्राईगोनियस – नरभक्षी दैत्यों का द्वीप

ओडिसियस और उसके साथियों के सामने एक और डरावनी मुसीबत तब आई जब वे लेस्ट्राईगोनियस के द्वीप पर पहुँचे। ये लोग साधारण इंसान नहीं थे, बल्कि विशालकाय नरभक्षी थे। जैसे ही ओडिसियस के जहाज़ बंदरगाह में दाख़िल हुए, इन दैत्यों ने हमला बोल दिया। उन्होंने पहाड़ जैसी बड़ी-बड़ी चट्टानें उठाकर जहाज़ों पर फेंकीं। देखते ही देखते ज़्यादातर जहाज़ तबाह हो गए और कई साथी वहीं मौत के घाट उतर गए। इस खतरनाक हमले के बीच केवल ओडिसियस का जहाज़ ही किसी तरह बच निकलने में कामयाब रहा।
सर्सी का जादू – इंसानों से जानवर बनने तक
लेस्ट्राईगोनियस के डर से जान बचाकर भागे ओडिसियस और उसके बचे-खुचे साथी पहुँचे सर्सी के द्वीप पर। सर्सी एक ताक़तवर जादूगरनी थी। उसने आते ही उनका बड़े प्यार से स्वागत किया। लेकिन उसका असली चेहरा जल्द ही सामने आ गया। अपनी जादुई ताक़त से उसने ओडिसियस के साथियों को जानवरों में बदल डाला। हालांकि, ओडिसियस खुद इस जादू के शिकार नहीं हुए। देवता हर्मिस ने उनकी मदद की और उन्हें एक जड़ी-बूटी दी, जो सर्सी के जादू को बेअसर कर देती थी।
हर्मिस की मदद से ओडिसियस सीधे सर्सी के सामने पहुँचे और उसका जादू चल ही नहीं पाया। इसके बाद सर्सी नरम पड़ गई। उसने ओडिसियस के साथियों को दोबारा इंसान बना दिया और उन सबको अपने द्वीप पर आराम करने के लिए रोक लिया। पूरा एक साल ओडिसियस और उसके साथी वहीं आराम करते रहे।
मृतकों की भूमि – भविष्यवक्ता तीरेसियस की भविष्यवाणी

लेकिन आखिरकार सफर आगे बढ़ना ही था। सर्सी ने जाते-जाते ओडिसियस को एक महत्वपूर्ण सलाह दी—अगर वे सचमुच सुरक्षित घर पहुँचना चाहते हैं तो उन्हें मृतकों की भूमि में जाकर अंधे भविष्यवक्ता तीरेसियस से मार्गदर्शन लेना होगा।
ओडिसियस ने उसकी बात मानी और मृतकों की भूमि की ओर निकल पड़े। वहाँ उनकी मुलाकात हुई आर्शी तीरेसियस से। इस अंधे भविष्यवक्ता ने ओडिसियस को कई चेतावनियाँ और भविष्यवाणियाँ दीं—जो उनकी आगे की यात्रा के लिए बेहद ज़रूरी थीं। इसी दौरान ओडिसियस को अपनी मृत माँ एंटीक्लिया भी मिलीं। उन्होंने बताया कि इथाका में हालात बिगड़े हुए हैं और वहाँ उत्तराधिकार को लेकर झगड़े चल रहे हैं। यह सुनकर ओडिसियस के दिल में घर लौटने की बेचैनी और भी बढ़ गई।
साइरन्स का द्वीप – मधुर गीतों का घातक जाल

ओडिसियस की अगली मंज़िल थी साइरन्स का द्वीप। ये साइरन्स अपने मधुर और मोहक गीतों के लिए बदनाम थीं, लेकिन उनके गीत सुनना मौत को बुलाने जैसा था। तीरेसियस की सलाह मानते हुए, ओडिसियस ने अपने साथियों के कान मोम से बंद कर दिए ताकि वे इन खतरनाक गीतों से बच सकें। मगर खुद ओडिसियस की इच्छा थी कि वह इनका गाना सुने। इसलिए उसने एक चाल चली—अपने आप को जहाज़ के मस्तूल से कसकर बंधवा लिया। ताकि अगर वह गीत के जादू में आ भी जाए, तो भी खुद को आज़ाद करके जहाज़ को खतरे में न डाल पाए।
जैसे ही साइरन्स ने अपने गीत छेड़े, वे हर तरह के प्रलोभन में लिपटी बातें गाने लगीं। आवाज़ इतनी मोहक थी कि किसी का भी दिल बहक जाए, लेकिन ओडिसियस मजबूती से बंधा रहा और उनका जहाज़ सुरक्षित आगे बढ़ गया।
स्किला और खैरिबडिस – दो दानवों के बीच कठिन चुनाव
अब सफर उन्हें ले आया एक और खतरनाक जगह पर—दो समुद्री दानवों के बीच। एक तरफ थी स्किला, छह सिर वाली डरावनी राक्षसी, और दूसरी ओर था खैरिबडिस, एक विशाल जल भंवर जो पूरे जहाज़ को निगल सकता था। यह जगह बेहद संकीर्ण थी और ओडिसियस के सामने बड़ा कठिन चुनाव था। उसने सर्सी और तीरेसियस की सलाह मानी और खैरिबडिस की बजाय स्किला के पास से गुजरने का फैसला किया। नुकसान तो होना ही था, लेकिन कम से कम जानें ज्यादा बच सकती थीं। जैसे ही उनका जहाज़ स्किला के पास से गुज़रा, उसने अपने छह सिर निकाले और ओडिसियस के छह साथियों को निगल लिया। यह ग़म भारी था, लेकिन बाकी सब खैरिबडिस के भंवर से बचकर आगे निकलने में कामयाब हुए।
काफी मुश्किलों से गुजरने के बाद ओडिसियस और उसके साथी पहुँचे थ्रिनासिया द्वीप पर। यहाँ हेलिओस, यानी सूर्य देवता की पवित्र भेड़ें चर रही थीं। ओडिसियस ने साफ़-साफ़ अपने साथियों को चेतावनी दी थी कि इन भेड़ों को किसी भी हाल में नुकसान नहीं पहुँचाना। लेकिन लंबी यात्रा और भूख-प्यास ने उनके साथियों को बेचैन कर दिया।
कैलिप्सो का द्वीप – प्रेम और बंधन के सात साल
एक दिन जब ओडिसियस आराम कर रहे थे, उनके साथी भूख से हार मान गए। उन्होंने हेलिओस की पवित्र भेड़ों को मार डाला और खा लिया। जब यह खबर हेलिओस को लगी, तो वह गुस्से से आगबबूला हो उठे और सीधा ज़्यूस से शिकायत कर दी। ज़्यूस ने भी दंड देने में देर नहीं की। जैसे ही ओडिसियस का जहाज़ द्वीप से निकला, आसमान में भीषण तूफान उमड़ पड़ा। बिजली कड़कने लगी, समुद्र उफान पर आ गया और देखते-ही-देखते पूरा जहाज़ तहस-नहस हो गया। उस भयानक तूफान में ओडिसियस के सारे साथी मारे गए—सिर्फ़ ओडिसियस ही किसी तरह ज़िंदा बच पाया।
भीषण तूफान से किसी तरह जान बचाकर ओडिसियस अकेले ही समुद्र में तैरते रहे। कई दिनों तक लहरों से जूझने के बाद वे पहुँच गए कैलिप्सो के द्वीप, ओगिगिया पर। कैलिप्सो एक दिव्य जादूगरनी थी। उसने ओडिसियस को अपने द्वीप पर जगह दी और धीरे-धीरे उससे प्रेम करने लगी। उसने ओडिसियस को पूरे सात साल तक अपने पास रोके रखा। कैलिप्सो ने तो उसे अमर बनाने का प्रस्ताव भी दिया—कि अगर वह उसके साथ हमेशा रहे, तो कभी बूढ़ा या मरना नहीं पड़ेगा। लेकिन ओडिसियस का दिल सिर्फ़ इथाका लौटने को तरस रहा था। आखिर देवताओं के आदेश पर, कैलिप्सो को मानना पड़ा। उसने ओडिसियस को एक नाव और खाने-पीने का सामान देकर विदा किया ताकि वह अपनी यात्रा आगे बढ़ा सके।
अब ओडिसियस पहुँचे फ़ेशियन लोगों के द्वीप, स्केरिया पर। यहाँ के राजा अल्किनौस और रानी एरेट ने उनका दिल खोलकर स्वागत किया। उन्होंने ओडिसियस से उसकी लंबी और कठिन यात्रा की दास्तान सुनने की गुज़ारिश की। ओडिसियस ने भी शुरुआत से लेकर अब तक के सारे अनुभव सुनाए—साइक्लोप्स, सर्सी, साइरन्स, स्किला-खैरिबडिस, सब कुछ। उनकी कहानी सुनकर राजा अल्किनौस इतना प्रभावित हुआ कि उसने अपने बेहतरीन जहाज़ को आदेश दिया कि ओडिसियस को इथाका पहुँचा दिया जाए।
पेनेलोप की आख़िरी परीक्षा – असली ओडिसियस की पहचान

आखिरकार, ओडिसियस अपने घर इथाका लौट आए। लेकिन यहाँ उनका इंतज़ार कर रही थी एक और बड़ी चुनौती। उनके महल में ढेरों प्रतिद्वंद्वी लोग मौजूद थे—जो उनकी पत्नी पेनेलोप से शादी करना चाहते थे और उनकी संपत्ति पर कब्ज़ा करने की सोच रहे थे। ओडिसियस ने तुरंत एक योजना बनाई। अपने वफ़ादार सेवक की मदद से उन्होंने भिखारी का भेष धरा और चुपचाप अपने ही महल में प्रवेश किया।
इसी दौरान, पेनेलोप ने भी एक अनोखी शर्त रख दी। उसने घोषणा की कि वह उसी से विवाह करेगी जो ओडिसियस के धनुष को खींच पाएगा और बारह कुल्हाड़ियों के छेद से तीर गुज़ार देगा। सारे दावेदारों ने कोशिश की, लेकिन कोई भी सफल न हुआ। तभी भिखारी के वेश में ओडिसियस ने धनुष उठाया। सबके सामने उन्होंने न सिर्फ़ धनुष खींचा, बल्कि तीर को बारहों कुल्हाड़ियों के छेद से आर-पार कर दिया। उसी पल उनकी असली पहचान सामने आ गई।
इसके बाद, ओडिसियस और उनके बेटे तेलेमाकस ने मिलकर सारे प्रतिद्वंद्वियों को हरा दिया और अपना घर, संपत्ति और राज्य दोबारा हासिल कर लिया। इथाका का राजा आखिरकार अपने असली घर लौट आया था—कई सालों की कठिनाई, संघर्ष और अदम्य साहस के बाद।
अपने घर और राज्य को दुश्मनों से मुक्त करने के बाद, ओडिसियस के जीवन का सबसे भावुक पल आया—अपनी पत्नी पेनेलोप और बेटे तेलेमाकस से पुनर्मिलन का। लेकिन पेनेलोप इतनी आसानी से यक़ीन करने वाली नहीं थीं। सालों बाद लौटे इस “भिखारी” को सच में अपना पति मानने से पहले उन्होंने उसकी पहचान परखने के लिए एक आख़िरी परीक्षा रखी।
पेनेलोप ने अपने सेवकों से कहा कि वे उनके शयनकक्ष का बिस्तर बाहर निकाल लाएँ। यह सुनते ही ओडिसियस चौंक गए। उन्होंने तुरंत बताया कि यह असंभव है, क्योंकि वह बिस्तर उन्होंने खुद एक विशाल जैतून के पेड़ से तराशकर बनाया था, और उसे कभी हटाया ही नहीं जा सकता। इस गुप्त बात को केवल असली ओडिसियस ही जान सकता था।
यह सुनते ही पेनेलोप की आँखों से आँसू बह निकले। अब उन्हें पूरा विश्वास हो गया कि उनके सामने खड़े व्यक्ति उनके सच्चे पति ही हैं। पति-पत्नी का यह मिलन वर्षों की जुदाई और संघर्ष के बाद हुआ, और वह पल पूरे महाकाव्य का सबसे भावुक क्षण बन गया।
इसके बाद ओडिसियस ने अपने महल और राज्य को पूरी तरह से साफ़ किया। जिन्होंने उनकी अनुपस्थिति का फायदा उठाकर उनके परिवार और संपत्ति का दुरुपयोग किया था, उन सबको न्याय दिया गया। और आखिरकार, ओडिसियस ने इथाका में फिर से शांति और स्थिरता स्थापित कर दी।