यह राज कॉमिक्स के अंतर्गत प्रकाशित, अनुपम सिन्हा द्वारा बनाई गई सुपर कमांडो ध्रुव की शानदार कॉमिक “नो मैन्स लैंड” (No Man’s Land) की एक विस्तृत और गहन समीक्षा है। यह कॉमिक ‘बालचरित’ (ओरिजिन) श्रृंखला का एक बहुत ही ज़रूरी हिस्सा है और ‘हंटर्स‘ तथा ‘फ्लैशबैक‘ के बाद की अगली कड़ी है।
कॉमिक समीक्षा: नो मैन्स लैंड (सुपर कमांडो ध्रुव), प्रकाशक: राज कॉमिक्स,
श्रृंखला: बालचरित (ओरिजिन सीरीज) – भाग 3, लेखक एवं चित्रकार: अनुपम सिन्हा, स्याहीकार: विनोद कुमार
रंग सज्जा: बसंत पंडा, अभिषेक सिंह, सुनील, मुख्य पात्र: सुपर कमांडो ध्रुव, चंडिका (श्वेता), ब्लैक कैट (नताशा), हंटर्स (गिली-गिली, वक्र, आदि), राधा और श्याम (फ्लैशबैक में)।
प्रस्तावना
“नो मैन्स लैंड” सिर्फ एक साधारण कॉमिक नहीं है, बल्कि यह ध्रुव के अतीत और वर्तमान के बीच चल रहे अंदरूनी संघर्ष की एक बहुत बड़ी और गहरी कहानी है। अनुपम सिन्हा, जिन्हें भारतीय कॉमिक्स दुनिया के भीष्म पितामह कहा जाता है, ने इस कहानी में ध्रुव के जीवन के उस अध्याय को सामने रखा है जिसे पाठक हमेशा से जानना चाहते थे लेकिन जिसे अब तक कभी पूरी तरह उजागर नहीं किया गया था।

जैसा कि नाम से लगता है, “नो मैन्स लैंड” एक ऐसी जगह या हालात को दर्शाता है जहाँ न जीवन है, न मौत—बस यादों, दर्द और भूल जाने के बीच की धुंधली-सी स्थिति है।
यह कॉमिक 2015 के ‘सर्वनायक वर्ष’ की कहानी-श्रृंखला का हिस्सा है। इसकी कहानी सीधे पहले की दो कॉमिक्स — ‘हंटर्स’ और ‘फ्लैशबैक’ — से जुड़ी हुई है। जहाँ ‘हंटर्स’ में शारीरिक लड़ाइयाँ थीं और ‘फ्लैशबैक’ में मानसिक जंग दिखाई गई थी, वहीं “नो मैन्स लैंड” में ये दोनों लड़ाइयाँ अपनी पूरी चरम सीमा तक पहुँच जाती हैं।
कथानक (The Plot)
कहानी की शुरुआत बहुत ही ज़बरदस्त और रोमांच से भरे एक्शन दृश्य से होती है। ध्रुव समुद्र के बीच में एक मालवाहक जहाज पर है। उसका मिशन है उस रहस्यमयी कंटेनर को सुरक्षित रखना जो मॉरीशस से आया है और जिसमें जुपिटर सर्कस से जुड़ा पुराना सामान रखा है — वही सर्कस जिसके साथ ध्रुव का जन्म और पूरा बचपन जुड़ा हुआ था। उस कंटेनर में शायद ध्रुव के अतीत से जुड़े ऐसे कई राज दफन हैं जो उसकी ज़िंदगी बदल सकते हैं।

वर्तमान का युद्ध:
‘हंटर्स’ गैंग — जो अंतरराष्ट्रीय अपराधियों का एक खतरनाक गिरोह है — उस कंटेनर को किसी भी कीमत पर पाना चाहता है। जहाज पर ध्रुव का सामना हंटर्स के कई धुरंधर सदस्यों से होता है। यहाँ ध्रुव की तेज सोच, स्टंट्स और पानी में लड़ाई की बेहतरीन क्षमता पूरी शान से दिखाई देती है। ध्रुव डॉल्फ़िन्स की मदद से जहाज पर चढ़ता है और दुश्मनों को एक-एक करके पटखनी देता है।
कहानी में बहुत बड़ा मोड़ तब आता है जब एक व्यक्ति खुद को ‘जोनाथन स्टोन’ (जैकब का बेटा) बताकर कोर्ट के आदेश और पुलिस की मौजूदगी के साथ कंटेनर पर अपना हक जताता है। ध्रुव समझ जाता है कि यह सब एक बड़ा जाल है, लेकिन कानूनी तौर पर जवाब देना और शारीरिक लड़ाई — दोनों साथ चलने से उसकी परेशानी और बढ़ जाती है।
इसी के साथ कमिश्नर राजन मेहरा और उनकी पत्नी (जो ध्रुव की दत्तक माँ हैं) भी खतरे में आ जाते हैं क्योंकि हंटर्स उन पर दबाव बनाने और ध्रुव को कमजोर करने के लिए उन्हें टारगेट करते हैं। अस्पताल में ध्रुव की जैविक माँ रजनी की हालत पहले से ही नाजुक है, और ध्रुव खुद को एक बहुत कठिन मोड़ पर पाता है — एक तरफ अतीत को बचाने की जंग, और दूसरी तरफ अपने वर्तमान परिवार को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी।

अतीत का आईना (फ्लैशबैक):
कहानी के साथ-साथ एक और धारा चलती है — अतीत की। इसमें हम ध्रुव के माता-पिता, श्याम और राधा के जीवन की झलक देखते हैं, उस समय की जब ध्रुव का जन्म भी नहीं हुआ था (राधा गर्भवती थीं)। जुपिटर सर्कस पर एक ऐसी घातक साजिश मंडरा रही है जिसमें कोई रहस्यमयी दुश्मन बार-बार राधा और उसके गर्भस्थ बच्चे — यानी भविष्य के सुपर कमांडो ध्रुव — को खत्म करने के लिए हत्यारों की फौज भेजता है।

इन फ्लैशबैक पलों से पता चलता है कि ध्रुव में मौजूद असाधारण संवेदनाएँ और उसकी सिक्स सेंस जैसी क्षमता शायद जन्म से पहले ही विकसित हो गई थीं। हम देखते हैं कि कैसे एक मदारी (सपेरा) और कई हत्यारे सर्कस में घुसकर उनकी जान लेने की कोशिश करते हैं। एक दृश्य में तो बम बाँधकर खरगोशों और चूहों से हमला तक करवाया जाता है, लेकिन श्याम और राधा पूरी बहादुरी से सबका सामना करते हैं।
इसी बीच एक बहुत घातक विलेन का परिचय होता है — ‘वक्र’, जो प्राचीन भारतीय युद्ध कला ‘कलारिपयट्टू’ में विशेषज्ञ है। अतीत में श्याम का वक्र से युद्ध और वर्तमान में ध्रुव का वक्र (या उसके शिष्यों) से मुकाबला कहानी को एक अद्भुत समानता और गहरा भावनात्मक असर देता है।
रहस्यमयी “नो मैन्स लैंड”:
कहानी का यह हिस्सा उस मानसिक स्थिति को दिखाता है जहाँ ध्रुव अपनी खोई हुई यादों को वापस लाने की कोशिश कर रहा है। गिली-गिली (हंटर्स का सम्मोहन करने वाला सदस्य) ध्रुव के दिमाग पर काबू पाना चाहता है, लेकिन ध्रुव अपने अवचेतन मन (subconscious mind) के उस हिस्से में चला जाता है जहाँ उसका बचपन छिपा हुआ है — और वही जगह है उसकी “नो मैन्स लैंड”।

आखिर में ध्रुव न सिर्फ कंटेनर को बचा लेता है बल्कि हंटर्स के कई खतरनाक सदस्यों की अच्छी तरह खबर भी लेता है। लेकिन फिर भी असली बड़े विलेन अभी भी पकड़ में नहीं आते, और कहानी एक नए रहस्य की तरफ रास्ता खोलती है — जो आगे आने वाली कॉमिक “फिनिक्स” की सीधे तैयारी करती है।
पात्र विश्लेषण (Character Analysis)
सुपर कमांडो ध्रुव:
इस कॉमिक में ध्रुव सिर्फ एक सुपरहीरो की तरह नहीं बल्कि एक ऐसे इंसान की तरह दिखता है जो हर हाल में लड़कर जीने की क्षमता रखता है — एक असली ‘सर्वाइवर’। वह घायल है, पसलियाँ टूटी हुई हैं, शरीर दर्द से थक चुका है और मानसिक रूप से भी बेहद कमज़ोर पल से गुजर रहा है, लेकिन फिर भी हार नहीं मानता। पेज 34 और 35 पर जब वह टूटे शरीर के बावजूद वक्र का सामना करता है और अपनी “रिफ्लेक्स एक्शन” तकनीक का उपयोग करता है — यह साबित करता है कि ध्रुव की असली ताकत उसकी मांसपेशियाँ नहीं, बल्कि उसका दिमाग और उसकी सोच है।
और उसकी माँ रजनी (जो कोमा में है) के लिए उसका प्यार, उसे और भी ज्यादा मानवीय और भावनात्मक बनाता है।

श्याम और राधा (ध्रुव के माता–पिता):
अनुपम सिन्हा ने श्याम और राधा को सिर्फ फ्लैशबैक भरने वाले किरदार नहीं बनाया है, बल्कि उन्हें पूरी तरह बहादुर योद्धाओं के रूप में पेश किया है। राधा, वह भी गर्भवती होने के बावजूद, जिस तेजी और आत्मविश्वास से दुश्मनों को मात देती हैं (जैसे पेज 62–63 पर झूले का उपयोग करके), यह साफ दिखाता है कि ध्रुव को उसकी वीरता और दिमाग दोनों विरासत में मिले हैं।
श्याम एक ऐसे पिता और पति के रूप में दिखते हैं जो अपने परिवार की रक्षा के लिए हर खतरे के सामने ढाल बनकर खड़े हो जाते हैं। दोनों मिलकर साबित करते हैं कि ध्रुव हीरो इसलिए नहीं बना — वह हीरो पैदा हुआ था।
हंटर्स (The Hunters):
यह विलेन ग्रुप एकदम अलग-अलग तरह के अपराधियों का मिला-जुला, बहुत खास और खतरनाक संयोजन है।
वक्र: हंटर्स में सबसे दिलचस्प और दमदार किरदार। वक्र पुराने पारंपरिक हथियारों और ‘कलारिपयट्टू’ जैसी प्राचीन मार्शल आर्ट का इस्तेमाल करता है। उसका ध्रुव के साथ लड़ाई वाला दृश्य, आधुनिक फाइट्स बनाम प्राचीन युद्ध-कला की टक्कर को कमाल तरीके से दिखाता है।

गिली-गिली: यह शारीरिक लड़ाई कम और दिमाग पर हमला ज़्यादा करता है। वह ध्रुव के शरीर को नहीं, उसके मन को तोड़कर उसे हराना चाहता है।
इसके अलावा रोबोटिक महिला, तकनीकी हथियारों से लैस गुंडे और बाकी सदस्य कहानी में लगातार तनाव और खतरे का माहौल बनाए रखते हैं।
श्वेता (चंडिका) और नताशा:
ध्रुव की ये दोनों सहयोगी इस कहानी की ताकत हैं। जब ध्रुव अस्पताल में होता है, या कानून और कोर्ट के चक्कर में फँसा होता है, तब मोर्चा वही संभालती हैं। पेज 14 और 19 पर उनका एक्शन, टीमवर्क और एक-दूसरे पर भरोसा देखने लायक है।
यह साफ दिखता है कि ध्रुव अकेला ही सब कुछ नहीं करता — उसके साथ एक बेहद मजबूत और भरोसेमंद सपोर्ट सिस्टम खड़ा है जो हर संकट में उसके साथ रहता है।
कला और चित्रांकन (Art and Illustrations)
अनुपम सिन्हा का आर्टवर्क हमेशा की तरह बेहद शानदार है और कहानी को आगे बढ़ाने में बहुत बड़ा रोल निभाता है।
एक्शन दृश्य: खास तौर पर जहाज पर होने वाली लड़ाई (पेज 3–7) और अतीत में सर्कस के अंदर होने वाले हमले (पेज 82–84) बिल्कुल लाजवाब लगे। मुकाबले की गति (movement), वार का असर (impact) और हर पैनल में होने वाला बदलाव बहुत ही जीवंत तरीके से दिखाया गया है।
जल युद्ध (Underwater Scenes): ध्रुव और डॉल्फिन्स के दृश्य (पेज 21) पुराने राज कॉमिक्स वाले दिनों की याद लौटा देते हैं। पानी के बुलबुले, गहराई और मूवमेंट को बेहद खूबसूरती से चित्रित किया गया है।
चेहरे के भाव: किरदारों के चेहरे पर दर्द, गुस्सा, डर, प्यार और दृढ़ संकल्प सब कुछ बहुत स्पष्ट दिखता है। खासकर पेज 52 पर जब ध्रुव को अपनी पुरानी यादें वापस आने लगती हैं — उन पैनलों में सपना-सा अहसास होता है।
रंग संयोजन (Coloring): विन्सेंट और उनकी टीम का काम कमाल है। फ्लैशबैक और वर्तमान को अलग दिखाने के लिए रंगों के टोन में बहुत हल्के लेकिन असरदार बदलाव किए गए हैं — और वही कॉमिक का मूड सेट करने में काफी मदद करता है।
लेखन और संवाद (Writing and Dialogue)
अनुपम सिन्हा की लिखावट की सबसे बड़ी खूबी है उनका गहरा रिसर्च और कहानी में छिपी दार्शनिक सोच।
शीर्षक का औचित्य: “नो मैन्स लैंड” सिर्फ एक जगह नहीं बल्कि एक महसूस की जाने वाली स्थिति है — जीवन और मृत्यु के बीच, और यादों व भूल जाने के बीच खड़ी एक अदृश्य रेखा। लेखक ने इस विचार को बड़े सुंदर तरीके से कहानी का हिस्सा बनाया है।
संवाद: कॉमिक के संवादों में मजाक, तेज जवाब, ज्ञान, गंभीरता और भावनाएँ सब कुछ मिलता है। उदाहरण के लिए, पेज 43 पर ध्रुव और वक्र के बीच लड़ाई के दौरान होने वाली बातचीत सिर्फ धमकियाँ नहीं हैं — बल्कि यह सम्मान, योद्धा सोच और लड़ाई की कला पर भी चर्चा जैसी लगती है।
सस्पेंस: पूरी कहानी पाठक को शुरुआत से आखिरी पन्ने तक बांधे रखती है। मन में बार-बार सवाल उठते हैं — कंटेनर में आखिर है क्या? क्या जैकब का बेटा सचमुच असली है? अतीत में राधा और श्याम पर हमला कौन करवा रहा था? यही सवाल हमें पन्ना पलटने पर मजबूर करते हैं।
समीक्षात्मक विश्लेषण (Critical Analysis)
सकारात्मक पक्ष (Pros):
ओरिजिन स्टोरी का विस्तार: यह कॉमिक ध्रुव के ‘बालचरित’ में जबरदस्त गहराई जोड़ती है। इससे पता चलता है कि ध्रुव की जिंदगी में लड़ाइयाँ उसके जन्म से पहले ही शुरू हो गई थीं — यानी वह सच में “जन्म से योद्धा” था।
भावनात्मक जुड़ाव: ध्रुव का अपनी माँ और अपने अतीत से भावनात्मक रिश्ता कहानी को और मजबूत व असरदार बनाता है।
मल्टी–लेयर स्टोरीटेलिंग: कहानी एक ही टाइमलाइन पर नहीं चलती, बल्कि अतीत और वर्तमान के बीच आवाजाही होती रहती है, जिससे कहानी और भी दिलचस्प बन जाती है।
नकारात्मक पक्ष (Cons):
जटिलता: जो लोग पिछली कड़ियाँ नहीं पढ़े हैं, उन्हें शुरुआत में कहानी थोड़ी उलझी हुई लग सकती है, क्योंकि एक साथ कई किरदार और उप-कथानक चल रहे हैं।
गति (Pacing): बीच में कोर्ट-कचहरी और कानूनी प्रक्रिया वाले सीन थोड़ी देर के लिए कहानी की रफ्तार कम कर देते हैं, लेकिन वे प्लॉट के लिए ज़रूरी भी हैं।
मुख्य अंश और यादगार पल (Highlights)
खरगोश बम: अतीत वाले दृश्य में मासूम-सा दिखने वाला खरगोश जब बम बनाकर हमला करने के लिए इस्तेमाल होता है, तो वह पल सच में रोंगटे खड़े कर देता है — वहीं पता चलता है कि हंटर्स कितने निर्दयी हैं।
डॉल्फिन्स की वापसी: ध्रुव को एक बार फिर डॉल्फिन्स के साथ एक्शन करते देखना पुराने ध्रुव के फैंस के लिए विजुअल ट्रीट जैसा लगता है।
वक्र बनाम ध्रुव: पूरी कॉमिक में यह लड़ाई सबसे दमदार और याद रखने लायक दृश्यों में से एक है। यह सिर्फ ताकत की नहीं, बल्कि टेक्निक की जंग थी — और दोनों तरफ शानदार फाइट स्किल्स देखने को मिलती हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
“नो मैन्स लैंड” सच में एक मास्टरपीस है। इसे पढ़कर समझ आता है कि एक अच्छी कॉमिक सिर्फ लड़ाई-झगड़े से महान नहीं बनती — कहानी दमदार हो, इमोशन्स गहरे हों और रहस्य बराबर बना रहे, तभी वो दिल में उतरती है।
अनुपम सिन्हा ने फिर साबित कर दिया कि ध्रुव को उनसे बेहतर कोई समझ ही नहीं सकता।
यह कॉमिक हमें एक बहुत बड़ा संदेश देती है —
भले ही हमारा अतीत कितना painful क्यों न रहा हो,
वही हमें shape करता है और भविष्य की लड़ाइयों के लिए मजबूत बनाता है।
ध्रुव का संघर्ष असल में दुनिया से लड़ने से पहले खुद से लड़ने की कहानी है — अपनी पहचान, अपने अस्तित्व और अपने टूटे हुए बचपन को बचाने की जंग।
अंतिम फैसला
अगर आप सुपर कमांडो ध्रुव के hardcore फैन हैं, तो यह कॉमिक आपके कलेक्शन में होनी ही होनी चाहिए। ये “बालचरित” सीरीज़ का सबसे अहम हिस्सा है और 90+ पन्नों में एक भी जगह बोर होने का मौका नहीं देती। कॉमिक खत्म होते ही दिमाग में बस एक ही आवाज आती है —
“अब तो फीनिक्स पढ़ना ही पड़ेगा!”
⭐ रेटिंग
4.5 / 5
