80 और 90 के दशक में भारतीय कॉमिक्स की दुनिया में मनोज कॉमिक्स का अपना एक अलग ही जलवा था। मनोज कॉमिक्स ने लोककथाओं, पौराणिक किस्सों और मॉडर्न थ्रिलर को इस तरह मिलाया कि हर उम्र का पाठक उससे जुड़ गया। ‘अजगर दी ग्रेट’ इसी तरह की एक ज़बरदस्त कॉमिक है। यह कहानी सिर्फ ‘अजगर’ नाम के एक विशालकाय किरदार तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें महाबली शेरा और काला प्रेत जैसे दो दिग्गज हीरो भी आमने-सामने आते हैं, जो इसे और खास बना देते हैं।
जंगल का रक्षक और शिकारी
कॉमिक की शुरुआत घने और रहस्यमय जंगलों से होती है, जहाँ जंगलों का रक्षक महाबली शेरा (जो काफी हद तक टार्जन से प्रेरित लगता है) पूरी तरह सक्रिय है। शेरा को पता चलता है कि कुछ शिकारी बेगुनाह जानवरों का बेरहमी से शिकार कर रहे हैं। यहीं से कहानी में एक्शन का तड़का लग जाता है। शेरा अकेले ही आधुनिक हथियारों से लैस शिकारियों पर भारी पड़ता है। यह हिस्सा पाठकों को शेरा की ताकत, फुर्ती और उसके निडर स्वभाव से अच्छी तरह परिचित करा देता है।

इसी बीच कहानी में एक बड़ा मोड़ आता है, जब एक विशालकाय गोरिल्ला शेरा पर हमला कर देता है। शेरा और गोरिल्ला के बीच होने वाली जबरदस्त लड़ाई को बहुत ही रोमांचक तरीके से दिखाया गया है। लेकिन यह लड़ाई सिर्फ एक झलक भर होती है, असली कहानी तो तब शुरू होती है जब शिकारियों का बॉस एक पुराने और रहस्यमय खंडहर में कदम रखता है।
अजगर का उदय: प्राचीन रहस्य और इच्छाधारी शक्ति
खंडहरों की तलाशी के दौरान शिकारियों को एक गुप्त दरवाज़ा मिलता है, जो उन्हें एक अंधेरे तहखाने तक ले जाता है। वहाँ वे एक विशालकाय इंसान को गहरी नींद में सोया हुआ पाते हैं। उसके पास एक प्राचीन मुकुट और एक पुराना पत्र भी मिलता है। यहीं से कहानी फ्लैशबैक में चली जाती है।
उस पत्र के ज़रिए हमें पता चलता है कि अजगर कोई साधारण दानव नहीं है। वह प्राचीन काल के सूरजगढ़ साम्राज्य का एक वफादार सेवक था। अजगर एक इच्छाधारी प्राणी है, जो न सिर्फ अपने शरीर का आकार बढ़ा सकता है, बल्कि ज़रूरत पड़ने पर एक भयानक नाग का रूप भी धारण कर सकता है।
राजकुमारी रत्नावली और राजा रतन सिंह की यह कहानी कॉमिक को भावनात्मक गहराई देती है। रत्नावली अपने प्रेमी वीर सिंह (भैरवगढ़ के राजा) और अपने भाई रतन सिंह के बीच छिड़ने वाले युद्ध को रोकना चाहती थी। शांति बनाए रखने और खून-खराबे से बचने के लिए उसने मुकुट की शक्ति से अजगर को जादुई नींद में सुला दिया था। पत्र में साफ चेतावनी दी गई थी कि जिस किसी के पास यह मुकुट होगा, अजगर उसी का गुलाम बन जाएगा।
खलनायक का खेल: आधुनिक युग में प्राचीन आतंक
शिकारियों का बॉस लालच में आकर उस मुकुट को अपने सिर पर पहन लेता है और अजगर को जगा देता है। मुकुट के असर में अजगर उस अपराधी को अपना स्वामी मान लेता है। यहीं से कहानी जंगल से निकलकर शहर की ओर बढ़ती है। बॉस अजगर की ताकत का इस्तेमाल अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं, लूट-पाट और अपराध के लिए करने लगता है।
अजगर का विशाल रूप शहर में भारी तबाही मचाने लगता है। वह गाड़ियों को खिलौनों की तरह कुचल देता है और बड़ी-बड़ी इमारतों को पल भर में गिरा देता है। यहाँ चित्रकार ने अजगर की विशालता दिखाने के लिए शानदार लो-एंगल शॉट्स का इस्तेमाल किया है, जिससे पाठक के मन में डर और हैरानी दोनों पैदा होती हैं।
काला प्रेत और शेरा का गठबंधन
जब शहर पर बड़ा खतरा मंडराने लगता है, तब काला प्रेत मैदान में उतरता है। काला प्रेत, जो बैटमैन से प्रेरित एक जासूस और योद्धा है, अपनी तेज दिमागी चालों और गैजेट्स के लिए जाना जाता है। वह जल्दी ही समझ जाता है कि अजगर असल में बुरा नहीं है, बल्कि किसी के कंट्रोल में है।

इसी दौरान महाबली शेरा भी शहर पहुँचता है। भारतीय कॉमिक्स के फैंस के लिए यह एक कल्ट मोमेंट है, जहाँ दो अलग-अलग तरह के हीरो एक साथ खड़े होते हैं। शेरा की जबरदस्त शारीरिक ताकत और काला प्रेत की रणनीतिक सोच का मेल कहानी को और भी दमदार बना देता है।
ब्लैक ईगल: एक अंतरराष्ट्रीय खतरा
कहानी का रोमांच तब और बढ़ जाता है जब अंतरराष्ट्रीय अपराधी संगठन ‘ब्लैक ईगल’ अपने खतरनाक सुपर-विलेन्स के साथ मैदान में उतरता है। इस संगठन के पास लांतिया जैसा विशाल राक्षस, जानलेवा रफ्तार वाला चीता मानव गुर्रे, हवा में उड़ने वाला फ्रेंको और हज़ारों वोल्ट का करंट छोड़ने वाला विद्युत मानव जैसे भयानक योद्धा मौजूद हैं। ब्लैक ईगल का असली मकसद अजगर की असीम ताकत पर कब्ज़ा कर पूरी दुनिया पर राज करना है। वह बेरहमी से अजगर के पुराने स्वामी को मार देता है और जादुई मुकुट अपने हाथ में ले लेता है। अब अजगर एक और भी ज्यादा चालाक और ताकतवर अपराधी की कठपुतली बन चुका है, जिससे शेरा और काला प्रेत के सामने एक ऐसा वैश्विक संकट खड़ा हो जाता है, जिसकी उन्होंने शायद कल्पना भी नहीं की थी।
युद्ध का चरम (Climax): बुद्धि बनाम शक्ति
कॉमिक्स का आख़िरी हिस्सा पूरी तरह एक्शन से भरा हुआ है। शेरा और काला प्रेत को एक साथ दो मोर्चों पर लड़ना पड़ता है—एक तरफ विशालकाय अजगर और दूसरी तरफ ब्लैक ईगल के खतरनाक सुपर-विलेन्स।
काला प्रेत और शेरा मिलकर एक बेहद समझदारी भरी योजना बनाते हैं। वे जानते हैं कि अजगर को सीधी ताकत से हराना लगभग नामुमकिन है। इसलिए वे शहर की बिजली और रेलवे लाइनों का इस्तेमाल करके उसे कमजोर करने की कोशिश करते हैं। यहाँ एक सीन खास तौर पर ध्यान खींचता है, जब अजगर तेज़ रफ्तार ट्रेन को रोकने की कोशिश करता है। यह दृश्य रोमांच और तनाव से भरपूर है।
आख़िरी लड़ाई ब्लैक ईगल के अड्डे पर होती है। शेरा का सामना ‘चीता मानव’ और ‘लांतिया’ से होता है, जबकि काला प्रेत ‘विद्युत मानव’ से भिड़ता है। कहानी का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट तब आता है, जब काला प्रेत अपनी फुर्ती और चालाकी से ब्लैक ईगल के सिर से वह जादुई मुकुट गिरा देता है।
अजगर का आत्मज्ञान और अंत
मुकुट गिरते ही अजगर जादुई असर से आज़ाद हो जाता है। उसे अपनी हालत और अपने हाथों हुई तबाही का एहसास होता है। गुस्से और दुख से भरा अजगर अपने असली रूप—एक विशालकाय नाग—में बदल जाता है। वह उन सभी अपराधियों को खत्म कर देता है, जिन्होंने उसे अपनी गुलामी में जकड़ रखा था।

अंत में, अजगर फिर से शांति की तलाश में चला जाता है। शेरा अपने जंगलों की ओर लौटता है और काला प्रेत एक बार फिर शहर की रक्षा करने की कसम खाता है।
समीक्षात्मक मूल्यांकन
चित्रण और कला (Art & Illustration):
विजय कदम और आत्माराम पेड़णेकर की कला इस कॉमिक्स की सबसे बड़ी ताकत है। अजगर की विशाल मांसपेशियाँ, उसके चेहरे पर गुस्सा और बेबसी—सब कुछ बहुत बारीकी से दिखाया गया है। 80 के दशक के हिसाब से रंगों का इस्तेमाल काफ़ी दमदार और ज़िंदा लगता है। खासकर शहर में मचाई गई तबाही को जिस तरह बड़े पैनोरमिक व्यू में दिखाया गया है, वह काबिले-तारीफ है।
पात्र निर्माण (Characterization):

अजगर इस कहानी का असली ‘ट्रैजिक हीरो’ है। वह दिल से बुरा नहीं है, बल्कि हालात का शिकार है। उसकी असीम ताकत ही तब उसकी सबसे बड़ी कमजोरी बन जाती है, जब वह गलत लोगों के हाथ लग जाती है।
शेरा और काला प्रेत का साथ आना कहानी को किसी मल्टी-स्टारर फिल्म जैसा फील देता है। शेरा का प्रकृति और जंगल से जुड़ाव, और काला प्रेत का शहर और न्याय के प्रति समर्पण—दोनों एक-दूसरे को पूरा करते हैं।
ब्लैक ईगल एक क्लासिक कॉमिक विलेन है—घमंडी, ताकतवर और बेरहम। उसके साथी जैसे ‘विद्युत मानव’ उस दौर के पाठकों के लिए नए और बेहद रोमांचक थे।
लेखन और पटकथा (Writing & Script):
कहानी की रफ्तार तेज़ है और कहीं भी बोरियत महसूस नहीं होती। प्राचीन काल के फ्लैशबैक को आधुनिक शहर की सेटिंग से जोड़ना एक शानदार आइडिया है। संवाद सरल हैं, लेकिन असरदार हैं, जो बच्चों और किशोरों दोनों को आसानी से जोड़ लेते हैं।

थीम्स (Themes):
यह कॉमिक्स सिर्फ एक रोमांचक कहानी नहीं है, बल्कि कई गहरे संदेश भी देती है। शेरा और शिकारियों के टकराव के ज़रिए प्रकृति और लालच की लड़ाई साफ दिखाई देती है, जो यह सच्चाई बताती है कि इंसान अपने छोटे फायदे के लिए कैसे जंगल और जानवरों को नुकसान पहुँचाता है। वहीं अजगर की कहानी यह समझाती है कि बिना समझ और विवेक के अगर किसी के पास बहुत ज़्यादा ताकत आ जाए, तो वह तबाही ही लाती है। शेरा और काला प्रेत की साझेदारी यह सिखाती है कि आपसी समझ और साथ मिलकर काम करने से सबसे बड़े संकट को भी हराया जा सकता है।
निष्कर्ष
‘अजगर दी ग्रेट’ सिर्फ एक कॉमिक्स नहीं, बल्कि कल्पना और रोमांच का एक शानदार उत्सव है। यह हमें ऐसी दुनिया में ले जाती है, जहाँ जादू, विज्ञान, बहादुरी और न्याय एक साथ नजर आते हैं। आज भले ही ग्राफिक्स बहुत आगे बढ़ चुके हों, लेकिन इस पुरानी कॉमिक्स की कहानी और उसका अंदाज़ आज भी पाठकों को बांधे रखने की ताकत रखता है।
मनोज कॉमिक्स की यह धरोहर हर उस इंसान को जरूर पढ़नी चाहिए, जो भारतीय कॉमिक्स की जड़ों और उसके इतिहास को समझना चाहता है। यह अच्छाई और बुराई की एक क्लासिक कहानी है, जिसमें एक विशाल और इच्छाधारी ट्विस्ट इसे और भी यादगार बना देता है।
रेटिंग: 4.5/5
पढ़ने की सिफारिश: हर उम्र के कॉमिक्स प्रेमियों के लिए, खासकर उनके लिए जो पुरानी यादों (Nostalgia) में फिर से खो जाना चाहते हैं।
