राज कॉमिक्स का स्वर्ण युग भारतीय कॉमिक्स के इतिहास में एक बड़ा मुकाम है, और इस युग की खास पहचान इसके क्रॉसओवर विशेषांक रहे हैं, जिनमें अलग-अलग नायक मिलकर किसी बड़े खतरे का सामना करते हैं। ‘सम्राट’ (Nagraj – Samrat) इसी परंपरा का शानदार उदाहरण है, जिसमें सुपर कमांडो ध्रुव और नागराज जैसे बड़े हीरो मिस्र के प्राचीन रहस्यों और दुनिया पर राज करने की लड़ाई के बीच आते हैं। यह कॉमिक सिर्फ एक बड़ी कहानी की शुरुआत नहीं है, बल्कि उस समय के कॉमिक लेखन और चित्रकला की शान भी दिखाती है, जब राज कॉमिक्स अपने क्रिएटिव टॉप पर था।
‘सम्राट’ विशेषांक का नाम ही कहानी के मुख्य विषय – ‘दुनिया पर राज’ – को बताता है। कहानी की शुरुआत होती है एक खलनायक से, जिसका नाम है ‘जादूगर करणवशी’। करणवशी अपनी बड़ी शक्ति पाने के बाद कहता है कि अब उसे रोकना आम इंसानों या नायकों के बस की बात नहीं है। यह उद्घोषणा, जो कहानी के शुरू में ही आती है, पाठक को तुरंत कहानी की बड़ी चुनौती का एहसास कराती है। लेखक जॉली सिन्हा ने शुरू में ही साफ कर दिया कि यह लड़ाई किसी आम दुश्मन के खिलाफ नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया को अपने काबू में लेने वाले खतरे के खिलाफ है।
कॉमिक का चित्रांकन अनुपम सिन्हा ने किया है, जिनकी कला शैली राज कॉमिक्स की पहचान रही है। उनके चित्र, खासकर एक्शन और पात्रों के भाव, बहुत जीवंत हैं। वहीं, विनोदकुमार की इंकिंग और सुनील पांडेय का सुलेख और रंग इस कॉमिक को देखने में और भी शानदार बनाते हैं। इसलिए, ‘सम्राट’ सिर्फ कहानी नहीं है, बल्कि एक कलात्मक पेशकश भी है, जो भारतीय कॉमिक्स की गुणवत्ता को दुनिया के सामने दिखाती है।
कहानी का विस्तृत विश्लेषण: षड्यंत्र, रहस्य और पुनरुत्थान
‘सम्राट’ की कहानी दो मुख्य धारा में चलती है, जो बाद में एक-दूसरे से जुड़ती हैं:
करणवशी का पुनरुत्थान और सर्पभक्षक का परिचय
कहानी के पहले हिस्से में जादूगर करणवशी और एक नया, खतरनाक पात्र ‘सर्पभक्षक’ है। बाद में पता चलता है कि यह नागराज का पुराना दुश्मन है, जिसकी कहानी ‘सम्मोहन’ कॉमिक्स में पढ़ी जा सकती है। करणवशी पहले नागराज से हारकर अपनी शक्ति खो चुका था और अब भिखारी बनकर भटक रहा था। नागराज ने उसकी आँखों में एक छोटा सर्प (Micro Snake) डाल दिया था, जो उसकी शक्ति को वापस उभरने से रोकता था।

यहीं आता है सर्पभक्षक, जो अजीब तरह से सांप खाने का शौक रखता है। मिस्र के रेगिस्तान में भटकते हुए करणवशी को सर्पभक्षक मिलता है। सर्पभक्षक अनजाने में करणवशी की आंख से वह छोटा सर्प खा लेता है, जिससे करणवशी की शक्ति वापस आ जाती है। इस “कृपा” के बदले, करणवशी सर्पभक्षक को मिस्र के पिरामिड के नीचे रहने वाले इच्छाधारी सांपों की एक गुप्त बस्ती का रास्ता दिखाता है, जिन्हें दुनिया आज तक कल्पना ही मानती है। लेकिन करणवशी का असली मकसद कुछ और है – दुनिया का सम्राट बनना। यह हिस्सा दिखाता है कि कैसे द्वेष, चालाकी और छल मिलकर कहानी में रोमांच पैदा करते हैं। सर्पभक्षक की सांप खाने की आदत और करणवशी की चालाकी मिलकर एक खतरनाक जोड़ी बनाते हैं।
क्लियोपेट्रा का रहस्य और ‘सम्राट‘ की ताकत
कहानी का दूसरा और मुख्य हिस्सा प्राचीन मिस्र की रानी क्लियोपेट्रा और उसके महल के रहस्य से जुड़ा है। यह हिस्सा एक भव्य प्रदर्शनी (Exhibition) में होता है, जहां नागराज और ध्रुव की साथी सौडांगी प्राचीन मिस्री कलाकृतियों को देखने आई हैं। सुपर कमांडो ध्रुव, राजनगर म्यूजियम के खास अनुरोध पर, सुरक्षा में मौजूद है।

प्रदर्शनी में एक वक्ता क्लियोपेट्रा के महल की कहानी सुनाता है, जो उसने रोम के सम्राट जूलियस सीजर के लिए बनवाया था और बाद में आत्महत्या की थी। महल अचानक गायब हो गया। किंवदंतियों के मुताबिक, क्लियोपेट्रा के पास देवी आइरिस की मदद से शक्तियाँ थीं, जिससे हर कोई उसे अपना शासक मानता था। उसकी ये शक्तियाँ उसके ‘राजदंड’ में थीं, जो महल में रखा गया था। उसकी अत्याचार के कारण, देवी आइरिस उससे नाराज़ हो गई और मरने से पहले उसने महल को जादुई तस्वीर में बदल दिया। कहानी में बताया गया है कि जब यह तस्वीर सूर्य की रोशनी में अपने असली स्थान पर रखी जाएगी, तो महल फिर से जीवित हो उठेगा। और सबसे खास बात, जो भी यह तस्वीर पाता है, वह क्लियोपेट्रा की शक्तियों के बल पर दुनिया का सम्राट बन जाएगा।
यह रहस्य कहानी में एक ‘मैकगफिन’ (MacGuffin – कहानी आगे बढ़ाने वाला साधन) की तरह काम करता है। यह वह शक्ति का खजाना है, जिसे करणवशी ढूंढ रहा है और जिसके लिए वह दुनिया का सम्राट बनने का दावा करता है।
तूतेन खामेन का हमला और नायकों की प्रतिक्रिया
इस बड़े रहस्य के सामने आने के तुरंत बाद, कहानी में खलनायक ‘तूतेन खामेन’ की एंट्री होती है। तूतेन खामेन मिस्र की प्राचीन धरोहरों को लूटने वाले एक गिरोह का सरगना है, जिसे नागराज पहले सिर्फ एक देशभक्त समझते थे। तूतेन खामेन अपनी ‘ममी सेना’ (Mummy Army) के साथ प्रदर्शनी पर हमला करता है। ये ममी मृत सैनिकों के कंकाल हैं, जिनमें अद्भुत ताकत है।
तूतेन खामेन नागराज और सौडांगी की तंत्र शक्तियों से निपटने के लिए एक खास मुखौटा (Mask) पहनकर आता है, जिसमें अद्भुत मिस्री शक्तियाँ हैं। जब नागराज उस पर अपनी तेज विष-फुंकार (Venomous Fumes) से हमला करता है, तो तूतेन खामेन का मुखौटा उस फुंकार की नकल कर तुरंत उसे नागराज पर ही पलट देता है। यह नायकों के लिए एक नई और अप्रत्याशित चुनौती है।

ध्रुव ममी सेना से लड़ रहा है, जबकि नागराज सौडांगी को बचाने और तूतेन खामेन को रोकने की जिम्मेदारी संभालता है। कहानी इस हाई-टेंशन मोड़ पर खत्म होती है, जहां खलनायक अपने सबसे बड़े नायकों के हथियार को उन्हीं के खिलाफ इस्तेमाल करने में सफल हो जाता है।
पात्रों और उनकी गतिशीलता का विश्लेषण (Character Dynamics Analysis)
‘सम्राट’ की सबसे बड़ी ताकत इसके पात्रों के आपसी तालमेल और गतिशीलता में है, खासकर नागराज, ध्रुव और सौडांगी के बीच:
नागराज (Nagraj): नागराज हमेशा की तरह गंभीर और जिम्मेदार है। वह मिस्त्र की सरकार द्वारा भारत को दिए गए खजानों की रक्षा को अपना फर्ज मानता है। वह तूतेन खामेन के इरादों को गंभीरता से लेता है और अपनी नाग-शक्तियों का इस्तेमाल करता है। कहानी के शुरूआती दृश्य में ध्रुव और सौडांगी के साथ उसकी हल्की-फुल्की बातचीत उसकी सामाजिक सहजता दिखाती है।
सुपर कमांडो ध्रुव (Super Commando Dhruv): ध्रुव तर्कसंगत और सुरक्षा विशेषज्ञ है। जहां नागराज रहस्य और अंधविश्वास पर शक करता है, वहीं ध्रुव वैज्ञानिक सोच रखते हुए मानता है कि सब कुछ ‘संभव’ हो सकता है। ध्रुव का किरदार कहानी का संतुलन बनाए रखता है। नागराज के साथ उसकी दोस्ताना प्रतिस्पर्धा (Friendly rivalry) और सौडांगी के साथ हल्का-फुल्का फ्लर्टिंग कहानी में हल्का मज़ा जोड़ता है।

सौडांगी (Sodangi): सौडांगी मजबूत और स्वतंत्र नायिका है। वह प्राचीन मिस्री वस्तुओं को अपने वतन की चीज़ें मानकर देखने आती है। उसका किरदार नागराज और ध्रुव दोनों के साथ सहज है। वह खतरों को पहले से भांप सकती है, जो कहानी में चेतावनी का काम करता है।
जादूगर करणवशी (Jadugar Karanvashi): करणवशी क्लासिक मास्टरमाइंड खलनायक है। वह अपनी पिछली हार (नागराज से) याद रखता है और चुपचाप बदले की साजिश रचता है। उसकी चालाकी और दुनिया का सम्राट बनने की महत्वाकांक्षा उसे कहानी का मुख्य, अदृश्य सूत्रधार बनाती है।
तूतेन खामेन (Tutenkhamen)
तूतेन खामेन एक ‘तुरंत’ और बहुत ही खतरनाक दुश्मन है। वह अपनी ममी सेना और एक खास मुखौटे के साथ आता है, जो नायकों की शक्तियों की नकल और पलटाव (Copy and reverse) कर सकता है। वह एक ‘बॉस’ लेवल का दुश्मन है, जिसका सामना तुरंत करना पड़ता है, जबकि करणवशी लंबी अवधि का खतरा है।
आलोचनात्मक दृष्टिकोण (Critical Review)
सकारात्मक पक्ष:
कहानी का कैनवास बहुत बड़ा है। यह सिर्फ एक शहर बचाने की लड़ाई नहीं है, बल्कि एक प्राचीन साम्राज्य के पुनरुत्थान को रोकने की लड़ाई है। यह कहानी पिछली कड़ियों से जुड़ी हुई है और अगली कड़ी के लिए रास्ता बनाती है, जो पाठकों को बांधे रखती है। इतने सारे विलेन (करणवशी, सौडांगी, तूतन ख्वामेन) और दो बड़े हीरोज होने के बावजूद, कहानी कभी भी असंतुलित नहीं लगती।

नकारात्मक पक्ष:
कहानी का अंत एक मोड़ पर होता है जहाँ पाठक को अगली कॉमिक्स (“सौडांगी”) का इंतज़ार करना पड़ता है। जो पाठक पूरी कहानी एक साथ पढ़ना चाहते हैं, उनके लिए यह थोड़ा निराशाजनक हो सकता है। नए पाठकों के लिए, जिन्होंने पिछली कड़ियाँ नहीं पढ़ी हैं, करणवशी और क्लियोपेट्रा के संदर्भ को समझना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।
कहानी के मुख्य आकर्षण (Highlights)
यह कहानी इतिहास और फैंटेसी का बहुत मज़ेदार मेल दिखाती है, जहाँ मिस्र की ममी और पिरामिडों का रोमांच सीधे भारतीय सुपरहीरो नागराज की दुनिया में फिट हो जाता है। कहानी का सबसे ज़बरदस्त मोड़ है ‘ममी नागराज’ वाला ट्विस्ट — जहाँ खुद नायक ही खलनायक (या कहें गुलाम) बन जाता है। यह पल पाठकों को चौंका भी देता है और कहानी को एकदम नई दिशा भी दे देता है।

इस उलझनभरी स्थिति में सुपर कमांडो ध्रुव की एंट्री बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। यह टीम-अप साफ बताता है कि कहानी में दोनों नायकों को बराबर तवज्जो दी गई है, क्योंकि ध्रुव के बिना नागराज को बचाना लगभग नामुमकिन था। यह बात ध्रुव की अहमियत को और भी मजबूत बनाती है।
अंत में कहानी प्राचीन जादू (करणवशी) और आधुनिक विज्ञान व सुपरहीरो शक्तियों के बीच एक दिलचस्प भिड़ंत दिखाती है, जिससे पूरी कथा और भी मज़ेदार व रोमांचक बन जाती है।
चित्रकला और कलात्मकता (Artwork and Artistry)
यह कॉमिक अनुपम सिन्हा की विशिष्ट चित्रांकन शैली की भव्यता से सुसज्जित है, जिसमें कहानी को अत्यधिक गतिशील पेजिंग और लेआउट के माध्यम से जीवंत किया गया है; मिस्र के पिरामिडों के आंतरिक दृश्यों और प्रदर्शनी हॉल की विस्तृत पृष्ठभूमियाँ कहानी के वातावरण को प्रभावी ढंग से स्थापित करती हैं। नागराज की विष-फुंकार और तूतेन खामेन के मुखौटे के पलटवार जैसे तेज़ और ऊर्जावान एक्शन सीक्वेंस, पात्रों के चेहरे के भावों — विशेषकर तूतेन खामेन की क्रूरता और नागराज के आश्चर्य — द्वारा भावनात्मक गहराई प्राप्त करते हैं। सुनील पांडेय की रंग योजना (Color Palette) प्राचीन मिस्र के रहस्यमय सुनहरे रंगों को आधुनिक शहर के नीले और धूसर (ग्रे) रंगों के साथ कुशलता से मिलाकर, दो विपरीत दुनियाओं के टकराव को स्पष्ट रूप से उजागर करती है।
निष्कर्ष और अपेक्षित प्रभाव (Conclusion and Expected Impact)
‘सम्राट’ कॉमिक का शुरुआती भाग अपने आप में बहुत ही आकर्षक और मज़ेदार है। यह राज कॉमिक्स के बेहतरीन क्रॉसओवर गाथाओं की याद दिलाता है। लेखक ने सफलतापूर्वक कई जटिल तत्वों को एक साथ पिरोया है: जादूगर करणवशी का व्यक्तिगत प्रतिशोध, क्लियोपेट्रा की जादुई शक्ति की पुरानी किंवदंती, और तूतेन खामेन के नेतृत्व में आधुनिक चोरी का सीधा खतरा।
कहानी साफ-साफ ‘सम्राट’ शीर्षक के इर्द-गिर्द घूमती है। इसका मतलब है कि अंत में नायकों को केवल तूतेन खामेन और उसकी ममी सेना को हराना नहीं है, बल्कि करणवशी को क्लियोपेट्रा की राजदंड की शक्ति हासिल करने से रोकना भी है, ताकि वह दुनिया का निरंकुश शासक न बन पाए। तूतेन खामेन का मुखौटा, जो नागराज की शक्तियों की नकल करता है, एक बेहतरीन प्लॉट डिवाइस है, जो नायकों को अपनी पुरानी रणनीतियों से हटकर सोचना मजबूर करता है और एक्शन को और रोमांचक बनाता है।
