फैंटेसी और डार्क फैंटेसी के क्षेत्र में राज कॉमिक्स का प्रयोग ‘गोजो’ सीरीज, आज भी पाठकों के दिलों में खास जगह रखती है। इसकी एक महत्वपूर्ण कड़ी है ‘तानाशाह’ (अंक 429), जो सत्ता के लालच और संघर्ष की एक मार्मिक कहानी पेश करती है। वाही जी की सशक्त पटकथा और नांदुरकर के बेमिसाल आर्टवर्क ने मिलकर इस कॉमिक को एक कालजयी रचना बना दिया है।
विस्तृत कथानक की रूपरेखा
कहानी की शुरुआत ‘शेक’ नाम की एक अजीब जगह से होती है, जो पाताल लोक की गहराइयों में बसी है। यह जगह अपनी अनोखी बनावट और वहां रहने वाले लोगों की वजह से रहस्यों से भरी हुई है। यहां का राजा ‘गारू’ एक न्याय पसंद करने वाला लेकिन सख्त शासक है। राजा गारू के पास एक खास ‘तिलिस्मी तलवार’ होती है, जो इस कहानी का बहुत अहम हिस्सा है। इस तलवार की खासियत यह है कि अगर यह किसी दुश्मन के शरीर को छू ले, तो उसका पूरा खून सोख लेती है।

कहानी में असली विवाद तब शुरू होता है जब गाऊ लोक का कुख्यात लुटेरा ‘बागी’ सत्ता के लालच में अंधा होकर राजा गारू के खिलाफ बगावत कर देता है। बागी सिर्फ एक आम लुटेरा नहीं, बल्कि बहुत चालाक और दिमागी खिलाड़ी भी है। वह जानता है कि सामने से लड़ाई में वह गारू की तिलिस्मी तलवार और उसकी बड़ी सेना का मुकाबला नहीं कर पाएगा। इसी वजह से वह एक बेहद खतरनाक और प्राचीन ताकत को जगाता है—काक्रोच को।
‘काक्रोच’ कोई मामूली कीड़ा नहीं है, बल्कि एक भयानक राक्षस है, जो पूरे शहर को तबाह कर सकता है। जब युद्ध के मैदान में गारू की सेना बागी के सैनिकों पर भारी पड़ रही होती है, तभी बागी काक्रोच को आज़ाद कर देता है। यहीं से कहानी एक भयानक मोड़ लेती है। काक्रोच की ताकत के सामने राजा गारू की तिलिस्मी तलवार भी बेअसर साबित होती है और आखिरकार एक भयानक लड़ाई के बाद राजा गारू मारे जाते हैं।
बागी की क्रूरता यहीं खत्म नहीं होती। वह राजा के शव का अपमान करता है और पूरे राज्य में डर का माहौल फैला देता है। इसी अफरा-तफरी के बीच, राज्य के वफादार प्रधानमंत्री ‘होरा’ एक बहुत मुश्किल फैसला लेते हैं। उन्हें पता है कि अगर राजवंश को बचाना है, तो महारानी अंबिका और नन्हे राजकुमार पालक को वहां से सुरक्षित निकालना जरूरी है। वे दोनों को एक खास जलयान के ज़रिये ‘ऊपरी सतह’, यानी पृथ्वी की ओर भेज देते हैं।

पृथ्वी पर पहुंचते ही कहानी एक नया मोड़ लेती है। राजकुमार पालक, जिसने अपने पिता को खो दिया और अपना राज्य छिनते देखा, अंदर ही अंदर गुस्से और बदले की आग में जल रहा है। लेकिन मुश्किलें यहां भी उसका पीछा नहीं छोड़तीं। काक्रोच पृथ्वी तक पहुंच जाता है। जब लगता है कि अब सब कुछ खत्म हो गया है, तभी ‘शाकाल’ की एंट्री होती है, जो गोजो की दुनिया का एक रहस्यमय योद्धा है। यहीं से कहानी अगले रोमांचक हिस्से की नींव रखती है।
पात्रों का सूक्ष्म विश्लेषण
राजा गारू (एक दुखद नायक): राजा गारू एक ऐसे शासक हैं जो अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं करते। उनकी बहादुरी काबिल-ए-तारीफ है, लेकिन उनकी हार यह दिखाती है कि हर बार सिर्फ साहस ही काफी नहीं होता, खासकर तब जब दुश्मन चालाकी और दैवी ताकतों का सहारा ले। उनकी तिलिस्मी तलवार उनके सम्मान और शक्ति की पहचान है।

बागी (क्रूर तानाशाह): बागी का नाम ही उसके स्वभाव को बता देता है। वह सत्ता का भूखा है और उसके अंदर ज़रा भी इंसानियत नहीं है। वह ऐसा खलनायक है जिससे पाठक खुद-ब-खुद नफरत करने लगते हैं, और यही लेखक की सबसे बड़ी जीत है। राजा के शव के साथ उसका विजय जुलूस निकालना उसकी बीमार सोच को साफ दिखाता है।
राजकुमार पालक (भविष्य का रक्षक): पालक इस कहानी का सबसे भावनात्मक किरदार है। इतनी छोटी उम्र में पिता की मौत और अपने देश से निर्वासन उसके किरदार को गहराई देता है। उसकी आंखों में दिखने वाला गुस्सा और बदले की भावना यह इशारा करती है कि आगे चलकर वह एक बड़ा योद्धा बनेगा।
महारानी अंबिका: महारानी अंबिका मातृत्व और धैर्य की सजीव मिसाल हैं। पति को खोने के गहरे दुख के बावजूद वह अपने बेटे के भविष्य के लिए हर मुश्किल का सामना करती हैं।
शाकाल और गोजो का संदर्भ: शाकाल की एंट्री कहानी में अचानक मिलने वाली दैवी मदद जैसी लगती है। वह गोजो की शक्तियों का प्रतीक है और पाठकों के मन में यह जिज्ञासा पैदा करता है कि गोजो का इस पूरी कहानी से क्या रिश्ता है।
चित्रांकन और दृश्य प्रस्तुति (Artwork)
गोपाल नांदुरकर का काम ‘तानाशाह’ में वाकई लाजवाब है। पाताल लोक जैसी कल्पनात्मक दुनिया को कागज पर उतारना आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने इसे बहुत शानदार तरीके से निभाया है।

‘बागी’ कॉमिक्स में संजय विसपुते का कलात्मक कौशल और रंग संयोजन कहानी को एक डार्क और विस्मयकारी स्वरूप प्रदान करता है। युद्ध के दृश्यों में मैदान में बहता खून और सैनिकों के चेहरों पर झलकता मौत का खौफ, बागी के चेहरे पर दिखते जीत के घमंड के साथ मिलकर एक अत्यंत जीवंत और क्रूर वातावरण तैयार करता है। वहीं काक्रोच का चित्रण इतना विशाल और भयावह है कि वह किसी डरावने सपने जैसा प्रतीत होता है; कलाकार ने उसके शरीर की जटिल बनावट और विनाशकारी शक्ति को गहरे रंगों के माध्यम से बहुत प्रभावशाली ढंग से उभारा है। पाताल लोक के दृश्यों में गहरे और डार्क रंगों का सटीक चुनाव कहानी के गंभीर और रहस्यमयी माहौल को पूरी तरह स्थापित कर देता है, जिससे पाठक खुद को उस अंधेरी दुनिया का हिस्सा महसूस करने लगता है।
लेखन और संवाद शैली
तरुण कुमार वाही का लेखन मजबूत और असरदार है। कहानी की रफ्तार इतनी तेज़ है कि पाठक कहीं भी बोर नहीं होता। संवाद छोटे हैं, लेकिन बहुत प्रभाव छोड़ते हैं। जब बागी तख्तापलट की घोषणा करता है, तो उसके शब्दों में झलकता घमंड कहानी को और भी गंभीर बना देता है। भावनाओं और एक्शन के बीच संतुलन बहुत अच्छी तरह रखा गया है।

‘तानाशाह’ सिर्फ मनोरंजन तक सीमित नहीं है। यह सत्ता के गलत इस्तेमाल और तानाशाही के अंजाम को भी दिखाती है। कहानी बताती है कि कैसे एक इंसान की असीम लालच एक खुशहाल राज्य को तबाही के मुहाने पर ला सकता है। साथ ही, यह शरणार्थी बनने के दर्द को भी छूती है, जब महारानी और राजकुमार को अपनी जड़ों से दूर एक अनजान दुनिया, यानी पृथ्वी पर शरण लेनी पड़ती है।
गोजो सीरीज, राज कॉमिक्स की बाकी सीरीज से काफी अलग थी। इसमें साइंस फिक्शन और फैंटेसी का अनोखा मेल देखने को मिलता है। ‘तानाशाह’ इस पूरी सीरीज की नींव को मजबूत करता है और पाठकों को एक ऐसे ब्रह्मांड से मिलवाता है जहां शक्तियां अनंत हैं और संघर्ष कभी खत्म नहीं होता।
कुछ कमियां
हालांकि यह एक शानदार कॉमिक है, लेकिन कुछ पाठकों को लग सकता है कि कहानी थोड़ी जल्दी खत्म हो जाती है या शाकाल की एंट्री बहुत अचानक होती है। राजा गारू की तिलिस्मी तलवार की उत्पत्ति पर थोड़ा और विस्तार दिया जा सकता था। फिर भी, ये छोटी-छोटी बातें इसके कुल असर को कम नहीं करतीं।
निष्कर्ष और अंतिम रेटिंग
‘तानाशाह’ राज कॉमिक्स के उन नगीनों में से एक है, जिसे हर कॉमिक्स प्रेमी को जरूर पढ़ना चाहिए। यह साहस, बलिदान और धोखे की ऐसी कहानी है, जो आखिरी पन्ने तक पाठक को बांधे रखती है। अगर आप एक ऐसी कॉमिक चाहते हैं जो आपको एक बिल्कुल अलग दुनिया में ले जाए और रोमांच से भर दे, तो यह आपके कलेक्शन में जरूर होनी चाहिए।
अंतिम शब्द:
‘तानाशाह’ का अंत एक बड़े सस्पेंस के साथ होता है, जो पाठकों को सोचने पर मजबूर कर देता है—क्या राजकुमार पालक अपना खोया हुआ राज्य वापस पा सकेगा? क्या गोजो और शाकाल मिलकर बागी और उसके राक्षस काक्रोच का अंत कर पाएंगे? इन सवालों के जवाब जानने के लिए इस सीरीज के अगले भाग पढ़ना लगभग ज़रूरी हो जाता है। यह कॉमिक्स भारतीय कॉमिक्स इतिहास का एक बेहद अहम अध्याय है।
