आज के डिजिटल ज़माने में, जहाँ मनोरंजन के सैकड़ों रास्ते हमारी उंगलियों पर मौजूद हैं, वहाँ कभी-कभी रुककर उस दौर को याद करना सच में एक सुखद अहसास देता है — वो दौर जब कॉमिक्स के पन्नों पर बने रंगीन चित्र और शब्द हमारी कल्पना को उड़ान देते थे। उसी सुनहरे दौर की एक यादगार पेशकश है ‘किंग कॉमिक्स’ द्वारा प्रकाशित ‘वेगा’। लेखक टीकाराम सिध्वी और चित्रकार द्रोणा फीचर्स की ये कॉमिक हमें 90 के दशक की उस रोमांच, एक्शन और न्याय से भरी दुनिया में वापस ले जाती है, जो आज भी उतनी ही असरदार लगती है।
तो चलिए, करते हैं ‘वेगा’ की दुनिया में एक गहरा सफर और जानते हैं इसकी पूरी कहानी।
कथानक: अच्छाई और बुराई का क्लासिक टकराव
‘वेगा’ की कहानी किसी भी सुपरहीरो कॉमिक की तरह एक सीधी लेकिन दमदार नींव पर टिकी है – अच्छाई की बुराई पर जीत। कहानी की शुरुआत होती है अपराध की अंधेरी गलियों से, जहाँ ज़ुल्म और अन्याय का राज है। लेखक शुरुआत में ही ये बात साफ़ कर देते हैं कि –
“जुल्म कहीं भी हो सकता है! अपराध रूपी नाग कहीं भी अपना फन उठा सकता है।”
और जब भी ऐसा होता है, तब उठता है एक हाथ – वेगा का हाथ।

कहानी के पहले हिस्से में हमें वेगा के किरदार और उसकी ताकतों की झलक देखने को मिलती है। वो आम गुंडों और अपराधियों के लिए डर का दूसरा नाम है। उसकी चेतावनी –
“अगर आज के बाद तुम्हारे गले के नीचे ईमानदारी और मेहनत की कमाई की बजाय हराम की रोटी गई, तो न वो गला बचेगा, न गले वाला!”
उसके पूरे व्यक्तित्व को बखूबी बयान करती है।
वेगा सिर्फ सज़ा देने वाला हीरो नहीं है, बल्कि वो अपराधियों को सुधरने का मौका भी देता है।
कहानी असली मोड़ तब लेती है जब ‘तारा अनुसंधान केंद्र’ के पास एक रहस्यमयी और खतरनाक हथियार ‘वॉर–व्हील-IX’ (War-Wheel-IX) को उतारा जाता है। ये विशालकाय, पहियों पर घूमता हुआ मौत का पहिया अपने रास्ते में आने वाली हर चीज़ को मिटा देता है।
अब कहानी का पैमाना बढ़ जाता है – सड़क के गुंडों की लड़ाई से लेकर देश की सुरक्षा तक का मसला बन जाता है।
देश के बड़े-बड़े वैज्ञानिक और सुरक्षा अधिकारी इस तबाही के आगे खुद को असहाय महसूस करते हैं।
इस विनाश के पीछे है एक खतरनाक खलनायक ‘स्काई सर्ज’ (जिसे टर्मिनेटर भी कहा गया है), जो डॉक्टर गोशा नाम के वैज्ञानिक को अपने कब्ज़े से भागने नहीं देना चाहता।

डॉक्टर गोशा की जान बचाने के लिए वेगा की धमाकेदार एंट्री होती है। यहीं से कॉमिक्स का लेवल सीधा ऊपर चला जाता है — एक्शन और रोमांच अपने पूरे जोश में आ जाते हैं। वेगा और वॉर-व्हील की भिड़ंत, फिर लेजरमैन से उसकी टक्कर और आखिर में मुख्य खलनायक स्काई सर्ज के साथ उसका महा-मुकाबला — हर सीन पाठक को पेज से जोड़े रखता है। कहानी की रफ्तार तेज़ है और हर पन्ने पर कुछ नया देखने को मिलता है – कभी ट्विस्ट, कभी धमाकेदार एक्शन। कहानी का अंत वेगा की जीत और इंसानियत की रक्षा के उसके संकल्प के साथ होता है, जो एक क्लासिक सुपरहीरो स्टाइल में कहानी को पूरा करता है।
चरित्र–चित्रण: एक दमदार हीरो और डर पैदा करने वाला विलेन
वेगा: वेगा 90 के दशक के भारतीय सुपरहीरोज़ की एक शानदार मिसाल है। उसका किरदार मज़बूत, ईमानदार और निडर है। नीली पोशाक, चेहरे पर मास्क और मजबूत शरीर – वो बिल्कुल वैसा ही दिखता है जैसा एक सुपरहीरो को होना चाहिए।
उसकी ताकतें भी कमाल की हैं। वो सिर्फ ताकतवर नहीं है, बल्कि उसके हाथों से निकलने वाली तेज़ हवा (वेग) उसे उड़ने और दुश्मनों को दूर फेंकने की ताकत देती है। यही “वेग” उसकी पहचान है – और शायद इसी से उसका नाम “वेगा” पड़ा।
वो एक रक्षक है, एक मसीहा है, जो बेगुनाहों की पुकार सुनकर कहीं से भी आ पहुँचता है। उसके अंदर कोई गहरा मानसिक संघर्ष नहीं दिखाया गया है, लेकिन 90s के हिसाब से वो एक परफेक्ट हीरो है – जिसका सिर्फ एक मकसद है – बुराई का अंत।
स्काई सर्ज (टर्मिनेटर): कहते हैं, कोई भी सुपरहीरो उतना ही असरदार होता है, जितना उसका विलेन। और इस मामले में स्काई सर्ज पूरी तरह फिट बैठता है।
उसके चेहरे पर स्टार के आकार का मास्क, लाल पोशाक और हाई-टेक हथियार – सब मिलकर उसे एक डरावना और ताकतवर दुश्मन बनाते हैं। वो बेरहम, घमंडी और बेहद खतरनाक है। उसके लिए किसी को खत्म करना बस एक काम है।
उसकी अपनी सेना है और वो वेगा को हर मोर्चे पर कड़ी टक्कर देता है। दोनों के बीच का फाइनल मुकाबला कॉमिक्स का सबसे धमाकेदार हिस्सा है, जो शहर की ऊँची इमारतों से लेकर बिजली के टावरों तक फैला है।
सहायक पात्र: डॉक्टर गोशा एक डरे-सहमे लेकिन समझदार वैज्ञानिक हैं, जो खलनायक के चंगुल से निकलना चाहते हैं। वो कहानी को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
लेजरमैन और बाकी गुंडे खलनायक के साथियों के रूप में नज़र आते हैं और साथ ही वेगा की ताकत दिखाने का ज़रिया भी बनते हैं।
कला एवं चित्रांकन: द्रोणा फीचर्स का जादू
किसी भी कॉमिक्स की जान उसका आर्टवर्क होता है — और इस मामले में ‘वेगा’ पूरा नंबर पाता है। द्रोणा फीचर्स का काम उस दौर की कॉमिक्स कला का बेहतरीन उदाहरण है।
एक्शन और मूवमेंट: चित्रकार ने एक्शन सीन को बहुत जोश और तेज़ी के साथ बनाया है। वेगा के पंच, उसकी उड़ान, वॉर-व्हील की तबाही और गोलियों की बरसात – हर पैनल में जबरदस्त एनर्जी महसूस होती है।
“धाड़!”, “घडाम!”, “व्हीश!”, “क्रैक!” जैसे साउंड इफेक्ट्स चित्रों के साथ मिलकर सीन को और ज़्यादा जिंदा कर देते हैं। ऐसा लगता है जैसे आवाज़ें सच में कानों में गूंज रही हों।
रंगों का इस्तेमाल: कॉमिक्स में रंगों का इस्तेमाल बहुत जीवंत और सोच-समझकर किया गया है। हीरो के लिए नीला और विलेन के लिए लाल जैसे तेज़ रंग अच्छाई और बुराई के फर्क को साफ़ दिखाते हैं।
विस्फोट और एनर्जी बीम के लिए पीले और नारंगी रंग का इस्तेमाल सीन को और भी ड्रामेटिक बना देता है।
पैनल लेआउट: पैनलों की बनावट सिंपल है लेकिन असरदार। कहानी सीधी रेखा में आगे बढ़ती है, जिससे पाठक को सबकुछ आसानी से समझ में आता है।
क्लोज़-अप शॉट्स का इस्तेमाल किरदारों की भावनाओं – जैसे गुस्सा, डर या जिद – को दिखाने में बढ़िया तरीके से किया गया है। वहीं वाइड शॉट्स बड़े स्तर की तबाही और एक्शन के सीन को शानदार ढंग से पेश करते हैं।
लेखन और संवाद: टीकाराम सिध्वी की कलम का कमाल
टीकाराम सिध्वी की राइटिंग उस दौर की हिंदी कॉमिक्स की पहचान है। भाषा थोड़ी नाटकीय है, पर वही इसे मज़ेदार और सुपरहीरो स्टाइल बनाती है।
डायलॉग छोटे, तगड़े और सीधे दिल पर असर करने वाले हैं। वेगा के संवादों में जहाँ न्याय और चेतावनी झलकती है, वहीं स्काई सर्ज के डायलॉग्स में उसका घमंड और क्रूरता साफ दिखती है।
नैरेशन बॉक्स कहानी को सही दिशा में आगे बढ़ाते हैं और बताते हैं कि सीन में क्या हो रहा है। आज के रीडर्स को यह भाषा थोड़ी पुरानी लग सकती है, लेकिन यही उस दौर की पहचान और खूबसूरती है।
निष्कर्ष: एक यादगार कॉमिक्स
‘वेगा’ सिर्फ एक कॉमिक्स नहीं, बल्कि भारतीय कॉमिक्स के गौरवशाली इतिहास का एक ज़िंदा हिस्सा है। ये हमें उस ज़माने में ले जाती है जब कल्पना की कोई सीमा नहीं थी और सुपरहीरो अच्छाई के सबसे बड़े प्रतीक होते थे।
इसकी कहानी सीधी है, किरदार बहुत गहराई वाले नहीं हैं, लेकिन इसमें वो जादू, वो रोमांच और वो मासूमियत है जो आज के ज़माने के मनोरंजन में कम मिलती है।
ये कॉमिक्स उन लोगों के लिए एक खज़ाना है जो 90 के दशक में पले-बढ़े हैं और जिन्होंने घंटों कॉमिक्स के पन्ने पलटते हुए बिताए हैं।
नए पाठकों के लिए, ये भारतीय सुपरहीरोज़ की दुनिया और उनकी विरासत को समझने का एक शानदार मौका है।
‘वेगा’ ये साबित करती है कि एक अच्छी कहानी और शानदार आर्ट कभी पुराना नहीं होता।
अगर आप एक्शन, रोमांच और थोड़ी पुरानी यादों का मज़ा एक साथ लेना चाहते हैं, तो ‘वेगा’ आपके लिए ज़रूर पढ़ने लायक कॉमिक्स है।
