भारतीय कॉमिक्स की दुनिया में राज कॉमिक्स का एकछत्र राज रहा है, और इस साम्राज्य का सबसे चमकता सितारा निस्संदेह नागराज है। शुरुआत से लेकर आज तक नागराज ने भारतीय सुपरहीरो की पहचान को नई ऊंचाइयाँ दी हैं। नागराज की लंबी कॉमिक्स यात्रा में कई ऐसी कहानियाँ आई हैं जो मील का पत्थर साबित हुईं — जिन्होंने न सिर्फ उसके किरदार को गहराई दी, बल्कि पाठकों के दिलों पर भी गहरी छाप छोड़ी।
इन्हीं में से एक शानदार कहानी है — ‘इच्छाधारी’। अनुपम सिन्हा द्वारा लिखी और चित्रित यह कॉमिक्स नागराज के सबसे रहस्यमयी और ताकतवर पहलू — उसकी इच्छाधारी शक्ति — पर आधारित है। यह कहानी सिर्फ एक और रोमांचक एडवेंचर नहीं है, बल्कि नागराज के अंदर चल रहे संघर्ष, उसकी नैतिक सीमाओं और एक सच्चे हीरो के रूप में उसकी सोच को बखूबी दिखाती है।
कथावस्तु का विश्लेषण
‘इच्छाधारी’ की कहानी की शुरुआत होती है एक टीवी इंटरव्यू से, जहाँ पत्रकार भारती, आम जनता को नागराज की शक्तियों के बारे में बता रही होती है। यह शुरुआती सीन कहानी की नींव रखता है, जहाँ नागराज अपनी कई शक्तियों — जैसे विष-फुंकार, सर्प-सेना, और नागरस्सी — का प्रदर्शन करता है।
लेकिन जैसे ही भारती उसकी सबसे रहस्यमयी और ताकतवर शक्ति ‘इच्छाधारी शक्ति’ का ज़िक्र करती है, नागराज का चेहरा गंभीर और तनाव भरा हो जाता है। वह इस बारे में बात करने से बचता है।
नागराज का यह रवैया एक रहस्यमयी पर्यवेक्षक का ध्यान खींच लेता है — जो कहीं दूर बैठा यह इंटरव्यू देख रहा होता है। यह पर्यवेक्षक खुद को ‘सी थ्रू’ (See-Through) कहता है — एक शरीर-रहित आत्मा या ऊर्जा, जिसे अपना भौतिक शरीर वापस पाने के लिए नागराज की इच्छाधारी शक्ति चाहिए।

यहीं से कहानी का असली संघर्ष शुरू होता है।
खलनायक की चाल सीधी लेकिन बहुत असरदार है — वह नागराज को ऐसी मुश्किल में डालना चाहता है जहाँ उसे अपनी शपथ तोड़नी पड़े और मजबूरन इच्छाधारी शक्ति का इस्तेमाल करना पड़े।
इसके लिए वह भारती और उसकी टीम का अपहरण करवा देता है और उन्हें एक दूर, पथरीले इलाके ‘पुरानी नगरी’ में ले जाता है। भारती के खतरे में होने की खबर मिलते ही नागराज वहाँ पहुँचता है।
वह बड़ी आसानी से कबीले के लोगों को हरा देता है, लेकिन जल्द ही समझ जाता है कि ये लोग तो सिर्फ मोहरे हैं — असली खतरा कहीं और है।
फिर सामने आता है असली खतरा — सी थ्रू का असली हथियार — एक विशाल, पंखों वाला प्रागैतिहासिक जीव। यह जीव शारीरिक रूप से बेहद ताकतवर और लगभग अजेय है।
यहीं से कॉमिक्स के सबसे धमाकेदार एक्शन सीन्स शुरू होते हैं। नागराज पूरी ताकत लगाकर उस दैत्य से लड़ता है, लेकिन उसकी हर शक्ति इस जीव के सामने बेअसर साबित होती है।
उसका ज़हर, उसकी सर्प-सेना, और उसकी खुद की ताकत — सब विफल हो जाती हैं। खलनायक लगातार नागराज को चिढ़ाता है, उसे उकसाता है कि वह अपनी अंतिम शक्ति — इच्छाधारी शक्ति — का इस्तेमाल करे।

कहानी का यही हिस्सा नागराज के असली किरदार को गहराई से दिखाता है।
पाठक जानना चाहते हैं कि आखिर नागराज ने इतनी ताकतवर शक्ति का इस्तेमाल न करने की शपथ क्यों ली है।
कॉमिक्स हमें एक छोटा लेकिन बेहद असरदार फ्लैशबैक दिखाती है, जहाँ पता चलता है कि यह शक्ति नागराज को एक दैवीय नाग देवता से वरदान में मिली थी।
यह शक्ति सिर्फ सृष्टि की रक्षा के लिए है — किसी निजी फायदा या हिंसा के लिए नहीं।
अगर इसका गलत इस्तेमाल हो जाए, तो यह शक्ति और इसे प्रयोग करने वाला, दोनों ही भ्रष्ट हो सकते हैं। और अगर ऐसा हुआ, तो नागराज एक विनाशकारी शक्ति में बदल जाएगा।
यही ज्ञान उसके मन पर भारी बोझ डालता है, और यहीं से उसके भीतर का द्वंद्व शुरू होता है — क्या वह अपनी शपथ तोड़े या अपने प्रियजनों की रक्षा करे?
कला और चित्रांकन
अनुपम सिन्हा की कला इस कॉमिक्स की असली जान है। उनका चित्रांकन हमेशा की तरह ज़बरदस्त, डिटेल्ड और भावनाओं से भरा हुआ है। हर पैनल को बहुत सोच-समझकर बनाया गया है।
नागराज की मांसल काया, चेहरे की दृढ़ता और एक्शन के दौरान उसकी फुर्ती — सब कुछ बेहद जीवंत लगता है।
खलनायक सी थ्रू का डिज़ाइन भी बहुत प्रभावशाली है — उसका खोपड़ी जैसा चेहरा डर पैदा करता है और लंबे समय तक याद रहता है।
वहीं, प्रागैतिहासिक दैत्य का चित्रण भी ग़ज़ब का है — उसके विशाल पंख, तेज़ दाँत और ताकतवर शरीर कहानी में एक रोमांचक खौफ भर देते हैं।
एक्शन सीन का संयोजन शानदार है। नागराज और दैत्य के बीच की लड़ाई वाले पैनल कहानी में रफ़्तार और एनर्जी लेकर आते हैं।
विट्ठल कांबले की इंकिंग ने अनुपम सिन्हा की ड्रॉइंग को और भी निखार दिया है — रेखाएँ साफ और गहराई लिए हुए हैं।
रंगों का इस्तेमाल भी कहानी के मूड को बढ़िया तरीके से सेट करता है।
‘पुरानी नगरी’ के पथरीले, सूने इलाकों में भूरे और गहरे रंग इस्तेमाल किए गए हैं, जिससे रहस्यमय और खतरनाक माहौल बनता है।
वहीं, टीवी स्टूडियो वाले सीन में चमकीले रंगों का प्रयोग करके आधुनिक माहौल दिखाया गया है।
कुल मिलाकर, ‘इच्छाधारी’ का आर्टवर्क राज कॉमिक्स के स्वर्ण युग की बेहतरीन मिसालों में से एक है।
चरित्र-चित्रण
इस कॉमिक्स की सबसे बड़ी ताकत इसका चरित्र-चित्रण है — खासकर नागराज का।
यह कहानी उसे एक साधारण ‘मार-धाड़’ वाले हीरो से कहीं ऊपर ले जाती है। यहाँ नागराज को एक सोचने-समझने वाला, जिम्मेदार और गहराई से इंसानियत समझने वाला नायक दिखाया गया है।
अपनी सबसे बड़ी शक्ति का इस्तेमाल न करने का उसका फैसला उस मशहूर विचार को जीवंत करता है — “शक्ति के साथ आती है बड़ी जिम्मेदारी।”
उसका यह आंतरिक संघर्ष उसे और ज़्यादा मानवीय और जुड़ने लायक बनाता है।

खलनायक सी थ्रू भी उतना ही यादगार है। वह चालाक, धूर्त और अपने मकसद को पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार है।
उसका शरीर-रहित होना उसे एक अनोखा और खतरनाक दुश्मन बनाता है, क्योंकि वह सीधे हमला नहीं करता — बल्कि दूसरों के ज़रिए अपनी चाल चलता है।
उसका मकसद, यानी एक शरीर पाने की चाह, उसे एक-आयामी विलेन बनने से रोकता है और उसे दिलचस्प बनाता है।
भारती का किरदार कहानी में अहम भूमिका निभाता है।
वह सिर्फ “संकट में फंसी नायिका” नहीं है, बल्कि नागराज की करीबी दोस्त और भरोसेमंद साथी के रूप में सामने आती है।
उसके ज़रिए पाठक नागराज की दुनिया और उसके नजरिए को बेहतर समझ पाते हैं।
निष्कर्ष
‘नागराज – इच्छाधारी’ भारतीय कॉमिक्स के इतिहास में एक क्लासिक कहानी के रूप में जानी जाती है।
यह सिर्फ एक्शन और एडवेंचर से भरी कॉमिक्स नहीं है, बल्कि यह शक्ति, जिम्मेदारी, आत्म-नियंत्रण और नैतिकता जैसे गहरे विषयों पर सोचने पर मजबूर करती है।
अनुपम सिन्हा की दमदार कहानी और शानदार चित्रांकन ने मिलकर इसे ऐसा अनुभव बना दिया है जो आज भी उतना ही असरदार लगता है जितना इसके पहले आने पर था।
इस कॉमिक्स ने नागराज के चरित्र को और गहराई दी, उसे एक नया आयाम दिया, और उसकी पूरी पौराणिक गाथा को समृद्ध बनाया।
‘इच्छाधारी’ ये साबित करती है कि भारतीय सुपरहीरो कहानियाँ भी पश्चिमी कॉमिक्स जितनी ही गहरी, सोचने लायक और असरदार हो सकती हैं।
हर कॉमिक्स प्रेमी — चाहे वह पुराना पाठक हो या नया — के लिए यह एक ज़रूरी पढ़ाई है।
‘इच्छाधारी’ सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि नागराज की यात्रा का वह खास अध्याय है जिसने उसे वो नायक बनाया, जिसे आज हर कॉमिक्स प्रेमी आदर और गर्व से याद करता है।
