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प्रचंडा बनाम अजर-पंजर: ‘चटोरी’ में पंचतत्वों की भीषण जंग | Raj Comics Classic Review

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Blog Updated:30 December 2025

प्रचंडा बनाम अजर-पंजर: ‘चटोरी’ में पंचतत्वों की भीषण जंग | Raj Comics Classic Review

पंच तत्वों की शक्ति, इंसानी अर्क का आतंक और राक्षसी षड्यंत्र—प्रचंडा की सबसे डरावनी और यादगार कहानियों में से एक
ComicsBioBy ComicsBio30 December 2025Updated:30 December 202509 Mins Read
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प्रचंडा की ‘चटोरी’ कॉमिक्स रिव्यू: अजर-पंजर और पंच तत्वों की खौफनाक कहानी | Raj Comics
पंच तत्वों की ताकत से लैस प्रचंडा, रस्काटू यंत्र और अजर-पंजर जैसे खलनायकों के खिलाफ एक भीषण और डरावनी जंग में
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प्रचंडा राज कॉमिक्स का एक ऐसा सुपरहीरो है जिसका सीधा संबंध पृथ्वी के पाँच तत्वों यानी मिट्टी, आग, हवा, पानी और आकाश से है। उसकी कहानियाँ अक्सर पौराणिक माहौल और फैंटेसी की दुनिया के बीच के समय में रची गई हैं, जहाँ राजा-महाराजा, राक्षस और दैवीय शक्तियाँ आम तौर पर देखने को मिलती हैं। यही वजह है कि प्रचंडा की कहानियाँ साधारण सुपरहीरो कॉमिक्स से थोड़ी अलग और खास लगती हैं।

यह कॉमिक्स “चटोरी”, प्रचंडा की पिछली कहानी (संभवतः “राक्षस राज अजर-पंजर”) का सीक्वल यानी अगला भाग है। पिछली कहानी में हमने देखा था कि कैसे ऋषि आपदे ने राक्षस राज अजर-पंजर को यह शाप दिया था कि उसका शरीर टूट-फूट जाएगा। अब इस नई कहानी में दिखाया गया है कि कैसे उसकी पत्नी ‘चटोरी’ और उसका साला ‘अंटाबंटा’ उसे बचाने और फिर से ताकतवर बनाने के लिए एक बेहद खतरनाक और डरावनी योजना बनाते हैं। पूरी कहानी बदले की भावना, लालच और वीरता का जबरदस्त मिश्रण है, जो पाठक को शुरुआत से अंत तक बांधे रखता है।

अर्क, अत्याचार और अंत

कहानी की शुरुआत ही एक बहुत डरावने और क्रूर दृश्य से होती है। छोड़ानगर और पछाड़पुरी नाम के दोनों राज्यों की जनता त्राहि-त्राहि कर रही है। हर तरफ डर और अफरा-तफरी का माहौल है। राक्षस अंटाबंटा, जो अजर-पंजर का साला है, लोगों को जबरदस्ती पकड़-पकड़ कर उठा रहा है।

इन बेगुनाह इंसानों को गन्ने की तरह एक भयानक मशीन, जिसे ‘रस्काटू यंत्र’ कहा गया है, में डालकर उनका ‘अर्क’ निकाला जा रहा है। यह दृश्य पढ़ते समय ही रोंगटे खड़े कर देता है। इसी इंसानी खून और अर्क को पीकर टूटा-फूटा राक्षस राज अजर-पंजर धीरे-धीरे फिर से ठीक होने लगता है और उसकी खोई हुई ताकतें वापस आने लगती हैं।

भूतपूर्व राजा का दुख:

छोड़ानगर के भूतपूर्व राजा ढक्कासिंह अपने बेटों ढीठ और ढिल्लड़ की नालायकी और राज्य के बँटवारे से परेशान होकर पहले ही वनवास पर चले गए थे। लेकिन जब वे काफी समय बाद वापस लौटते हैं, तो जो दृश्य उनके सामने आता है, वह बेहद दुखद होता है। दोनों राज्य पूरी तरह उजड़ चुके होते हैं। चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ है। बाद में उन्हें पता चलता है कि अंटाबंटा के आतंक से डरकर पूरी प्रजा पलायन कर चुकी है। यह जानकर ढक्कासिंह को गहरा पछतावा होता है कि उनके बेटे अपनी ही जनता की रक्षा नहीं कर पाए।

प्रचंडा का प्रवेश:

इसी अत्याचार को रोकने के लिए प्रचंडा आगे आता है। पंच तत्वों की शक्ति से लैस प्रचंडा अंटाबंटा को सीधी चुनौती देता है। दोनों के बीच जबरदस्त और रोमांचक लड़ाई होती है। अंटाबंटा अपनी भारी गदा और राक्षसी ताकत का पूरा प्रदर्शन करता है, लेकिन प्रचंडा, जो हवा, आग और मिट्टी जैसे तत्वों का स्वामी है, उस पर भारी पड़ता है।

प्रचंडा अपनी अग्नि शक्ति का इस्तेमाल करके अंटाबंटा का हाथ जला देता है और उसे बुरी तरह पीटता है। ऐसा लगता है कि अब अंटाबंटा का अंत करीब है, लेकिन तभी वह एक चाल चलता है और किसी तरह वहाँ से भाग निकलता है, या कम से कम ऐसा ही दिखाई देता है।

अजर-पंजर और चटोरी का षड्यंत्र:

अंटाबंटा भागकर अपने जीजा अजर-पंजर के पास पहुँचता है और उसे प्रचंडा के बारे में सारी जानकारी देता है। अजर-पंजर, जो अब इंसानी अर्क पीकर काफी हद तक शक्तिशाली हो चुका है, प्रचंडा से बदला लेने का पक्का मन बना लेता है। उसकी पत्नी चटोरी भी, जिसका नाम ही उसके खाने-पीने और स्वाद के शौक को दर्शाता है, उसे लगातार उकसाती रहती है और इस षड्यंत्र को और भी खतरनाक बनाने में उसका साथ देती है।

जल्लाद और ककरोचा:

इस कहानी में दो और बेहद डरावने राक्षस सामने आते हैं—जल्लाद और ककरोचा।

जल्लाद:
जल्लाद एक विशालकाय और बेहद क्रूर राक्षस है, जिसे अजर-पंजर ने खास तौर पर बुलाया है। प्रचंडा और जल्लाद के बीच एक जबरदस्त और ताकत से भरा मल्ल-युद्ध होता है। जल्लाद अपनी अपार शक्ति के दम पर प्रचंडा को एक लोहे के पिंजरे में कैद करने की कोशिश करता है। लेकिन प्रचंडा अपनी पृथ्वी-शक्ति का सहारा लेकर खुद को विशाल रूप में बदल लेता है और पूरे पिंजरे को तोड़ डालता है। यह दृश्य प्रचंडा की ताकत और उसके पंच तत्वों से जुड़ाव को साफ दिखाता है।

ककरोचा:
ककरोचा चटोरी का पालतू और बेहद अजीब किस्म का जीव है। यह एक बड़े कॉकरोच जैसा दिखता है, जो उड़ भी सकता है और अपने नुकीले अंगों से हमला करने में माहिर है। चटोरी इसे एक डिब्बी से बाहर निकालती है। ककरोचा प्रचंडा पर अचानक हमला करता है, लेकिन प्रचंडा अपनी फुर्ती और शक्ति से उसे हवा में उछाल देता है और उसका अंत कर देता है। ककरोचा की मौत से चटोरी को गहरा सदमा लगता है और वह कसम खाती है कि वह प्रचंडा से इसका बदला जरूर लेगी।

क्लाइमेक्स:
कहानी के आखिरी हिस्से में प्रचंडा अजर-पंजर के किले, जिसे रस्काटू महल कहा गया है, पर सीधा हमला करता है। वहाँ पहुँचकर वह देखता है कि कैसे मासूम लोगों को बेरहमी से मशीन में पीसा जा रहा है। यह नज़ारा देखकर उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच जाता है। प्रचंडा पूरी ताकत लगाकर रस्काटू यंत्र को उखाड़कर दूर फेंक देता है।

इसके बाद अजर-पंजर और प्रचंडा के बीच अंतिम और निर्णायक युद्ध होता है। अजर-पंजर अपनी सारी बची-खुची ताकत झोंक देता है, लेकिन प्रचंडा के पंच तत्वों—अग्नि, वायु और पृथ्वी—के प्रहारों के सामने वह टिक नहीं पाता। अंत में प्रचंडा उसे एक पहाड़ के नीचे दबा देता है, या यूँ कहें कि उसे पहाड़ से कुचलकर हमेशा के लिए खत्म कर देता है।

चटोरी का अंत भी बेहद नाटकीय दिखाया गया है। उसकी वही जीभ, जो हमेशा स्वाद और खाने के लिए लपलपाती रहती थी, आखिरकार उसी के लिए काल बन जाती है। संभवतः वह भी इस भीषण लड़ाई की चपेट में आकर मारी जाती है।

अंत में राजा ढक्कासिंह और उनके पुत्र, जो अब अपनी गलतियों से सीख चुके होते हैं, प्रचंडा का दिल से धन्यवाद करते हैं। प्रजा फिर से अपने घरों को लौट आती है और शांति बहाल हो जाती है। इसके बाद प्रचंडा अपनी अगली यात्रा पर निकल पड़ता है।

चरित्र विश्लेषण (Character Analysis)

प्रचंडा (Prachanda):
प्रचंडा एक क्लासिक भारतीय सुपरहीरो है, जिसकी शक्तियाँ सीधे प्रकृति से जुड़ी हुई हैं। वह सिर्फ ताकतवर ही नहीं, बल्कि नैतिक मूल्यों वाला नायक भी है। जब वह देखता है कि अंटाबंटा निहत्थे और बेगुनाह लोगों पर अत्याचार कर रहा है, तो उसका खून खौल उठता है। उसके संवाद भारी-भरकम और वीर रस से भरे हुए हैं, जैसे— “मैं तेरी मौत हूँ अंटाबंटा!” यह संवाद उसके व्यक्तित्व को और प्रभावशाली बनाता है।

अजर-पंजर और अंटाबंटा:
ये दोनों इस कॉमिक्स के मुख्य खलनायक हैं। इनके नाम सुनते ही थोड़ा हास्य पैदा होता है—‘अजर-पंजर’ यानी ढीले-ढाले शरीर वाला और ‘अंटाबंटा’ यानी गोल-मटोल। लेकिन इनके कारनामे, खासकर इंसानों का अर्क निकालना, बेहद क्रूर और डरावने हैं। यही नाम और काम का विरोधाभास कहानी को और ज्यादा दिलचस्प बना देता है।

चटोरी:
चटोरी इस कॉमिक्स की मुख्य महिला खलनायिका है। उसका नाम ही बताता है कि उसे अजीब और डरावनी चीज़ों का स्वाद पसंद है, जैसे इंसानी खून या अर्क। वह लगातार अपने पति अजर-पंजर को भड़काती रहती है। ककरोचा के प्रति उसका लगाव उसके चरित्र का एक अजीब लेकिन यादगार पहलू है।

राजा ढक्कासिंह और पुत्र:
राजा ढक्कासिंह और उनके बेटे कहानी में कॉमिक रिलीफ के साथ-साथ एक नैतिक संदेश भी देते हैं। ढक्कासिंह के बेटों के नाम—ढीठ और ढिल्लड़—खुद ही बता देते हैं कि वे पहले कितने निकम्मे थे। लेकिन कहानी के अंत तक वे सुधर जाते हैं, जो यह दिखाता है कि गलती करने के बाद इंसान बदल भी सकता है।

कला और चित्रांकन (Artwork and Visualization)

मिलिंद और प्रवीण गुरसाले का चित्रांकन 90 के दशक की राज कॉमिक्स की क्लासिक शैली का बेहतरीन उदाहरण है। उनके बनाए पैनल्स उस दौर की पहचान को पूरी तरह सामने लाते हैं, जहाँ हर सीन में ड्रामा और एनर्जी साफ दिखाई देती है।

हिंसा का चित्रण:
‘रस्काटू यंत्र’ में इंसानों को पीसने के दृश्य और खून को बाल्टियों में भरते हुए दिखाना काफी ग्राफिक और डरावना है। यह सब उस समय की कॉमिक्स की डार्क टोन को साफ दर्शाता है, जहाँ अच्छाई और बुराई के बीच की लड़ाई को बिना ज़्यादा छुपाए दिखाया जाता था।

एक्शन सीन्स:
प्रचंडा का हवा में उड़ना, गदा घुमाना और राक्षसों को उठाकर पटक देना—ये सभी पैनल्स बेहद डायनामिक लगते हैं। रंगों का इस्तेमाल, खासकर लाल, पीला और हरा, बहुत ही चटक है, जो एक्शन को और ज़्यादा प्रभावशाली बनाता है।

राक्षसों का डिजाइन:
जल्लाद और ककरोचा दोनों का डिजाइन काफी कल्पनाशील है। खास तौर पर ककरोचा को एक विशाल और डरावने कीड़े के रूप में दिखाना कलाकारों की रचनात्मक सोच को दर्शाता है, जो पाठक के दिमाग में लंबे समय तक बना रहता है।

कहानी के मुख्य आकर्षण और संदेश

बुराई का अंत:
कहानी का मूल संदेश वही क्लासिक है—बुराई चाहे कितनी भी ताकतवर क्यों न हो, जैसे अजर-पंजर जो इंसानी अर्क पीकर शक्तिशाली बनता है, आखिरकार अच्छाई यानी प्रचंडा के सामने उसे हारना ही पड़ता है।

प्रकृति की शक्ति:
प्रचंडा का चरित्र यह साफ संदेश देता है कि प्रकृति और पंच तत्व सबसे बड़ी शक्ति हैं। अगर इंसान प्रकृति के साथ खड़ा हो, तो कोई भी ताकत उसे आसानी से नहीं हरा सकती।

एकता में बल:
राजा ढक्कासिंह के बेटों का अंत में सुधर जाना और एक-दूसरे के साथ आना यह सिखाता है कि परिवार और पूरे राज्य की असली ताकत एकता में ही होती है।

आलोचनात्मक दृष्टिकोण

सकारात्मक:
कहानी की गति काफी तेज है, जिससे पाठक कहीं भी बोर महसूस नहीं करता। विलेन जैसे अजर-पंजर और चटोरी बेहद अलग और याद रखने लायक हैं। प्रचंडा की शक्तियों का प्रदर्शन बहुत प्रभावशाली ढंग से किया गया है।

नकारात्मक:
कहानी में हिंसा का स्तर, खासकर इंसानों का अर्क निकालने जैसे दृश्य, बच्चों के लिए थोड़ा ज्यादा डरावना हो सकता है।
तर्क की कमी भी महसूस होती है। वैज्ञानिक नजरिए से देखें तो इंसानों का अर्क पीकर ताकत आना थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन चूँकि यह एक फैंटेसी कॉमिक्स है, इसलिए इसे नज़रअंदाज़ किया जा सकता है।

निष्कर्ष

“चटोरी” राज कॉमिक्स की एक मनोरंजक और एक्शन से भरपूर कहानी है, जो प्रचंडा के प्रशंसकों के लिए किसी दावत से कम नहीं है। इसमें जादू है, राक्षस हैं, वीरता है और हल्का-सा हास्य भी मौजूद है। अजर-पंजर और चटोरी की जोड़ी इस कॉमिक्स को और भी खास बना देती है।

अगर आपको 90 के दशक की भारतीय कॉमिक्स की सादगी और सीधा-सपाट एक्शन पसंद है, तो यह कॉमिक्स आपको ज़रूर पढ़नी चाहिए। यह उस दौर की याद दिलाती है जब कहानियाँ सीधी होती थीं—हीरो आता था, विलेन को पीटता था और आखिर में सब ठीक हो जाता था।

रेटिंग: 3.5/5
(मनोरंजक खलनायक और शानदार एक्शन के लिए)

पंच तत्वों की शक्ति और सीधा-सपाट हीरो बनाम विलेन एक्शन देखने को मिलता है प्रचंडा की चटोरी राज कॉमिक्स उन 90 के दशक की क्लासिक भारतीय कॉमिक्स में से एक है जहाँ पौराणिक फैंटेसी राक्षसी क्रूरता
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