शीर्षक: निशाचर प्रकाशन: राज कॉमिक्स कथा: जॉली सिन्हा चित्र: अनुपम सिन्हा विधा: सुपरहीरो, हॉरर, एक्शन, क्रॉसओवर
परिचय: अंधकार और आस्था के मध्य एक महागाथा
‘निशाचर’ सिर्फ एक कॉमिक्स नहीं है, बल्कि एक ऐसा ज़बरदस्त किस्सा है जो अच्छाई और बुराई के हमेशा से चले आ रहे टकराव को एक नए और गहरे अंदाज़ में सामने लाता है। जॉली सिन्हा की लिखी हुई यह कहानी और अनुपम सिन्हा की बनाई हुई शानदार तस्वीरें मिलकर इसे ऐसा अनुभव बना देती हैं, जो पढ़ने वालों के दिमाग और दिल दोनों पर गहरी छाप छोड़ती है।
‘निशाचर’ एक मल्टी-स्टारर कॉमिक्स है, जिसमें राज कॉमिक्स के दो सबसे बड़े और सोच में बिल्कुल अलग खड़े नायक — सुपर कमांडो ध्रुव और डोगा — आमने-सामने आते हैं। यही चीज़ इस कॉमिक्स को और भी खास और यादगार बना देती है।
इस कहानी में एक बड़ा सवाल उठता है — क्या बुराई को खत्म करने के लिए अपनाई गई हिंसा और बेरहमी खुद एक नई और बड़ी बुराई को जन्म दे सकती है? क्या हमारे कर्मों का असर सिर्फ इस भौतिक दुनिया तक सीमित रहता है या फिर उसका असर आत्मा, आध्यात्मिकता और अनदेखी ताक़तों तक भी पहुंचता है? ‘निशाचर’ इन्हीं मुश्किल सवालों को जोड़कर तैयार की गई एक ऐसी दास्तान है, जिसे पढ़कर लंबे समय तक भुलाया नहीं जा सकता।
कथानक: जब हिंसा ने किया एक दैत्य का आह्वान
‘निशाचर’ की कहानी ऊपर-ऊपर से भले ही एक सुपरहीरो बनाम राक्षस की लड़ाई लगे, लेकिन इसकी जड़ें कहीं ज्यादा गहरी हैं। किस्सा शुरू होता है मुंबई की अंधेरी गलियों से, जो डोगा का असली मैदान है। यहां एक सामाजिक कार्यकर्ता डेविड, माफिया डॉन ‘छोटे हाजी’ की हफ्ता-वसूली के आतंक के खिलाफ खड़ा होता है। लेकिन सच्चाई के लिए आवाज उठाने की कीमत उसे अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है। छोटे हाजी के लोग उसे बेरहमी से मार डालते हैं।
माफिया का डर इतना है कि कोई भी डेविड का अंतिम संस्कार करने की हिम्मत नहीं करता। आखिरकार, उसके कुछ दोस्त और रिश्तेदार बड़ी हिम्मत जुटाकर बांद्रा के एक पुराने कब्रिस्तान में उसे दफनाने पहुंचते हैं। लेकिन वहां भी छोटे हाजी के गुंडे उनका पीछा करते हुए पहुंच जाते हैं और उन बेचारों को भी जिंदा दफनाने की तैयारी करने लगते हैं।

तभी एंट्री होती है मुंबई के सबसे खौफनाक रखवाले डोगा की। डोगा अपने जाने-पहचाने अंदाज में उन गुंडों पर टूफ़ान की तरह टूट पड़ता है। वह उन्हें सिर्फ हराता नहीं, बल्कि अपनी बेरहमी का पूरा नमूना पेश करता है—हड्डियां तोड़ता है, चीखें निकलवाता है और आखिर में उन्हें गर्दन तक जमीन में गाड़ देता है। डोगा का साफ मानना है कि अपराध और अपराधियों पर रहम दिखाना सबसे बड़ा गुनाह है।
लेकिन उसे यह अंदाज़ा नहीं होता कि उसकी यह हिंसा उसी कब्रिस्तान की मिट्टी में दबी एक पुरानी और खतरनाक ताक़त को जगा रही है। डोगा के हाथों फैली नफरत, दर्द और खून-खराबे की ऊर्जा उस धरती में समाने लगती है। और यही नकारात्मकता धीरे-धीरे एक बीज को जन्म देती है, जो जल्द ही भयानक दानव ‘निशाचर’ के रूप में सामने आने वाला है।
जैसे-जैसे मुंबई में डोगा अपने अंदाज़ में ‘न्याय’ करता जाता है, उसी के साथ कब्रिस्तान में निशाचर की ताकत भी बढ़ती चली जाती है। और उस हिंसा की शक्ति से निशाचर कब्र फाड़ कर बाहर आ जाता है
डोगा, जो अब तक सिर्फ अपराधियों और गैंगस्टर्स से लड़ता आया था, पहली बार किसी ऐसी ताकत से टकराता है जो इंसानी शरीर, बंदूक या मसल्स से कहीं आगे की चीज़ है। निशाचर की शक्ति का आधार भौतिक नहीं, बल्कि पूरी तरह आध्यात्मिक है — वह नफरत और नकारात्मकता से ऊर्जा खींचता है।

यानी डोगा जितना ज्यादा गुस्से और हिंसा का इस्तेमाल करता है, निशाचर उतना ही और ताकतवर होता चला जाता है।
कहानी का दूसरा सिरा हमें ले जाता है राजनगर, जहां सुपर कमांडो ध्रुव की एंट्री होती है। ध्रुव की मुलाकात होती है विशेषज्ञ दयायोगी से। दयायोगी उसे एक पुराने पत्थर पर लिखे गए ‘सत्यकवच’ के बारे में बताते हैं।
दयायोगी समझाते हैं कि यह किस्सा करीब साढ़े तीन सौ साल पुराना है। उस समय हालात ऐसे थे कि दुनिया में धर्म पर अधर्म हावी होने लगा था। इंसानों के अंदर की बुरी प्रवृत्तियां—यानी असुरी गुण—उनकी अच्छाई और दैवीय ताक़तों को दबाने लगी थीं। बढ़ती नफरत, हिंसा और पाप ने मिलकर ‘निशाचर’ के जन्म की बुनियाद रख दी थी।
दयायोगी आगे बताते हैं कि निशाचर कोई इंसान या कोई साधारण राक्षस नहीं है। बल्कि वह तो पूरी दुनिया की नफरत, पाप और हिंसा की जमा हुई ऊर्जा से पैदा हुई एक डरावनी शक्ति है। उस जमाने के सिद्ध महायोगियों ने इस खतरे को बहुत पहले ही भांप लिया था। उन्होंने परलोक के साधुओं से संपर्क करके, निशाचर के जन्म से पहले ही उसे रोकने की तैयारी शुरू कर दी थी।
जब निशाचर का खौफ़ मुंबई से निकलकर पूरे देश में फैलने लगता है, तब ध्रुव इस रहस्य को सुलझाने के लिए निकल पड़ता है। उसकी खोजबीन आखिरकार उसे डोगा तक पहुंचाती है। और यहीं होता है राज कॉमिक्स के दो सबसे बड़े नायकों का आमना-सामना—पहले टकराव और फिर एकजुट होकर लड़ाई।
ध्रुव, अपनी वैज्ञानिक सोच और शांत दिमाग की वजह से जल्दी ही समझ जाता है कि निशाचर को सिर्फ शारीरिक ताक़त से नहीं हराया जा सकता। उसे रोकने के लिए उसके असली स्रोत—यानी घृणा और हिंसा—को खत्म करना होगा।
कहानी के क्लाइमेक्स में ध्रुव और डोगा के साथ-साथ शक्ति और नागराज जैसे दूसरे नायक भी इस जंग में उतरते हैं। सभी मिलकर सिर्फ निशाचर से ही नहीं, बल्कि उस सोच और नफरत से भी लड़ते हैं, जो उसे जन्म देती है।
चरित्र-चित्रण: दो नायकों का वैचारिक टकराव
‘निशाचर’ की सबसे बड़ी ताक़त इसके किरदारों में है, खासकर डोगा और ध्रुव में।
डोगा: इस कहानी का अनकहा हीरो और खलनायक, दोनों ही डोगा है। वह अन्याय के खिलाफ लड़ता है, लेकिन उसके तरीके इतने क्रूर हैं कि कभी-कभी ये खुद ही अन्याय की परिभाषा को छूने लगते हैं। कॉमिक्स दिखाती है कि डोगा का ‘इंस्टेंट जस्टिस’ मॉडल अपराधियों में डर जरूर पैदा करता है, लेकिन समाज में नकारात्मकता भी फैलाता है। निशाचर का जन्म डोगा की इसी क्रूर कार्यप्रणाली का अप्रत्यक्ष परिणाम है। यह किरदार हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या लक्ष्य पाने के लिए साधन सही ठहराए जा सकते हैं?
सुपर कमांडो ध्रुव: ध्रुव कहानी में संतुलन और बुद्धिमानी का प्रतीक है। वह डोगा के विपरीत हिंसा को आख़िरी उपाय मानता है। उसकी ताक़त उसकी सोच, रणनीति और सकारात्मक नजरिए में है। वह जानता है कि निशाचर सिर्फ एक राक्षस नहीं, बल्कि मानवता के भीतर पनप रही बुराई का रूप है। ध्रुव हमें यह संदेश देता है कि असली जीत हथियारों से नहीं, बल्कि दिलों में पनपती नफरत को खत्म करने से मिलती है।

निशाचर: निशाचर कोई साधारण राक्षस नहीं है, बल्कि एक विचार है। उसका कोई अतीत या व्यक्तिगत मकसद नहीं है। वह बस घृणा, क्रोध और हिंसा का साकार रूप है। जितना वह डरावना लगता है, उतना ही उसका अस्तित्व दार्शनिक भी है। वह यह दिखाता है कि जब इंसानियत अपने मूल्यों से दूर हो जाती है, तो वह खुद अपने विनाश के लिए राक्षसों को जन्म देती है।
कला और चित्रांकन: अनुपम सिन्हा का जादू
अगर जॉली सिन्हा की कहानी ‘निशाचर’ की आत्मा है, तो अनुपम सिन्हा का चित्रांकन उसका शरीर है। अनुपम सिन्हा भारत के बेहतरीन कॉमिक्स कलाकारों में से एक हैं, और ‘निशाचर’ उनके करियर के टॉप कामों में से एक है।
‘निशाचर’ में एक्शन सीक्वेंस किसी हॉलीवुड ब्लॉकबस्टर से कम नहीं हैं। डोगा की क्रूरता और निशाचर के आतंक भरे दृश्य हर पैनल में गति और ऊर्जा से भरे हुए हैं। अनुपम सिन्हा ने पात्रों की शारीरिक भाषा और भावनाओं को बारीकी से दिखाया है। निशाचर का डिज़ाइन भी बेहद डरावना है—एक विशालकाय दैत्य, चमगादड़ जैसे पंखों के साथ, जिसकी आंखें सिर्फ अंधकार ही दिखाती हैं और जो पाठक के मन में सिहरन पैदा कर देती हैं।
इसके साथ ही, डोगा का मस्कुलर और ध्रुव का एथलेटिक शरीर उनके व्यक्तित्व को पूरी तरह उभारता है। सिन्हा सिर्फ चित्र नहीं बनाते, बल्कि माहौल भी गढ़ते हैं। मुंबई के कब्रिस्तान और निशाचर के हमले जैसे दृश्य एक गहरा, अंधेरा और गॉथिक एहसास देते हैं। इन दृश्यों में सुनील पाण्डेय के रंगों का इस्तेमाल—खासकर अंधेरे और रोशनी के बीच का खेल—कहानी के मूड को बनाने में अहम भूमिका निभाता है।
विषय और संदेश: हिंसा के दर्शन पर एक नजर
‘निशाचर’ अपने समय से बहुत आगे की कॉमिक्स है। यह सिर्फ मनोरंजन नहीं करती, बल्कि पाठक को सोचने पर भी मजबूर करती है।
‘निशाचर’ कई गहरे मुद्दों को सामने लाती है। इसका मुख्य संदेश यह है कि हिंसा का चक्र हमेशा और ज्यादा हिंसा को जन्म देता है। डोगा की क्रूरता ने निशाचर को जन्म दिया, और उसे हराने के लिए भी और हिंसा करनी पड़ी। यह एक ऐसा दुष्चक्र है जिसे तोड़ना आसान नहीं है।
कहानी में आस्था और सकारात्मकता की ताक़त को भी दिखाया गया है। अंत में नायक यह समझते हैं कि निशाचर को केवल सकारात्मक ऊर्जा, उम्मीद और विश्वास से ही कमजोर किया जा सकता है। यह भारतीय दर्शन में ‘धर्म’ और ‘अधर्म’ की लड़ाई का एक आधुनिक रूप है।
साथ ही, कहानी सामाजिक संदेश भी देती है। मुंबई के माफिया राज और सिस्टम की विफलता डोगा जैसे हिंसक नायकों और निशाचर जैसे राक्षसों के लिए उपजाऊ माहौल तैयार करती है।
निष्कर्ष: एक कालातीत क्लासिक
‘निशाचर’ राज कॉमिक्स के इतिहास में एक मील का पत्थर है। यह एक ऐसी कॉमिक्स है जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी अपने समय में थी। कहानी, कला, एक्शन और दर्शन का इसमें एकदम सही संतुलन है।
यह सिर्फ सुपरहीरो की कहानी नहीं है, बल्कि हमारे समाज और हमारी खुद की अंतरात्मा का आईना है। यह हमें याद दिलाती है कि असली राक्षस बाहर नहीं, बल्कि हमारे अंदर पनप रही घृणा, गुस्सा और असहिष्णुता में छुपे हैं।
जॉली सिन्हा और अनुपम सिन्हा की यह जोड़ी एक ऐसी कृति पेश करती है जिसे हर कॉमिक्स प्रेमी को जरूर पढ़ना चाहिए। अगर आप भारतीय कॉमिक्स की गहराई और क्षमता को समझना चाहते हैं, तो ‘निशाचर’ आपके लिए एक बेहतरीन शुरुआत है। यह कहानी गहरी, सोचने वाली और असरदार है, और साबित करती है कि कॉमिक्स सिर्फ बच्चों के लिए नहीं, बल्कि गंभीर और परिपक्व विषयों को भी बहुत प्रभावी ढंग से पेश कर सकता है।