प्रकाशन: राज कॉमिक्स सीरीज़: योद्धा अंक संख्या: 477 संपादक: मनीष गुप्ता लेखक: टीकाराम सिप्पी
“आक्रमण” राज कॉमिक्स की ‘योद्धा’ सीरीज़ का एक बहुत ही अहम और रोमांचक अंक है। ये कॉमिक्स हमें एक ऐसे हीरो से मिलवाती है जो बहुत पुराने समय से निकलकर भविष्य में आ पहुँचा है। लेकिन ये सिर्फ एक सुपरहीरो की कहानी नहीं है — ये समय, किस्मत और बदले की एक ज़बरदस्त कहानी है, जिसे बहुत दिलचस्प अंदाज़ में दिखाया गया है। टीकाराम सिप्पी की लिखाई और राज कॉमिक्स की अनोखी आर्ट स्टाइल इस कॉमिक्स को यादगार बना देती है। ये उस दौर की कॉमिक्स है जब कल्पना की कोई हद नहीं थी और हर पन्ना एक नया रोमांच लेकर आता था।
कहानी: जब अतीत ने भविष्य पर किया हमला
कहानी की शुरुआत किसी ब्लॉकबस्टर फिल्म जैसे सीन से होती है। आधुनिक शहर राजन नगर की व्यस्त सड़कों पर अचानक एक बड़ा बर्फीला गोला आसमान से गिरता है और सारा ट्रैफिक जाम हो जाता है। लोग हैरान हैं — आखिर ये हुआ क्या?
रहस्य तब और गहराता है जब वो बर्फ का गोला टाइम बम की तरह फटता है और उसमें से निकलती है एक बेहद खूबसूरत और रहस्यमयी औरत — लोहांगी। उसे न तो ये पता है कि वो कहाँ है, न ही उसे ‘ट्रैफिक’ जैसे आम शब्द की समझ है। इस सीन से ही पाठकों का दिल उत्सुकता से भर जाता है।
लोहांगी अपने तंत्र-बल से एक उड़नखटोला बुलाती है और निकल पड़ती है ‘योद्धा’ को ढूँढने।

लोहांगी के जाते ही शहर में हंगामा मच जाता है। बलवा नाम का एक बाइक गैंग पूरे शहर में आतंक फैलाने लगता है। वे लोगों पर हमला करते हैं, तोड़फोड़ करते हैं और मौत का तांडव मचा देते हैं। ये सीन कहानी में हमारे नायक के शानदार एंट्री की तैयारी करता है।
और तभी, मंच पर आता है हमारा हीरो — योद्धा।
योद्धा की एंट्री बेहद दमदार है। वो किसी प्राचीन योद्धा की तरह दिखता है — लंबे बाल, ताकतवर शरीर, और चेहरे पर आत्मविश्वास। वो आधुनिक हथियारों से लैस बलवा गैंग से सिर्फ अपने पुराने धनुष-बाण और अपनी रहस्यमयी ढाल ‘ढकमानधन’ के सहारे भिड़ जाता है। जब गैंग का सरगना डांगा अपनी स्टेनगन से उस पर गोलियाँ बरसाता है, तो योद्धा अपनी ढाल पर उन्हें ऐसे रोक लेता है जैसे वो फूल हों। ये सीन दिखाता है कि योद्धा में कितनी जबरदस्त ताकत है।
कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब एक और महिला किरदार शांबरी की एंट्री होती है — जो खुद एक शक्तिशाली योद्धा है। जब योद्धा और शांबरी एक-दूसरे को पहचानते हैं, तो पता चलता है कि दोनों का अतीत एक ही है। यहीं से कहानी फ्लैशबैक में चली जाती है, जहाँ शांबरी अपनी कहानी बताती है — कैसे एक महाप्रलय के बाद वो बेहोश हो गई थी और एक तपस्वी भभूतदेव ने उसे बचाया था।

फ्लैशबैक में ही हमें योद्धा के असली नाम का पता चलता है — तपराज। उसके भाई का नाम था तपोबलि। किसी ने तपोबलि की हत्या कर दी थी, और भभूतदेव ने तपराज को बताया कि उसे अपने भाई के कातिल से बदला लेने के लिए पाँच हज़ार साल भविष्य में जाना होगा। ये हिस्सा कहानी में भावनात्मक गहराई लाता है और योद्धा के मकसद को मजबूत करता है।
वर्तमान में लौटकर, योद्धा और शांबरी मिलकर बलवा गैंग को खत्म करते हैं। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती — पता चलता है कि बलवा गैंग तो बस एक मोहरा था। इसके पीछे कोई बड़ा षड्यंत्र है।
अंत में कहानी एक रोमांचक मोड़ पर पहुँचती है, जहाँ योद्धा और शांबरी का सामना एक धातु के बने रहस्यमयी प्राणी से होता है और भभूतदेव एक नया राज़ खोलते हैं। यही सस्पेंस पाठकों को अगले अंक का बेसब्री से इंतज़ार कराता है।
चरित्र: पुराने ज़माने का हीरो और नए दौर के विलेन
योद्धा (तपराज): योद्धा एक क्लासिक हीरो है — ताकतवर, ईमानदार और बहादुर। वो पुराने ज़माने का योद्धा है जो आधुनिक दुनिया में आ फँसा है, लेकिन उसके संस्कार और नैतिकता वही हैं। उसका असली मकसद है अपने भाई की मौत का बदला लेना। वो बंदूकों और बमों से नहीं डरता, अपनी शारीरिक ताकत और युद्धकला से हर मुश्किल का सामना करता है।
शांबरी और लोहांगी: इस कॉमिक्स की महिलाएँ सिर्फ दिखावे के लिए नहीं हैं। लोहांगी की रहस्यमयी एंट्री ही कहानी की शुरुआत करती है, जबकि शांबरी योद्धा की बराबरी की पार्टनर बनकर लड़ती है। वो किसी भी हाल में ‘अबला’ नहीं लगती — बल्कि उतनी ही मजबूत और समझदार है जितना योद्धा।

खलनायक: इस कॉमिक्स के खलनायक — खासकर डांगा और उसका बलवा गैंग — थोड़े पारंपरिक हैं। वे क्रूर हैं, हिंसक हैं, लेकिन बहुत गहरे नहीं। हालांकि कहानी के अंत में एक और बड़े, रहस्यमयी विलेन की झलक मिलती है जो आने वाले अंकों में असली खतरा बनकर सामने आएगा।
कला और प्रस्तुति: राज कॉमिक्स की पहचान
“आक्रमण” की आर्ट स्टाइल राज कॉमिक्स के 90 के दशक की पहचान है। एक्शन सीन बेहद जीवंत लगते हैं — हर पैनल में गति और ऊर्जा है। रंग चमकदार हैं और एक्शन के साथ मेल खाते हैं।
हिंदी के ध्वनि प्रभाव जैसे ‘धमाक’, ‘कड़ाक’, ‘तड़-तड़’ कॉमिक्स को और मज़ेदार बनाते हैं। किरदारों के चेहरे के भाव और उनके मूवमेंट को बहुत अच्छे से दिखाया गया है।
निष्कर्ष: एक रोमांचक और यादगार सफर
कुल मिलाकर, “आक्रमण” एक जबरदस्त कॉमिक्स है — जिसमें एक्शन, रहस्य, और फैंटेसी का शानदार मिश्रण है। कहानी तेज़ है, हर पन्ने पर कुछ नया है। ये दिखाती है कि कैसे एक सीधी-सादी कहानी को बढ़िया लिखावट और आर्ट से बेहतरीन बनाया जा सकता है।
ये कॉमिक्स पुराने राज कॉमिक्स के चाहने वालों के लिए यादों का सफर है, और नए पाठकों के लिए भारतीय कॉमिक्स की दुनिया में कदम रखने का एक शानदार मौका।
“आक्रमण” में वो सब कुछ है जो एक अच्छी कॉमिक्स में होना चाहिए — दमदार हीरो, रहस्य, एक्शन और कल्पना की उड़ान। ये सच में भारतीय कॉमिक्स की रचनात्मकता का शानदार उदाहरण है।
