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    क्या अंगारा की ‘आज़ादी की जंग’ सिर्फ एक कॉमिक्स है या आज़ादी का असली संदेश? | कॉमिक्स समीक्षा

    तुलसी कॉमिक्स का अनोखा हीरो अंगारा और उसकी कालजयी कहानी "आज़ादी की जंग" – जहाँ मनोरंजन के साथ मिला गहरा संदेश
    ComicsBioBy ComicsBio8 September 202508 Mins Read
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    तुलसी कॉमिक्स के सुपरहीरो अंगारा और उनकी यादगार कॉमिक्स "आज़ादी की जंग" का कवर पेज
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    भारतीय कॉमिक्स का सुनहरा दौर, जो 80 और 90 के दशक में अपने चरम पर था, वो समय था जब बच्चों और किशोरों की कल्पना कॉमिक्स के नायकों और उनकी कहानियों के साथ उड़ान भरती थी। राज कॉमिक्स के नागराज और ध्रुव हों या डायमंड कॉमिक्स के चाचा चौधरी और बिल्लू – हर कॉमिक्स ने अपनी पहचान बनाई। इसी दौरान तुलसी कॉमिक्स ने भी अपना खास नाम कमाया। तुलसी कॉमिक्स का सबसे अलग और यादगार किरदार था अंगारा। अंगारा सिर्फ एक सुपरहीरो नहीं था, बल्कि वो प्रकृति और जानवरों के हक की आवाज़ था।

    आज हम तुलसी कॉमिक्स की अंगारा की एक खास कहानी “आज़ादी की जंग“ पर बात करेंगे। ये कॉमिक्स न सिर्फ रोमांच से भरी है, बल्कि अपने समय से आगे की सोच और गहरा संदेश भी देती है। परशुराम शर्मा की दमदार लिखाई और प्रदीप साठे की शानदार ड्रॉइंग्स ने मिलकर इसे एक यादगार कॉमिक्स बना दिया।

    कथासार: आज़ादी की रोमांचक यात्रा

    “आज़ादी की जंग” की शुरुआत वहीं से होती है, जहाँ अंगारा ने अमेरिकी सेना को हराकर अपने द्वीप को आज़ाद कराया था। कहानी की शुरुआत से ही साफ हो जाता है कि अंगारा का मकसद बड़ा है – वो अपनी धरती को ऐसा ठिकाना बनाना चाहता है जहाँ पूरी दुनिया के जानवर सुरक्षित रह सकें। उसका मानना है कि जंगलों से जानवर गायब होते जा रहे हैं और इंसान ही उनके सबसे बड़े दुश्मन बन गए हैं।

    इस सपने को सच करने के लिए अंगारा अपने विशाल और समझदार गरुड़ पक्षी जटायु को मिशन पर भेजता है। मिशन – पूरी दुनिया घूमकर ऐसी जगह ढूँढना जहाँ हर तरह के जानवर एक साथ रहते हों, ताकि उन्हें अंगारा द्वीप पर लाकर बसाया जा सके।

    जटायु अपने मालिक का आदेश मानकर यात्रा पर निकल पड़ता है। कई दिनों की खोज के बाद वो एक घने जंगल में पहुँचता है। प्यास लगने पर वो एक झील पर उतरता है। लेकिन किस्मत ने कुछ और ही सोच रखा था। उसी जंगल में दो शिकारी – हैरी और टिमटांग – मौजूद थे। जैसे ही उनकी नज़र इस अनोखे पक्षी पर पड़ती है, उनके मन में लालच आ जाता है। उन्हें पता था कि ऐसा पक्षी उन्हें करोड़पति बना सकता है।

    शिकारी चाल चलते हैं और झील के पानी में बेहोश करने वाला पाउडर मिला देते हैं। जटायु अनजाने में वो पानी पी लेता है और थोड़ी ही देर में चकराकर गिर जाता है। शिकारी अपने मंसूबे में कामयाब हो जाते हैं और भीलों की मदद से जटायु को बाँधकर अपने अड्डे पर ले जाते हैं। हैरी दुनिया भर के चिड़ियाघरों के मालिकों को बुलाकर इस पक्षी की नीलामी करता है। नीलामी में न्यू जर्सी का एक अमेरिकी चिड़ियाघर मालिक सबसे ऊँची बोली लगाकर जटायु को खरीद लेता है।

    जटायु को पिंजरे में बंद कर न्यू जर्सी ले जाया जाता है। वहाँ पहुँचकर जटायु देखता है कि यहाँ तो हर तरह के जानवर मौजूद हैं – शेर, बाघ, हाथी, जिराफ, ज़ेबरा और न जाने कितने। उसे अंगारा का मिशन याद आता है, लेकिन विडंबना ये है कि अब वो खुद कैदी बन चुका है।

    अब जटायु का मकसद था – खुद को और बाकी जानवरों को आज़ाद कराना। वो हाथी से मदद माँगता है, लेकिन हाथी का हौसला टूट चुका था। रिंगमास्टर के बिजली वाले कोड़े ने उसकी आत्मा तक कुचल दी थी। वो जटायु को चुप रहने की सलाह देता है।

    निराश होकर जटायु की नज़र एक चिम्पैंज़ी पर पड़ती है, जो चालाक और समझदार लगता था। जटायु उसे अपनी योजना बताता है और अंगारा की रियासत के बारे में कहता है। वो चिम्पैंज़ी, जिसे बाद में मिस्टर डॉन कहा जाता है, मदद करने के लिए तैयार हो जाता है – लेकिन शर्त रखता है कि अंगारा उसे “राष्ट्रपति” बनाएगा। मजबूरी में जटायु मान जाता है।

    मिस्टर डॉन अपनी चालाकी दिखाता है। वो रिंगमास्टर के कमरे से चाबियाँ चुराकर जटायु का पिंजरा खोल देता है। जैसे ही जटायु आज़ाद होता है, अलार्म बज उठता है और गार्ड दौड़ते हैं। लेकिन जटायु मिस्टर डॉन को अपनी पीठ पर बिठाकर उड़ जाता है। लंबी उड़ान के बाद दोनों अंगारा द्वीप सुरक्षित पहुँच जाते हैं।

    अंगारा अपने वफादार साथी को देखकर बहुत खुश होता है और मिस्टर डॉन को वादे के अनुसार “जानवर रियासत” का पहला राष्ट्रपति बना देता है। अब अगला और सबसे बड़ा मिशन तैयार होता है – न्यू जर्सी जाकर बाकी सभी जानवरों को कैद से आज़ाद कराना। यहाँ पर कहानी एक मजेदार मोड़ पर खत्म होती है और पाठकों को अगले अंक “अंगारा ही अंगारा“ का बेसब्री से इंतज़ार रहता है।

    इस कॉमिक्स की कामयाबी का बड़ा कारण इसके मज़बूत और दिलचस्प किरदार हैं:

    अंगारा – ये कहानी का दिल और आत्मा है। अंगारा वैसे सुपरहीरो नहीं है जो सिर्फ इंसानों को बचाए, उसका असली मकसद है जानवरों को इंसानों के ज़ुल्म से आज़ाद कराना। उसमें ताकत और दया का बेहतरीन मेल है। गैंडे की खाल, लोमड़ी की अक्ल, हाथी की ताकत और शेर का दिल – ये सब गुण उसे अजेय योद्धा बना देते हैं। लेकिन उसकी सबसे बड़ी ताकत है उसका पक्का इरादा और जानवरों के लिए उसका गहरा प्यार। अंगारा असली लीडर है, जो दोस्ती और वफादारी की अहमियत समझता है।

    जटायु – जटायु सिर्फ सवारी नहीं है, बल्कि अंगारा का सबसे भरोसेमंद और समझदार साथी है। कहानी का बीच का हिस्सा पूरी तरह उसी पर टिका है। उसकी कैद, उसका संघर्ष और उसकी चतुराई ही कहानी को आगे बढ़ाती है। जटायु अपने मालिक के लिए पूरी तरह समर्पित है और मिशन को पूरा करने के लिए जान की बाज़ी लगा देता है।

    मिस्टर डॉन (वानर) – ये किरदार कहानी में हंसी और चालाकी का तड़का लगाता है। उसका “राष्ट्रपति” बनने का सपना जहाँ मज़ाकिया लगता है, वहीं ये गहरी सोच भी दिखाता है कि जानवर भी इज्ज़त और नेतृत्व की चाह रखते हैं। उसकी चालाकी और चाबियाँ चुराने की योजना उसे कहानी का अहम हिस्सा बना देती है।

    खलनायक – यहाँ खलनायक दो तरह के दिखाए गए हैं। पहले हैं हैरी और टिमटांग, जो लालच में अंधे इंसानों का चेहरा हैं, जो सिर्फ अपने फायदे के लिए जानवरों को पकड़ते और बेचते हैं। दूसरा है चिड़ियाघर का रिंगमास्टर, जो इंसानों की संगठित क्रूरता का प्रतीक है। उसका बिजली वाला कोड़ा इंसानी हुकूमत और जानवरों पर किए जा रहे ज़ुल्म की डरावनी निशानी है। ये खलनायक कहानी के असली टकराव को सामने लाते हैं – प्रकृति बनाम लालच, और आज़ादी बनाम कैद।

    कला और चित्रांकन

    प्रदीप साठे की ड्रॉइंग्स इस कॉमिक्स की दुनिया को ज़िंदा कर देती हैं। उनके बनाए चित्र सीधे-साधे हैं लेकिन असरदार हैं। किरदारों के हाव-भाव – जैसे जानवरों की आँखों में दर्द, जटायु का गर्व, मिस्टर डॉन की शरारत और अंगारा का आत्मविश्वास – बहुत साफ झलकते हैं। एक्शन सीन में रफ्तार और ताकत है। रंगों का इस्तेमाल कहानी के मूड के हिसाब से किया गया है – जंगल के सीन हरे-भरे और शांत हैं, जबकि कैद और लड़ाई वाले सीन गहरे और तनाव भरे रंगों से बने हैं। पैनलों की सजावट सीधी और पढ़ने में आसान है, जिससे कहानी का फ्लो बरकरार रहता है। कुल मिलाकर, आर्टवर्क कहानी को पूरा सपोर्ट करता है और पाठक को अंगारा की दुनिया में खींच ले जाता है।

    कहानी और उसका गहरा संदेश

    परशुराम शर्मा की लिखी ये सीधी-सरल एडवेंचर स्टोरी असल में एक गहरा और सोचने पर मजबूर करने वाला संदेश देती है। “आज़ादी की जंग” सिर्फ जानवरों को पिंजरे से छुड़ाने की कहानी नहीं है, बल्कि ये हर जीव के आज़ाद होने के हक की कहानी है। इस कॉमिक्स में कई अहम सवाल खड़े किए गए हैं:

    • पशु अधिकार – क्या इंसानों को सच में हक है कि वो अपने मज़े या फायदे के लिए जानवरों को कैद करें? अंगारा का किरदार इस सोच को खुली चुनौती देता है।
    • पर्यावरण संरक्षण – कहानी साफ-साफ दिखाती है कि जंगल जानवरों से खाली होते जा रहे हैं। ये वनों की कटाई और अवैध शिकार जैसी असली समस्याओं की ओर इशारा है, जो आज और भी खतरनाक हो चुकी हैं।
    • इंसान-पशु रिश्ता – कॉमिक्स ये भी बताती है कि इंसान और जानवर दोस्त हो सकते हैं। अंगारा अपने सैनिकों से कहता है कि “कोई जानवर किसी इंसान का दुश्मन नहीं होता” – यही इस कहानी का असली दर्शन है।

    ये मैसेज 90 के दशक में लिखा गया था, लेकिन आज भी उतना ही सही है। आज भी चिड़ियाघरों की सही-गलत पर बहस होती है और जानवरों पर ज़ुल्म रोकने के लिए सख्त कानून बनाए जा रहे हैं। इस नज़रिए से देखा जाए तो ये कॉमिक्स अपने टाइम से बहुत आगे थी।

    निष्कर्ष

    “आज़ादी की जंग” तुलसी कॉमिक्स की एक शानदार मिसाल है, जहाँ मज़ेदार मनोरंजन और गहरा संदेश दोनों का सही बैलेंस है। ये कहानी पाठकों को एक रोमांचक सफर पर ले जाती है और साथ ही उन्हें प्रकृति और जानवरों का सम्मान करने के लिए प्रेरित भी करती है। अंगारा हमें सिखाता है कि असली बहादुरी सिर्फ ताकत में नहीं, बल्कि उन बेआवाज़ों के लिए लड़ने में है जिनकी कोई आवाज़ नहीं है।

    ये कॉमिक्स न सिर्फ उन लोगों के लिए यादगार है जिन्होंने इसे बचपन में पढ़ा, बल्कि नई पीढ़ी के पाठकों के लिए भी एक ज़रूरी और असरदार कहानी है। ये हमें याद दिलाती है कि कॉमिक्स सिर्फ कल्पना की उड़ान नहीं होतीं, बल्कि हमें दुनिया को बेहतर और दयालु नज़रिए से देखने के लिए भी प्रेरित कर सकती हैं। सच में, “आज़ादी की जंग” आज़ादी के संघर्ष की एक कालातीत दास्तान है।

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