Close Menu
  • Home
  • Comics
  • Featured
  • Hindi Comics World
  • Trending
  • Blog
  • Spotlight
  • International

Subscribe to Updates

Get the latest creative news from Comics Bio about art, design and business.

What's Hot

बैटमैन हू लाफ़्स — वो मुस्कान जो डर से भी ज़्यादा खतरनाक है

9 November 2025

Batman Who Laughs — A Smile That Is More Dangerous Than Fear

9 November 2025

विध्वंस (Vidhvans) Comics Review: व्यवस्था बनाम अराजकता | राज कॉमिक्स का महागाथा क्रॉसओवर

9 November 2025
Facebook X (Twitter) Instagram
Facebook X (Twitter) Instagram
comicsbio.comcomicsbio.com
Subscribe
  • Home
  • Comics
  • Featured
  • Hindi Comics World
  • Trending
  • Blog
  • Spotlight
  • International
comicsbio.comcomicsbio.com
Home » बांकेलाल – करवाचौथ: हँसी, चालाकी और बदकिस्मती से सजा राज कॉमिक्स का देसी त्योहार स्पेशल!
Don't Miss Updated:26 October 2025

बांकेलाल – करवाचौथ: हँसी, चालाकी और बदकिस्मती से सजा राज कॉमिक्स का देसी त्योहार स्पेशल!

जब बांकेलाल की शरारतें मिलीं करवाचौथ के व्रत से — एक घरेलू लेकिन बेहद मजेदार कॉमिक्स जिसने हास्य और परंपरा को जोड़ा अनोखे अंदाज़ में।
ComicsBioBy ComicsBio26 October 2025Updated:26 October 202507 Mins Read
Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr WhatsApp Reddit Email
बांकेलाल करवाचौथ कॉमिक्स समीक्षा | Raj Comics Classic by Tarun Kumar Wahi & Bedi
“करवाचौथ” में बांकेलाल की चालों का जलवा — जब त्योहार बना कॉमिक्स का कॉमेडी फेस्टिवल!
Share
Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

राज कॉमिक्स की दुनिया में जहाँ एक तरफ सुपरहीरोज़ अपने अदम्य साहस और अलौकिक शक्तियों से दुनिया बचाने में लगे रहते हैं, वहीं दूसरी तरफ एक ऐसा किरदार भी है जिसने बिना किसी शक्ति के ही सबका दिल जीत लिया — बांकेलाल।
बांकेलाल अपनी चालाकी, मूर्खता और सबसे बढ़कर अपने जबरदस्त बदकिस्मती के दम पर एक ऐसा नाम बन गया है, जो आज भी कॉमिक्स फैंस के चेहरे पर मुस्कान ले आता है। उसकी हर कहानी का फॉर्मूला लगभग एक जैसा होता है — वो अपने राजा विक्रम सिंह को हटाने या मारने की कोई बड़ी योजना बनाता है, लेकिन उसका हर प्लान उल्टा पड़ जाता है, और अंत में राजा का कुछ न कुछ भला ही हो जाता है।

साल 1996 में प्रकाशित और लेखक तरुण कुमार वाही द्वारा लिखी तथा कलाकार बेदी द्वारा चित्रित कॉमिक्स “करवाचौथ” इसी सिलसिले की एक शानदार कड़ी है। इस बार कहानी में बांकेलाल का हास्य एक नए, घरेलू और पूरी तरह देसी माहौल में नजर आता है। कहानी भारतीय संस्कृति के मशहूर त्योहार ‘करवाचौथ’ के इर्द-गिर्द बुनी गई है, जो अपने आप में काफी अनोखा प्रयोग था।
यह सिर्फ एक और कॉमिक्स नहीं है, बल्कि एक शानदार उदाहरण है कि कैसे एक पुराने फॉर्मूले को भारतीय त्योहार और संस्कारों के साथ जोड़कर एक मजेदार और यादगार कहानी बनाई जा सकती है।

कथनी और करनी का अनोखा मेल

कॉमिक्स का नाम “करवाचौथ” ही अपने आप में मजेदार व्यंग्य है। एक तरफ ये त्योहार, जहाँ पत्नी अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है, वहीं दूसरी तरफ हमारा बांकेलाल है — जो उसी पति, यानी राजा विक्रम सिंह की मौत के सपने देखता है!
लेखक तरुण कुमार वाही ने इसी विरोधाभास को कहानी की रीढ़ बना दिया है।

कहानी की शुरुआत होती है त्योहार की रस्म ‘सरगी‘ से। महारानी स्वर्णलता अपने “मोटे” (हाँ, यही शब्द वो प्यार से सोचती हैं, भले कहती कुछ और हों) पति राजा विक्रम सिंह के लिए व्रत की तैयारी कर रही हैं।
यहीं लेखक ने बहुत बढ़िया तरीके से किरदारों को जिंदा कर दिया है। राजा विक्रम सिंह, जो अपनी सादगी और पेटूपन के लिए जाने जाते हैं, प्रेम दिखाने के नाम पर रानी को ठूँस-ठूँसकर खिलाना शुरू कर देते हैं — ये सोचकर कि “दिन भर भूखी रहेगी तो अभी ही पेट भर ले।”
ये सीन सिर्फ हँसी नहीं लाता, बल्कि आगे आने वाले बांकेलाल के प्लान्स के लिए एक मजेदार जमीन तैयार करता है।

लेखक ने बहुत चालाकी से करवाचौथ के हर पहलू को कहानी में पिरो दिया है।
उदाहरण के तौर पर — सरगी का वक्त निकल जाना बांकेलाल के लिए मौका बन जाता है। वो चाहता है कि महारानी का व्रत टूट जाए ताकि राजा पर कोई मुसीबत आ पड़े।

इसी तरह करवाचौथ के दिन महल के सारे शादीशुदा कर्मचारी छुट्टी पर चले जाते हैं, और इसका नतीजा होता है एक जोरदार Situational Comedy — जहाँ खुद राजा विक्रम सिंह को झाड़ू उठाकर सफाई करनी पड़ती है!
ये नज़ारा बांकेलाल की खुशी से ज़्यादा पाठकों के लिए हँसी का बड़ा कारण बन जाता है।

चरित्र–चित्रण: मूर्खता, चालाकी और नए मेहमान

“करवाचौथ” की सफलता का सबसे बड़ा कारण इसके ज़िंदा और मजेदार किरदार हैं।

बांकेलाल: कहानी की पूरी डोर उसी के हाथ में है। उसकी कुटिल बुद्धि, चालें और दिमाग़ी बातें (internal monologues) ही कहानी को आगे बढ़ाती हैं। हर मौके पर वो राजा विक्रम सिंह की बर्बादी का रास्ता ढूंढता है। जब महारानी ज़्यादा खाने से बीमार पड़ जाती हैं, तो बांकेलाल उसे भी अपनी जीत समझ लेता है!
इस कॉमिक्स में उसका किरदार अपने सर्वश्रेष्ठ रूप में दिखता है — एक तरफ वो महल की अंदरूनी राजनीति में फंसा है और दूसरी तरफ जंगल में आने वाले एक अनजाने खतरे से भी जूझता है।

महाराज विक्रम सिंह: महाराज की सबसे बड़ी ताकत ही उनकी कमजोरी है — उनकी मूर्खता और भोलापन। वो ऐसे आदर्श “शिकार” हैं, जो अपनी हरकतों से खुद ही बांकेलाल का काम आसान (कभी-कभी और मुश्किल) बना देते हैं।
उनका अपनी रानी के “नए सालों” के साथ बर्ताव और बाद में झाड़ू लगाने की मजबूरी — इन्हीं चीजों ने उन्हें एक यादगार और प्यारा किरदार बना दिया है।

महारानी स्वर्णलता: वो कहानी में सिर्फ़ एक दर्शक नहीं हैं। एक तरफ वो पतिव्रता पत्नी हैं, जो अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं, और दूसरी तरफ एक रानी हैं, जिनमें खुद का स्वाभिमान भी है। जब महाराज उनके भाइयों का मज़ाक उड़ाते हैं, तो वो बिना झिझक उन्हें फटकार लगा देती हैं।

सात साले (The Seven Brothers-in-Law): ये तो इस कॉमिक्स का सरप्राइज पैकेज हैं! जब कहानी महल की दीवारों के अंदर थोड़ा धीमी पड़ने लगती है, तभी इन सात नए किरदारों की एंट्री होती है — और माहौल फिर से धमाकेदार हो जाता है।
इनका परिचय ही हँसी से भरपूर है। महारानी के पिता, राजा चंदनसिंह का वो मजेदार पत्र, जिसमें वो अपने बुढ़ापे और अकेलेपन की बात करते हैं और फिर बताते हैं कि उन्होंने सात बच्चों की माँ भानुमति से शादी कर ली है — ये हिस्सा लेखक की कल्पनाशक्ति का शानदार नमूना है। वो पत्र अपने आप में एक छोटी कॉमेडी कहानी लगता है।
जब ये सातों साले अपने साथ एक गधे समेत महल में आते हैं, तो पूरा माहौल उलट-पुलट हो जाता है। इनकी हरकतें कहानी में नई जान डाल देती हैं और बांकेलाल की असली योजना को पूरी तरह गड़बड़ा देती हैं।

लेखन–शैली और संवाद: हास्य के कई रंग

तरुण कुमार वाही का लेखन इस कॉमिक्स की जान है। उन्होंने संवाद इतने मजेदार और सटीक रखे हैं कि लगभग हर पैनल में एक बढ़िया पंचलाइन मिलती है।
जैसे महारानी का अपने पति को “हे मेरे मोटे…” कहना, या युवराज का अपने पिता को उन फलों की लंबी लिस्ट सुनाना जो उन्होंने उसे ज़बरदस्ती खिलाए — ये छोटी-छोटी बातें हर किरदार को ज़िंदा और पहचानने योग्य बना देती हैं।

कहानी की रफ्तार (pacing) भी बेहतरीन है। वाही ने बड़ी आसानी से महल की घरेलू कॉमेडी को जंगल के फैंटेसी एडवेंचर से जोड़ दिया है।
जब महारानी भूख से बेहोश हो जाती हैं और बांकेलाल को जंगल से जड़ी-बूटी लाने भेजा जाता है, तब कहानी एक नया मोड़ लेती है — जो ज़बरदस्ती नहीं लगता बल्कि कहानी का स्वाभाविक हिस्सा बन जाता है।

इस कॉमिक्स में बांकेलाल सीरीज़ का मशहूर फॉर्मूला “कर बुरा, हो भला” पूरे दम से मौजूद है।
बांकेलाल का हर दांव, हर चाल, आखिर में राजा विक्रम सिंह के भले में बदल जाती है।
कहानी का अंत इस फॉर्मूले का एक क्लासिक उदाहरण है — जो पाठकों को हँसी और संतोष, दोनों का स्वाद एक साथ देता है।

चित्रांकन: बोलती तस्वीरें

कलाकार बेदी ने इस कॉमिक्स के माहौल को एकदम सही पकड़ा है। 90 के दशक की राज कॉमिक्स की पहचान वाली स्टाइल यहाँ अपने पूरे शबाब पर है।
हर किरदार के चेहरे के हावभाव (expressions) इस कहानी की ताकत हैं — बांकेलाल की कुटिल मुस्कान, विक्रम सिंह की उलझन, महारानी की चिंता और सातों सालों की शरारती शक्लें — सब कुछ इतना जीवंत है कि आप खुद को उसी दुनिया में महसूस करते हैं।

पैनलिंग (Panel layout) सरल है लेकिन असरदार। खासकर जब एक्शन सीन आते हैं — जैसे जंगल का भाग या बाद में महल पर हमला — वहाँ गति और तनाव बनाए रखने में बेदी ने कमाल किया है।
दैत्य ‘कालजयी’ का डिजाइन उस समय के हिसाब से काफी डरावना और प्रभावशाली लगता है।
चित्र और संवादों के बीच संतुलन बहुत अच्छा है, जिससे कहानी कभी भारी या बोरिंग नहीं लगती।

निष्कर्ष: एक संपूर्ण पारिवारिक मनोरंजन

“बांकेलाल – करवाचौथ” सिर्फ एक कॉमिक्स नहीं, बल्कि पूरे परिवार के लिए हँसी से भरपूर मनोरंजन का पैकेज है।
यह दिखाता है कि भारतीय त्योहारों और हमारी संस्कृति को कैसे हल्के-फुल्के हास्य के साथ कहानी में पिरोया जा सकता है।
यह कॉमिक्स बांकेलाल के किरदार की हर खासियत को सामने लाती है — उसकी चालाकी, बदकिस्मती और अनजाने में नायक बन जाने वाली उसकी किस्मत।

आज भी यह कहानी उतनी ही ताज़ा और मजेदार लगती है जितनी अपने रिलीज़ के वक्त थी।
अगर आप बिना किसी गहराई या हिंसा के साफ–सुथरा हास्य और शानदार कहानी ढूंढ रहे हैं, तो यह कॉमिक्स एकदम “मस्ट-रीड” है।
यह बांकेलाल सीरीज़ की उन बेहतरीन कहानियों में से एक है, जो साबित करती है कि एक अच्छा आइडिया और सही प्रस्तुति किसी कहानी को सचमुच कालजयी बना सकते हैं।

90s Raj Comics nostalgia Bankelal Karva Chauth Funny Story Bedi Artwork Raj Comics Classic Indian Comics Humor Festival Themed Comics India Raj Comics Bankelal Review Tarun Kumar Wahi Best Writing
Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
ComicsBio
  • Website

Related Posts

बैटमैन हू लाफ़्स — वो मुस्कान जो डर से भी ज़्यादा खतरनाक है

9 November 2025 Editor's Picks Updated:9 November 2025

विध्वंस (Vidhvans) Comics Review: व्यवस्था बनाम अराजकता | राज कॉमिक्स का महागाथा क्रॉसओवर

9 November 2025 Don't Miss Updated:9 November 2025

कौन बड़ा जल्लाद? डोगा और भेड़िया की टक्कर जिसने Raj Comics की दुनिया हिला दी!

9 November 2025 Hindi Comics World Updated:9 November 2025
Add A Comment

Leave A Reply Cancel Reply

Top Posts

Deadliest Female Villains in Raj Comics: A Clash with Nagraj

11 September 2024

Kali Mirch Chacha: Master Marksman and Doga’s Mentor in Black Paper Art

11 September 2024

Interesting Ways to Read Free Online Comics

2 September 2025

Supernatural Wonders Unleashed: Parmanu vs. Buddhhipalat Showdown!

11 September 2024
Don't Miss

बैटमैन हू लाफ़्स — वो मुस्कान जो डर से भी ज़्यादा खतरनाक है

By ComicsBio9 November 2025

बैटमैन हू लाफ़्स ने एक बार फिर दिखा दिया कि वो कितना डरावना और खतरनाक…

Batman Who Laughs — A Smile That Is More Dangerous Than Fear

9 November 2025

विध्वंस (Vidhvans) Comics Review: व्यवस्था बनाम अराजकता | राज कॉमिक्स का महागाथा क्रॉसओवर

9 November 2025

Demolition (Vidhvans) Comics Review: Raj Comics’ Epic Order vs. Chaos

9 November 2025
Stay In Touch
  • Facebook
  • Twitter
  • Instagram

Subscribe to Updates

Get the latest creative news from Comics Bio about art & design.

About Us
About Us

Welcome to ComicsBio, your one-stop shop for a colorful universe of cartoons, movies, anime, and feature articles!

Email Us: info@comicsbio.com

Our Picks

बैटमैन हू लाफ़्स — वो मुस्कान जो डर से भी ज़्यादा खतरनाक है

9 November 2025

Batman Who Laughs — A Smile That Is More Dangerous Than Fear

9 November 2025

विध्वंस (Vidhvans) Comics Review: व्यवस्था बनाम अराजकता | राज कॉमिक्स का महागाथा क्रॉसओवर

9 November 2025
Most Popular

Deadliest Female Villains in Raj Comics: A Clash with Nagraj

11 September 2024

Kali Mirch Chacha: Master Marksman and Doga’s Mentor in Black Paper Art

11 September 2024

Interesting Ways to Read Free Online Comics

2 September 2025
comicsbio.com
Facebook X (Twitter) Instagram
  • About Us
  • Terms
  • Privacy Policy
  • Contact Us
  • FAQ
© 2025 comicsbio

Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.