भारतीय कॉमिक्स के सुनहरे दौर में, मनोज कॉमिक्स ने पाठकों को कई यादगार सुपरहीरो दिए। इनमें से एक खास और बहुत लोकप्रिय चरित्र था – इन्द्र। इन्द्र कोई आम इंसान नहीं था, बल्कि वह एक हाई-टेक से बना ‘रोबोट मानव’ (Android) था। उसकी कहानियों की खासियत यह थी कि इसमें विज्ञान (Science) और फंतासी (Fantasy) का बढ़िया मिश्रण मिलता है। “इन्द्र और स्नेक किंग” इसी श्रृंखला की एक बेहतरीन कड़ी है, जिसमें विज्ञान के चमत्कारों का मुकाबला काली शक्तियों और अजीब खलनायकों से होता है। यह कॉमिक सिर्फ एक्शन से भरपूर नहीं है, बल्कि इसमें खलनायकों की एक ऐसी टोली दिखाई गई है जो 90 के दशक की ‘पल्प फिक्शन’ शैली की याद दिलाती है।
कथानक (Story Analysis)
कहानी की शुरुआत ही धमाकेदार होती है। शहर के बाहरी इलाके में, समुद्र तट के पास एक पेट्रोल पंप पर एक साधारण सा दिखने वाला आदमी पेट्रोल भर रहा होता है। तभी अचानक वहाँ मौत का काफिला पहुँच जाता है। हेलिकॉप्टर और टैंकों से लैस अज्ञात हमलावर हमला कर देते हैं। लेकिन पेट्रोल पंप पर मौजूद वह आदमी कोई आम इंसान नहीं है, बल्कि इन्द्र है। जैसे ही खतरा पास आता है, वह अपने असली ‘धातु रूप’ (Metal Form) में आ जाता है।

शुरुआती पन्नों में ही इन्द्र की ताकत का प्रदर्शन देखने को मिलता है। जब दुश्मन टैंक से गोला दागते हैं, तो इन्द्र उसे झेल लेता है। वह अपनी आँखों से लेज़र किरणें (जैसे फ्रीज़ रेज़) छोड़कर टैंकों और हेलिकॉप्टरों को जाम कर देता है। बाद में पता चलता है कि यह हमला असली नहीं था, बल्कि भारत के गृहमंत्री ने इन्द्र की शक्तियों की परीक्षा लेने के लिए किया था, जिसे इन्द्र ने सफलतापूर्वक पार कर लिया। इसके बाद इन्द्र, गृहमंत्री और एक वैज्ञानिक समुद्र के नीचे बने अपनी हाई-टेक प्रयोगशाला (High-tech Lab) में जाते हैं, जो इन्द्र का मुख्यालय भी है।
कहानी का सबसे मजेदार हिस्सा तब आता है जब दृश्य बदलता है और हम दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी संगठन के मुख्यालय में पहुँचते हैं। यहाँ का मुखिया है – डेथ किंग। डेथ किंग ने दुनिया के अजीब और खतरनाक अपराधियों को एक छत के नीचे जमा किया है। लेखकों ने इन खलनायकों के नाम और रूप बनाने में अपनी पूरी क्रिएटिविटी झोंक दी है। कुछ प्रमुख नाम हैं:
तान्ना-माता: एक तांत्रिक महिला।
मिस्टर हब्बा-गब्बा: जानवरों की खाल का तस्कर।
मिस्टर जालिम खान: दुबई का गोल्ड किंग।
मिस्टर ख़ुजरा: अफ्रीकी माफिया।
डॉ. शेंगो: जर्मन वैज्ञानिक (आधा इंसान-आधा मशीन)।
स्नेक किंग: इस कहानी का मुख्य खलनायक।
डेथ किंग बताता है कि उनका पिछला अड्डा इन्द्र ने तबाह कर दिया था, और अब इन्द्र उनका सबसे बड़ा दुश्मन है। बदला लेने के लिए ‘स्नेक किंग’ आगे आता है। वह कहता है कि उसके पास तंत्र और विज्ञान का ऐसा मिश्रण है जिससे वह इन्द्र को हरा देगा।
स्नेक किंग अपनी योजना को अंजाम देने के लिए ‘ब्रेन फॉल्स’ पिकनिक स्पॉट जा रही एक स्कूली बस को निशाना बनाता है। वह अपने साँपों की मदद से बस को हाईजैक कर लेता है। यहाँ हमें स्नेक किंग की फौज, यानी ‘स्नेक ग्रुप’ देखने को मिलती है, जिन्होंने साँपों जैसी प्रिंट वाली ड्रेस पहनी है (जो आज के समय में थोड़ी मजेदार लग सकती है, लेकिन उस वक्त काफी डरावनी थी)।

स्नेक किंग पूरे शहर को चेतावनी देता है कि अगर इन्द्र आधे घंटे में उसके सामने नहीं आया, तो वह बच्चों को ‘पोटेशियम सायनाइड’ के इंजेक्शन से मार देगा।
चेतावनी मिलते ही इन्द्र हरकत में आता है। वह उड़ता हुआ बस के पास पहुँचता है। स्नेक ग्रुप उस पर एसिड (तेजाब) की गोलियां फेंकता है, लेकिन इन्द्र के मेटल शरीर पर इसका कोई असर नहीं होता। वह अपनी फ्रीज़ किरणों से साँपों को जमाकर बच्चों को सुरक्षित बचा लेता है।
यहाँ एक छोटा लेकिन अहम सब-प्लॉट है। भीड़ में इन्द्र को एक महिला ‘शालिनी’ दिखती है, जो विधवा के वेश में है। इन्द्र हैरान होता है क्योंकि शालिनी उसकी पुरानी परिचित (शायद प्रेमिका या दोस्त) है। वह सोचता है कि उसने विधवा का कपड़ा क्यों पहन रखा है? (यह रहस्य अगली कॉमिक में खुलता है)।
असल लड़ाई तब शुरू होती है जब स्नेक किंग अपने उड़ने वाले वाहन में आता है और एक विशालकाय ड्रैगन जैसा जीव ‘बैट स्नेक’ को आज़ाद करता है। बैट स्नेक एक म्यूटेंट जैसा है – उसके पंख हैं और वह आग उगल सकता है। इन्द्र और बैट स्नेक के बीच हवा में जबरदस्त लड़ाई होती है। बैट स्नेक इन्द्र को अपनी पूँछ में जकड़ लेता है और निगलने की कोशिश करता है। इन्द्र अपनी समझदारी का इस्तेमाल करके बैट स्नेक के पेट से निकलकर उसे मार देता है। विशाल राक्षस अंत में सिर्फ एक सामान्य मरे हुए साँप में बदल जाता है।
अंतिम परिणाम:
अपने सबसे बड़े हथियार (बैट स्नेक) के मारे जाने के बाद, स्नेक किंग खुद इन्द्र से लड़ने आता है। वह तलवारबाज़ की तरह हमला करता है और फिर बहु-मुखी (Hydra) साँप का रूप ले लेता है। लेकिन इन्द्र की लोहे की मुक्कों के सामने वह टिक नहीं पाता। इन्द्र उसे बुरी तरह हराता है और अंत में स्नेक किंग हार मान लेता है।
जैसे ही इन्द्र उससे उसके मालिक ‘डेथ किंग’ का पता पूछने वाला होता है, डेथ किंग अपनी लैब से एक बटन दबाता है। स्नेक किंग के शरीर में लगाया गया बम फट जाता है और उसके टुकड़े उड़ जाते हैं। डेथ किंग अपने रहस्य को हमेशा के लिए अपने पास रखता है। कहानी के अंत में, डेथ किंग की सभा में मौजूद डॉ. शेंगो चुनौती स्वीकार करता है कि अगली बार वह इन्द्र को खत्म करेगा।
पात्र समीक्षा (Character Analysis)

इन्द्र (Indra):
इन्द्र एक क्लासिक रोबोट हीरो है। वह भावनाहीन नहीं है, लेकिन उसके सोचने और काम करने का तरीका मशीन जैसा सटीक है। पूरा शरीर धातु का है, वह उड़ सकता है, आँखों से लेज़र निकाल सकता है और किसी भी हथियार का सामना कर सकता है। इस कॉमिक में इन्द्र ‘वन मैन आर्मी’ की तरह दिखाया गया है। टैंकों से लड़ना हो या विशाल राक्षस को हराना, इन्द्र अजेय लगता है। शालिनी को देखकर उसका विचलित होना दिखाता है कि उसके अंदर अब भी मानवीय संवेदनाएँ जीवित हैं।
स्नेक किंग (Snake King):
स्नेक किंग मनोज कॉमिक्स का एक खास विलेन है। उसकी वेशभूषा, जिसमें सींग वाला हेलमेट और केप है, उसे नाटकीय रूप देती है। वह सिर्फ ताकतवर नहीं, बल्कि चालाक भी है। बच्चों को बंधक बनाना उसकी क्रूरता दिखाता है। उसके पास विज्ञान (फ्लाइंग कार, एसिड गन) और जादू (बैट स्नेक, रूप बदलना) दोनों की शक्तियां हैं। हालांकि, वह इन्द्र के सामने शारीरिक रूप से कमजोर पड़ता है।
डेथ किंग (Death King):
डेथ किंग इस पूरी श्रृंखला का मास्टरमाइंड है। वह खुद लड़ाई में नहीं उतरता, बल्कि शतरंज के खिलाड़ी की तरह चालें चलता है। अपने साथी को रिमोट से उड़ा देना दिखाता है कि वह कितना निर्दयी है और असफलता को बिल्कुल नहीं सहता। ऊँचा कॉलर और माथे पर तीसरी आँख जैसा निशान उसे रहस्यमयी बनाता है।
चित्रांकन और कला (Artwork)

कलाकार चव्हाण का काम उस दौर के हिसाब से बहुत बढ़िया है। कॉमिक्स में चटकीले रंगों का इस्तेमाल किया गया है। इन्द्र का शरीर सिल्वर/ग्रे रंग का है, जिससे उसे मेटैलिक लुक मिलता है। विलेन के कॉस्ट्यूम रंग-बिरंगे और अलग हैं। ‘बैट स्नेक’ और इन्द्र की लड़ाई के पैनल्स बहुत डायनामिक हैं। खासकर वह पैनल जहाँ इन्द्र साँप के पेट से बाहर निकलता है, बहुत प्रभावशाली है। डेथ किंग के दरबार में बैठे अलग-अलग देशों के विलेन अलग-अलग वेश में दिखाना कलाकार की मेहनत दिखाता है। टैंक और हेलिकॉप्टर भी अच्छे से बनाए गए हैं।
समीक्षात्मक विश्लेषण (Critical Analysis)
सकारात्मक पक्ष (Pros):
कहानी कहीं रुकती नहीं है। पहले पन्ने से आखिरी पन्ने तक लगातार एक्शन चलता रहता है। लेखक ने सिर्फ एक विलेन पर ध्यान नहीं दिया, बल्कि पूरी ‘एंटी-हीरो टीम’ (Death King’s Syndicate) दिखाई है, जो यह उत्सुकता जगाती है कि अगला विलेन कौन होगा।
रोबोट और लेज़र हो, उड़ने वाले ड्रैगन और तांत्रिक शक्तियाँ हों – यह मिश्रण मनोज कॉमिक्स की खासियत है। शालिनी का विधवा के रूप में दिखना कहानी में भावनात्मक और रहस्यमयी परत जोड़ता है, जिससे पाठक अगली कॉमिक पढ़ने को मजबूर होता है।

नकारात्मक पक्ष (Cons) / विचित्रताएँ:
संवाद पुराने जमाने के और थोड़े फिल्मी लगते हैं (जैसे “रुक जा कमीने!”, “मौत बनकर बरसने आ रहा हूँ”)। स्नेक किंग के गुर्गों की ड्रेस (पीले रंग पर काले धब्बे) थोड़ी अजीब और मजेदार लगती है। इन्द्र बार-बार कहता है कि उसे अपने “गुप्त ठिकाने” को बचाना है, जबकि वह खुद इतना शक्तिशाली है। बैट स्नेक का मरने के बाद छोटे साँप में बदल जाना विज्ञान के परे है, यह सिर्फ जादू था।
निष्कर्ष (Conclusion)
“इन्द्र और स्नेक किंग” 90 के दशक की भारतीय कॉमिक्स का एक बेहतरीन नमूना है। उस समय कॉमिक्स में ‘लॉजिक’ से ज्यादा ‘मैजिक’ और ‘मनोरंजन’ पर जोर था। अगर आप मनोज कॉमिक्स के फैन हैं, तो यह कॉमिक आपके लिए खजाने जैसी है। इसमें सब कुछ है – शक्तिशाली हीरो, डरावने विलेन, हाई-टेक गैजेट्स और राक्षसी जीव।
यह सिर्फ इन्द्र की जीत की कहानी नहीं है, बल्कि एक बड़े युद्ध की शुरुआत है जो इन्द्र और डेथ किंग के बीच होने वाला है। डॉ. शेंगो का अगला टीज़र कहानी को रोमांचक मोड़ पर छोड़ता है।
अंतिम निर्णय: यह एक “मस्ट-रीड” (Must Read) कॉमिक है, खासकर उन लोगों के लिए जो पुरानी हिंदी कॉमिक्स का आनंद लेना चाहते हैं और इन्द्र के मशीनी करिश्मे को देखना चाहते हैं। यह शुद्ध मनोरंजन है, जिसमें ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं, बस पन्ने पलटते जाइए और रोमांच का मज़ा लीजिए।
रेटिंग: 4/5 (नॉस्टल्जिया और एक्शन के लिए)
