नागराज, जो राज कॉमिक्स का सबसे प्रमुख और पहचान वाला किरदार है, अपनी कहानियों के ज़रिए हमेशा पाठकों को रोमांच से भरता रहा है। पेश की गई कॉमिक्स “परकाले” (Parkale) उसी लंबी और जुड़ी हुई श्रृंखला की एक अहम कड़ी है। यह कॉमिक्स नागराज के उन साहसिक कारनामों में से एक है जो यह साबित करती है कि वह सिर्फ किसी एक शहर (महानगर) का रक्षक नहीं है, बल्कि पूरी मानवता और ब्रह्मांडीय ताक़तों के बीच संतुलन बनाए रखने वाला योद्धा भी है।
यह कॉमिक्स ‘विध्वंस’ सीरीज़ का हिस्सा लगती है, जो एक मल्टी-स्टारर क्रॉसओवर कहानी है। इसमें नागराज के साथ-साथ दूसरे सुपरहीरो भी दिखाई देते हैं और एक बहुत बड़े षड्यंत्र की झलक मिलती है। ‘परकाले’ शब्द का अर्थ और कहानी में परत-दर-परत (layers) खुलते रहस्य इस विशेषांक को एक तरह का मनोवैज्ञानिक थ्रिलर भी बना देते हैं।
रचनात्मक टीम और प्रस्तुति
इस कॉमिक्स की शानदार सफलता के पीछे इसकी मज़बूत और अनुभवी रचनात्मक टीम का बड़ा हाथ है। जॉली सिन्हा की लेखनी में सस्पेंस और मानवीय भावनाओं का ऐसा मेल देखने को मिलता है, जो कहानी को गहराई भी देता है और भावनात्मक भी बनाता है। राज कॉमिक्स के ‘गॉडफादर’ कहे जाने वाले अनुपम सिन्हा का चित्रण इस कहानी की असली जान है; उनकी ड्रॉइंग में जो गति और बारीकियाँ (detailing) हैं, वे पाठकों को कहानी के अंदर खींच लेती हैं। किरदारों के चेहरे के भाव हों या एक्शन सीन, सब कुछ बेहद जीवंत महसूस होता है। वहीं मनीष गुप्ता का सटीक संपादन यह सुनिश्चित करता है कि कहानी की रफ्तार शुरू से अंत तक बनी रहे, जिससे पढ़ने का अनुभव लगातार रोमांचक बना रहता है।

कहानी की शुरुआत एक ऐसी घटना से होती है जो न सिर्फ दार्शनिक है, बल्कि समाज को आईना दिखाने का काम भी करती है, और यही घटना आगे चलकर मुख्य खलनायक की योजना की नींव बनती है।
भ्रम और वास्तविकता का खेल
कहानी की शुरुआत महानगर के एक दृश्य से होती है। नागराज, जिसकी मौजूदगी भर से ही अपराधियों के पसीने छूट जाते हैं, एक लूट की घटना को रोकने के लिए मौके पर पहुँचता है। यहाँ एक सूट-बूट पहने व्यक्ति (जो खुद को लुटा हुआ नागरिक बता रहा है) और एक साधारण से दिखने वाले व्यक्ति के बीच झगड़ा चल रहा होता है।
नागराज अपनी पुरानी सोच और पहली नज़र में दिखने वाले सच पर भरोसा करते हुए सूट-बूट वाले व्यक्ति को पीड़ित मान लेता है और साधारण दिखने वाले व्यक्ति को अपराधी समझ बैठता है। लेकिन जैसे ही असलियत सामने आती है, नागराज को अपनी गलती का एहसास हो जाता है। सूट-बूट वाला व्यक्ति ही असल में लुटेरा निकलता है, जो अपनी साफ-सुथरी वेशभूषा का फायदा उठाकर अब तक पुलिस और कानून को धोखा देता आया है।

यह दृश्य सिर्फ एक सामान्य घटना नहीं है, बल्कि पूरी कॉमिक्स की थीम को साफ तौर पर सामने रखता है — “जो दिखता है, वह हमेशा सच नहीं होता।” लुटेरा खुद मानता है कि लोग इंसान को उसकी शक्ल-सूरत से परखते हैं और यहीं सबसे बड़ा धोखा खा जाते हैं। यह पूरा प्रसंग नागराज के चरित्र में विनम्रता जोड़ता है, जब वह अपनी गलती स्वीकार करता है और उस साधारण सब्ज़ी बेचने वाले से माफी माँगता है। यह पल नागराज को किसी देवता की तरह नहीं, बल्कि एक ऐसे नायक के रूप में दिखाता है जो सीखता है और खुद को सुधारता है।
खलनायक ‘सधम’ और पाप–क्षेत्र का षड्यंत्र
कहानी का मुख्य खलनायक सधम है। सधम, जो पापी शक्तियों का प्रतीक माना जाता है, एक बहुत बड़ी और खतरनाक योजना पर काम कर रहा है। उसे ‘पाप क्षेत्र’ (Sin Realm) में कैद कर दिया गया था, लेकिन अब वह धरती पर पाप का राज फैलाने के लिए बेचैन है।

सधम की सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि पाप क्षेत्र और धरती के बीच एक बेहद मजबूत अवरोध (barrier) मौजूद है, जिसे सिर्फ पापी शक्तियों से नहीं तोड़ा जा सकता। यहाँ लेखक राज कॉमिक्स के ‘ब्रह्मांडीय विज्ञान’ (Cosmic Science) की अवधारणा को सामने लाते हैं। सधम बताता है कि पिछली बार यह द्वार तब खुला था, जब अधम (सधम का उलटा रूप) के शरीर में मौजूद पुण्यात्माओं की शक्ति और सधम की पापी शक्तियों के बीच जबरदस्त टकराव हुआ था।
इसी वजह से सधम अब एक ऐसी “महापापी आत्मा” की तलाश में है, जो पुण्यात्माओं से भरे किसी नायक (जैसे नागराज) को टक्कर दे सके, ताकि उस टकराव से पैदा हुई ऊर्जा से वह द्वार फिर से खुल जाए। यह प्लॉट इसलिए दिलचस्प बन जाता है क्योंकि यहाँ लड़ाई सिर्फ ताक़त की नहीं, बल्कि ऊर्जा, संतुलन और विचारधारा की है। सधम की अंतिम योजना ‘त्रिमुंडों’ (Trimunds) को हासिल करने की है, ताकि वह पाप क्षेत्र को हमेशा के लिए आज़ाद कर सके।
स्वर्ण नगरी: प्राचीन विज्ञान का चमत्कार
कहानी का अगला पड़ाव समुद्र की गहराइयों में बसी ‘स्वर्ण नगरी’ है। यह देव जाति के प्राणियों का एक गुप्त और रहस्यमय नगर है, जो प्राचीन विज्ञान और तकनीक का अद्भुत उदाहरण पेश करता है।

सधम अपनी योजना को आगे बढ़ाने के लिए एक बेहद खतरनाक चाल चलता है। वह एक युवती को बेड़ियों में जकड़कर स्वर्ण नगरी की सीमा पर भिजवाता है। स्वर्ण नगरी के प्रहरी और चिकित्साधिकारी इसे कोई संयोग या फिर गहरी साजिश मानकर सतर्क हो जाते हैं, क्योंकि इतनी गहराई में किसी भी मानव का जीवित रह पाना लगभग नामुमकिन है।
यहीं पर कहानी में ‘ट्रोजन हॉर्स’ (Trojan Horse) जैसी रणनीति सामने आती है। वह बेहोश स्त्री असल में सिर्फ एक ज़रिया थी। असली खतरा उन जंजीरों और गोलों में छिपा था, जिनसे वह बंधी हुई थी। जैसे ही उसे नगर के भीतर लाया जाता है, वे जंजीरें एक विचित्र और भयानक प्राणी का रूप ले लेती हैं। सधम का असली उद्देश्य स्वर्ण नगरी की कैद से राक्षस ‘चंडकाल’ को मुक्त कराना होता है।
चंडकाल: एक भूलभुलैया में कैद

चंडकाल को कैद करने का तरीका बहुत ही दिलचस्प और अनोखा दिखाया गया है। उसे सिर्फ शारीरिक रूप से नहीं बांधा गया है, बल्कि उसकी याददाश्त को उससे अलग कर दिया गया है और उसके दिमाग को एक आभासी दुनिया (Virtual Reality) में कैद कर दिया गया है, जहाँ उसे यह भ्रम होता है कि वह देवताओं पर विजय हासिल कर चुका है। यह कल्पना राज कॉमिक्स की दूरदर्शी और भविष्यवादी सोच को साफ तौर पर दर्शाती है। सधम का एजेंट, जो खुद जंजीरों से बना एक प्राणी है, चंडकाल को इसी मानसिक और शारीरिक कैद से आज़ाद कराने आता है।
चित्रांकन और कला पक्ष (Art and Illustration Review)

अनुपम सिन्हा का चित्रांकन इस कॉमिक्स की असली जान है। उन्होंने नागराज की फाइटिंग स्टाइल और उसकी सर्प-रस्सियों के इस्तेमाल को बेहद गतिशील (dynamic) तरीके से दिखाया है। नागराज की खास शारीरिक मुद्राएँ और उसका आत्मविश्वास पाठक को सीधे कहानी के भीतर खींच लेते हैं। समुद्र के नीचे बसी ‘स्वर्ण नगरी’ को चित्रों में उतारना एक बड़ी चुनौती थी, जिसे सिन्हा ने इसकी अनोखी वास्तुकला, निवासियों के विस्तृत कवच और पानी के बुलबुलों जैसे बारीक प्रभावों के ज़रिए शानदार ढंग से पूरा किया है। सुनील पाण्डेय का रंग संयोजन इस दृश्य अनुभव को और प्रभावशाली बना देता है, जहाँ ‘पाप क्षेत्र’ के लिए इस्तेमाल किए गए गहरे लाल रंग और स्वर्ण नगरी के सुनहरे-नीले रंगों का टकराव साफ तौर पर दोनों दुनियाओं का अंतर दिखाता है। अंत में, पात्रों के हाव-भाव—जैसे सधम की आँखों में छलकती चालाकी और नागराज के चेहरे पर दिखाई देने वाली दृढ़ता और अपनी गलती का पश्चाताप—चित्रों के ज़रिए संवादों से भी ज़्यादा असरदार होकर सामने आते हैं।
संवाद और भाषा शैली

इस कॉमिक्स के संवाद सिर्फ कहानी को आगे नहीं बढ़ाते, बल्कि हर पात्र के भीतर छिपे स्वभाव और सोच को भी साफ-साफ सामने लाते हैं। नागराज का आदर्शवाद उसके उन संवादों में झलकता है, जो बार-बार न्याय और आम नागरिकों की सुरक्षा के प्रति उसकी अडिग प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं, जैसे—“तुम्हारे रहते कानून मानने वाले नागरिकों पर कोई मुसीबत नहीं आ सकती”—जो उसकी रक्षक वाली छवि को और मजबूत करता है। इसके उलट, मुख्य खलनायक सधम की चालाकी और क्रूर सोच उसके संवादों में छिपे टेढ़े दर्शन से सामने आती है; उसका यह मानना कि “जो काम एक बार किया जा चुका है, वह दोबारा भी किया जा सकता है”, उसकी कभी हार न मानने वाली और बेहद खतरनाक मानसिकता को उजागर करता है। वहीं गंभीर माहौल के बीच लुटेरे और नागराज के बीच हल्का-सा हास्य और व्यंग्य, खासकर “उल्टा चोर कोतवाल को डांटे” जैसे मुहावरों का सही इस्तेमाल, कहानी में एक मज़ेदार विडंबना जोड़ देता है, जो पाठकों की रुचि अंत तक बनाए रखता है।
‘परकाले’ और ‘विध्वंस’ का संबंध

यह कॉमिक्स किसी भी तरह से एक स्टैंड-अलोन कहानी नहीं है। इसमें बार-बार फुटनोट्स के ज़रिए पाठकों को बताया जाता है कि पूरी कहानी को सही तरह से समझने के लिए ‘विध्वंस’, ‘ग्रैण्ड मास्टर रोबो’, ‘सामरी की ज्वाला’ जैसी कॉमिक्स भी पढ़नी चाहिए। इससे साफ होता है कि ‘परकाले’ एक बड़े और आपस में जुड़े हुए ‘सागा’ (Saga) का हिस्सा है। इस विशेषांक में ‘ओशन 11’ (Ocean 11) का ज़िक्र और पन्नों पर उसका नाम यह इशारा करता है कि यह कहानी 11 महानायकों या खलनायकों के किसी समूह के इर्द-गिर्द घूमती है, जो या तो समुद्र के नीचे किसी मिशन पर हैं या फिर एक-दूसरे के आमने-सामने खड़े हैं। स्वर्ण नगरी में की गई घुसपैठ भी इसी बड़े मिशन का एक अहम हिस्सा है।
आलोचनात्मक मूल्यांकन (Critical Analysis)

सकारात्मक पक्ष (Pros):
यह कॉमिक्स अपनी वैचारिक गहराई और आधुनिक सोच की वजह से एक कालजयी रचना कही जा सकती है। लेखक ने जटिल कथानक के ज़रिए यह साफ कर दिया है कि यह कहानी सिर्फ सीधी-सादी मार-धाड़ तक सीमित नहीं है, बल्कि धीरे-धीरे खुलने वाला एक गहरा और रहस्यमय जाल है। यहाँ सधम का सीधे हमला करने के बजाय छल, चाल और रणनीति का इस्तेमाल करना उसे एक बेहद समझदार और खतरनाक विलेन के रूप में स्थापित करता है। कहानी का सबसे भावनात्मक पहलू इसका नैतिक द्वंद्व है; शुरुआत में नागराज का धोखा खा जाना यह दिखाता है कि एक महानायक भी इंसानी गलतियों से अछूता नहीं होता। यह पाठकों को यह अहम सीख देता है कि बिना पूरी सच्चाई जाने किसी पर फैसला नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही, स्वर्ण नगरी में ‘मेमोरी वाइप’ और ‘वर्चुअल रियलिटी’ जैसी उन्नत तकनीकी कल्पनाओं का प्रयोग, खासकर उस दौर को देखते हुए, जॉली सिन्हा की दूरदर्शी सोच को सामने लाता है और विज्ञान तथा फैंटेसी के बीच एक शानदार संतुलन बनाता है।

नकारात्मक पक्ष (Cons) / सुधार की गुंजाइश:
हालाँकि यह कॉमिक्स एक कालजयी कृति है, लेकिन इसकी कहानी का कंटिन्यूटी (Continuity) पर ज़्यादा निर्भर होना नए पाठकों के लिए थोड़ी मुश्किल पैदा कर सकता है। ‘अधम’ और ‘सधम’ की उत्पत्ति या ‘त्रिमुंड’ जैसी जटिल अवधारणाओं की पहले से जानकारी न होने पर खलनायक के असली उद्देश्य को पूरी तरह समझ पाना आसान नहीं रहता। इसके अलावा, उस समय की राज कॉमिक्स शैली के असर के चलते कुछ पन्नों पर संवाद और एक्शन बहुत ज़्यादा भरे हुए (crowded) लगते हैं, जिससे दृश्य प्रवाह (Visual Flow) कहीं-कहीं टूटता हुआ महसूस होता है। ऐसे में पाठकों को एक ही फ्रेम में बहुत सारी जानकारी समझने में थोड़ी दिक्कत हो सकती है।
निष्कर्ष: क्यों पढ़ें ‘नागराज – परकाले’?
‘नागराज – परकाले’ सिर्फ एक कॉमिक्स नहीं, बल्कि एक पूरा अनुभव है। यह पाठक को महानगर की गलियों से लेकर नरक यानी पाप क्षेत्र की गहराइयों तक और फिर समुद्र के नीचे बसी स्वर्ण नगरी तक की रोमांचक यात्रा पर ले जाती है।
रहस्य और रोमांच के लिए:
अगर आप जानना चाहते हैं कि सधम अभेद्य दीवारों को तोड़ने की योजना कैसे बनाता है और क्या चंडकाल सच में आज़ाद हो पाता है, तो यह कॉमिक्स ज़रूर पढ़नी चाहिए।
नागराज के प्रशंसकों के लिए:
नागराज को सिर्फ शारीरिक ताक़त का इस्तेमाल करते हुए नहीं, बल्कि अपनी समझदारी और कूटनीति से हालात संभालते हुए देखना बेहद संतोषजनक लगता है।
कला प्रेमियों के लिए:
अनुपम सिन्हा की शानदार ड्रॉइंग और उनकी बारीक कलाकारी को नज़दीक से देखने के लिए यह कॉमिक्स एक बेहतरीन संग्रह है।
कुल मिलाकर, “परकाले” राज कॉमिक्स की उस विरासत का प्रतीक है, जिसने हिंदी भाषी इलाकों में विज्ञान कथा (Sci-Fi) और फैंटेसी को घर-घर तक पहुँचाया। यह कहानी हमें सिखाती है कि बुराई चाहे कितनी भी चालाक क्यों न हो, और चाहे वह कितनी ही परतों (परकाले) के पीछे क्यों न छिपी हो, सच और साहस के सामने उसे आखिरकार झुकना ही पड़ता है। साथ ही, यह एक साफ चेतावनी भी देती है—“सतर्कता हटी, दुर्घटना घटी”, फिर चाहे आप एक आम इंसान हों या खुद नागराज।
