“डियर स्टूडेंट्स! ऐसी छोटी-छोटी गलतियाँ करके ही तुम जैसे अपराधी कानून के रखवालों के सामने मात खा जाते हो। और जानते हो ये गलतियाँ क्यों होती हैं? क्राइम एजुकेशन न होने की वजह से। 90 प्रतिशत क्रिमिनल ये नहीं जानते कि कैसे काम करना है और कैसे बचना है। क्राइम की एबीसी भी नहीं जानते। ऐसे ही लोगों को क्राइम का ज्ञान देकर उन्हें सफल अपराधी बनाने के लिए मैंने खोला है ये क्राइम कॉलेज, जिसमें मैं यानी क्राइम कॉलेज का प्रिंसिपल, क्राइम एजुकेशन के लिए आने वाले हर शख्स का स्वागत करता हूँ।”
जाहिर है, आप ये सब सुनकर चौंक गए होंगे, क्योंकि ये लाइन है एक ऐसे अपराधी की जो खुद को प्रिंसिपल कहता है। उसका काम है अपराधियों को ट्रेन करना और इसके लिए उसने क्राइम कॉलेज खोला है।
प्रिंसिपल तेज़ दिमाग़ वाला शख्स है, किंतु अपना दिमाग़ वो अपराध करने में लगाता है। क्राइम कॉलेज कॉमिक्स के शुरुआती पन्नों में ये दिखाया गया है कि अपराधियों को पुलिस से कैसे बचना है और अगर परमाणु आ जाए तो उससे कैसे निपटना है। इसका मतलब साफ है कि उसे परमाणु से भिड़ने का खतरा पता है, किंतु उसे इतना विश्वास है कि वो परमाणु को भी मात दे सकता है। यही उसकी हिम्मत को दर्शाता है।
प्रिंसिपल के विषय में या उसकी जिंदगी के अंदरूनी हिस्से को लेखक ने कभी नहीं छुआ। ये तक नहीं बताया कि वो अपराधी कैसे बना। बस उसे बाकी अपराधियों की ही तरह सुपरहीरो के सामने लड़ने के लिए भेज दिया गया।
हालाँकि, ऐसा नहीं है। परमाणु के ज़्यादातर सुपरविलेन के पिछले जीवन के विषय में थोड़ी-बहुत झलक ज़रूर दी गई है, किंतु प्रिंसिपल के केस में ये पूरी तरह अलग है।
प्रिंसिपल परमाणु कॉमिक्स के बाकी विलेन से अलग है, क्योंकि वो जब भी आया है तो एक बेहतरीन और खूनी योजना के साथ। उसकी एक और खासियत है – वो सिर्फ परमाणु को खत्म ही नहीं करना चाहता, बल्कि पैसा भी कमाना चाहता है। अगर कहें कि पैसा कमाना ही उसका मुख्य मकसद है, और अगर परमाणु मर गया तो डबल जैकपॉट।
शायद यही वजह थी कि पाकिस्तान जिंदाबाद कॉमिक्स में जब पाकिस्तान का आतंकवादी खमीरा खान सुपरविलेन काल पहेलिया, भांजा, मैकेनिक, मास्टर जोकर, एनवायरो, वंडर वुमन तथा प्रिंसिपल को साथ लेकर सभी सुपरहीरो – डोगा, परमाणु, इंस्पेक्टर स्टील, शक्ति, एंथोनी तथा तिरंगा – को बरमूडा ट्रायंगल में कैद कर देता है और हिंदुस्तान को बर्बाद करने की धमकी देता है, तो इन सभी विलेन का खून खौल उठता है और वे मिलकर खमीरा खान को खत्म करने निकल पड़ते हैं। किंतु प्रिंसिपल यहाँ भी पैसों के लिए इन सभी विलेन को खमीरा खान के हाथों कैद करवा देता है।
वो पैसों के लिए अपने देश से गद्दारी करने से भी पीछे नहीं हटता।
यही चीज़ प्रिंसिपल को बाकी विलेन से जुदा करती है। परमाणु के साथ उसकी भिड़ंत के कई कॉमिक्स उसकी चालाकी और क्रूरता को उजागर करते हैं। क्राइम कॉलेज के बारे में तो आप जान ही चुके हैं, अब बाकी कॉमिक्स पर नज़र डालिए।
काला अक्षर भैंस बराबर

दिल्ली शहर में अचानक से सभी निरक्षर यानी अनपढ़ होने लगते हैं। यहाँ तक कि बड़े-बड़े डॉक्टर, बैंक कर्मचारी और एम.ए. पास छात्र भी। और इसकी वजह से होने लगते हैं कई हादसे।
इसका रहस्य जानने निकलता है परमाणु, किंतु वो भी अपने दुश्मन के जाल में फँसकर अनपढ़ बन जाता है। मगर अपने दिमाग़ की मदद से असली दुश्मन को ढूँढ निकालता है – और वो और कोई नहीं बल्कि प्रिंसिपल था।
इस कॉमिक्स से पता चलता है कि पढ़ाई कितनी आवश्यक है। जैसे एक जगह खतरे का बोर्ड न पढ़ पाने के कारण बस चालक सभी को मौत के मुँह में ले जाता है। और एक औरत अपनी सास को दवा की जगह नींद की गोली दे देती है क्योंकि वो दवा का नाम नहीं पढ़ पाई।
ये कॉमिक्स हमें मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञान भी देती है।
लिम्पट बम

प्रिंसिपल लौटा है एक नई और खतरनाक योजना के साथ। इस बार उसका मकसद सिर्फ पैसा लूटना ही नहीं, बल्कि परमाणु को बदनाम करना भी है।
उसके आदेश पर अपराधी दिल्ली में अपराध करते हैं। और जब परमाणु उन्हें पकड़ता है तो उनमें से एक अपराधी उसे संदेश देता है – कहीं प्लेन में, कहीं स्कूल में या रेलवे पुल पर बम लगा है, जो थोड़ी देर में फटने वाला है।
ये सुनकर परमाणु अपराधियों को छोड़कर सैकड़ों ज़िंदगियाँ बचाने चला जाता है। उसके जाते ही अपराधी भाग निकलते हैं और इस तरह परमाणु लोगों की नज़रों में भगोड़ा साबित हो जाता है।
जयकारा परमाणु का

धरती पर कोई भी प्राणी चाहे कितना ही ताकतवर क्यों न हो, भगवान के आगे उसकी ताकत बौनी है। इंसान ने हमेशा ईश्वर की अदृश्य ताकत को माना है और उसकी जय-जयकार की है।
इंसानों का मानना है कि जब भी उन पर संकट आएगा, भगवान धरती पर अवतरित होकर उन्हें बचाएँगे। यही विचार जयकारा परमाणु का कॉमिक्स में दिखाया गया है।
इसमें बताया गया है कि अपराधी धर्म की आड़ लेकर कैसे मासूम इंसानों की भावनाओं से खिलवाड़ करते हैं। और इस बार भी प्रिंसिपल अपनी नई चाल के साथ वापस आया है। उसने लोगों के मन में भ्रम फैला दिया कि परमाणु भगवान का अवतार है।
अब जब भी परमाणु अपराधियों को पकड़ने जाता है तो लोग उसे भगवान समझकर उसके चरणों से लिपट जाते हैं। मजबूरन परमाणु को वहाँ से जाना पड़ता है।
वोट फॉर परमाणु

लगता है प्रिंसिपल ने परमाणु का पीछा न छोड़ने की कसम खा रखी है। हर बार पिटता है, किंतु फिर नए बखेड़े के साथ लौट आता है।
जैसे जयकारा परमाणु का कॉमिक्स में उसने लोगों को परमाणु को भगवान मानने पर मजबूर कर दिया था, वैसे ही इस बार उसने परमाणु को चुनाव लड़ने के जाल में फँसा दिया।
परमाणु पागल है

परमाणु को अचानक अजीबोगरीब चीज़ें दिखने लगती हैं। वो जो भी लोगों की भलाई के लिए करता है, उल्टा हो जाता है। कई बार लाखों लोगों की जान खतरे में पड़ जाती है।
शीना, कृपा और ममता भी उसके इस रवैये को देखकर हैरान हो जाती हैं। जब हालत हद से ज़्यादा बिगड़ जाती है तो अंततः परमाणु को भेज दिया जाता है पागलखाने।
उसे नहीं पता कि इन सबके पीछे अपराध जगत का हेडमास्टर यानी प्रिंसिपल का दिमाग है।
परमाणु रिटर्न

प्रिंसिपल इस बार वंडर डिवाइस की मदद से परमाणु को कोमा में पहुँचा देता है।
वंडर डिवाइस की खासियत है कि वो इंसानों की दबाई हुई इच्छाओं को बाहर निकाल देता है। परमाणु की छुपी इच्छा थी – शीना से शादी करना।
वो पुलिस की नौकरी छोड़कर शीना से शादी कर लेता है, किंतु जल्द ही उसे पता चलता है कि ये सब एक चाल थी।