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Home » राज कॉमिक्स रिव्यू: सुपर कमांडो ध्रुव की “क्विज़ मास्टर” – दिमाग बनाम घमंड की जंग
Hindi Comics World Updated:12 September 2025

राज कॉमिक्स रिव्यू: सुपर कमांडो ध्रुव की “क्विज़ मास्टर” – दिमाग बनाम घमंड की जंग

एक क्लासिक राज कॉमिक्स कहानी, जहाँ सुपर कमांडो ध्रुव अपनी बुद्धि और रणनीति से क्विज़ मास्टर टीटो को मात देता है।
ComicsBioBy ComicsBio12 September 2025Updated:12 September 202508 Mins Read
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सुपर कमांडो ध्रुव: "क्विज़ मास्टर" राज कॉमिक्स समीक्षा | Raj Comics Review
सुपर कमांडो ध्रुव की "क्विज़ मास्टर" – राज कॉमिक्स की सदाबहार क्लासिक जहाँ दिमाग ताकत पर हावी होता है।
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भारतीय कॉमिक्स की दुनिया राज कॉमिक्स में सुपर कमांडो ध्रुव एक ऐसे नायक के रूप में उभरा जिसने अपनी अलौकिक शक्तियों के बजाय अपनी बुद्धि, वैज्ञानिक ज्ञान, शारीरिक कौशल और अदम्य इच्छाशक्ति से पाठकों के दिलों में एक खास जगह बनाई। ध्रुव की कहानियों का मुख्य आकर्षण हमेशा से ही उसकी जटिल पहेलियों को सुलझाने की क्षमता और अपराधियों को उनके ही जाल में फँसाने की रणनीति रही है। इसी परंपरा को आगे बढ़ाती एक शानदार कहानी है “क्विज़ मास्टर”। जॉली सिन्हा द्वारा लिखित और भारतीय कॉमिक्स के दिग्गज कलाकार अनुपम सिन्हा द्वारा चित्रित यह कॉमिक्स सुपर कमांडो ध्रुव के सर्वोत्तम कारनामों में से एक मानी जाती है। यह कहानी सिर्फ़ एक एक्शन से भरपूर मनोरंजक कथा नहीं, बल्कि बुद्धि और अहंकार के बीच के द्वंद्व का एक मनोवैज्ञानिक चित्रण भी है।

कथानक: जब शहर बना एक पहेली

कहानी की शुरुआत होती है आज के समाज की एक कड़वी सच्चाई से – पैसा, इज्जत और शोहरत पाने की अंधी दौड़। इस दौड़ में कोई अपराधी बनता है, कोई भ्रष्ट नेता और कोई… क्विज़ मास्टर!

कहानी का सेंटर पॉइंट है राजनगर के दो बड़े नामों का अपहरण – टीवी शो “क्विज़ आवर” के मशहूर होस्ट ब्रायन डिसूजा और उसके डायरेक्टर के. महेंद्र। ये काम किसी आम बदमाश ने नहीं किया, बल्कि एक ऐसे शख्स ने किया जो खुद को कहता है – ग्रैंड क्विज़ मास्टर टीटो।

अब टीटो की कहानी भी कम फिल्मी नहीं है। असल में वह रेडियो के ज़माने का क्विज़ मास्टर था। लेकिन टेक्नोलॉजी और टीआरपी की रेस में उसे दूध में से मक्खी की तरह निकालकर बाहर कर दिया गया। अपमान और गुमनामी ने उसके भीतर इतना गुस्सा भर दिया कि उसने अपनी मौत की झूठी खबर फैलाई और वापसी की तैयारी शुरू कर दी। उसका मकसद सिर्फ फिरौती लेना नहीं था, बल्कि यह साबित करना था कि “असली क्विज़ मास्टर वही है, और उसके दिमाग के आगे कोई नहीं टिक सकता।”

यहीं पर एंट्री होती है हमारे हीरो – सुपर कमांडो ध्रुव की।
टीटो पुलिस और ध्रुव को पहली पहेली देता है –
“लंगूर का इक्कीसवां घर जहाँ मिले मोती भर-भर।”

पुलिस के अफसर इस पहेली को मोती नगर, मोती बाग जैसी जगहों से जोड़कर भटकते रहते हैं। लेकिन ध्रुव अपनी अलग सोच दिखाता है – “लंगूर = बंदर = बंदरगाह” और “मोती भर-भर = पर्ल (Pearl)”। इस तरह वह सीधा पहुँच जाता है पर्ल हार्बर के पुराने गोदाम तक। यही वह सीन है जहाँ ध्रुव की असली ताकत – लॉजिकल और क्रिएटिव थिंकिंग – सामने आती है।

गोदाम में उसे टीटो की पहली जानलेवा पहेली मिलती है – बंधकों को एक खिलौना ट्रेन से कुचलने का खेल। ध्रुव अपनी फुर्ती और दिमाग से उन्हें बचा लेता है, लेकिन ओवरकॉन्फिडेंट टीटो वहां से बच निकलता है और ध्रुव को चेतावनी देता है – “खेल अभी शुरू हुआ है।”

इसके बाद टीटो खेल को और बड़ा और पब्लिक बना देता है। वह राजनगर का सबसे बड़ा इलेक्ट्रॉनिक बिलबोर्ड हैक कर लेता है और उस पर एक विशाल क्रॉसवर्ड पज़ल दिखाता है। साथ ही घोषणा करता है कि जो भी इसे हल करेगा, उसे मिलेगा 10 लाख का इनाम। पर असली मकसद इनाम नहीं था, बल्कि शहर में अफरा-तफरी और ट्रैफिक जाम फैलाना था, ताकि वह अपनी असली प्लानिंग पूरी कर सके।

ध्रुव और उसकी कमांडो टीम रेणु और करीम – पज़ल पर काम शुरू करते हैं। क्लूज़ सॉल्व करने के बाद उन्हें पता चलता है कि टीटो का निशाना है राजनगर का सेंट्रल बैंक। वह ट्रैफिक जाम की आड़ में बैंक लूटकर पुराने सीवर सिस्टम से भागने की तैयारी कर चुका है।

कहानी का क्लाइमेक्स पहुँचता है काली पहाड़ी की गुफाओं तक। यही टीटो का अड्डा है, जहाँ उसने घातक जाल बिछाए हैं – पहेलियाँ, ट्रैप्स और एक जबरदस्त इलेक्ट्रोमैग्नेटिक केज। ध्रुव को यहाँ दिमाग और जान – दोनों की बाज़ी लगानी पड़ती है। वह अपने साइंटिफिक नॉलेज और गैजेट्स (स्टार ब्लेड, रस्सी वगैरह) की मदद से सारे ट्रैप पार करता है। यहाँ तक कि टीटो के होलोग्राम वाले धोखे को भी वह बेकार कर देता है।

अंत में आता है हाई-वोल्टेज बोट चेज़ सीन। टीटो भागने की कोशिश करता है, लेकिन ध्रुव यहाँ भी उसे मात दे देता है।
कहानी का अंत इस मैसेज के साथ होता है – टीटो की हार सिर्फ एक अपराधी की हार नहीं, बल्कि उसके अहंकार की हार है।

चरित्र-चित्रण: दिमाग बनाम घमंड

सुपर कमांडो ध्रुव
इस कॉमिक्स में ध्रुव अपने टॉप फॉर्म में है। उसकी सबसे बड़ी ताकत उसके मसल्स नहीं, बल्कि उसका दिमाग है। वह हर सिचुएशन का ठंडे दिमाग से एनालिसिस करता है और हर पहेली के पीछे छिपे लॉजिक को पकड़ लेता है। “पर्ल हार्बर” वाली पहेली सुलझाना इसका सबसे शानदार उदाहरण है। ध्रुव का नेचर शांत और संयमित है, और वह हमेशा एक कदम आगे सोचता है। हाँ, वह शारीरिक रूप से भी काफी ताकतवर है, लेकिन अपनी ताकत का इस्तेमाल तभी करता है जब दिमागी रास्ते काम न आएँ। उसके किरदार से यही मैसेज मिलता है कि असली हथियार दिमाग और तर्क हैं, ताकत नहीं।

क्विज़ मास्टर (टीटो)
टीटो राज कॉमिक्स के सबसे यादगार विलेन में से एक है। वह पागलों की तरह मारकाट करने वाला अपराधी नहीं है, बल्कि एक टैलेंटेड लेकिन कुंठित इंसान है, जिसे लगता है कि दुनिया ने उसके साथ नाइंसाफी की है। उसका मकसद है बदला लेना और सबको यह साबित करना कि वह सबसे बड़ा क्विज़ मास्टर है। ध्रुव के लिए वह परफेक्ट दुश्मन बन जाता है, क्योंकि वह उसे शारीरिक नहीं बल्कि दिमागी चुनौती देता है।

लेकिन उसकी सबसे बड़ी कमजोरी उसका अहंकार है। वह बार-बार ध्रुव को कम आंकता है और अंत में अपने ही बनाए जाल में फँस जाता है। उसका किरदार हमें यह दिखाता है कि जब टैलेंट और बुद्धि में घमंड और बदले की आग मिल जाए, तो वह इंसान खुद के लिए सबसे बड़ा खतरा बन जाता है।

कला और चित्रांकन: अनुपम सिन्हा का जादू

अनुपम सिन्हा की आर्ट इस कॉमिक्स की असली जान है। उनके बनाए हुए चित्र पूरे किस्से को ज़िंदा कर देते हैं। खासकर एक्शन सीन – ध्रुव की कलाबाज़ियाँ, उसके फाइट सीक्वेंस और चेज़ सीन – हर पैनल में इतनी तेज़ी और एनर्जी है कि लगता है जैसे स्क्रीन पर मूवी चल रही हो।

ध्रुव का लुक तो वैसे भी आइकॉनिक है – पीली-नीली पोशाक, स्टार बेल्ट और चेहरे पर भरा-पूरा कॉन्फिडेंस। दूसरी तरफ़ क्विज़ मास्टर टीटो का लुक भी उसके किरदार को पूरी तरह सूट करता है – बड़े-बड़े चश्मे, अजीब से कपड़े और चेहरे पर वो शातिर मुस्कान, जो उसके घमंडी नेचर को साफ़ दिखाती है।

पैनलों की एडिटिंग और लेआउट भी गज़ब का है। कहानी की रफ्तार बनाए रखने के लिए छोटे और बड़े पैनल का मिक्स बिलकुल सही बैलेंस में है। जहाँ ध्रुव दिमाग लगा रहा होता है, वहाँ उसके चेहरे के क्लोज़-अप्स उसकी सोच को दिखाते हैं। और जहाँ एक्शन फुल-ऑन होता है, वहाँ बड़े और चौड़े पैनल उस सीन की धमाकेदारी पकड़ लेते हैं।

रंग और सुलेख की बात करें तो सुनील पांडेय का काम शानदार है। उनके कलर कॉम्बिनेशन और लेटरिंग पूरे माहौल को 90’s वाले राज कॉमिक्स के गोल्डन एरा में ले जाते हैं।

विषय और संदेश: कहानी के गहरे मायने

“क्विज़ मास्टर” सतह पर एक सुपरहीरो बनाम सुपरविलेन की कहानी लग सकती है, लेकिन इसके भीतर कई गहरे विषय छिपे हैं:

  1. बुद्धि की विजय: यह कहानी का केंद्रीय संदेश है। ध्रुव हर बार अपनी बुद्धि और तर्क से जीतता है। यह दिखाती है कि कच्ची ताकत पर हमेशा ज्ञान हावी होता है।
  2. अहंकार का पतन: टीटो की कहानी अहंकार के खतरों को दर्शाती है। वह इतना प्रतिभाशाली था कि एक सफल जीवन जी सकता था, लेकिन उसकी श्रेष्ठता साबित करने की जिद उसे अपराध के रास्ते पर ले गई और अंत में उसका पतन हुआ।
  3. बदलाव को स्वीकारना: टीटो की कुंठा का एक कारण यह भी था कि वह समय के साथ बदल नहीं पाया। रेडियो का युग समाप्त हो रहा था और टीवी का युग आ रहा था। वह इस बदलाव को स्वीकार करने के बजाय, इससे नफरत करने लगा।
  4. शोहरत की भूख: कॉमिक्स की शुरुआत में ही लेखक प्रसिद्धि पाने की इंसानी इच्छा पर टिप्पणी करते हैं। टीटो इसी शोहरत को खोने के डर और उसे वापस पाने की लालसा में अपराधी बनता है।

निष्कर्ष: एक सदाबहार क्लासिक

“क्विज़ मास्टर” सुपर कमांडो ध्रुव की एक पूरी और धमाकेदार कॉमिक्स है। यह ऐसी कहानी है जो आज भी उतनी ही मज़ेदार और रोमांचक लगती है, जितनी अपने पब्लिश होने के वक्त थी। इसकी सबसे बड़ी ताकत है जॉली सिन्हा की टाइट और दिलचस्प पटकथा, जिसमें रहस्य, रोमांच और एक्शन का जबरदस्त बैलेंस है। उन्होंने एक ऐसा विलेन बनाया जो ध्रुव के लिए सच में दिमागी चुनौती बन जाता है।

इसके साथ ही, अनुपम सिन्हा की जानदार आर्टवर्क ने इस कॉमिक्स को विज़ुअल मास्टरपीस बना दिया। यही वजह है कि इसमें वे सारे एलिमेंट्स हैं, जो ध्रुव को भारतीय कॉमिक्स का सबसे खास और प्यारा नायक बनाते हैं।

ये कॉमिक्स सिर्फ बच्चों के लिए नहीं, बल्कि हर उम्र के उन लोगों के लिए है जो अच्छी और दिमाग से लिखी गई कहानियों का मज़ा लेना पसंद करते हैं। अगर आपने इसे अभी तक नहीं पढ़ा है, तो समझ लीजिए आपने राज कॉमिक्स का एक अनमोल रत्न मिस कर दिया है। यह एक ऐसी पहेली है, जिसे हर कॉमिक्स फैन को कम-से-कम एक बार ज़रूर सुलझाना चाहिए।

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