‘विलेन चाचा’ (संख्या 636) सिर्फ़ एक कॉमिक्स नहीं, बल्कि एक ऐसा बड़ा इवेंट है जिसमें सुपर इंडियन, शक्ति, तिरंगा और डोगा जैसे बड़े सुपरहीरोज़ एक साथ नज़र आते हैं। ये कॉमिक्स ज़्यादातर ‘देश के बेटे’ सुपर इंडियन के तीसरे रोमांचक सफर पर फोकस करती है और धीरे-धीरे उसकी असली कहानी यानी उसकी origin story को खोलती चलती है। तरुणकुमार वाही की लिखी और दिलीप चौबे की बनाई ये कॉमिक्स अपनी बड़ी सोच, दिलचस्प कहानी और जटिल प्लॉट की वजह से गहराई से पढ़ने लायक बन जाती है।
कथानक और कहानी: कई परतों वाली एक दास्तान
‘विलेन चाचा’ की कहानी सीधी नहीं है। इसमें कई कहानियाँ साथ-साथ चलती हैं। शुरुआत में ये अलग लगती हैं, लेकिन आखिर में सब जुड़कर एक बड़ी, मजबूत तस्वीर बनाती हैं। यही इसकी सबसे बड़ी खूबी है — और कुछ पाठकों के लिए थोड़ा कन्फ्यूजन भी। कहानी को अगर ध्यान से पढ़ो, तो इसे कुछ बड़े हिस्सों में समझा जा सकता है।
कहानी की शुरुआत होती है हाई-टेक मेट्रो सिटी से, जहाँ अचानक शहर के बीचों-बीच एक अजीब और डरावनी विशाल मूर्ति (Monster Toy) दिखाई देती है। लोग हैरान हैं और नाराज़ भी — क्योंकि वो मूर्ति किसी हीरो की नहीं, बल्कि एक खलनायक की है! जनता चाहती है कि वहाँ उनके किसी पसंदीदा सुपरहीरो की मूर्ति लगे। इसी को लेकर माहौल गरमा जाता है, बहस और हंगामा शुरू हो जाता है। तभी मेट्रो फास्ट पुलिस वहाँ पहुँचती है। लेकिन जैसे ही हालात काबू में आते दिखते हैं, वो मूर्ति अचानक ज़िंदा हो उठती है! पता चलता है कि वो दरअसल एक जंपिंग बम रोबोट है, जो शहर में तबाही मचाने आया है। ये शुरुआती सीन ही कॉमिक्स को जबरदस्त शुरुआत देता है — जहाँ से एक्शन और रहस्य का मज़ा शुरू हो जाता है।

जैसे ही वो रोबोट शहर में तबाही मचाने लगता है, सुपर इंडियन एंट्री लेता है और शहर को बचाने के लिए मैदान में उतरता है। यहीं से कहानी फ्लैशबैक में चली जाती है और हमें सुपर इंडियन के बीते वक्त, उसके दर्द और उसके बनने की असली वजह के बारे में बताती है।
हम जानते हैं कि सुपर इंडियन का असली नाम सुप्रिय था। वो अफगानिस्तान में हुए एक आतंकवादी हमले का शिकार बना था। इस हमले में उसने अपने पूरे परिवार को खो दिया और खुद भी मौत के बहुत करीब पहुँच गया। अमेरिकी सेना और वैज्ञानिकों ने उसे बचाया और फिर उस पर वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनसे वो एक आम इंसान से बन गया एक असाधारण ताकत वाला सुपर-सैनिक — सुपर इंडियन।
ये हिस्सा कॉमिक्स का सबसे भावनात्मक भाग है। ये दिखाता है कि आतंकवाद कितनी बेरहमी से ज़िंदगियाँ तबाह करता है और उसके शिकार लोगों के जख्म कितने गहरे होते हैं। सुप्रिय का सुपर इंडियन में बदलना सिर्फ़ एक सुपरहीरो की कहानी नहीं है — ये उस इंसान की कहानी है जिसने अपना दर्द अपनी ताकत बना लिया।
विलेन चाचा और भतीजी का रहस्यमयी सफर

कॉमिक्स का नाम जिस किरदार पर रखा गया है, वही कहानी का सबसे रहस्यमयी और दिलचस्प हिस्सा आगे बढ़ाता है। ‘विलेन चाचा’, जो अपने नाम के बिल्कुल उलट एक नेकदिल और समझदार इंसान लगते हैं, अपनी भतीजी के साथ दुनिया के अलग-अलग इलाकों की यात्रा पर निकले हैं। वे कभी राजस्थान के गर्म रेगिस्तान में नज़र आते हैं तो कभी चीन की महान दीवार के पास। ये दोनों कहाँ जा रहे हैं और क्यों जा रहे हैं — ये बात शुरू में साफ़ नहीं होती, लेकिन उनकी हर मंज़िल पर कुछ नया सिखने को मिलता है।
हर जगह पर विलेन चाचा अपनी भतीजी को ज़िंदगी, नैतिकता, इतिहास और दुनिया कैसे चलती है — इन सबके बारे में सिखाते हैं। कहानी का ये हिस्सा कॉमिक्स को एक दार्शनिक और आध्यात्मिक गहराई देता है। चाचा और भतीजी के रिश्ते को बहुत खूबसूरती से दिखाया गया है — इसमें प्यार, अपनापन और ज्ञान का अच्छा मेल है। पढ़ते हुए पाठक बार-बार यही सोचता रहता है कि आखिर ये सफर कहाँ खत्म होगा और इस रहस्यमयी ‘विलेन चाचा’ का असली मकसद क्या है।
सुपर–विलेन का गठबंधन
कहानी का एक और मज़ेदार और अहम हिस्सा है — दुनिया भर के सुपर–विलेन का एक गुप्त संगठन बनाना। एक लेक्स लूथर जैसे चालाक और ताकतवर विलेन के नेतृत्व में ये सारे खलनायक एक साथ आते हैं। उनका मकसद है — दुनिया पर राज करना और सुपरहीरोज़ को रास्ते से हटाना।
इस मीटिंग में राज कॉमिक्स यूनिवर्स के कई पुराने और जाने-पहचाने खलनायक नज़र आते हैं, जो पुराने फैंस के लिए एक nostalgic ट्रीट जैसा अहसास देता है। ये हिस्सा कहानी का दायरा बहुत बड़ा कर देता है — यह दिखाता है कि खतरा अब सिर्फ़ मेट्रो सिटी तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया में फैल चुका है। साथ ही, यह आने वाली कहानियों के लिए एक मज़बूत नींव भी तैयार करता है।

पटकथा की बात करें तो, तरुणकुमार वाही ने एक बेहद महत्वाकांक्षी काम किया है। इतनी सारी कहानियों को एक साथ जोड़ना आसान नहीं होता। कभी-कभी कहानी थोड़ी बिखरी हुई सी लगती है, क्योंकि घटनाएँ एक सीन से दूसरे सीन पर जल्दी-जल्दी कूदती हैं। लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, ये सारे धागे आपस में जुड़ते जाते हैं और लेखक का विज़न साफ़ दिखने लगता है। संवाद भी काफी दमदार हैं और कहानी के गंभीर और रहस्यमयी माहौल के साथ बिल्कुल फिट बैठते हैं।
चरित्र–चित्रण: नायक, खलनायक और रहस्यमयी चाचा
किसी भी कॉमिक्स की असली जान उसके किरदारों में होती है — और ‘विलेन चाचा’ इस मामले में पूरा अंक ले जाती है।
सुपर इंडियन (सुप्रिय): ये इस कॉमिक्स का दिल है। सुपर इंडियन सिर्फ़ एक ताकतवर हीरो नहीं, बल्कि एक ऐसा इंसान है जिसने बहुत कुछ खोया है और वही दर्द उसे दूसरों के दुख को समझने की ताकत देता है। उसकी शक्तियाँ विज्ञान की देन हैं, लेकिन उसका दिल और उसकी आत्मा पूरी तरह भारतीय हैं। वह अच्छाई का प्रतीक है, लेकिन अपने अतीत के गुनहगारों के लिए उसके अंदर गुस्सा भी है। यही अंदरूनी संघर्ष उसे एक गहरा और असली किरदार बनाता है।
विलेन चाचा: शीर्षक का ये किरदार पूरी कॉमिक्स का सबसे बड़ा रहस्य है। उसका नाम ‘विलेन’ है, पर उसके काम किसी संत जैसे हैं। वह ज्ञान से भरा हुआ, शांत और बेहद समझदार इंसान है, जो अपनी भतीजी का मार्गदर्शन करता है। लेकिन सवाल यही है — क्या वो सच में एक खलनायक है जो कोई बड़ी योजना बना रहा है? या फिर वो एक ऐसा नायक है जो दुनिया को अपने अनोखे नज़रिए से देखता है?
लेखक ने जानबूझकर इस किरदार को रहस्य में लपेटा है, जिससे पाठक आख़िरी पेज तक जिज्ञासु बना रहता है। उसका चरित्र यह सोचने पर मजबूर करता है कि दुनिया सिर्फ़ ‘अच्छी’ या ‘बुरी’ नहीं होती — बीच में बहुत सी परतें होती हैं।
खलनायक: इस कॉमिक्स में खलनायकों की पूरी फौज है। मुख्य विलेन वही है जिसने सुप्रिय के परिवार को मारा था — आतंकवाद का ऐसा चेहरा जो अपने मकसद के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। इसके अलावा, सुपर-विलेन का गठबंधन कई तरह के खलनायकों को एक जगह लाता है — कुछ साइंटिस्ट हैं, कुछ मायावी शक्तियों वाले और कुछ बस क्रूर और निर्दयी। यही विविधता कहानी को और ज़्यादा मज़ेदार और रोमांचक बनाती है।
अन्य सुपरहीरो: डोगा, शक्ति, तिरंगा और परमाणु जैसे हीरो भी इस कॉमिक्स में नज़र आते हैं, जो इसे एक भव्य मल्टी-हीरो इवेंट बना देते हैं। हालाँकि, उनकी भूमिकाएँ ज़्यादातर कैमियो (छोटे रोल) तक सीमित हैं। वे कहानी के मुख्य प्लॉट में ज़्यादा दखल नहीं देते, लेकिन उनकी मौजूदगी यह एहसास ज़रूर कराती है कि ये पूरा राज कॉमिक्स यूनिवर्स का एक बड़ा और खास इवेंट है।
कुछ पाठक शायद चाहें कि उनके पसंदीदा हीरो को ज़्यादा एक्शन में देखा जाए, लेकिन फिर भी उनकी झलक कॉमिक्स को और दिलचस्प बना देती है।
कला और चित्रांकन: एक विज़ुअल अनुभव
दिलीप चौबे का चित्रांकन राज कॉमिक्स के क्लासिक स्टाइल का शानदार उदाहरण है। उनकी ड्रॉइंग्स में वो खास ऊर्जा और मूवमेंट है जो एक्शन सीन को ज़िंदा कर देती है। हर फ्रेम में ऐसा लगता है जैसे सब कुछ आपके सामने ही हो रहा हो।
एक्शन सीन:
सुपर इंडियन और रोबोट की लड़ाई हो या बाकी टकराव — हर सीन को बहुत ही जोश और प्रभाव के साथ दिखाया गया है। पैनल्स में मूवमेंट और टेंशन साफ महसूस होती है। विस्फोट, एनर्जी बीम और फिजिकल फाइट के सीन बेहद दमदार और आकर्षक हैं।
किरदारों का डिज़ाइन:
सुपर इंडियन का लुक वाकई शानदार है। उसके चेहरे पर गंभीरता और आँखों में दृढ़ निश्चय दिखता है। उसकी पोशाक में भारतीयता और मॉडर्न टच दोनों हैं, जो उसके कैरेक्टर के हिसाब से बिल्कुल सही बैठते हैं।
विलेन चाचा का लुक सिंपल है लेकिन उसमें एक रहस्य झलकता है। बाकी सभी किरदारों का डिज़ाइन भी उनके व्यक्तित्व को अच्छे से दिखाता है — कोई ताकतवर दिखता है, कोई चालाक, तो कोई रहस्यमयी।

पृष्ठभूमि और विवरण:
मेट्रो सिटी को एक आधुनिक शहर की तरह दिखाया गया है — ऊँची-ऊँची इमारतें, भविष्य की टेक्नोलॉजी और रफ्तार भरी ज़िंदगी। वहीं अफगानिस्तान और राजस्थान के सीन में उन जगहों की संस्कृति और माहौल को पकड़ने की पूरी कोशिश की गई है। हर जगह का माहौल कहानी के मूड के हिसाब से फिट बैठता है।
रंग और इंकिंग:
सुनील पाण्डेय का कलर वर्क कॉमिक्स के मूड को सेट करने में अहम रोल निभाता है। एक्शन सीन में चमकीले और ज़िंदादिल रंगों का इस्तेमाल हुआ है, जबकि भावनात्मक और गंभीर सीन में गहरे, सधे हुए रंग हैं जो कहानी के असर को और बढ़ा देते हैं।
जगदीश और ललित की इंकिंग ने दिलीप चौबे की पेंसिल आर्ट को और निखार दिया है, जिससे चित्रों में गहराई, साफ़गोई और प्रोफेशनल टच दिखता है।
सकारात्मक पहलू
ये कॉमिक्स एक बड़ी और महत्वाकांक्षी कहानी पेश करती है — जो सिर्फ़ सीधी-सादी सुपरहीरो कहानी नहीं, बल्कि सोचने पर मजबूर करने वाली है। इसमें सुपर इंडियन का कैरेक्टर बहुत मज़बूती से दिखाया गया है, और उसकी मूल कहानी को बेहद भावनात्मक और असरदार तरीके से बताया गया है।
विलेन चाचा का रहस्यमयी किरदार पारंपरिक हीरो-खलनायक के कॉन्सेप्ट को तोड़ता है और कहानी में एक नया फ्लेवर जोड़ता है।
दिलीप चौबे की शानदार आर्टवर्क और विज़ुअल्स राज कॉमिक्स के पुराने फैंस के लिए एक visual treat हैं।
साथ ही, सुपर-विलेन के गठबंधन के ज़रिए जो world-building दिखाई गई है, वो आने वाले अंकों और नई कहानियों के लिए कई संभावनाएँ खोलती है।
नकारात्मक पहलू
कॉमिक्स की कहानी थोड़ी बिखरी हुई महसूस हो सकती है। कई बार सीन बहुत तेज़ी से बदलते हैं, जिससे पाठक का ध्यान थोड़ा भटक सकता है। इसे अगर थोड़ा और सलीके से जोड़ा जाता, तो असर और भी बढ़ जाता।
एक और बात — बाकी सुपरहीरो जैसे डोगा, शक्ति, तिरंगा और परमाणु की भूमिका काफी छोटी है। फैंस जो उन्हें ज़्यादा एक्शन में देखना चाहते थे, उन्हें थोड़ा निराशा हो सकती है।
इसके अलावा, कहानी कई सवाल अधूरे छोड़ देती है — जैसे विलेन चाचा की असली पहचान और उसका अंतिम मकसद क्या है। हालांकि ये भी मुमकिन है कि ये जानबूझकर किया गया सेटअप हो, ताकि आगे के अंकों में इसे खोला जा सके।
निष्कर्ष
‘विलेन चाचा’ राज कॉमिक्स का एक बोल्ड और महत्वाकांक्षी प्रयोग है। ये सिर्फ़ एक एक्शन-भरपूर सुपरहीरो कॉमिक्स नहीं, बल्कि इसमें भावनाएँ, रहस्य, दर्शन और आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दे भी जुड़े हैं।
ये सुपर इंडियन को एक मज़बूत पहचान देती है और उसे राज कॉमिक्स के बड़े हीरोज़ की श्रेणी में मज़बूती से खड़ा करती है।
हाँ, कभी-कभी कहानी थोड़ी उलझी लगती है और सब हीरोज़ को बराबर मौका नहीं मिलता, लेकिन इसकी गहराई और विचार इन छोटी कमियों को ढक लेते हैं।
ये कॉमिक्स उन पाठकों के लिए है जो सिर्फ़ लड़ाई-मारपीट से आगे कुछ सोचने और महसूस करने वाली कहानी चाहते हैं।
कुल मिलाकर, ‘विलेन चाचा’ एक ऐसी कॉमिक्स है जो राज कॉमिक्स फैंस को ज़रूर पढ़नी चाहिए। ये सिर्फ़ रोमांच नहीं देती, बल्कि दिखाती है कि भारतीय कॉमिक्स कितनी परिपक्व और गहरी हो सकती है। ये कहानी पढ़ने के बाद भी लंबे समय तक दिमाग में घूमती रहती है — जैसे कोई रहस्य जो अब भी बाकी हो।

 
									 
					