भारतीय कॉमिक्स जगत में नागराज सिर्फ एक सुपरहीरो नहीं, बल्कि एक तरह का जीवित मिथक है। उसकी रगों में बहता ज़हर और उसके शरीर में बसे करोड़ों इच्छाधारी साँप उसे लगभग अजेय बना देते हैं। लेकिन सोचिए—अगर नागराज से उसकी यही सबसे बड़ी ताक़त छीन ली जाए तो? क्या होगा अगर ‘नागराज’ सिर्फ ‘राज’ बनकर रह जाए?
राज कॉमिक्स का विशेषांक “विषहीन नागराज” इसी रोमांचक और भावनात्मक सवाल का जवाब देता है। अनुपम सिन्हा की कमाल की आर्ट और जॉली सिन्हा की बिल्कुल टाइट लिखी कहानी मिलकर ऐसा अनुभव देती है जो शुरुआत से अंत तक पकड़े रखता है। यह सिर्फ एक मारधाड़ वाली कॉमिक्स नहीं है, बल्कि नागराज के अंदर के संघर्ष, उसके सिद्धांतों और उसके दुश्मनों की चालबाज़ियों की एक बड़ी कथा है।
कथानक (Plot Summary)
कहानी शुरुआत से ही नाटकीय और रहस्यमयी माहौल बनाती है। महानगर के ‘स्नेक पार्क’ में, जहाँ डायरेक्टर डॉक्टर करुनाकरन काम करते हैं, एक अनजान महिला आती है। वो स्नेक पार्क की भलाई और anti-venom बनाने के लिए सीधे 10 लाख रुपये का बड़ा दान देती है। यहां से ही दिमाग में सवाल उठने लगता है—इतनी बड़ी रकम देने वाली ये महिला आखिर है कौन?

लेकिन ट्विस्ट यहीं खत्म नहीं होता। महिला के जाते ही कुछ लुटेरे वहाँ घुस आते हैं और उसी ब्रीफकेस को लूटने की कोशिश करते हैं। पर जैसे ही वे नोट लेकर भागने की सोचते हैं, ब्रीफकेस में रखा सारा पैसा अचानक राख में बदल जाता है। इससे साफ होता है कि ये कोई आम पैसा नहीं था—कुछ ‘अलौकिक’ खेल चल रहा है।
इसी के बाद नागराज की धमाकेदार एंट्री होती है। वह लुटेरों को पकड़ने की कोशिश करता है, लेकिन समझ जाता है कि ये सिर्फ एक छोटी घटना नहीं, बल्कि किसी बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है। इस षड्यंत्र के पीछे है उसकी पुरानी और बेहद खतरनाक दुश्मन—नगीना। नगीना के साथ उसका साथी विषंधर और एक नया विलेन ‘बाज़’ (आधा इंसान–आधा पक्षी) भी मौजूद हैं।
नगीना की चाल सिर्फ नागराज को लड़ाई में हराने की नहीं है, बल्कि उसे मानसिक और आध्यात्मिक तौर पर तोड़ने की है। उसकी सबसे खतरनाक योजना शुरू होती है ‘सड़ेली’ नाम के एक भयावह विलेन को शहर में छोड़ने से। सड़ेली के शरीर से इतनी भयंकर बदबू और बीमारी फैलती है कि लोग तड़प-तड़प कर मरने लगते हैं।
इसी गड़बड़ में नागराज गलती कर बैठता है। वो सड़ेली समझकर उस पर अपने विषफुंकार का प्रयोग करता है, लेकिन जैसे ही वो बेहोश होती है, उसका रूप बदल जाता है—अब वहाँ एक मासूम लड़की पड़ी होती है। यानी लड़ाई के दौरान नागराज के हाथों एक निर्दोष लड़की मारी गई, जो कि असल में नगीना की बनाई हुई एक चाल थी।

भारत की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, किसी निर्दोष की हत्या महापाप माना जाता है। इसी वजह से देव कालजयी (सर्पों और काल के देव) प्रकट होते हैं। वे नागराज पर बेहद क्रोधित होते हैं। नागराज सफाई देने की कोशिश करता है, लेकिन परिस्थितियाँ और सबूत उसके खिलाफ जाते हैं। गुस्से में देव कालजयी नागराज को श्राप दे देते हैं—और यह श्राप उसकी पूरी पहचान पर प्रहार करता है।
देव कालजयी नागराज के शरीर से सारा विष खींच लेते हैं। जैसे ही विष बाहर निकलता है, उसके शरीर में रहने वाले करोड़ों इच्छाधारी सर्प उसे छोड़ देते हैं, क्योंकि वे बिना विष वाले शरीर में जीवित नहीं रह सकते। नागराज “विषहीन” हो जाता है—अब वह एक आम इंसान की तरह शक्तिहीन है। लेकिन दुश्मन? वो अभी भी सामने खड़े हैं।
इसके बाद नगीना एक और कुटिल चाल चलती है। वह ‘जानचट’ नाम की राक्षसी को भेजती है। शहर एक तरफ बर्बादी की ओर जा रहा है और दूसरी तरफ उसका रक्षक अपनी शक्तियों से पूरी तरह वंचित है।
कहानी का बाकी हिस्सा नागराज के संघर्ष पर केंद्रित है—कैसे वह बिना किसी सुपरपावर के सिर्फ अपने जज़्बे, मार्शल आर्ट्स और चतुराई के दम पर नगीना और जानचट का सामना करता है? कैसे वह देव कालजयी के सामने अपनी निर्दोषता साबित करता है? क्लाइमेक्स इस पूरे सफर को बेहद रोमांचक तरीके से दिखाता है।
पात्र विश्लेषण (Character Analysis)
नागराज (नायक):
इस कॉमिक्स में हमें नागराज का एक अलग ही रूप देखने को मिलता है। आमतौर पर हम नागराज को अपनी सांप-रस्सियों, विष-फुंकार और सम्मोहन शक्ति का इस्तेमाल करते हुए देखते हैं। लेकिन यहाँ लेखक जॉली सिन्हा ने उसे बिल्कुल ज़मीनी और मानवीय रूप में पेश किया है। जब उसके सांप उसे छोड़कर जाने लगते हैं, उस वक्त नागराज की पीड़ा और बेबसी सच में दिल छू लेती है। नागराज का किरदार यहाँ और गहराई के साथ निखरकर सामने आता है। वह हार नहीं मानता। ज़हर खो देने के बाद भी वह सड़ेली और बाज़ जैसे खतरनाक दुश्मनों से भिड़ता है। इससे साफ साबित होता है कि सुपरहीरो सिर्फ शक्तियों से नहीं, बल्कि उसकी इच्छाशक्ति (Willpower) से बनता है।

नगीना (खलनायिका):
नगीना राज कॉमिक्स की सबसे दमदार विलेन्स में से एक है। इस कॉमिक्स में उसकी चालाकी और दिमाग देखने लायक है। वह जानती है कि आमने-सामने की लड़ाई में नागराज को हराना नामुमकिन है, इसलिए वह देव कालजयी को ही एक हथियार की तरह इस्तेमाल करती है। उसका प्लान इतना सोचा-समझा है कि लगभग फुलप्रूफ लगता है। वह नागराज को सिर्फ शारीरिक रूप से कमजोर नहीं करती, बल्कि उसके मन में अपराधबोध भरकर उसे अंदर से तोड़ने की कोशिश करती है। उसका किरदार खूबसूरती और क्रूरता का एक खतरनाक मिश्रण है।
देव कालजयी:
देव कालजयी इस कहानी में ‘न्याय’ और ‘शक्ति’ का प्रतीक हैं। लेकिन साथ ही यह भी दिखाते हैं कि देवता भी कभी-कभी भ्रम का शिकार हो सकते हैं। उनका क्रोध बहुत भयानक है। जब वे नागराज के शरीर से विष वापस लेते हैं, तो वह दृश्य पूरी कॉमिक्स का सबसे जोरदार और असरदार पल बन जाता है। अनुपम सिन्हा ने उनके रूप और व्यक्तित्व को बेहद शानदार तरीके से उकेरा है।
बाज़ और सड़ेली:
ये दोनों सहायक विलेन कहानी में एक खास ताजगी और नयापन लाते हैं।

बाज़:
यह एक ‘हवाई खतरा’ (Aerial Threat) है। क्योंकि नागराज खुद उड़ नहीं सकता (जब तक कि उसके सांप या ध्रुव का सहारा न मिले), बाज़ आसमान से उसे लगातार चुनौती देता है, जिससे लड़ाई बिल्कुल अलग flavor ले लेती है।
सड़ेली:
सड़ेली एक बेहद घिनौना और डरावना पात्र है। उसका काम ही पाठकों के भीतर घृणा और डर पैदा करना है—और इसमें वह पूरी तरह सफल है। उसकी शक्तियाँ—बीमारी फैलाना और भयानक दुर्गंध—नागराज के लिए एक अलग किस्म की परेशानी खड़ी करती हैं, क्योंकि यहाँ सिर्फ ताकत काफी नहीं है, दिमाग और सहनशक्ति भी चाहिए।
चित्रांकन और दृश्य कला (Art and Visuals)
अनुपम सिन्हा को ‘नागराज का पितामह’ कहना बिल्कुल सही है, क्योंकि उनकी कला ही इस कॉमिक्स की असली जान है। उनके आर्टवर्क में एनाटॉमी, एक्शन, और हर किरदार की बॉडी-लैंग्वेज में जो सटीकता है, वो कमाल की है। नागराज का मजबूत शरीर, नगीना की खूबसूरती, और बाज़ की उग्रता—सब कुछ इतना सजीव लगता है कि दृश्यों में मूवमेंट सच में महसूस होता है।
भाव-भंगिमाओं की बात करें तो, नागराज के चेहरे पर सांपों के शरीर से निकलने का दर्द, नगीना की चालाक मुस्कान, और देव कालजयी का रौद्र रूप—यह सब कुछ पाठकों को पेज से चिपकाए रखता है।
पृष्ठभूमि (Background) की डीटेलिंग भी शानदार है—चाहे स्नेक पार्क हो या शहर की सड़कें, हर दृश्य कहानी को ज़्यादा वास्तविक बनाता है।

अंत में, सुनील पाण्डेय का रंग संयोजन इस कॉमिक्स के मूड को और भी मज़बूत बनाता है। नगीना वाले दृश्यों में हल्का ‘जादुई’ माहौल, सड़ेली वाले सीन में धुंधले-बीमार रंग, और देव कालजयी के आने पर चमकदार रोशनी—ये सब कहानी को और प्रभावशाली बनाते हैं।
कथा-लेखन और संवाद (Script and Dialogue)
जॉली सिन्हा की पटकथा (Script) काफी टाइट है। कहानी कहीं भी खिंचती या बोरिंग नहीं लगती। शुरुआत से लेकर आखिर तक रहस्य बना रहता है। संवादों में राज कॉमिक्स की पुरानी स्टाइल की झलक साफ दिखती है—थोड़े नाटकीय, थोड़े बड़े, लेकिन असरदार।
उदाहरण के लिए, जब देव कालजयी श्राप देते हैं, तो उनके संवादों में जो गरिमा, दम और क्रोध है, वो पाठक को रोमांचित कर देता है। जैसे—
“नागराज! तुमने एक निर्दोष की हत्या की है… मैं तुमसे अपना दिया हुआ सारा विष वापस लेता हूँ!”
ऐसे संवाद कहानी का वजन बढ़ाते हैं और सीन को और शक्तिशाली बनाते हैं।
लेखक एक महत्वपूर्ण सवाल भी उठाते हैं—क्या न्याय करते समय जल्दबाज़ी नुकसानदेह साबित हो सकती है? देव कालजयी ने बिना पूरी जांच-पड़ताल के नागराज को दंड दे दिया, जो बाद में गलत निकला। यह अपने-आप में व्यवस्था पर एक हल्का व्यंग्य भी है कि कैसे कभी-कभी बड़ी शक्तियाँ भी गलती कर सकती हैं।
थीम और विश्लेषण (Themes and Critical Analysis)
इस कॉमिक्स का सबसे बड़ा थीम है—शक्ति का मोह और उसका त्याग।
नागराज की शक्ति उसका विष है, और जब यह उससे छिन जाता है, तो वह एक गंभीर पहचान संकट (Identity Crisis) में फँस जाता है। यही पाठक को सिखाता है कि बाहरी शक्तियाँ, ताकत या उपलब्धियाँ हमेशा सब कुछ नहीं होतीं—किरदार (Character) ही किसी व्यक्ति की असली ताकत है।

कहानी में छल, धोखा और प्रपंच (Deception) एक बड़ा मुद्दा है, जिसकी नींव नगीना की ‘माया’ पर आधारित योजना है। उसका सच को झूठ और झूठ को सच बना देना आज के दौर की ‘फेक न्यूज़’ या ‘प्रोपेगैंडा’ जैसा महसूस होता है—जहाँ असली दोषी छूट जाता है और निर्दोष को दोषी ठहरा दिया जाता है।
नागराज का किरदार यहाँ पाप, अपराधबोध और प्रायश्चित की थीम को भी आगे बढ़ाता है। वह यह मानकर कि शायद उसने गलती की है, बिना बहस किए श्राप स्वीकार कर लेता है। यही एक सच्चे नायक की पहचान है—वह अपनी जिम्मेदारी से भागता नहीं, बल्कि उसे स्वीकार करता है, भले ही वह गलतफहमी ही क्यों न हो।
क्या बेहतर हो सकता था?
कॉमिक्स कुल मिलाकर शानदार है, लेकिन कुछ जगहों पर तर्क थोड़े कमज़ोर लगते हैं।
जैसे—देव कालजयी जैसा सर्वज्ञानी देवता नगीना की माया में इतनी आसानी से कैसे फँस गया? देवताओं को तो सत्य-असत्य का ज्ञान होना चाहिए। यह थोड़ा ‘प्लॉट को आगे बढ़ाने के लिए बनाया गया सेटअप’ (Plot Convenience) लगता है।
इसके अलावा, सड़ेली और बाज़ जैसे विलेन को थोड़ी और गहराई दी जा सकती थी। वे सिर्फ नगीना के मोहरे बनकर रह गए।
निष्कर्ष (Conclusion)
“विषहीन नागराज” राज कॉमिक्स के खजाने का एक असली रत्न है। यह वो दौर था जब राज कॉमिक्स अपने ‘गोल्डन एरा’ में थी। यह कॉमिक्स सिर्फ मनोरंजन नहीं करती, बल्कि पाठक को नागराज से भावनात्मक तौर पर जोड़ देती है।

जब आप नागराज को कमजोर और लाचार देखते हैं, तो आपके अंदर भी बेचैनी होती है। जब वह फिर से अपनी शक्तियाँ हासिल करता है, तो आप एकदम से रोमांच महसूस करते हैं—जैसे स्क्रीन पर आपका अपना हीरो वापस लौट आया हो।
अनुपम सिन्हा की शानदार कला और जॉली सिन्हा की सधी हुई कहानी इस कॉमिक्स को एक सच्ची Must Read बनाती है।
रेटिंग: 4.5 / 5
अंतिम विचार:
अगर आप 90’s के बच्चे हैं, तो यह कॉमिक्स आपको पुरानी यादों में ले जाएगी। और अगर आप नए पाठक हैं, तो भारतीय सुपरहीरो दुनिया को समझने के लिए यह एक बेहतरीन शुरुआत है। इसमें ड्रामा है, एक्शन है, भ्रम है, और सबसे बढ़कर—सत्य की जीत और बुराई का विनाश है। नागराज का ‘विषहीन’ होना सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि उसके ‘अजेय’ रूप को तोड़कर उसे और ज्यादा मानवीय बनाने की कोशिश है—और इसमें लेखक पूरी तरह सफल रहे।
