भारतीय कॉमिक्स की दुनिया में राज कॉमिक्स ने कई सालों तक अपनी बादशाहत बनाए रखी है। नागराज, सुपर कमांडो ध्रुव, डोगा जैसे किरदारों ने जहाँ अपनी जबरदस्त शक्तियों और अनोखे कारनामों से पाठकों के दिलों पर राज किया, वहीं एंथोनी जैसा एक अलग किरदार भी था — जो ताकतवर होने के बावजूद इंसानी भावनाओं और दर्द से घिरा हुआ था।
एंथोनी की कहानी हमेशा से एक ज़िंदा लाश की दर्दनाक दास्तान रही है, लेकिन तरुण कुमार वाही की लिखी और तौसीफ की बनाई कॉमिक्स ‘पांच लाख’ इस किरदार के दर्द को एक नई ऊँचाई तक ले जाती है — जहाँ पढ़ने वाले का दिल सच में हिल जाता है।
यह कॉमिक्स सिर्फ एक सुपरहीरो की कहानी नहीं है, बल्कि एक माँ की मजबूरी, एक पिता की बेबसी और उस सच्चाई की झलक है जहाँ ज़िंदगी की कीमत पैसों से तय होती है।
कथानक: एक हादसे से शुरू हुई त्रासदी
कहानी की शुरुआत होती है एक शॉपिंग मॉल के खुशनुमा माहौल से। दो छोटी बच्चियाँ — मारिया और मिन्नी, लिफ्ट में मिलती हैं। उनकी मासूम दोस्ती की शुरुआत ही हुई थी कि तभी एक डरावना हादसा सब कुछ बदल देता है।
लिफ्ट अचानक खराब होकर नीचे गिर जाती है, और इस भयानक दुर्घटना में मारिया बुरी तरह घायल हो जाती है। यहीं से कहानी का असली भावनात्मक और तनाव भरा सफर शुरू होता है।

मारिया की माँ, जूली, अपनी बेटी को लेकर अस्पताल पहुँचती है। डॉक्टरों की जाँच के बाद जो सच सामने आता है, वो किसी भी माँ की ज़मीन खिसका देने के लिए काफी है — मारिया के दिमाग में खून का थक्का जम गया है, और उसकी जान बचाने के लिए तुरंत ऑपरेशन करना ज़रूरी है। लेकिन इस ज़िंदगी की कीमत है — पांच लाख रुपये। जूली के लिए ये रकम किसी पहाड़ से कम नहीं थी।
यहीं से कॉमिक्स का नाम ‘पांच लाख’ कहानी के असली मतलब से जुड़ जाता है। ये सिर्फ एक रकम नहीं, बल्कि जूली की लाचारी, समाज की कठोर सच्चाई और एंथोनी की अग्निपरीक्षा का प्रतीक बन जाती है।
जूली की बेचैनी और पैसे जुटाने की उसकी जद्दोजहद को लेखक ने बहुत ही सादगी और संवेदनशीलता से दिखाया है। अपने गहने बेचना, दोस्तों और जान-पहचान वालों से मदद की उम्मीद रखना, और हर तरफ से निराशा मिलना — ये सब उस कड़वी हकीकत को सामने लाता है, जिसका सामना आम इंसान को तब करना पड़ता है जब ज़िंदगी और मौत के बीच सिर्फ पैसों की दीवार खड़ी होती है।
एंथोनी का अंतर्द्वंद्व: शक्ति और विवशता का संगम
कहानी का दूसरा और सबसे असरदार हिस्सा है एंथोनी का संघर्ष। जब उसका साथी कौआ ‘प्रिंस’ उसे उसकी बेटी मारिया की हालत के बारे में बताता है, तो एक पल में उसका सारा जोश, सारी ताकत बेकार लगने लगती है। वो दुनिया के किसी भी दुश्मन से भिड़ सकता है, बड़ी से बड़ी मुसीबत को पलभर में खत्म कर सकता है — लेकिन अपनी बेटी के इलाज के लिए ज़रूरी पांच लाख रुपये नहीं जुटा सकता।
यहाँ उसकी सबसे बड़ी शक्ति ही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी बन जाती है — उसकी पहचान। वो एंथोनी के रूप में सामने आकर यह नहीं कह सकता कि वह मारिया का पिता है। वो अपनी पत्नी जूली के आंसू नहीं पोंछ सकता, न ही यह कह सकता है कि सब ठीक हो जाएगा।
यह कॉमिक्स एंथोनी के किरदार की सबसे बड़ी त्रासदी दिखाती है। वो एक ‘ज़िंदा लाश’ है — जो सब कुछ महसूस कर सकता है, लेकिन कुछ भी ज़ाहिर नहीं कर सकता। अपनी बेटी को मौत के करीब देखकर एक पिता के दिल पर क्या बीतती है — यह दर्द एंथोनी के हर पैनल में झलकता है। उसका गुस्सा, उसकी लाचारी और उसका टूटना — सब कुछ पाठक के दिल तक सीधा पहुँचता है।

पैसे जुटाने के लिए जो रास्ता एंथोनी चुनता है, वो दिल को छू जाता है। वो अपनी अलौकिक शक्तियों को किनारे रखकर एक आम आदमी की तरह बंदरगाह पर कुली का काम करने जाता है। सोचिए — एक सुपरहीरो, जो पहाड़ हिला सकता है, अब अपनी बेटी के इलाज के लिए पेटियों का बोझ उठा रहा है। यह दृश्य शायद भारतीय कॉमिक्स के इतिहास के सबसे भावनात्मक और यादगार पलों में से एक है।
यहाँ उसका संघर्ष सिर्फ पैसों के लिए नहीं, बल्कि एक पिता के रूप में अपनी पहचान साबित करने के लिए भी है। वो वहाँ मजदूरों की हड़ताल खत्म करवाने में भी मदद करता है, जिससे उसका इंसानी और दयालु पक्ष और ज़्यादा उजागर होता है। लेकिन दिनभर की हाड़तोड़ मेहनत के बाद जब उसके हाथ में सिर्फ कुछ हज़ार रुपये आते हैं, तो पांच लाख की बड़ी चुनौती और भी भयानक लगने लगती है।
कला और चित्रांकन: भावनाओं का सजीव चित्रण
चित्रकार तौसीफ का काम इस कहानी की असली जान है। उन्होंने हर भावना को बड़ी गहराई से कागज़ पर उतारा है। चाहे लिफ्ट हादसे का दृश्य हो या अस्पताल में जूली का रोता चेहरा, हर पैनल कहानी के दर्द को और गहराई देता है। खास तौर पर एंथोनी के हावभाव को जिस तरह से दिखाया गया है, वो काबिल-ए-तारीफ़ है। उसकी आँखों में गुस्सा, चेहरे पर बेबसी, और कसी हुई मुट्ठियाँ — सब उसके अंदर के तूफान को साफ दिखाती हैं।
रंगों का इस्तेमाल भी कहानी के मूड के हिसाब से बदलता है —शुरुआत के खुशगवार पलों में चमकीले रंग, और हादसे के बाद पूरी कॉमिक्स पर अंधकार और उदासी का माहौल छा जाता है। “क्रंच” और “कलंच” जैसे ध्वनि प्रभाव (sound effects) हादसे की भयावहता को और ज़्यादा असरदार बना देते हैं।
सामाजिक टिप्पणी और विषय–वस्तु
‘पांच लाख’ सिर्फ एक कॉमिक्स नहीं है, बल्कि हमारे समाज और स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक कड़वी लेकिन सच्ची टिप्पणी भी है। यह कहानी दिखाती है कि कैसे आज के दौर में इलाज और ज़िंदगी दोनों ही पैसों के मोहताज हो गए हैं। यह वह दर्दनाक सच्चाई दिखाती है जहाँ सिर्फ इसलिए एक मासूम बच्ची को मरने के लिए छोड़ दिया जाता है क्योंकि उसके पास पांच लाख रुपये नहीं हैं। यहीं से यह बड़ा सवाल उठता है — क्या आज ज़िंदगी सिर्फ अमीरों के लिए है और गरीबों के लिए मौत?

इस पूरे सामाजिक अन्याय के बीच कहानी एक पिता के गहरे प्यार और संघर्ष को भी बहुत खूबसूरती से दिखाती है। एंथोनी अपनी बेटी मारिया को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है।
वो यह साबित करता है कि एक पिता के लिए उसकी संतान से बढ़कर दुनिया में कुछ नहीं होता।
सिस्टम की बेरुखी और संवेदनहीनता के बावजूद, कुछ किरदार कहानी में उम्मीद और इंसानियत की किरण बनकर सामने आते हैं — जैसे इंस्पेक्टर इतिहास और मिन्नी की माँ। ये दोनों अपनी पूरी कोशिश से मदद करते हैं, और यह दिखाते हैं कि मुश्किल वक्त में इंसानियत ही सबसे बड़ा सहारा होती है।
निष्कर्ष
‘पांच लाख’ राज कॉमिक्स के इतिहास में एक मील का पत्थर मानी जाती है। यह उन चुनिंदा कॉमिक्स में से है जो सिर्फ एक्शन और फैंटेसी तक सीमित नहीं रहतीं, बल्कि मानवीय भावनाओं की गहराई तक उतरती हैं। तरुण कुमार वाही ने इसमें ऐसी कहानी लिखी है जो आपको छू जाएगी, भावुक कर देगी और सोचने पर मजबूर कर देगी।
यह एंथोनी की अब तक की सबसे असरदार और दर्दभरी कहानियों में से एक है। यह दिखाती है कि एक सच्चे नायक की पहचान उसके कारनामों से नहीं, बल्कि उसके त्याग और बलिदान से होती है।
कहानी का अंत एक अधूरे मोड़ पर होता है — जो पाठकों को इसके अगले भाग ‘मुर्दा बाप’ को पढ़ने के लिए मजबूर कर देता है। अगर आप सिर्फ मार-धाड़ या सुपरपावर वाली कॉमिक्स से कुछ अलग, एक परिपक्व और भावनात्मक कहानी पढ़ना चाहते हैं, तो ‘पांच लाख’ आपके लिए ज़रूर पढ़ने लायक कॉमिक्स है। यह आपको हँसाएगी नहीं, न ही गुदगुदाएगी — लेकिन आपके दिल में एक गहरी टीस छोड़ जाएगी, और शायद यही एक अच्छी कहानी की असली पहचान होती है।

1 Comment
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