“राज कॉमिक्स की पेशकश एंथोनी चला बाय (अंक संख्या 1135, मूल्य ₹10.00) को संजय गुप्ता ने प्रस्तुत किया है। इसे तरुणकुमार वाही ने लिखा, मनीष गुप्ता ने संपादित किया, नरेशकुमार और तौफीक ने पेंसिलिंग की और आत्माराम पुंड ने इंकिंग का काम किया है।”
“एंथोनी चला बाय” सिर्फ एक कॉमिक्स नहीं, बल्कि ऐसा किस्सा है जो पाठक को एंथोनी के दर्द, उसके प्रेम और बलिदान की गहराई तक ले जाता है। राज कॉमिक्स के बड़े ब्रह्मांड में एंथोनी एक अलग और दुखभरा नायक है – एक ‘जिन्दा मुर्दा’, जो अपनी अलौकिक ताकत होने के बावजूद अपने परिवार को सामान्य जीवन की खुशियाँ नहीं दे पाता। इस कॉमिक्स का नाम ही बता देता है कि इसमें विदाई छिपी है – और ये विदाई बेहद भावुक और यादगार है।
प्रसिद्ध लेखक तरुणकुमार वाही की ये कहानी सिर्फ एक्शन और रोमांच नहीं है, बल्कि इसमें इंसानी रिश्तों की नर्मी, पितृत्व की तड़प और प्रेम की मजबूरी भी दिखाई देती है। ये किस्सा कॉमिक्स “दोस्त और दुश्मन” की आगे की कड़ी है, जहाँ पहले ही पात्रों के बीच खिंचाव और टकराव दिखाया गया था।
कथावस्तु का गहन विश्लेषण
कहानी की शुरुआत वहीं से होती है जहाँ एंथोनी अपने दोस्त कौए ‘प्रिंस’ के साथ अपनी कब्र के पास है। वह अपनी बेटी मारिया और पत्नी जूली के लिए परेशान रहता है, लेकिन अपनी असली पहचान बताने में असमर्थ है। असली टकराव तीन किरदारों के बीच है – जूली, जो पति की मौत के बाद अकेली माँ की तरह अपनी बेटी के भविष्य की चिंता कर रही है; मारिया, जो अपने पिता के प्यार के लिए तरस रही है; और माइकल, जो दोस्त बनकर जूली और मारिया की जिंदगी में दाखिल होता है।
कहानी में मोड़ तब आता है जब माइकल अपने गुंडों को जूली के घर भेजता है और खुद हीरो की तरह आकर उसे बचाता है। जूली को लगता है कि माइकल अच्छा इंसान है और उस पर भरोसा करने लगती है। ये सब एंथोनी देख रहा होता है, लेकिन कुछ कर नहीं पाता। वो अंदर से गुस्से और बेबसी से भर जाता है, क्योंकि अपने परिवार की रक्षा करने वाला वह खुद नहीं, बल्कि कोई बाहरी आदमी है।

सबसे भावुक पल तब आता है जब मारिया नींद में अपने पिता की खुशबू पहचानती है और “पापा! पापा!” कहकर माइकल से लिपट जाती है। ये दृश्य एंथोनी के टूटे दिल और पिता की मजबूरी को साफ दिखाता है। इसे देखकर जूली फैसला करती है कि वह मारिया को एक पिता देगी। माइकल इसी मौके का फायदा उठाकर शादी का प्रस्ताव रख देता है।
अब एंथोनी के सामने सबसे बड़ा इम्तिहान खड़ा हो जाता है – एक तरफ उसका प्यार, जो उसे जूली को किसी और के साथ देखने नहीं देता, और दूसरी तरफ उसकी बेटी की खुशी, जिसके लिए एक पिता का सहारा जरूरी है। इंस्पेक्टर इतिहास के साथ उसकी बातचीत इस संघर्ष को और गहरा करती है। आखिरकार, एंथोनी अपनी बेटी की खुशी के लिए खुद को त्याग देता है और जूली को माइकल से शादी करने की अनुमति देता है।
कहानी का क्लाइमेक्स जूली और माइकल की शादी वाले दिन आता है। इंस्पेक्टर इतिहास वहाँ माइकल की असलियत खोल देता है कि वह दरअसल ‘एजेंट फिफ्टी’ नाम का अपराधी है। सच सामने आते ही एंथोनी अपने असली डरावने रूप में आकर अपने परिवार को बचाता है। आखिर में, जूली और मारिया को सुरक्षित देखकर एंथोनी सबको “बाय” कहकर हमेशा के लिए विदा ले लेता है।
चरित्र-चित्रण
इस कॉमिक्स की सबसे बड़ी ताकत इसके किरदार हैं। एंथोनी का किरदार एक क्लासिक दुखभरा हीरो है। उसके पास अपार ताकत है, लेकिन वह अपने परिवार के सामने लाचार है। उसका दर्द, उसकी मजबूरी और आखिरकार उसका बलिदान उसे राज कॉमिक्स के सबसे यादगार पात्रों में शामिल कर देता है। दूसरी तरफ, जूली और मारिया इस कहानी की भावनात्मक नींव हैं। जूली का माँ और पत्नी के बीच का संघर्ष और मारिया की मासूम तड़प कहानी में गहराई जोड़ती है। खलनायक माइकल का किरदार भी दमदार है, जो दिखाता है कि सबसे बड़ा खतरा अक्सर दोस्त के नकाब में छिपा होता है। इंस्पेक्टर इतिहास भी अहम है, जो समाज की सख्त हकीकत का प्रतीक है और एंथोनी के साथ उसके संवाद कहानी को दार्शनिक छाप देते हैं।
कला और प्रस्तुति

नरेशकुमार और तौफीक की पेंसिलिंग ने किरदारों की भावनाओं को जिंदा कर दिया है। खासकर एंथोनी के चेहरे का दर्द, जूली की आँखों के आँसू और मारिया की मासूमियत कमाल की लगी है। एक्शन के सीन शानदार और जोश से भरे हुए हैं। वहीं, भावुक पलों में पैनलों का संयोजन कहानी की रफ्तार को सही बनाए रखता है। टी.आर. आजाद का रंग और कैलीग्राफी राज कॉमिक्स की पुरानी क्लासिक झलक दिखाते हैं। एंथोनी के दोस्त कौए ‘प्रिंस’ के जरिये भावनाओं को दिखाना (जैसे क्रॉस गिराना) भी कला का बेहतरीन नमूना है।
विषय और गहरा अर्थ
“एंथोनी चला बाय” बलिदान, प्रेम और धोखे जैसे गहरे विषयों को छूती है। इसका सबसे बड़ा संदेश यही है कि सच्चा प्रेम अक्सर त्याग में छिपा होता है। एंथोनी अपनी खुशी से पहले अपनी बेटी की खुशी चुनता है। ये कहानी पिता होने का मतलब भी नए तरीके से समझाती है – कि पिता होना सिर्फ पास खड़े रहने तक सीमित नहीं, बल्कि अपनी संतान की भलाई सुनिश्चित करना है, चाहे इसके लिए खुद दूर क्यों न होना पड़े। माइकल का किरदार ये दिखाता है कि कैसे लोग विश्वास का गलत फायदा उठा सकते हैं। और सबसे अहम बात, ये कॉमिक्स बताती है कि भावनाएं कितनी भी गहरी हों, समाज के बनाए नियम अक्सर उन पर भारी पड़ते हैं।
निष्कर्ष
“एंथोनी चला बाय” राज कॉमिक्स के इतिहास की एक यादगार कड़ी है। ये सिर्फ हॉरर या सुपरहीरो कॉमिक्स नहीं, बल्कि एक पारिवारिक ड्रामा है जो दिल को छू जाता है। तरुणकुमार वाही ने ‘जिन्दा मुर्दे’ के इस किरदार को इतना जीवंत बना दिया है कि पाठक उसके दर्द को महसूस करता है। यह कहानी एंथोनी को एक संपूर्ण और भावुक अंत देती है, जो हमेशा याद रहेगा। यह कॉमिक्स हर उस पाठक के लिए जरूरी है जो एक्शन और रोमांच से आगे बढ़कर भावनाओं और सोच से भरी कहानी पढ़ना चाहता है। ये साबित करती है कि भारतीय कॉमिक्स इंसानी रिश्तों और भावनाओं को कितनी गहराई से दिखा सकती हैं।