यह कॉमिक सिर्फ एक थ्रिलर भर नहीं है, बल्कि यह बच्चों की गहरी दोस्ती, एक-दूसरे पर भरोसा और हालात से लड़ने की हिम्मत को भी दिखाती है। कवर पेज पर बच्चों को गंदे पानी में एक विशालकाय साँप से जूझते हुए दिखाया गया है, जो साफ इशारा करता है कि अंदर खतरे पहले से कहीं ज़्यादा बड़े और डरावने हैं।
कथासार (Detailed Plot Summary): मौत के मुहाने पर संघर्ष
कहानी ठीक वहीं से शुरू होती है, जहाँ पिछली कॉमिक खत्म हुई थी। ऑक्टोपस से किसी तरह बच निकलने के बाद पाँचों दोस्त—प्रतीक, अफसाना, जॉनी, रुस्तम और हरजीत—अपनी जान बचाने के लिए गटर की अंधेरी और उलझी सुरंगों में अलग-अलग दिशाओं में भाग जाते हैं। भागदौड़ के बीच अफसाना अपने दोस्तों से अलग हो जाती है। चारों तरफ घुप अंधेरा और सन्नाटा होता है, जिससे उसका डर और बढ़ जाता है। वह घबराकर अपने दोस्तों को आवाज़ लगाती है। थोड़ी देर बाद एक-एक करके सभी दोस्त फिर से एक जगह इकट्ठा हो जाते हैं। प्रतीक, जो हमेशा समझदारी से सोचता है, सबको शांत रहने के लिए कहता है। लेकिन तभी अचानक जॉनी की तेज चीख सुनाई देती है।

जॉनी एक बहुत ही भयानक मुसीबत में फँस जाता है। गटर के तेज बहाव के साथ वह एक विशाल एग्जास्ट फैन (Exhaust Fan) की तरफ खिंचता चला जा रहा होता है। अगर वह उस घूमते पंखे से टकरा जाता, तो उसका बचना नामुमकिन था। यह सीन बेहद तनाव से भरा हुआ है। बाकी चारों दोस्त बिना वक्त गंवाए उसे बचाने दौड़ पड़ते हैं। वे अपनी-अपनी शर्ट और कपड़े उतारकर उन्हें जोड़ते हैं और एक लंबी रस्सी बना लेते हैं। यह पल बच्चों की तेज सोच (Quick Thinking) और बेहतरीन टीम वर्क को दिखाता है। वे रस्सी जॉनी की तरफ फेंकते हैं और पूरी ताकत लगाकर उसे खींच लेते हैं, जिससे वह मौत के मुंह से बाहर आ जाता है।
कहानी इसी बीच बाहर की दुनिया में भी चलती रहती है। बच्चों के माता-पिता पुलिस स्टेशन में उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराते हैं। इंस्पेक्टर विवेक सिन्हा इस मामले की गंभीरता को तुरंत समझ जाते हैं। उन्हें पता चलता है कि शहर में बाढ़ का खतरा है और जल्द ही नदी का पानी गटर में छोड़ा जाने वाला है, जिससे गटर का पानी और ऊपर उठ जाएगा। यह खबर बच्चों की जान के लिए खतरे को कई गुना बढ़ा देती है।
हालात को देखते हुए इंस्पेक्टर विवेक बिना देर किए एक रेस्क्यू टीम के साथ गटर में उतरने का फैसला करते हैं।
गटर के अंदर बच्चों का सामना एक बार फिर उन खूंखार, मांस खाने वाले चूहों से होता है। चूहे धीरे-धीरे उन्हें चारों तरफ से घेर लेते हैं। तभी अफसाना की नज़र एक लोहे की जाली (Grill) पर पड़ती है। सभी बच्चे मिलकर पूरी ताकत से उस जाली को नीचे गिरा देते हैं, जिससे चूहों और उनके बीच एक मज़बूत रुकावट बन जाती है। इस तरह वे एक बार फिर चूहों के हमले से बाल-बाल बच जाते हैं।

लेकिन खतरे यहीं खत्म नहीं होते। गंदे पानी के बीच अचानक एक विशालकाय कोबरा साँप हरजीत पर हमला कर देता है। साँप अपनी कुंडली में हरजीत को जकड़ लेता है। वह उसे डसने ही वाला होता है कि तभी हरजीत को पानी में तैरता हुआ एक धारदार औज़ार या कैंची जैसा हथियार मिल जाता है, जो शायद पहले से वहाँ पड़ा होता है। हरजीत उसी हथियार से साँप पर वार करता है और खुद को उसकी पकड़ से छुड़ा लेता है। सबसे बड़ा झटका तब लगता है, जब वही विशालकाय ऑक्टोपस—जिसे बच्चे पिछली बार मरा हुआ समझ चुके थे—अचानक फिर से हमला कर देता है। वह अपनी लंबी भुजाओं में रुस्तम को कसकर जकड़ लेता है। बाकी बच्चे पूरी कोशिश करते हैं कि किसी तरह रुस्तम को छुड़ा सकें।
उसी समय इंस्पेक्टर विवेक और उनकी रेस्क्यू टीम वहाँ पहुँच जाती है। पुलिस वाले ऑक्टोपस पर लगातार गोलियाँ चलाते हैं, लेकिन उसकी मोटी और सख्त खाल पर गोलियों का कोई खास असर नहीं होता।
क्लाइमेक्स:

अब हालात पूरी तरह बेकाबू हो जाते हैं। गटर के अंदर पानी का स्तर बहुत तेज़ी से बढ़ने लगता है। इंस्पेक्टर विवेक को अचानक एक ग्रेनेड (हथगोला) या किसी विस्फोटक चीज़ का ख्याल आता है। वे ऑक्टोपस की तरफ ग्रेनेड फेंकते हैं (या कोई भारी विस्फोटक वस्तु, जैसा कि चित्रों में पूरी तरह साफ़ नहीं है, लेकिन ज़ोरदार धमाका होता है)। इस धमाके के बाद ऑक्टोपस या तो मारा जाता है या फिर वहाँ से भाग जाता है।
आख़िरकार पुलिस टीम सभी बच्चों को मैनहोल की सीढ़ियों (Manhole Ladder) के ज़रिए सुरक्षित बाहर निकाल लेती है। बाहर निकलते ही माता-पिता अपने बच्चों को गले लगा लेते हैं। कहानी का अंत एक राहत भरे और सुखद माहौल में होता है।
चरित्र विश्लेषण (Character Analysis)
पाँच दोस्त (The Five Friends):
इस कॉमिक में हर बच्चे को अपनी बहादुरी और समझदारी दिखाने का पूरा मौका मिला है।

जॉनी: वह सबसे ज़्यादा मुसीबत में फँसता है, लेकिन हिम्मत नहीं हारता।
प्रतीक: कपड़ों से रस्सी बनाने का आइडिया देकर वह साबित करता है कि वह एक नेचुरल लीडर है।
अफसाना: लोहे की जाली गिराकर चूहों को रोकने का श्रेय उसी को जाता है। वह निडर और समझदार है।
हरजीत: साँप से भिड़कर वह अपनी बहादुरी दिखाता है।
रुस्तम: ऑक्टोपस की पकड़ में आने के बाद भी वह हार नहीं मानता।
इंस्पेक्टर विवेक सिन्हा:
वह एक जिम्मेदार और संवेदनशील पुलिस अधिकारी हैं। वे सिर्फ़ थाने में बैठकर रिपोर्ट नहीं लिखते, बल्कि खुद गटर में उतरकर बच्चों की जान बचाते हैं। उनका किरदार पुलिस के मानवीय और कर्तव्यनिष्ठ चेहरे को सामने लाता है।
खलनायक (Creatures):
गटर के अंदर रहने वाले जीव—चूहे, साँप और ऑक्टोपस—ही इस कहानी के असली विलेन हैं। ये किसी भी सुपरविलेन से कम खतरनाक नहीं लगते। ऑक्टोपस का बार-बार लौटना उसे लगभग एक ‘अमर’ राक्षस जैसा बना देता है।
कला और चित्रांकन (Artwork and Visualization):
प्रदीप सोनी का चित्रांकन कहानी के रोमांच को कई गुना बढ़ा देता है। एग्जॉस्ट फैन वाले सीन में जॉनी का पंखे की तरफ खिंचना और पानी की उफनती लहरें बेहद डरावना और असली जैसा एहसास कराती हैं। साँप और ऑक्टोपस जैसे जीवों को बहुत ही खौफनाक अंदाज़ में दिखाया गया है। खासकर ऑक्टोपस की आँखें और उसके सक्शन कप्स (Suction Cups) की बारीक डिटेलिंग कलाकार की मेहनत और काबिलियत को दिखाती है।

गटर के अंदर के दृश्यों में पीले, हरे और नीले रंगों का इस्तेमाल एक ज़हरीले (Toxic) और अंधेरे माहौल को जीवंत बना देता है, जिससे पढ़ते समय सिहरन महसूस होती है। बच्चों के चेहरों पर डर, घबराहट और अंत में मिलने वाली राहत के भाव, साथ ही माता-पिता की बेचैनी, इतने साफ़ तरीके से दिखाए गए हैं कि पाठक भावनात्मक रूप से कहानी से जुड़ जाता है।
सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पहलू:
“हत्यारा गटर” सिर्फ़ एक काल्पनिक कहानी नहीं है, बल्कि इसमें ज़िंदगी से जुड़ी ज़रूरी सीख और सामाजिक जागरूकता भी छुपी है। यह कहानी आपदा प्रबंधन की अहमियत को सामने लाती है, जहाँ कपड़ों से रस्सी बनाने जैसे जुगाड़ यह दिखाते हैं कि मुश्किल समय में घबराने के बजाय समझदारी और नए तरीकों से कैसे जान बचाई जा सकती है।
इसके साथ ही, यह कहानी दोस्ती की ताकत को भी दिखाती है, जहाँ बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर भी एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ते। प्रशासन की भूमिका के रूप में यह एक सजग और जिम्मेदार पुलिस व्यवस्था का उदाहरण पेश करती है, जो समय रहते कदम उठाकर बड़ी अनहोनी को टाल देती है। अंत में, यह कॉमिक बच्चों और माता-पिता दोनों के लिए एक चेतावनी भी है कि अनजान और असुरक्षित जगहों के प्रति लापरवाही कितनी खतरनाक हो सकती है।
आलोचनात्मक दृष्टिकोण (Critical Review):
सकारात्मक:
कहानी की रफ्तार कहीं भी धीमी नहीं पड़ती। एक खतरा खत्म होता है तो तुरंत दूसरा सामने आ जाता है। पिछली कॉमिक “गटर” का अंत अधूरा था, लेकिन “हत्यारा गटर” कहानी को एक तार्किक और संतोषजनक अंजाम तक पहुँचाता है। बच्चों के पास कोई सुपरपावर नहीं है, वे अपनी समझ और हिम्मत के दम पर लड़ते हैं, जिससे कहानी ज़्यादा विश्वसनीय लगती है।
नकारात्मक:
साँप को काटने और ऑक्टोपस को उड़ाने वाले दृश्य कुछ हद तक हिंसक लग सकते हैं। एक ही गटर में इतने विशाल जीवों—कोबरा और ऑक्टोपस—का होना थोड़ा फिल्मी लगता है, लेकिन एडवेंचर जॉनर में इसे नज़रअंदाज़ किया जा सकता है।
निष्कर्ष (Conclusion):
“हत्यारा गटर” एक शानदार सर्वाइवल थ्रिलर कॉमिक है। यह 90 के दशक की उन चुनिंदा कॉमिक्स में से है, जो बिना किसी सुपरहीरो के भी पाठकों को आख़िर तक बाँधे रखती थीं। हनीफ अजहर की कहानी और प्रदीप सोनी की कला ने इसे एक यादगार अनुभव बना दिया है।
यह कॉमिक बच्चों को टीम वर्क, धैर्य और समस्या सुलझाने की समझ सिखाती है। उस दौर में सिर्फ़ 7 रुपये में यह एक पूरा मनोरंजन पैकेज थी।
अगर आपको रोमांच से भरी कहानियाँ पसंद हैं और आप देखना चाहते हैं कि कैसे पाँच आम बच्चे बेहद खतरनाक हालात से लड़कर जीत हासिल करते हैं, तो “हत्यारा गटर” आपके लिए सच में एक मस्ट रीड (Must Read) है।
रेटिंग: 4.5/5
(बेहतरीन सीक्वल, लगातार रोमांच और सकारात्मक संदेश के लिए)
