सुपर कमांडो ध्रुव — एक ऐसा हीरो जो अपनी ताकत या अलौकिक शक्तियों से नहीं, बल्कि अपनी समझदारी, साइंटिफिक सोच और न हार मानने वाले जज़्बे के लिए जाना जाता है। ध्रुव की कॉमिक्स सिर्फ मारधाड़ तक सीमित नहीं होतीं, बल्कि उनमें रहस्य, रोमांच और समाज के लिए एक मजबूत संदेश भी छिपा होता है।
इसी कड़ी में, राज कॉमिक्स का स्पेशल इश्यू “हत्यारी राशियां” (संख्या ५३) एक ऐसी शानदार कहानी है, जिसने कॉमिक्स प्रेमियों के दिलों में खास जगह बना ली। अनुपम सिन्हा जी की लिखी और बनाई यह कहानी सिर्फ एक कॉमिक्स नहीं, बल्कि विज्ञान, अंधविश्वास, किस्मत और इंसान के कर्मों के टकराव का एक ज़बरदस्त सफर है। करीब ६० पन्नों की यह कहानी हर पैनल में एक नई दुनिया दिखाती है।
“हत्यारी राशियां” जैसी बेहतरीन कॉमिक्स के पीछे एक दमदार टीम का हाथ था — कहानी और आर्ट दोनों का जिम्मा अनुपम सिन्हा ने संभाला, इंकिंग की विनोद कुमार ने, और एडिटिंग की मनीष गुप्ता ने। भारतीय कॉमिक्स की दुनिया में अनुपम सिन्हा का नाम क्वालिटी की गारंटी था। जब कहानी और आर्ट, दोनों पर उनका कंट्रोल होता था, तो ये तय रहता था कि हर सीन और हर भावना एक-दूसरे से पूरी तरह जुड़ी हों — जिससे पाठक को एक यादगार और इमोशनल सफर मिल सके।

आज हम इसी क्लासिक कॉमिक्स की गहराई में उतरेंगे और समझेंगे कि क्यों “हत्यारी राशियां” आज भी उतनी ही रोमांचक और मायने रखने वाली है।
कथानक: भाग्य, सितारे और एक महा–अपराध
कहानी की शुरुआत होती है ब्रह्मांड के रहस्यों और ज्योतिष विज्ञान की दुनिया से — यानी तारों और ग्रहों से।
भविष्यवाणी
पहले ही पन्ने पर हम एक रहस्यमयी, हाई-टेक लैब में दो लोगों को देखते हैं। उनमें से एक खुद को “नास्त्रेदमस” कहता है (Nostradamus का एक आधुनिक रूप)। वह अपने कंप्यूटर पर एक लग्न कुंडली का एनालिसिस कर रहा है। वह बताता है कि रात के ८:१२ पर शनि और चंद्रमा का योग उसके “काम” के लिए सबसे सही समय है। वह आत्मविश्वास से कहता है कि उसे सफलता ज़रूर मिलेगी — लेकिन “थोड़ा खतरा” है। और दिलचस्प बात ये है कि उसे ये भी पता है कि वो खतरा कौन है।
उसी वक्त, राजनगर के दूसरे हिस्से में ध्रुव की बहन श्वेता अखबार में ध्रुव की राशि (वृश्चिक) का भविष्यफल पढ़ रही होती है। उसमें लिखा है कि ध्रुव को उस रात पहले पहर में बाहर नहीं निकलना चाहिए क्योंकि “शारीरिक नुकसान की संभावना है।”
ध्रुव, जो पूरी तरह विज्ञान और तर्क में यकीन करता है, इस बात पर हँस देता है और कहता है कि ये सब अंधविश्वास है।
यहीं से कहानी का असली संघर्ष शुरू होता है — क्या इंसान की किस्मत पहले से तय है या वो खुद अपनी किस्मत लिखता है?
पहेली और पड़ताल
अब कहानी में आती है ‘इंडियन टाइम्स’ की रिपोर्टर नताशा, जो ध्रुव की करीबी दोस्त भी है। श्वेता उसे फोन करके पूछती है उस ‘नास्त्रेदमस’ के बारे में, जिसकी भविष्यवाणियाँ इतनी सटीक निकल रही हैं। नताशा, जो हमेशा सच्चाई की तह तक जाने में यकीन रखती है, इस रहस्यमयी ज्योतिषी की जांच करने का फैसला करती है।
दूसरी तरफ, नास्त्रेदमस अपनी भविष्यवाणी के मुताबिक अपने गुर्गों को भेजता है एक वैन पर हमला करने के लिए — ‘सेफ सिक्योरिटी सर्विसेज़’ की वैन। उन्हें पूरा यकीन है कि तीन वैनों में से उसी में वो छोटा बक्सा है जिसकी उन्हें तलाश है।
पहली मुठभेड़ और “भाग्य” की जीत
ध्रुव, जिसे पहले से इस लूट की भनक लग चुकी होती है, वहाँ समय पर पहुँच जाता है। वह गुंडों से भिड़ता है और जमकर मुकाबला करता है। लेकिन तभी नास्त्रेदमस अपने दो अजीब से साथियों के साथ वहाँ पहुँचता है। उसे पहले से पता था कि ध्रुव वहाँ आएगा — वही “खतरा” जिसकी उसने भविष्यवाणी में बात की थी।
अब ध्रुव का सामना सिर्फ गुंडों से नहीं, बल्कि एक ऐसी टेक्नॉलॉजी से होता है जो जादू जैसी लगती है। नास्त्रेदमस इस्तेमाल करता है ‘साइकोमैग्नेटिक रिंग्स’ (Psychomagnetic Rings) का, जो ध्रुव को जकड़ लेती हैं। ध्रुव की साइंस, उसकी चालाकी और ताकत — सब नास्त्रेदमस की “भविष्यवाणी” और उसकी टेक्नोलॉजी के आगे फेल हो जाती हैं।

नास्त्रेदमस ध्रुव को पकड़कर अपने साथ ले जाता है और वैन को लूट लिया जाता है। ऐसा लगता है मानो इस बार किस्मत और राशियों की जीत हुई, और ध्रुव की राशि का कहा “शारीरिक नुकसान” सच साबित हो गया।
दो नास्त्रेदमस?
यहाँ कहानी एक बहुत दिलचस्प और चालाक मोड़ लेती है। हमें पता चलता है कि जिस अख़बार में श्वेता ने ध्रुव का भविष्यफल पढ़ा था, वो असल में एक बुजुर्ग ज्योतिषी मिस्टर स्वरूप लिखते थे।
अब एंट्री होती है असली खलनायक नास्त्रेदमस की, जो इस बूढ़े ज्योतिषी से मिलता है और सच बताता है — कि मिस्टर स्वरूप तो बस एक मोहरा थे।
असल में नास्त्रेदमस ने उनके कंप्यूटर ‘कंप्यूटर–मित्र’ को हैक कर रखा था और वही धोखे से अपनी झूठी भविष्यवाणियाँ उसमें डालता था। इन भविष्यवाणियों को सच साबित करके उसने लोगों के बीच ‘नास्त्रेदमस’ के नाम का डर और विश्वास दोनों पैदा कर दिया, ताकि अपनी बड़ी योजना को अंजाम दे सके।
इसी बीच, ध्रुव अपनी समझदारी और बेल्ट में छिपे गैजेट्स की मदद से नास्त्रेदमस की कैद से निकल भागता है।
‘हत्यारी राशियां’ का असली खेल
नताशा अपनी जांच में जुटी रहती है और एक पते तक पहुँचती है, जहाँ उस पर हमला कर दिया जाता है।
लेकिन नताशा कोई आम लड़की नहीं — वह ट्रेनिंग प्राप्त फाइटर है। वह गुंडों की जमकर धुनाई करती है और वहाँ से सही-सलामत निकलती है।
उधर, ध्रुव को पता चलता है कि नास्त्रेदमस का असली निशाना है जे.जे. ज्वेलर्स की प्रदर्शनी, जहाँ रखे गए हैं बारह राशियों के प्रतीक — यानी बहुमूल्य रत्न, जिन्हें ‘राशियां’ कहा गया है।
नास्त्रेदमस का मानना है कि इन रत्नों में कुछ अलौकिक शक्तियाँ छिपी हैं, और इन्हें हासिल कर वह दुनिया पर राज कर सकता है।
पृथ्वी पर चरमोत्कर्ष
नास्त्रेदमस पुलिस वैन पर हमला करता है, जिसमें वे “राशियां” ले जाई जा रही थीं।
वह अपनी खास ‘उल्काओं की पेटी’ (Meteorite Belt) से वैन पर प्रहार करता है। लेकिन जैसे ही वैन का दरवाज़ा खुलता है, उसमें से मिस्टर स्वरूप के भेष में खुद ध्रुव निकलता है!
ध्रुव ने उसकी पूरी योजना पहले ही समझ ली थी और अब वो तैयार था उसका खेल खत्म करने के लिए।
ध्रुव और नास्त्रेदमस के बीच ज़बरदस्त लड़ाई होती है। ध्रुव यह खुलासा करता है कि नास्त्रेदमस की सारी “ज्योतिषीय शक्ति” असल में कोई चमत्कार नहीं, बल्कि हाई–टेक मशीनों, कंप्यूटर हैकिंग और गुप्त जानकारी का खेल थी।
लेकिन नास्त्रेदमस अभी भी बहुत ताकतवर है। वह ध्रुव को लगभग हरा ही देता है… और तब सामने आती है वह राशि — “धनु” (Sagittarius)।
नास्त्रेदमस एक विशाल पिंजरा खोलता है, और उसमें से निकलता है एक जिंदा सेंटोर (Centaur) — आधा इंसान, आधा घोड़ा — जो यूनानी मिथक का धनुर्धर योद्धा है।
नास्त्रेदमस उस सेंटोर को आदेश देता है कि वह ध्रुव को खत्म कर दे।
कर्म, भाग्य पर भारी
यहीं कहानी अपना असली मतलब दिखाती है।
ध्रुव उस सेंटोर को एक दुश्मन की तरह नहीं, बल्कि एक और कैदी की तरह देखता है। वह उससे लड़ने की बजाय, उसे नास्त्रेदमस के खिलाफ खड़ा होने के लिए प्रेरित करता है।
सेंटोर को एहसास होता है कि असली दुश्मन ध्रुव नहीं, बल्कि वही इंसान है जिसने उसे कैद किया — यानी नास्त्रेदमस।

इसके बाद ध्रुव और सेंटोर एक साथ मिलकर नास्त्रेदमस और उसके गुर्गों से लड़ते हैं।
धरती पर, नताशा और मिस्टर स्वरूप ‘कंप्यूटर–मित्र’ की मदद से ध्रुव की लोकेशन ट्रैक करने में लगे हैं।
अंत में, ध्रुव और सेंटोर की संयुक्त ताकत से नास्त्रेदमस और उसके साथियों की हार होती है।
ध्रुव सेंटोर को आज़ाद कर देता है और खुद एक एस्केप पॉड (Escape Pod) के ज़रिए धरती पर लौट आता है।
उधर, नास्त्रेदमस का स्पेसशिप नियंत्रण खो देता है और अंतरिक्ष में हमेशा के लिए भटक जाता है।
समीक्षा और विश्लेषण (Review and Analysis)
कॉमिक्स “हत्यारी राशियां” सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि अनुपम सिन्हा की रचनात्मकता का एक जबरदस्त नमूना है। यह कहानी भाग्य बनाम कर्म के दर्शन को बहुत खूबसूरती से दिखाती है —
जहाँ ध्रुव अपनी समझ, हिम्मत और कर्म से न सिर्फ अपनी “शारीरिक क्षति” की भविष्यवाणी को गलत साबित करता है, बल्कि उस भाग्य के “निर्माता” नास्त्रेदमस को भी मात देता है।
यह कहानी साफ तौर पर बताती है कि असली ताकत इंसान के कर्म और सोच में है, न कि भाग्य या अंधविश्वास में।
नास्त्रेदमस की “जादुई ज्योतिषी शक्ति” आखिर में सिर्फ टेक्नोलॉजी और धोखे का खेल निकलती है, जिससे यह कॉमिक्स एक मजबूत संदेश देती है — कि हर रहस्य को तर्क और विज्ञान की नज़र से देखना चाहिए।
कहानी का फ्लो और उसमें आने वाले अप्रत्याशित ट्विस्ट इसे एक साधारण क्राइम थ्रिलर से आगे बढ़ाकर एक रोमांचक जासूसी + साइ–फाई एडवेंचर बना देते हैं।
एलियन और सेंटोर वाला ट्विस्ट पाठक को हैरान कर देता है, और यही अनुपम सिन्हा की कल्पनाशक्ति का कमाल है।
उनकी आर्टवर्क की बात करें तो — हर पैनल में जान है। चेहरे के भाव, एक्शन सीन और अंतरिक्ष यान जैसे डिजाइन इतने असरदार हैं कि हर फ्रेम कहानी को और आगे धकेलता है।
संवाद भी छोटे, प्रभावशाली और सटीक हैं — ध्रुव के तर्कभरे डायलॉग और नास्त्रेदमस के अहंकारी संवादों के बीच की टक्कर पढ़ने में मज़ा देती है।
नताशा के छोटे लेकिन असरदार संवाद भी कहानी को भावनात्मक गहराई देते हैं।
इसी वजह से “हत्यारी राशियां” सिर्फ एक कॉमिक्स नहीं, बल्कि भारतीय कॉमिक्स इतिहास की एक यादगार और क्लासिक कृति बन जाती है।
निष्कर्ष: क्यों ‘हत्यारी राशियां’ एक क्लासिक है?
“हत्यारी राशियां” राज कॉमिक्स के उस स्वर्ण युग की याद दिलाती है, जब कॉमिक्स सिर्फ बच्चों के टाइमपास के लिए नहीं, बल्कि सोचने पर मजबूर करने के लिए बनाई जाती थीं।
यह कहानी हमें सिखाती है कि असली ताकत हमारे हाथों में नहीं, न ही किसी सितारे में — बल्कि हमारे दिमाग और कर्म में होती है।
यह कॉमिक्स ज्योतिष और विज्ञान जैसे दो बिल्कुल अलग विचारों के बीच एक सुंदर संतुलन बनाती है।
और अंत में, यह साफ तौर पर बताती है कि इंसान का कर्म हमेशा भाग्य पर भारी पड़ता है।
इसका अप्रत्याशित क्लाइमेक्स, ध्रुव जैसा मजबूत और समझदार हीरो, और इसके भीतर छिपा गहरा संदेश — ये सब मिलकर इसे एक “Must-Read” कॉमिक्स बना देते हैं।
अगर आप पुराने दिनों की वो कॉमिक्स वाली जादू भरी फीलिंग फिर से जीना चाहते हैं, या किसी नए पाठक को दिखाना चाहते हैं कि भारतीय कॉमिक्स में कितनी गहराई और कल्पना हो सकती है —
तो “हत्यारी राशियां” से बेहतर उदाहरण शायद ही कोई हो।
यह सिर्फ एक कॉमिक्स नहीं, बल्कि एक ऐसा अनुभव है जो आज भी उतना ही रोमांचक, विचारोत्तेजक और ताज़ा लगता है —
मानो इसे अभी-अभी लिखा गया हो।
अंतिम रेटिंग: ⭐⭐⭐⭐⭐ (५/५ सितारे — एक सच्ची कालजयी कृति!)
