नब्बे के दशक में तुलसी कॉमिक्स ने भी अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। तुलसी कॉमिक्स अपने अलग-अलग किरदारों और रोमांच से भरी कहानियों के लिए मशहूर थी — जिनमें अंगारा, तौसी, जम्बू और बैताल जैसे पॉपुलर हीरो शामिल थे। इसी सिलसिले में आज हम तुलसी कॉमिक्स डाइजेस्ट के अंक संख्या 454, “मिस्टर इंडिया” की विस्तार से चर्चा करेंगे। यह कॉमिक सिर्फ एक कहानी नहीं है, बल्कि एक नए सुपरहीरो ‘मिस्टर इंडिया’ के जन्म की कहानी भी है। इसे लिखा है परशुराम शर्मा ने और संपादन किया है प्रमिला जैन ने। यह कॉमिक्स उस दौर की कहानी कहने की स्टाइल, आर्टवर्क और कल्पना का शानदार उदाहरण है।
इस रिव्यू में हम इस कॉमिक्स के हर हिस्से को करीब से समझेंगे — इसकी कहानी, किरदारों की प्रस्तुति, आर्ट स्टाइल, और उस वक्त के हिसाब से इसका महत्व। साथ ही, हम यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि क्या यह कॉमिक आज भी उतनी ही रोमांचक और दिलचस्प लगती है, जितनी अपने समय में थी।
कहानी की झलक: एक बहादुर मिशन की शुरुआत
कहानी की शुरुआत होती है एक जांबाज और देशभक्त भारतीय वायुसेना के पायलट इंद्रजीत से। इंद्रजीत कोई आम पायलट नहीं, बल्कि ऐसा वीर है जिसने कई जंगों में अपनी उड़ान की शानदार कला और हिम्मत से जीत का रुख बदल दिया है। कॉमिक्स के शुरुआती कुछ पन्नों में ही उसके स्वभाव की झलक मिल जाती है — अनुशासित, निडर और पूरी तरह देश के लिए समर्पित। उसके सीनियर ऑफिसर भी उसकी काबिलियत को मानते हैं।
कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब इंडियन सीक्रेट सर्विस वायुसेना से अपने एक बेहद खतरनाक मिशन के लिए सबसे अच्छे पायलट की मांग करती है। इस मिशन के लिए चुना जाता है — इंद्रजीत को। बिना किसी सवाल के, वो तुरंत अपना फर्ज निभाने के लिए तैयार हो जाता है। उसे अपने पसंदीदा विमान ‘टाइगर’ के साथ एक गुप्त और खतरनाक जगह ‘कालापट्टी’ पर उतरने का आदेश मिलता है। यहीं से कहानी में असली रोमांच शुरू होता है।

‘कालापट्टी’ तक का सफर बहुत मुश्किल है। इंद्रजीत को संकरे पहाड़ों के बीच से विमान उड़ाना पड़ता है, जहाँ एक छोटी सी गलती भी जानलेवा साबित हो सकती है। कलाकार ने इन दृश्यों को इतनी खूबसूरती से बनाया है कि पाठक खुद को उसी स्थिति में महसूस करता है — मानो वह खुद उस विमान में बैठा हो। आखिरकार, इंद्रजीत बड़ी कुशलता से उस खतरनाक पट्टी पर लैंड करता है। यह उसकी काबिलियत और हिम्मत का पहला बड़ा सबूत है।
‘कालापट्टी’ पर पहुंचकर उसका स्वागत कैप्टन गगन करता है। गगन बताता है कि उससे पहले तीन पायलट इसी कोशिश में अपनी जान गंवा चुके हैं। यह सुनकर मिशन की गंभीरता और खतरे का एहसास और गहरा हो जाता है। इसके बाद इंद्रजीत को एक गुप्त भूमिगत अड्डे पर ले जाया जाता है, जहाँ उसकी मुलाकात होती है सीक्रेट सर्विस के चीफ ‘जयभारत’ से।
मिशन का खुलासा और सुपरहीरो टीम का परिचय
चीफ जयभारत अब इंद्रजीत को असली मिशन के बारे में बताते हैं। मिशन है — ‘ज़ेब्रा घाटी’ में स्थित ‘ज्वाला पहाड़’ पर उतरना। लेकिन यह कोई आम पहाड़ नहीं है। इसकी काली चट्टानों में एक अजीब चुंबकीय ताकत है, जो किसी भी विमान को अपनी ओर खींचकर तुरंत नष्ट कर देती है। इस पहाड़ की चोटी पर एक ज्वालामुखी का मुंह है, और खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उसके अंदर शायद कोई दूसरी दुनिया या दुश्मनों का गुप्त ठिकाना हो सकता है। अब तक पांच पायलट इस मिशन में अपनी जान गंवा चुके हैं — और इंद्रजीत अब छठा है, जो इस खतरनाक सफर पर निकलने वाला है।
मिशन के खतरे और जटिलता को देखते हुए, जयभारत इंद्रजीत को उसकी टीम से मिलवाते हैं। लेकिन यह कोई आम टीम नहीं है — बल्कि अलौकिक शक्तियों वाले हीरो का एक ग्रुप है:
नागरानी: एक इच्छाधारी नागिन जो किसी भी रूप में बदल सकती है। उसकी फुंकार इतनी जहरीली है कि पत्थर तक पिघल जाए। उसकी खूबसूरती के पीछे छिपा है एक घातक रहस्य।
दारा: जबरदस्त ताकत वाला इंसान। उसका शरीर लोहे की तरह सख्त है — गोलियाँ भी उस पर असर नहीं करतीं। टीम का असली बाहुबली वही है।
आग्निपुत्र: नाम से ही साफ है, उसे आग पर पूरा नियंत्रण है। वह अपने शरीर से आग निकाल सकता है और अपने चारों तरफ जलती लपटों की दीवार बना देता है।
प्रोफेसर इक़बाल: एक जीनियस वैज्ञानिक — टीम का दिमाग। उसकी समझ, टेक्नोलॉजी और वैज्ञानिक ज्ञान टीम के लिए बेहद ज़रूरी हैं।
इस तरह, एक बहादुर पायलट, एक रूप बदलने वाली नागिन, एक फौलादी ताकत वाला इंसान, एक आग को काबू में करने वाला योद्धा और एक होशियार वैज्ञानिक — मिलकर बनाते हैं एक ऐसी सुपरहीरो टीम, जो किसी भी चुनौती से भिड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है।
ज्वालामुखी के अंदर का रहस्यमयी संसार
टीम अपने खतरनाक मिशन के लिए निकल पड़ती है। इंद्रजीत अपनी उड़ान कला का कमाल दिखाते हुए विमान को ‘ज्वाला पहाड़’ की चुंबकीय खिंचाव से बचाते हुए आखिरकार ज्वालामुखी के मुंह के अंदर उतार देता है।
अंदर का नज़ारा देखकर सब हैरान रह जाते हैं — वहाँ एक भविष्य जैसा शहर बसा हुआ है, जो पूरी तरह अत्याधुनिक मशीनों और चमकते ढाँचों से बना है। यह नज़ारा मानो किसी साइंस-फिक्शन फिल्म से बाहर निकल आया हो।

लेकिन उनका स्वागत बिल्कुल अच्छा नहीं होता। जैसे ही वे उतरते हैं, उन पर हमला कर देते हैं पंखों वाले डरावने सैनिक। यहाँ से कॉमिक्स का एक्शन सीक्वेंस शुरू होता है और रोमांच अपने चरम पर पहुँच जाता है।
दारा अपनी ताकत से दुश्मनों को उठाकर पटक देता है, नागरानी अपने जहर भरे फुंकार से कई दुश्मनों को ढेर करती है, और आग्निपुत्र चारों तरफ आग बरसा देता है। लेकिन सामने वाले सैनिक संख्या में बहुत ज्यादा हैं — और तकनीकी रूप से उनसे कहीं आगे।
एक विशेष ऊर्जा किरण दारा की ताकत को खत्म कर देती है, और कुछ ही देर में पूरी टीम को पकड़ लिया जाता है। इस पल के बाद कहानी में रहस्य, विज्ञान और थ्रिल — तीनों का मिश्रण और भी गहरा हो जाता है।
खलनायिका महारानी स्पार्टा और अंतिम टकराव
टीम को पकड़कर उस रहस्यमयी दुनिया की महारानी स्पार्टा के सामने पेश किया जाता है। रानी स्पार्टा बेहद खूबसूरत है, लेकिन उतनी ही निर्दयी और महत्वाकांक्षी भी। उसके चेहरे पर एक शाही आत्मविश्वास है, पर उसकी नज़र में छलकता है घमंड और क्रूरता। वह बताती है कि वह और उसके लोग किसी दूसरे ग्रह से आए हैं, और उनका असली मकसद है — पृथ्वी पर कब्ज़ा करना।
रानी स्पार्टा हमारे नायकों की शक्तियों से बेहद प्रभावित होती है। वह उन्हें अपनी सेना में शामिल होने का ऑफर देती है — “हम मिलकर इस धरती पर राज कर सकते हैं।” लेकिन हमारे हीरो हैं कि झुकने वाले नहीं। वे साफ़ मना कर देते हैं। यही से शुरू होता है असली संघर्ष।
कहानी अब अपने क्लाइमैक्स की ओर बढ़ती है। टीम किसी तरह कैद से आज़ाद हो जाती है और वहाँ से निकलने की कोशिश करती है। प्रोफेसर इक़बाल अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए दुश्मन के बेस में एक तकनीकी कमजोरी ढूंढ निकालते हैं। फिर आग्निपुत्र उस जगह को जलाकर राख कर देता है। इसके साथ ही पूरे ठिकाने में अराजकता और धमाके शुरू हो जाते हैं।
इस अफरा-तफरी के बीच हमारे नायक एक पंखों वाले जहाज़ पर कब्ज़ा कर भाग निकलते हैं। लेकिन स्पार्टा इतनी आसानी से हार मानने वालों में नहीं। वह अपने दूसरे जहाज़ से उनका पीछा करती है।
इसके बाद शुरू होती है एक जबरदस्त हवाई जंग — आसमान में गोलियाँ, धमाके और आग के गोले! एक-एक पल दिल थाम देने वाला। आखिर में, रानी स्पार्टा एक जोरदार वार करती है और हमारे नायकों के जहाज़ को उड़ा देती है।
धमाके के बाद सब कुछ खत्म सा लगता है। इंद्रजीत का जहाज़ फट जाता है और वह नीचे समुद्र में गिर पड़ता है। बाकी सभी साथी उस विस्फोट में शहीद हो जाते हैं। लहरें इंद्रजीत को बहाकर एक सुनसान टापू पर ले आती हैं, जहाँ वह बेहोश पड़ा रहता है।
एक नए सुपरहीरो का जन्म: मिस्टर इंडिया
जब इंद्रजीत को होश आता है, तो वह खुद को अकेला और टूटा हुआ महसूस करता है। उसके सारे साथी अब नहीं रहे। अपने दोस्तों की मौत का ग़म और अपराधबोध उसे भीतर तक तोड़ देता है।
तभी अचानक कुछ चमत्कारिक होता है। उसके चारों ओर एक तेज दिव्य प्रकाश फैल जाता है, और उसी रोशनी से दारा, नागरानी, आग्निपुत्र और प्रोफेसर इक़बाल की आत्माएँ प्रकट होती हैं।
वे इंद्रजीत से कहते हैं — “हमारा शरीर भले ही खत्म हो गया हो, लेकिन हमारी आत्माएँ और हमारी शक्तियाँ अभी ज़िंदा हैं। अब ये सब तुम्हारी होंगी। तुम हमारे मिशन को पूरा करो और इस धरती को स्पार्टा जैसी ताकतों से बचाओ।”
चारों आत्माएँ धीरे-धीरे इंद्रजीत के शरीर में समा जाती हैं। उनके मिल जाने से उसके भीतर एक नई ऊर्जा, एक नया जोश और एक नई ताकत जन्म लेती है। वह अब सिर्फ़ एक बहादुर पायलट नहीं रहता, बल्कि एक महाशक्तिशाली सुपरहीरो बन जाता है — जिसमें है दारा की ताकत, नागरानी की रूप बदलने की शक्ति, आग्निपुत्र की आग पर पकड़, और प्रोफेसर इक़बाल की बुद्धि और रणनीति।
यही वह पल है जब ‘मिस्टर इंडिया’ का जन्म होता है।
कॉमिक्स का अंत एक शानदार और प्रेरणादायक पैनल के साथ होता है — मिस्टर इंडिया अपने नए सुपरहीरो रूप में सीधा खड़ा है, उसकी आँखों में बदले की आग और चेहरे पर दृढ़ निश्चय है। नीचे लिखा आता है —
“जारी रहेगा… अगले अंक में — मिस्टर इंडिया का बदला!”
कला, शैली और संवाद
तुलसी कॉमिक्स की आर्ट स्टाइल हमेशा से सीधी-सादी और साफ़-सुथरी रही है। इसमें आज की कॉमिक्स जैसी भारी-भरकम डिटेलिंग या शेडिंग नहीं मिलती, लेकिन यही इसकी खूबसूरती भी है। इसके चित्र कहानी को बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ाते हैं और पाठक को हर सीन का अहसास कराते हैं।

एक्शन सीन में गति रेखाओं और “धड़ाम!”, “क्रैश!” जैसे साउंड इफेक्ट्स का खूब इस्तेमाल किया गया है, जिससे हर पल में जोश महसूस होता है। किरदारों के डिज़ाइन उस समय के हिसाब से काफी मौलिक और यादगार हैं — खासकर नागरानी और वो पंखों वाले राक्षसी सैनिक, जो कॉमिक के सबसे विज़ुअली स्ट्रॉन्ग हिस्सों में आते हैं। रंगों का प्रयोग भी चटख और चमकीला है, जिससे हर पेज जीवंत लगता है और कहानी को एक अलग ही आकर्षण मिलता है।
परशुराम शर्मा का लेखन बेहद सरल, सीधा और प्रभावशाली है। संवाद लंबे या भारी नहीं हैं, बल्कि बिलकुल मुद्दे पर हैं। कहानी की रफ्तार इतनी तेज़ है कि एक के बाद एक घटना घटती जाती है और पाठक बोर नहीं होता। इसमें देशभक्ति, दोस्ती और बलिदान जैसी भावनाएँ बड़ी सादगी से बुनी गई हैं, जो कहानी को भावनात्मक गहराई देती हैं।
निष्कर्ष: एक यादगार सुपरहीरो की शुरुआत
तुलसी कॉमिक्स का “मिस्टर इंडिया” उस दौर का शानदार उदाहरण है जब भारतीय कॉमिक्स अपनी खुद की पहचान बना रही थीं। यह एक ऐसी सुपरहीरो उत्पत्ति कथा (origin story) है जिसमें विज्ञान-कथा, फैंटेसी और एक्शन — तीनों का परफेक्ट मेल देखने को मिलता है।
कहानी का नायक इंद्रजीत कोई जादू से बना हीरो नहीं, बल्कि एक आम इंसान है जो असाधारण हालातों में अपने साथियों के बलिदान के बाद महाशक्तियाँ पाता है। इसमें वही क्लासिक सुपरहीरो थीम झलकती है — “शक्ति के साथ आती है ज़िम्मेदारी।”
हाँ, आज के पाठकों को इसकी कहानी थोड़ी अनुमानित या आर्टवर्क थोड़ा पुराना लग सकता है, लेकिन अगर इसे उसके समय के संदर्भ में देखें, तो यह एक कमाल की कल्पनाशील और रोमांचक कहानी है। यह न सिर्फ मनोरंजन करती है, बल्कि दोस्ती, कर्तव्य और आत्म-बलिदान जैसा मजबूत संदेश भी देती है।
कुल मिलाकर, “मिस्टर इंडिया” तुलसी कॉमिक्स के खज़ाने का एक कीमती रत्न है। इसे पढ़ना ऐसा है मानो हम पुराने कॉमिक्स के सुनहरे दौर में लौट गए हों — जब हमारे सुपरहीरो विदेशी नहीं, बल्कि हमारी अपनी मिट्टी से जन्मे थे। उनकी कहानियों में सादगी, सच्चाई और दिल की बात हुआ करती थी।
यह कॉमिक आज भी एक बार ज़रूर पढ़ी जानी चाहिए, खासकर उन लोगों के लिए जो भारतीय कॉमिक्स के इतिहास और उसकी जड़ों को महसूस करना चाहते हैं।