सुपर कमांडो ध्रुव, अपनी तेज दिमाग, वैज्ञानिक सोच, मार्शल आर्ट्स की महारत और मजबूत नैतिक मूल्यों की वजह से, कई सालों से कॉमिक्स प्रेमियों के दिलों पर राज कर रहा है। ध्रुव की कहानियों की खास बात ये है कि वो सिर्फ एक्शन या मारधाड़ तक सीमित नहीं रहतीं। इनमें विज्ञान, रहस्य, रोमांच और इंसानी भावनाओं का ऐसा शानदार मिलाप देखने को मिलता है, जो हर उम्र के पाठकों को बांधे रखता है।
इसी कड़ी की एक यादगार और शानदार कहानी है — “ममी का कहर“, जो ध्रुव के फैंस के लिए किसी खजाने से कम नहीं। जॉली सिन्हा की बेहतरीन कहानी और अनुपम सिन्हा की जबरदस्त कलाकारी ने इस कॉमिक्स को एक क्लासिक बना दिया है।
यह कॉमिक्स सिर्फ एक सुपरहीरो की लड़ाई नहीं, बल्कि प्राचीन इतिहास, आधुनिक तकनीक और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद जैसे विषयों को जोड़कर बुना गया एक ज़बरदस्त रोमांच है।
कहानी का सार: इतिहास, आतंक और तकनीक का मिलन
“ममी का कहर” की शुरुआत बहुत हल्के और मज़ेदार अंदाज़ में होती है। हम ध्रुव को उसकी छोटी बहन श्वेता के साथ मज़ाक करते और हंसी-मज़ाक में उलझे हुए देखते हैं। श्वेता, जो अपनी पॉकेट मनी के लिए पार्ट-टाइम टूरिस्ट गाइड का काम कर रही है, कुछ अमेरिकी टूरिस्ट्स को राजनगर के ऐतिहासिक जगहों की सैर कराने की तैयारी में होती है। यह शुरुआती हिस्सा कहानी को एक घरेलापन और यथार्थ का एहसास देता है, जिससे पाठक तुरंत किरदारों से जुड़ जाते हैं।

लेकिन माहौल अचानक बदल जाता है जब श्वेता उन टूरिस्ट्स को लेकर रत्न महल नाम के एक पुराने, वीरान महल में पहुंचती है। तभी उन पर ‘जिहाद–ए–लश्कर’ नाम का आतंकवादी संगठन हमला कर देता है। उनका मकसद होता है – अमेरिकी पर्यटकों को बंधक बनाकर कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाना।
यहां से कहानी का टोन गंभीर हो जाता है और ये सिर्फ एक सुपरहीरो एडवेंचर नहीं रह जाती — बल्कि एक समकालीन और सोचने पर मजबूर कर देने वाली कहानी बन जाती है।
इस बीच, खतरे के इस माहौल में, टूरिस्ट ग्रुप का एक सदस्य विक्रम अप्रत्याशित हीरो के रूप में सामने आता है। वो इलेक्ट्रॉनिक्स का एक्सपर्ट है और अपने बनाए गैजेट्स की मदद से आतंकवादियों को उलझा देता है। इससे बाकी लोगों को थोड़ी राहत मिलती है।
इसी दौरान श्वेता भी अपने जुझारू रूप ‘चंडिका’ में आकर आतंकियों का सामना करती है। और तभी हमारे हीरो ध्रुव, सुपर कमांडो बनकर घटनास्थल पर पहुंच जाता है।
अब असली ट्विस्ट शुरू होता है — जब ध्रुव, श्वेता और बाकी पर्यटक आतंकियों से बचते-बचाते महल के नीचे बने एक गुप्त तहखाने में पहुंचते हैं। वहां उन्हें राजनगर के आखिरी राजा गजबल दौरी का सदियों पुराना खजाना और एक ताबूत मिलता है।
लेकिन खुशी ज़्यादा देर टिकती नहीं — ताबूत खुलते ही सदियों पुराना श्राप जाग उठता है। राजा गजबल दौरी की ममी जिंदा हो जाती है!
वो खुद को राजनगर का असली वारिस बताती है और अपने खजाने को वापस पाने के लिए पूरे राजनगर को तबाह करने की धमकी देती है।
अब कहानी पूरी तरह हॉरर और मिस्ट्री थ्रिलर में बदल जाती है। ममी अपनी अलौकिक शक्तियों से पूरे शहर में तबाही मचाने लगती है। उसकी आंखों से निकलने वाली किरणें और उसकी अमानवीय ताकत, ध्रुव के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती बन जाती है।
एक तरफ आतंकवादी हैं, और दूसरी तरफ एक प्राचीन, अजेय लगने वाली ममी — ध्रुव खुद को दोहरी मुसीबत में फंसा हुआ पाता है।
चरित्र–चित्रण: नायक, खलनायक और रहस्य
सुपर कमांडो ध्रुव: इस कॉमिक्स में ध्रुव अपने सबसे बेहतरीन रूप में दिखाई देता है। वो सिर्फ ताकतवर लड़ाका नहीं है, बल्कि एक तेज दिमाग वाला जासूस और वैज्ञानिक भी है। एक तरफ वो आतंकवादियों से भिड़ता है, तो दूसरी तरफ वो ‘ममी’ के रहस्य को सुलझाने में अपनी समझ और वैज्ञानिक सोच का इस्तेमाल करता है। ध्रुव का यही स्वभाव — कि वो अंधविश्वास पर भरोसा नहीं करता, बल्कि हर रहस्य के पीछे की सच्चाई खोजने की कोशिश करता है — उसे कहानी के अंत तक ले जाता है।
श्वेता के प्रति उसका प्यार और पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर उसकी चिंता यह दिखाती है कि उसके अंदर इंसानियत और जिम्मेदारी दोनों हैं। वो सिर्फ सुपरहीरो नहीं, बल्कि दिल से एक संवेदनशील इंसान भी है।
श्वेता / चंडिका: श्वेता का किरदार भी इस कहानी में बहुत अहम है। वो किसी ‘मदद की मोहताज लड़की’ की तरह नहीं दिखती, बल्कि एक समझदार और हिम्मती इंसान के रूप में उभरती है। शुरुआत में वो गाइड के रूप में कहानी को आगे बढ़ाती है, और जब हालात बिगड़ते हैं तो वो अपने जुझारू रूप ‘चंडिका’ में बदलकर आतंकियों से जमकर मुकाबला करती है।
वो ध्रुव की सच्ची साथी साबित होती है — कई मौकों पर अपनी हिम्मत, समझदारी और तेज फैसलों से सबकी जान बचाती है।

विक्रम (गजानन दौरी): विक्रम का किरदार कहानी का सबसे बड़ा रहस्य और ट्विस्ट है। शुरू में वो एक मददगार और समझदार टूरिस्ट लगता है, जो अपने गैजेट्स से सबकी मदद करता है। लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, उसका असली चेहरा सामने आता है।
असल में वो राजा गजबल दौरी का वंशज है, जो अपने पुरखों का खजाना पाने के लिए ये पूरी साजिश रचता है।
विक्रम का किरदार बहुत चालाक और जटिल है — वो एक ऐसा खलनायक है जिसमें पुराने जमाने की लालच और नई तकनीक का घातक मेल देखने को मिलता है। उसकी सोच बताती है कि कैसे इंसान का लालच और अपनी विरासत को लेकर जुनून, उसे विनाश की राह पर ले जा सकता है।
ममी: ‘ममी’ कहानी का सबसे डरावना और यादगार किरदार है। ज़्यादातर कहानी में वो एक अलौकिक ताकत के रूप में सामने आती है — उसकी चमकती आँखें, पट्टियों में लिपटा शरीर और उसकी भयानक मौजूदगी पाठकों की रूह तक हिला देती है।
लेकिन जैसे ही आखिर में सच्चाई सामने आती है कि वो कोई श्रापित आत्मा नहीं, बल्कि विक्रम द्वारा बनाई और नियंत्रित एक हाई–टेक रोबोट है — कहानी का पूरा मतलब बदल जाता है।
यहीं पर कॉमिक्स का असली थीम साफ होता है — विज्ञान बनाम अंधविश्वास। यानी जो चीज़ हमें रहस्यमयी या डरावनी लगती है, उसके पीछे भी एक तार्किक और वैज्ञानिक वजह हो सकती है।
कला और कथा–शैली: एक शानदार दृश्य और कहानी का संगम
चित्रांकन: अनुपम सिन्हा का आर्टवर्क तो वैसे भी राज कॉमिक्स की पहचान है, और “ममी का कहर” इसका बेहतरीन उदाहरण है। उनके बनाए हुए चित्रों में इतनी जान है कि कहानी आंखों के सामने चलती हुई लगती है। हर पैनल बारीकी से बनाया गया है — एक्शन सीन ज़बरदस्त जोश और मूवमेंट से भरे हुए हैं।
पात्रों के चेहरे के भाव जैसे — ध्रुव का दृढ़ निश्चय, श्वेता की चिंता, विक्रम की चालाक मुस्कान और ममी का डरावना रूप — कहानी के हर मोड़ को और असरदार बना देते हैं।
रत्न महल के खंडहरों का माहौल, तहखाने की रहस्यमय छाया, और ममी के पहली बार सामने आने वाला दृश्य — सब कुछ इतना खूबसूरती से बनाया गया है कि पढ़ते वक्त लगता है जैसे हम खुद वहीं खड़े हों।
कथा–शैली: जॉली सिन्हा की कहानी कहने की शैली बेहद रोचक और कसी हुई है। कहानी एक पल के लिए भी बोर नहीं करती। रहस्य, मोड़ और एक्शन — सब कुछ इतनी रफ्तार से चलता है कि पाठक को आख़िरी पन्ने तक बांधे रखता है।
कहानी की शुरुआत घर-परिवार के हल्के-फुल्के मंजर से होती है, फिर वो अचानक एक आतंकवादी थ्रिलर में बदलती है, उसके बाद हॉरर मिस्ट्री का रंग लेती है और आखिर में जाकर साइंस–फिक्शन एक्शन का रूप ले लेती है।
यानी एक ही कॉमिक्स में इतने अलग-अलग रंग हैं कि हर पल कुछ नया देखने को मिलता है।
संवाद भी सटीक और असरदार हैं — ध्रुव की वैज्ञानिक सोच और विक्रम की अपनी विरासत को लेकर दी गई दलीलें कहानी को एक वैचारिक गहराई देती हैं, जिससे ये सिर्फ मनोरंजन नहीं बल्कि सोचने पर मजबूर करने वाली कहानी बन जाती है।
विषय–वस्तु और विश्लेषण: सिर्फ एक कॉमिक्स नहीं, एक गहरी सोच
ऊपर से देखने पर “ममी का कहर” एक एक्शन–एडवेंचर कहानी लग सकती है, लेकिन इसमें कई गहरे संदेश छिपे हैं।
कहानी का सबसे बड़ा थीम है — विज्ञान बनाम अंधविश्वास।
जहाँ शुरुआत में ममी को एक डरावनी, अलौकिक ताकत समझा जाता है, वहीं ध्रुव की वैज्ञानिक सोच आखिर में ये साबित करती है कि हर रहस्य के पीछे एक तार्किक वजह होती है।
‘ममी’ का डर जब विज्ञान और तकनीक की सच्चाई के सामने बेअसर हो जाता है, तो यही कहानी का असली संदेश बनता है — कि हर “चमत्कार” के पीछे कोई न कोई कारण जरूर होता है।
विक्रम का किरदार लालच और जुनून का प्रतीक है। अपनी विरासत और खजाने के मोह में वो इतना अंधा हो जाता है कि अपराध और देशद्रोह की राह पकड़ लेता है। उसकी कहानी ये दिखाती है कि जब इंसान अपनी लालच में अंधा हो जाता है, तो उसकी बुद्धि और इंसानियत दोनों खत्म हो जाती हैं।
अंत में, “ममी का कहर” इतिहास और आधुनिकता के बीच एक खूबसूरत पुल बनाता है। राजनगर का पुराना इतिहास, आधुनिक तकनीक और आतंकवाद जैसे मुद्दों से जुड़कर ये दिखाता है कि कैसे पुरानी सभ्यताएं और नई सोच, दोनों मिलकर इंसान के वर्तमान को गढ़ती हैं — कभी अच्छे के लिए, तो कभी बुरे के लिए।
निष्कर्ष: क्यों “ममी का कहर” आज भी उतना ही ज़बरदस्त है?
“ममी का कहर” सुपर कमांडो ध्रुव की सबसे यादगार और बेहतरीन कहानियों में से एक है। इसमें सब कुछ है — रहस्य, रोमांच, एक्शन, विज्ञान, हॉरर और एक गहरा सामाजिक संदेश।
अनुपम सिन्हा की शानदार ड्रॉइंग और जॉली सिन्हा की जबरदस्त लिखावट ने इसे एक ऐसा अनुभव बना दिया है जो एक बार पढ़ने के बाद भी भूलता नहीं।

यह कहानी दिखाती है कि ध्रुव सिर्फ एक सुपरहीरो नहीं, बल्कि एक सोच है — जो बुद्धि, बहादुरी, विज्ञान पर भरोसा और न्याय के लिए अडिग रहने की मिसाल है।
“ममी का कहर” आज भी उतनी ही असरदार और मजेदार लगती है जितनी अपने रिलीज़ के वक्त थी।
पुराने फैंस के लिए यह एक नॉस्टैल्जिक सफर है, और नई पीढ़ी के पाठकों के लिए एक बेहतरीन मौका — भारतीय सुपरहीरो की असली दुनिया को जानने का।
सीधे शब्दों में कहें तो, “ममी का कहर” राज कॉमिक्स के स्वर्ण युग का चमकदार नगीना है, जिसे हर कॉमिक्स प्रेमी को ज़रूर पढ़ना चाहिए।
