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Home » कॉमिक्स समीक्षा: राज कॉमिक्स “संग्राम” – नागराज और ध्रुव का सबसे बड़ा क्रॉसओवर?
Don't Miss Updated:16 September 2025

कॉमिक्स समीक्षा: राज कॉमिक्स “संग्राम” – नागराज और ध्रुव का सबसे बड़ा क्रॉसओवर?

नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव का ऐतिहासिक क्रॉसओवर, जो भारतीय कॉमिक्स के इतिहास में अमर हो गया।
ComicsBioBy ComicsBio15 September 2025Updated:16 September 202517 Mins Read
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Sangram Raj Comics Review: Nagraj & Dhruv’s Timeless Epic
नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव का संग्राम: एक ऐसी कॉमिक्स जिसने भारतीय कॉमिक्स के इतिहास को बदल दिया।
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भारतीय कॉमिक्स के इतिहास में कुछ कहानियाँ ऐसी होती हैं जो वक्त की दीवारें पार करके हमेशा के लिए यादगार बन जाती हैं। ये कहानियाँ सिर्फ टाइमपास या मनोरंजन का जरिया नहीं होतीं, बल्कि पूरी पीढ़ी की यादों में बस जाती हैं। राज कॉमिक्स की अनुपम सिन्हा द्वारा लिखी और बनाई गई “संग्राम” भी ऐसी ही एक शानदार कृति है। यह सिर्फ नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव का क्रॉसओवर नहीं, बल्कि कहानी, आर्ट, भावनाएँ और रोमांच का ऐसा जबरदस्त संगम है, जिसने इसे भारतीय कॉमिक्स के शिखर पर खड़ा कर दिया।

कथावस्तु का विश्लेषण: समय से परे एक गाथा

“संग्राम” की सबसे बड़ी ताकत इसकी कहानी है। यह कोई सीधी-सादी लाइन में चलने वाली स्टोरी नहीं है, बल्कि कई परतों से बुना हुआ एक जटिल ताना-बाना है। अनुपम सिन्हा ने साइंस-फिक्शन, इतिहास और सुपरहीरो एक्शन को मिलाकर ऐसी पटकथा तैयार की है, जो पहले पन्ने से ही पाठक को कसकर पकड़ लेती है।

रहस्यमयी शुरुआत: राजनगर की गलियों का खेल

कहानी की शुरुआत ही ऐसे सीन से होती है, जो सीधे पकड़ लेता है। राजनगर की गलियों में सुपर कमांडो ध्रुव की मुलाक़ात एक परेशान पिता से होती है। वह आदमी रोते हुए कहता है कि उसके बच्चे को एक पगड़ीधारी अजनबी उठा ले गया है। ध्रुव तुरंत हरकत में आता है, लेकिन सामने जो नज़ारा दिखता है, वह हैरान कर देता है।

बच्चा, जिसे “अपहृत” बताया जा रहा है, उस पगड़ीधारी की गोद में न सिर्फ सुरक्षित है बल्कि खिलखिलाकर हँस रहा है। अब कन्फ्यूज़न बढ़ जाता है। कौन सच बोल रहा है? असली पिता कौन है और कौन धोखेबाज़?

ध्रुव हमेशा की तरह अपने दिमाग़ से खेलता है। जाँच-पड़ताल शुरू ही हुई होती है कि अचानक मामला अलौकिक मोड़ ले लेता है। वही पगड़ीधारी आदमी देखते ही देखते एक विशालकाय इच्छाधारी नाग का रूप धारण कर लेता है। अब असली ध्रुव की एंट्री होती है—वह सीधे brute force पर भरोसा नहीं करता, बल्कि नाग की बॉडी स्ट्रक्चर की कमजोरी पकड़कर अपनी ‘स्टार लाइन’ का ऐसा वार करता है कि नाग असहाय हो जाता है।

इसी बीच वो आदमी, जो अब तक “पिता” का ड्रामा कर रहा था, अपने असली दुष्ट रूप में सामने आता है। यही वह पल है जब पाठक समझ जाता है कि यह कोई सीधी-सादी कॉमिक नहीं, बल्कि एक महागाथा की शुरुआत है।

अतीत का मोर्चा: जब नागराज बना “बागी राज”

“संग्राम” का असली जादू तब खुलता है, जब कहानी हमें समय की सुरंग से खींचकर 1945 में ले जाती है। वही दौर, जब पूरा देश आज़ादी की लड़ाई में जल रहा था, जब हर गली, हर नुक्कड़ पर “वंदे मातरम” और “भारत माता की जय” की गूंज सुनाई देती थी।

यहाँ नागराज अब सिर्फ एक सुपरहीरो नहीं रह जाता। वह बन जाता है—”बागी राज”। अंग्रेज़ों के लिए एक ऐसा रहस्यमयी साया, जिसे पकड़ना नामुमकिन है और जिसकी कहानियाँ हर सैनिक की नींद उड़ाने लगती हैं।

ज़रा सोचिए, नागराज अपने ज़हरीले नागों और अलौकिक शक्तियों के साथ स्वतंत्रता सेनानियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ रहा है। वह सिर्फ दुश्मनों को हराने तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके दिलों में हौसला और जोश भर रहा है। उसके साथ लड़ते हुए हर सेनानी को लगता है जैसे खुद माँ भारती उनके साथ खड़ी है।

और जब कॉमिक्स के पन्नों पर नागराज “वंदे मातरम” की हुंकार लगाता है, तो वह सिर्फ एक डायलॉग नहीं लगता। वह पूरे दौर की आत्मा की गूंज है। वह हमें याद दिलाता है कि ये लड़ाई सिर्फ एक काल्पनिक कहानी नहीं, बल्कि उन वीरों को सलाम है, जिन्होंने वाकई अपने लहू से इतिहास लिखा था।

समय यात्रा और नायकों का महासंगम

कहानी तब और रोमांचक हो जाती है जब ध्रुव को पता चलता है कि उसका सबसे करीबी साथी नागराज 1945 के अतीत में फँस गया है। ध्रुव जानता है कि नागराज सिर्फ उसका दोस्त ही नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की उम्मीद है। और इसलिए बिना एक पल गँवाए वह खलनायक की टाइम मशीन पर कब्ज़ा जमाता है और खुद को समय की सुरंग से गुज़ारते हुए सीधा पहुँच जाता है—आज़ादी के दौर में।

अब ज़रा सोचिए उस पल को—अतीत की धरती पर भारतीय कॉमिक्स के दो सबसे बड़े नायक आमने-सामने। नागराज, जो पहले से ही “बागी राज” बन चुका है, और सुपर कमांडो ध्रुव, जो किसी भी हाल में अपने दोस्त का साथ नहीं छोड़ने वाला। दोनों की जुगलबंदी पढ़ना वाकई पाठकों के लिए किसी त्यौहार से कम नहीं है।

उनकी जोड़ी न सिर्फ अंग्रेज़ी हुकूमत की नींद उड़ाती है, बल्कि भविष्य से आए उस साइबरनेटिक दानव और उसकी रोबोटिक सेना को भी धूल चटा देती है। ये वही पल है जहाँ कॉमिक्स का कैनवास और चौड़ा हो जाता है—दो समय, दो जंग और एक ही मक़सद।

एक तरफ 1945 में नागराज और ध्रुव मिलकर आज़ादी के दुश्मनों का सफाया कर रहे हैं, वहीं वर्तमान में नागद्वीप का नन्हा सम्राट अपनी ज़िंदगी की जंग लड़ रहा है। ये parallel storytelling इतना सस्पेंस और थ्रिल पैदा करती है कि पाठक हर पन्ने पर बस यही सोचता है—अगले पल क्या होगा?

चरित्रों की गहराई: प्रतीक और व्यक्तित्व

• सुपर कमांडो ध्रुव: इस कॉमिक्स में ध्रुव समझदारी, दिमाग और योजना का प्रतीक है। उसका किरदार दिखाता है कि असली ताकत दिमाग में होती है। वह हर समस्या का हल अपनी वैज्ञानिक सोच और समझदारी से निकालता है। वह अपने दोस्त नागराज के लिए वक्त तक को पार करने का खतरा उठाता है, जो उनकी गहरी दोस्ती साबित करता है।

• नागराज: “संग्राम” में नागराज ताकत, गुस्से और देशभक्ति का जिंदा रूप है। जब वह “बागी राज” बनकर दहाड़ता है, तो अंग्रेजी हुकूमत हिल जाती है। वह सिर्फ एक इच्छाधारी नाग नहीं, बल्कि भारत माता का सच्चा बेटा है। उसका किरदार पाठकों में गर्व और जोश भर देता है।

• स्काडा (एक अनजान साइबरनेटिक दानव): स्काडा इस कहानी का असली खलनायक है — रहस्यमयी और बहुत ताकतवर। वह किसी इंसान जैसा नहीं लगता, बल्कि किसी बड़ी प्राकृतिक तबाही जैसा दिखाई देता है। उसका आधा शरीर मशीन का और आधा जीव का है। समय को काबू करने की ताकत और इतिहास को अपनी मर्जी से बदलने की जिद उसे एक ऐसा खलनायक बना देती है, जिसे लंबे समय तक याद रखा जाएगा। वह नागराज और ध्रुव की मिलीजुली ताकत के लिए भी लगभग अजेय साबित होता है।

कला का उत्कर्ष: अनुपम सिन्हा का कैनवास
अनुपम सिन्हा की कला “संग्राम“ की जान है। वह सिर्फ कहानी लिखते ही नहीं, बल्कि अपनी कूची से उसे जिंदा कर देते हैं।

• गतिशील चित्रांकन: कॉमिक्स का हर पैनल ऊर्जा से भरा हुआ है। एक्शन सीन में जबरदस्त रफ्तार है। चाहे ध्रुव का हवा में कलाबाजी करना हो या नागराज का दुश्मनों को धूल चटाना, हर चित्र पाठक को कहानी में खींच लेता है।

• ऐतिहासिक सच्चाई: 1940 के दशक का माहौल बहुत बारीकी से दिखाया गया है। ब्रिटिश अफसरों की यूनिफॉर्म से लेकर उस समय की इमारतों तक, हर चीज में असलीपन झलकता है। भविष्य से आए खलनायक और उसकी तकनीक का उस दौर की पृष्ठभूमि से टकराना एक शानदार दृश्य बनाता है।

• भावों का चित्रण: सिन्हा के किरदारों के चेहरे उनकी भावनाओं को साफ दिखाते हैं। ध्रुव के चेहरे पर दृढ़ निश्चय, नागराज की आँखों में आग, और खलनायक के चेहरे पर बेरहम ठंडापन — सब कुछ बहुत साफ और असरदार ढंग से उकेरा गया है।

विषय और विरासत: क्यों “संग्राम” एक क्लासिक है?

“संग्राम” सिर्फ एक मनोरंजक कॉमिक्स नहीं है, बल्कि कई गहरे मुद्दों को छूती है।

• देशभक्ति: यही इस कॉमिक्स की आत्मा है, जो युवाओं को अपने देश के इतिहास और आज़ादी की अहमियत समझाती है।

• मित्रता: नागराज और ध्रुव का रिश्ता सच्ची दोस्ती का प्रतीक है। वे एक-दूसरे के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।

• विज्ञान और प्रकृति का संतुलन: ध्रुव विज्ञान और समझदारी का प्रतिनिधि है, जबकि नागराज प्रकृति और रहस्य का। दोनों का मिलन यह संदेश देता है कि दुनिया को बचाने के लिए इन दोनों शक्तियों का संतुलन बहुत जरूरी है।

निष्कर्ष

“संग्राम“ भारतीय कॉमिक्स दुनिया का एक असली हीरा है। यह एक बड़ी और महत्वाकांक्षी कहानी है, जिसे उतनी ही खूबसूरती और समझदारी से पेश किया गया है। इसमें दोनों सुपरहीरोज़ को पूरा न्याय मिलता है और उन्हें ऐसा मंच दिया गया है, जहाँ वे अपनी पूरी ताकत और क्षमता दिखा पाते हैं। इसकी कहानी रोमांच से भरी है, चित्रों में जान है और संदेश गहरा है। यह कॉमिक्स आज भी उतनी ही असरदार और अहम है जितनी अपने छपने के समय थी। यह सिर्फ एक कॉमिक्स नहीं, बल्कि एक खास अनुभव है—एक ऐसा “संग्राम“, जिसे हर कॉमिक्स प्रेमी को ज़रूर पढ़ना और महसूस करना चाहिए।

Anupam Sinha Comic Review nagraj raj comics Sangram super commando dhruv भारतीय कॉमिक्स
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1 Comment

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