तौसी, जो एक इच्छाधारी सर्प है, भारतीय पौराणिक कथाओं और आधुनिक सुपरहीरो कहानियों का एक अनोखा मेल था। जहाँ नागराज (राज कॉमिक्स) विज्ञान और ज़हर पर आधारित सुपरहीरो था, वहीं तौसी पूरी तरह तंत्र-मंत्र, शिव भक्ति और पौराणिक शक्तियों पर टिका हुआ एक अलग ही तरह का सुपरहीरो है। आज हम जिस कॉमिक “तौसी और शेषनाग” (संख्या 302) की बात कर रहे हैं, वह तौसी की सबसे रोमांचक और रहस्यमयी यात्राओं में से एक है। यह कॉमिक सिर्फ लड़ाई-झगड़े की कहानी नहीं है, बल्कि इसमें बुद्धि, हिम्मत और नैतिकता की बड़ी गहरी परीक्षा दिखाई गई है। यह एक तरह की क्लासिक “क्वेस्ट” (Quest) कहानी है, जहाँ नायक को अपने मंज़िल तक पहुँचने के लिए कई मुश्किल पड़ाव (Levels) पार करने पड़ते हैं।
इस समीक्षा में हम इस कॉमिक्स के हर हिस्से—कहानी, संवाद, कला और इसके संदेश—को अच्छी तरह समझेंगे।
कथानक (The Plot): एक साहसिक यात्रा की शुरुआत
कहानी की शुरुआत एक बड़े और शानदार उत्सव से होती है। ‘आखेट पर्वत’ पर सर्पदेश का वार्षिक उत्सव चल रहा होता है, और यह माहौल पाठक को तुरंत ही एक फैंटेसी वाली दुनिया में ले जाता है। लेकिन जैसे हर सुपरहीरो कहानी में शांति ज़्यादा देर नहीं टिकती, यहाँ भी कुछ ऐसा ही होता है। कल्पदेश का राजा ‘तुर्कसैन’, जो तौसी का दुश्मन है, इस उत्सव को खराब करने की तैयारी करता है। वह अपने जादूगर ‘मुण्डा’ को भेजता है।

कहानी में असली मोड़ तब आता है जब तौसी को एक खास मिशन पर जाना पड़ता है। नागबाबा बताते हैं कि तौसी को ‘त्रिलोक द्वार’ तक पहुँचना होगा। यह कोई आम यात्रा नहीं है। तौसी को वहाँ ‘शेषनाग’ — यानी सांपों के राजा और भगवान विष्णु की शय्या — से एक खास शस्त्र हासिल करना है।
यहाँ लेखक ऋतुराज ने कहानी को बहुत दिलचस्प बना दिया है। तौसी को भगवान शिव के मंदिर में अपने पुराने अस्त्र-शस्त्र जैसे ब्रह्मास्त्र आदि त्यागने पड़ते हैं। यह एक तरह का प्रतीकात्मक दृश्य है—नई शक्ति या नया ज्ञान पाने के लिए पुराने हथियार और अहंकार को छोड़ना पड़ता है। तौसी निहत्था होकर ‘त्रिलोक द्वार’ की यात्रा पर निकलता है, जो एक रहस्यमयी तहखाने से होकर जाती है।
नैतिकता की परीक्षा: पहला द्वार और प्रश्न

जब तौसी पहले द्वार तक पहुँचता है, उसे आग की तेज लपटें रोक लेती हैं। यहाँ सिर्फ ताकत चलने वाली नहीं थी—यहाँ तौसी की बुद्धि और उसके निर्णय की परीक्षा ली जा रही थी। द्वार तौसी से एक सवाल पूछता है, और यह हिस्सा इस कॉमिक का सबसे ज़्यादा असरदार और यादगार हिस्सा बन जाता है।
कहानी के भीतर कहानी (The Story within the Story):
द्वारपाल तौसी को एक कहानी सुनाता है—’मकरध्वज देश’ के एक सैनिक ‘अश्वाम’ की। अश्वाम अपने पिता की हर बात मानने वाला बेटा था। उसके पिता ने उसे सिखाया था कि “कभी भागते हुए दुश्मन या उसकी पीठ पर वार मत करना।” युद्ध के समय शत्रु सेना ने इसी सीख का फायदा उठाया। उन्होंने अपनी पीठ दिखाकर एक बड़ी लाइन बना ली और पीछे-पीछे चलते हुए अश्वाम और उसकी सेना को घेर लिया। अश्वाम इस वजह से हार गया, क्योंकि उसने पिता की सीख (पीठ पर वार न करना) का पालन किया।
लेकिन जब अश्वाम वापस घर आया, उसके पिता ने उसे ‘कुपुत्र’ कहा और उसे मौत की सज़ा देने की बात तक कर दी।
द्वारपाल तौसी से पूछता है: “बताओ, ब्राह्मण (पिता) का दिया हुआ दंड सही था या गलत?”

तौसी का उत्तर:
तौसी का जवाब उसके पूरे व्यक्तित्व को साफ़-साफ़ दिखाता है। वह कहता है कि दंड सही था। क्योंकि “देश की रक्षा, पिता की आज्ञा से भी ऊपर है।” अश्वाम ने अपने निजी धर्म (पिता की बात मानना) को राष्ट्र धर्म (देश की रक्षा और जीत) से पहले रख दिया, जो एक सैनिक या सेनापति के लिए ठीक नहीं था।
यह बातचीत यह दिखाती है कि तौसी सिर्फ एक लड़ाकू योद्धा नहीं है, बल्कि सोच-समझ वाला और नीति का पालन करने वाला नायक है। यही 90 के दशक की कॉमिक्स की खूबी थी—वे सिर्फ मनोरंजन नहीं करती थीं, बल्कि बच्चों को नैतिक उलझनों (Moral Dilemmas) के बारे में भी सिखाती थीं।
सात द्वारों का चक्रव्यूह: एक्शन और रोमांच
तौसी की यह यात्रा बिल्कुल वीडियो गेम वाले लेवल्स जैसी लगती है, जहाँ हर लेवल पर मिलने वाला ‘बॉस’ पिछले से ज्यादा तगड़ा होता है। यहाँ लेखक ने अपनी कल्पना का बेहतरीन इस्तेमाल किया है। तौसी को कुल 6–7 मुख्य चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। आइए इन्हें एक-एक करके समझते हैं:
पकड़ध्वज (The Gripper)
पहला रक्षक ‘पकड़ध्वज’ है। इसकी ताकत यह है कि जो इसके हाथ में आ जाए, वह कभी बच नहीं सकता। वह अपना आकार बड़ा-छोटा कर सकता है, लेकिन किसी शाप या वचन की वजह से वह अभी इंसान के रूप में ही है।
संघर्ष: तौसी और पकड़ध्वज के बीच जोरदार मल्ल-युद्ध होता है। तौसी यहाँ सिर्फ ताकत नहीं, अपनी समझदारी का भी इस्तेमाल करता है। उसे पता है कि इच्छाधारी नागों की शक्तियाँ कैसे काम करती हैं।

समाधान: तौसी पकड़ध्वज की पूंछ (जो उसके इंसानी रूप में भी थी) को दबा देता है। इच्छाधारी नागों का नियम है कि पूंछ दबने पर वे अपना आकार नहीं बदल सकते। इसी वजह से तौसी उसे हरा देता है।
परिणाम: हारने के बाद पकड़ध्वज एक छोटे नाग के रूप में बदलकर तौसी के शरीर में समा जाता है। यह कॉन्सेप्ट उस समय बहुत नया था—दुश्मन को खत्म करना नहीं, बल्कि उसकी शक्ति को अपनी इन्वेंटरी जैसा हिस्सा बना लेना।
पाणिध्वज (The Water Guardian)
दूसरा द्वार एक बड़े, गहरे कुएँ जैसा है जो पानी से भरा है। इसका रक्षक एक विशाल मगरमच्छ है।
संघर्ष: तौसी सीधे पानी में कूदता है। मगरमच्छ यानी पाणिध्वज पानी के अंदर बेहद शक्तिशाली है। वह ‘जल मंथन’ जैसी तकनीक से पानी में बड़ा भंवर बनाकर तौसी को फँसा लेता है।
संवाद: “पानी में रहकर मगर से बैर नहीं करना चाहिए।” यह पुरानी कहावत यहाँ बिलकुल सही बैठती है।
समाधान: तौसी समझ जाता है कि बिना हथियार के पानी में लड़ाई जीतना बहुत मुश्किल है। यहाँ वह अपनी समझ, अपनी ट्रेनिंग और अपनी पिछली क्षमता (पकड़ध्वज वाली पकड़/कंट्रोल की शक्ति) का सही समय पर इस्तेमाल करता है। कॉमिक्स में दिखाया गया है कि तौसी अपने दिमाग और शरीर दोनों को संतुलित तरीके से इस्तेमाल करता है।
परिणाम: पाणिध्वज भी हारने के बाद सर्प रूप ले लेता है और तौसी के शरीर में समा जाता है। अब तौसी के पास पानी को रोकने, मोड़ने या नियंत्रित करने की क्षमता आ चुकी है।
अदृश्यध्वज (The Invisible Guardian)
तीसरा रक्षक अदृश्य है। वह दिखाई तो नहीं देता, लेकिन उसके मुक्के तौसी को हवा में उछाल देते हैं।
संघर्ष: एक ऐसे दुश्मन से भिड़ना जिसे आप देख ही नहीं सकते—यही सबसे बड़ी दिक्कत है।
समाधान: तौसी पानी की लहरों और हवा के दबाव (Movement) से उसके कदमों और हरकत का अंदाज़ा लगाता है, और सही मौके पर उसे पकड़ लेता है।
परिणाम: अदृश्यध्वज भी हारकर तौसी का हिस्सा बन जाता है।
त्रिध्वज (The Illusionist)
चौथे द्वार पर एक साथ तीन एक जैसे योद्धा सामने आ खड़े होते हैं।
चुनौती: इनमें सिर्फ एक असली है, जबकि बाकी दो उसकी परछाइयाँ (Shadows) हैं। तौसी किसी पर भी वार करता तो उसका हाथ आर-पार निकल जाता।
समाधान: तौसी ने ‘अदृश्यध्वज’ की शक्ति (जो अब उसके भीतर है) का इस्तेमाल किया। अदृश्य होकर वह तीनों के पास गया, उन्हें छूकर असली शरीर को पहचान लिया और उसे जमीन पर फेंककर हरा दिया।
विश्लेषण: यहाँ दिखता है कि यह कहानी सिर्फ आगे बढ़ने तक सीमित नहीं है, बल्कि ‘संचय’ (Accumulation) पर आधारित है। तौसी हर लेवल में मिली नई शक्ति का उपयोग अगले लेवल में करता है। यही इस प्लॉट को बहुत मजबूत और मजेदार बनाता है।
चुम्बकध्वज (The Magnetic Guardian)
पांचवां रक्षक एक लौह-पुरुष जैसा है, जिसके शरीर में चुम्बकीय ताकत है।
चुनौती: वह बिना हिले-डुले, सिर्फ अपनी चुम्बकीय शक्ति से विरोधी को अपनी ओर खींच लेता है और उसे कुचल देता है।
समाधान: तौसी या तो ‘त्रिध्वज’ की शक्ति का उपयोग करता है या फिर अपनी इच्छाधारी शक्ति से उसे चकमा देता है। जब चुम्बकध्वज तौसी को अपनी ओर खींच ही नहीं पाया, तो उसने तौसी की वीरता मान ली।
परिणाम: वह भी हारकर तौसी के भीतर समा जाता है।
अष्टध्वज (The Eight-Armed Guardian)
छठा रक्षक आठ भुजाओं वाला है और एक चक्र की तरह तेज़ी से घूमता है।
चुनौती: वह सुदर्शन चक्र की तरह इतनी तेज़ गति से घूम रहा था कि उसके पास जाना मतलब खुद को काटवा लेना।
समाधान: तौसी ने ‘चुम्बकध्वज’ की चुम्बकीय शक्ति का इस्तेमाल किया। उसने अपनी शक्ति से घूमते हुए अष्टध्वज को अपनी ओर खींच लिया और अपनी भुजाओं में जकड़ लिया। उसकी गति रुकते ही वह हार मान गया।
क्लाइमेक्स: शेषनाग का दर्शन और असली “शस्त्र”
तौसी आखिरी द्वार पार करके एक बहुत बड़े कक्ष में पहुँचता है, जहाँ चारों तरफ सैकड़ों सांप फैले हुए हैं। यहीं खुद शेषनाग (हज़ार फनों वाले महान नाग) प्रकट होते हैं।

कहानी का सबसे बड़ा ‘ट्विस्ट’ (Twist) यहाँ सामने आता है। तौसी जिन “शस्त्रों” को लेने आया था, वे कोई तलवार, गदा या धनुष नहीं थे। शेषनाग तौसी से कहते हैं:
“सामने रखी माला को उठाओ। यही माला असली शस्त्र है। इसके दानों को निगल लो, और जो 6 इच्छाधारी (पकड़ध्वज, पाणिध्वज, आदि) तुम्हारे अंदर मौजूद हैं, वे यहाँ से मुक्त होकर हमेशा के लिए तुम्हारे भीतर ही रहेंगे। यही इस स्थान का मुख्य शस्त्र है।”
यह पूरा दृश्य तौसी की आध्यात्मिक यात्रा का निष्कर्ष है। यह बताता है कि असली शक्ति बाहर मिलने वाले हथियारों में नहीं, बल्कि भीतर की क्षमता, अनुभव और आत्मबोध में होती है—जो इंसान अपने संघर्षों और मुश्किलों को पार करके हासिल करता है। तौसी ने जिन छह रक्षकों को हराया था, उनकी 6 सिद्धियाँ अब उसकी अपनी असली ताकत बन चुकी हैं।
ये छह सिद्धियाँ हैं:
पकड़ (Grip), जल नियंत्रण (Water Control), अदृश्यता (Invisibility), माया/भ्रम (Illusion), आकर्षण/चुम्बकत्व (Magnetism), और गति/शक्ति (Speed/Power)।
ये सारी शक्तियाँ मिलकर तौसी को पहले से कहीं अधिक मजबूत और संतुलित बनाती हैं। अंत में, शेषनाग उसे मानवता की रक्षा के लिए वापस भेजते हैं—जो इस बात का संकेत है कि अब तौसी सिर्फ ताकतवर नहीं, बल्कि समझदार, आध्यात्मिक और जिम्मेदार नायक बन गया है।
चित्रांकन और कला पक्ष (Art & Visuals)
राही कदम और दर्शना थिगळे का चित्रांकन तुलसी कॉमिक्स की खास पहचान है। इसमें तौसी को बहुत मस्कुलर (Muscular) दिखाया गया है, जो 90 के दशक के ही-मैन और अर्नाल्ड श्वार्ज़नेगर जैसे हीरोज़ के प्रभाव को दर्शाता है। चित्रों में चमकीले रंग—पीला, लाल, हरा और नीला—बहुत इस्तेमाल किए गए हैं। एक्शन पर ध्यान देने के लिए बैकग्राउंड को अक्सर साधारण रखा गया है।
लड़ाई के दृश्यों में गति दिखाने के लिए ‘स्पीड लाइन्स’ और ध्वनि सूचक शब्दों (जैसे—तड़ाक, धाड़, फस्स) का जमकर इस्तेमाल किया गया है। राक्षसों और रक्षकों (जैसे ‘अष्टध्वज’) की डिज़ाइन काफी रोचक है। वहीं शेषनाग का चित्रण बेहद भव्य है—उनके पीछे दिव्य प्रकाश (Aura) दिखाया गया है जो दृश्य को और भी शानदार बनाता है।
संवाद और लेखन शैली (Writing Style)
ऋतुराज की लेखन शैली बहुत नाटकीय है और संस्कृतनिष्ठ, भारी हिंदी शब्दों का खूब उपयोग करती है। इससे कहानी को एक पौराणिक और गंभीर टोन मिलता है। संवादों में “कदापि”, “तत्पर”, “आक्रमण”, “विषाक्त”, और “आदर्शवादी” जैसे शब्द आमतौर पर मिलते हैं।
इस शैली की एक खास बात यह है कि पात्र बातों को सीधे-सीधे कहते हैं। वे अपनी शक्तियों और इरादों को घुमा-फिराकर नहीं बताते—यह उस दौर की कॉमिक्स का एक मशहूर ‘ट्रोप’ (Trope) था। यहाँ तक कि खलनायक भी अपनी कमजोरी और ताकत खुद ही बता देते थे—जैसे पकड़ध्वज का यह कहना कि “मेरी पूंछ दबाने पर मैं आकार नहीं बदल सकता”। यह उस समय के पाठकों को कहानी के नियम सरल तरीके से समझाने का एक अच्छा तरीका था, भले ही आज यह थोड़ा अनोखा लगे।
आलोचनात्मक दृष्टि (Critical Analysis)
कॉमिक्स भले ही मास्टरपीस हो, लेकिन एक रिव्यूअर का काम है कि थोड़ा-सा ‘ताक-झांक’ करके देखें कि कहाँ सुधार की गुंजाइश थी। और यहाँ भी कुछ छोटी-छोटी कमियाँ नज़र आती हैं:
पैटर्न की पुनरावृत्ति (Repetitive Pattern)
कहानी का ढांचा थोड़ा प्रेडिक्टेबल हो जाता है। एक तरह का फिक्स्ड फार्मूला चलता रहता है:
तौसी कमरे में जाता है → रक्षक मिलता है → भिड़ंत होती है → रक्षक हारता है → तौसी आगे बढ़ता है।
और यह पूरा चक्र लगभग 6 बार रिपीट होता है।
एक-दो बार तक तो ठीक है, पर बार-बार वही फॉर्मूला थोड़ा monotony पैदा कर देता है।
विलन का अभाव
कहानी की शुरुआत में तुर्कसैन और मुण्डा एकदम धांसू एंट्री लेते हैं। लगता है बड़ा धमाका करवाएँगे… लेकिन कहानी आगे बढ़ते-बढ़ते पूरा फोकस तौसी की परीक्षाओं पर आ जाता है और मेन विलन साइड में धकेल दिए जाते हैं। ये थोड़ा खटका जरूर— पर शायद ये सब जानबूझकर अगली कॉमिक “तौसी का जादू” में सेट-अप करने के लिए किया गया होगा।
सुविधाजनक जीत (Convenient Wins)
कुछ रक्षक तो अपनी कमजोरी खुद तौसी को बता देते हैं! और कभी-कभी तौसी बिना ज्यादा संघर्ष के बिल्कुल सही अंदाज़ा लगा लेता है कि किसे कैसे हराना है। थोड़ा और टफ चैलेंज होते तो मज़ा दोगुना हो जाता।
निष्कर्ष: क्यों पढ़ें यह कॉमिक्स?
“तौसी और शेषनाग” तुलसी कॉमिक्स की उन शानदार पेशकशों में से है जो फैंटेसी, एक्शन और भारतीय पौराणिक कथाओं को एक ही जगह बड़ी खूबसूरती से समेटती है।
इस कॉमिक की सबसे बड़ी खूबियाँ:
यह सिर्फ मारधाड़ वाली कहानी नहीं है, बल्कि एक सच्ची क्वेस्ट है— जहाँ हर कदम पर नए सबक, नए खतरे और नई सीख मिलती है। तौसी का नैतिक द्वंद्व, उसकी दुविधा, और फिर उसका समाधान— ये सब मिलकर उसे सिर्फ एक लड़ाकू योद्धा नहीं, बल्कि एक परिपक्व हीरो साबित करते हैं। आखिर में हथियारों की जगह ‘जीवित शक्तियों’ को पाना— ये आइडिया बहुत ही ओरिजिनल और शानदार है। ऐसा ट्विस्ट तुलसी कॉमिक्स की रचनात्मकता का असली उदाहरण है।
किसके लिए है यह कॉमिक?
अगर आप 90’s किड हैं, तो यह कॉमिक आपको आपके बचपन के रोमांच वापस महसूस करवाएगी— वही पुरानी महक, वही पन्ने पलटने का उत्साह। और अगर आप नए पाठक हैं, तो यह दिखाएगी कि भारतीय कॉमिक्स कभी सिर्फ मनोरंजन नहीं थीं—
बल्कि गहरी, कल्पनाशील और सोचने पर मजबूर कर देने वाली कहानियों का एक शानदार खज़ाना थीं।
तौसी की यह यात्रा बताती है कि
वही असली योद्धा है जो तलवार से ज्यादा अपनी बुद्धि का सही इस्तेमाल करना जानता है—
और कभी-कभी अपने शत्रु को शक्ति बनाकर आगे बढ़ना ही सबसे बड़ा साहस होता है।
रेटिंग: 4/5 🌟🌟🌟🌟 (एक अनिवार्य पठन उन सभी के लिए जो भारतीय सुपरहीरो शैली को समझना चाहते हैं।)
