राज कॉमिक्स के इतिहास में ‘नागायण’ सीरीज एक ऐसा मील का पत्थर है, जिसने सिर्फ कहानी कहने का स्तर ही नहीं बढ़ाया, बल्कि भारतीय सुपरहीरोज़ को दुनिया भर में पहचान दिलाने की कोशिश भी की। ‘वरण काण्ड’ इस महागाथा का पहला कदम है। यह कॉमिक सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं है, बल्कि संजय गुप्ता और अनुपम सिन्हा की उस दूरदर्शी सोच का नतीजा है, जहाँ उन्होंने भारतीय पौराणिक कथाओं (खासकर रामायण) को भविष्य की विज्ञान कथा (Science Fiction) के साथ जोड़ने की कोशिश की। यह समीक्षा इस 78 पन्नों की कॉमिक के हर उस हिस्से को दिखाने की कोशिश करेगी, जिसने इसे एक ‘कल्ट क्लासिक’ बना दिया।
कथानक का विस्तार और संरचना
‘वरण काण्ड’ की कहानी तीन मुख्य हिस्सों में बंटी है, जो पाठक को वर्तमान से भविष्य की डरावनी लेकिन रोमांचक यात्रा पर ले जाती है।

अध्याय 1: पाप का बीज (The Seed of Sin)
कहानी साल 2023 में शुरू होती है, जब दुनिया एक बड़े खतरे का सामना कर रही है। विज्ञान की भाषा में इसे ‘धूमकेतु’ कहा जाता है, लेकिन कॉमिक में इसे ‘पाप का बीज’ बताया गया है। यह बीज ‘महाकालछिद्र’ (ब्लैक होल) की अंधेरी शक्तियों से आया है। कॉमिक के शुरुआती पन्ने उस तनाव को अच्छे से दिखाते हैं, जब दुनिया के बड़े वैज्ञानिक और सैन्य अधिकारी हार मान चुके होते हैं।
यहीं से नागराज की एंट्री होती है। अब वह सिर्फ रक्षक नहीं, बल्कि खोजी योद्धा बन गया है और नागपाशा के छिपे ठिकानों को नष्ट करने के मिशन पर है। इस अध्याय में नागराज और उसके चाचा नागपाशा का पुराना झगड़ा फिर सामने आता है। नागपाशा के गुरुदेव उसे असीम शक्तियां देने का वादा करते हैं, लेकिन तभी धूमकेतु पृथ्वी से टकरा जाता है। यह साधारण टक्कर नहीं थी; इसने पृथ्वी का भूगोल और नियति हमेशा के लिए बदल दिया।

अध्याय 2: केन्द्र (The Center – 2025 AD)
कहानी यहाँ से दो साल आगे बढ़ती है। 2025 की दुनिया अब वैसी नहीं रही जैसी हम जानते हैं। यहाँ ‘अंडरग्राउंड मेगासिटीज’ का राज है और सतह पर ‘ब्लैक पावर्स’ (काली शक्तियां) का कब्जा है। लेखक ने पाठकों को एक बड़ा झटका दिया है—नागराज दो साल से कोमा में है और सुपर कमांडो ध्रुव की जिंदगी पूरी तरह बिखरी हुई है।
इस हिस्से में ‘भारती कम्युनिकेशंस’ की भूमिका अहम हो जाती है। भारती ने नागराज के साम्राज्य को बचाने के लिए उससे कानूनी विवाह किया है, लेकिन यह शादी प्रेम पर नहीं, बल्कि ‘समझौते’ पर आधारित है। कहानी में एक साइ-फाई एलिमेंट भी जुड़ता है—समाज को बचाने के लिए नागराज के ‘बायो-रोबोट्स’ (Xerox) का इस्तेमाल किया जा रहा है।
अध्याय 3: स्वयंवर (The Wedding)
यह कॉमिक का सबसे भावनात्मक और रणनीतिक हिस्सा है। जैसे रामायण में सीता का स्वयंवर एक टर्निंग पॉइंट था, वैसे ही यहाँ विसर्पी का स्वयंवर पूरी दुनिया की किस्मत तय करता है। बाबा गोरखनाथ, नागराज और ध्रुव को ‘आयुध क्षेत्र’ में ले जाते हैं, जहाँ उन्हें प्राचीन अस्त्रों का ज्ञान मिलता है। मुख्य संघर्ष यह है कि अगर कोई काली शक्ति (जैसे नागपाशा) यह स्वयंवर जीत गई, तो नागजाति हमेशा के लिए बुराई के अधीन हो जाएगी।
पात्रों का गहन विश्लेषण (Character Deep Dive)

नागराज: मर्यादा पुरुषोत्तम का आधुनिक रूप
‘वरण काण्ड’ में नागराज एक ऐसे नायक के रूप में दिखाया गया है, जो अपनी शक्तियों से ज्यादा अपनी जिम्मेदारियों के बोझ तले दबा है। दो साल कोमा में रहने के बाद जब वह जागता है, तो उसके सामने एक बदली हुई दुनिया है। उसका द्वंद्व यह है कि वह विसर्पी से प्यार करता है, लेकिन भारती से उसका कानूनी विवाह उसे सामाजिक बंधनों में बांध देता है। अनुपम सिन्हा ने नागराज की ‘स्वैप शक्ति’ और ‘शीत नाग’ जैसी शक्तियों का जो चित्रण किया है, वह उसकी महानता को और बढ़ा देता है।
सुपर कमांडो ध्रुव: बुद्धि और विवशता
ध्रुव हमेशा अपनी बुद्धिमत्ता के लिए जाने जाते हैं, लेकिन यहाँ उन्हें एक टूटे हुए इंसान के रूप में दिखाया गया है। नताशा के साथ उसका तलाक चल रहा है और उनका बेटा ऋषि, जो नताशा के पास रहना चाहता है, ध्रुव की सबसे बड़ी कमजोरी बन जाता है। ध्रुव का यह मानवीय पक्ष उसे सिर्फ ‘मास्क वाला हीरो’ होने से ऊपर उठाता है। ‘वरण काण्ड’ में ध्रुव की भूमिका एक रणनीतिकार की है, जो नागराज के साथ मिलकर काली शक्तियों के खिलाफ मोर्चा संभालता है।

नागपाशा और नगीना: बुराई का नया चेहरा
नागपाशा अब सिर्फ एक विलेन नहीं, बल्कि ‘क्रूरपाशा’ बन चुका है। उसके दस सिर उसकी बढ़ती हुई बुराई और लालच को दिखाते हैं। नगीना, जो अपनी चालाकियों के लिए मशहूर है, यहाँ सत्ता के खेल को बिगाड़ती है। वह नागपाशा के अहंकार का फायदा उठाती है और उसे काली शक्तियों के और करीब ले जाती है।
भारती और विसर्पी: त्याग और अधिकार
भारती का किरदार इस कॉमिक में बहुत जटिल है। उसने नागराज से शादी इसलिए की थी ताकि उसके आदर्श और साम्राज्य सुरक्षित रहें, न कि खुद के लिए। दूसरी तरफ, विसर्पी का दर्द उसकी आँखों में साफ झलकता है। वह नागराज से नफरत का दिखावा करती है क्योंकि उसने भारती से शादी की, लेकिन अंदर ही अंदर वह अब भी उसकी प्रतीक्षा करती है।
कलात्मक पक्ष और चित्रांकन (Artistic Brilliance)
अनुपम सिन्हा को भारतीय कॉमिक्स का ‘लियोनार्डो द विंची’ कहना ज्यादा नहीं होगा। ‘वरण काण्ड’ में उनका कला-कौशल अपने चरम पर है। उन्होंने पारंपरिक ग्रिड सिस्टम को तोड़कर ‘फ्लोइंग पैनल्स’ का ऐसा इस्तेमाल किया है कि एक्शन सीन में पात्र पन्नों की सीमाओं को पार करते हुए बाहर निकलते दिखाई देते हैं।

2025 की भविष्यवादी दुनिया को उन्होंने ‘मैग्नेटिक लेविटेशन ट्रेन्स’ और ‘होलोग्राफिक इंटरफेसेस’ जैसे डिज़ाइनों से जीवंत किया है। नागराज और ध्रुव की शारीरिक बनावट (Anatomy) और उनके कॉस्ट्यूम की बारीक चमक इसे और प्रभावशाली बनाती है। रंगों के मामले में सुनील कुमार ने कमाल कर दिया—अंडरग्राउंड शहरों के लिए ठंडे नीले रंग और काली शक्तियों के लिए आक्रामक लाल व बैंगनी रंग कहानी के रोमांच और तनाव को आंखों में जिंदा कर देते हैं।
तकनीकी और वैज्ञानिक तत्व (Sci-Fi Elements)
‘वरण काण्ड’ में विज्ञान केवल पृष्ठभूमि नहीं है, बल्कि कहानी का अहम हिस्सा है। नागराज की अनुपस्थिति में समाज चलाने के लिए बनाए गए बायो-रोबोट्स (Xerox) ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ और इसके नैतिक पहलुओं पर सवाल उठाते हैं। बढ़ता प्रदूषण और बाहरी खतरों के कारण मानवता का अंडरग्राउंड मेगासिटीज में रहना एक डरावना लेकिन सही भविष्यवाणी जैसा लगता है।

‘आयुध क्षेत्र’ में विज्ञान और आध्यात्मिकता का अनोखा मेल तब दिखता है जब बाबा गोरखनाथ प्राचीन अस्त्रों को ‘ध्वनि-संचालित’ बताते हैं। यह दर्शाता है कि प्राचीन मंत्र वास्तव में परिष्कृत वैज्ञानिक कोड थे, जो खास ध्वनियों और आवृत्तियों पर आधारित थे।
सामाजिक और मनोवैज्ञानिक संदेश
यह कॉमिक सिर्फ एक काल्पनिक महागाथा नहीं है, बल्कि कई स्तरों पर सामाजिक और व्यक्तिगत संदेश भी देती है। धूमकेतु का पृथ्वी से टकराना मानवीय लापरवाही और संभावित विनाश को दिखाता है। ध्रुव और नताशा का तलाक यह बताता है कि सुपरहीरोज़ भी आम इंसानों की तरह उलझनों और अधूरापन से जूझते हैं।

भारती और नागराज का विवाह, जो कानूनी मजबूरी पर हुआ, कहानी में ‘कानून बनाम नैतिकता’ का सवाल उठाता है। यह पाठकों को सोचने पर मजबूर करता है कि क्या कानूनी निर्णय हमेशा सही नैतिक निर्णय भी होते हैं।
रामायण के साथ तुलनात्मक अध्ययन
‘नागायण’ सीरीज का नाम और कहानी स्पष्ट रूप से रामायण से प्रेरित है, जो इसे आधुनिक पौराणिक गौरव देती है। नागराज, भगवान राम की तरह अपने वचन और कर्तव्य के प्रति पूरी तरह समर्पित नायक हैं। वहीं नागपाशा रावण की तरह अहंकार और सत्ता की भूख का प्रतीक है।
जैसे लंका का युद्ध बुराई के विनाश के लिए जरूरी था, वैसे ही ‘वरण काण्ड’ के बाद होने वाला युद्ध पृथ्वी की सुरक्षा के लिए अनिवार्य है। नायक बनने की प्रक्रिया भी समान है—जैसे श्रीराम ने ऋषि विश्वामित्र से शस्त्र और ज्ञान लिया, वैसे ही नागराज और ध्रुव बाबा गोरखनाथ और द्रोण से सीखकर इस धर्मयुद्ध के लिए तैयार होते हैं।
संपादन और प्रस्तुति (The Green Pages)

कॉमिक्स के अंत में दिए गए ‘ग्रीन पेज’ संजय गुप्ता के विजन को साफ दिखाते हैं। ये बताते हैं कि कैसे पूरी टीम ने दिन-रात मेहनत करके इस महागाथा को आकार दिया। संपादन इतना बेहतरीन है कि कहानी कहीं भी भटकती नहीं। हर संवाद का अपना वजन है। ‘वरण काण्ड’ को एक सीरीज के रूप में लॉन्च करना राज कॉमिक्स का बड़ा जुआ था, और यह जुआ पूरी तरह सफल रहा।
‘वरण काण्ड’ ने भारतीय कॉमिक्स के प्रशंसकों की एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित किया है। इसने साबित कर दिया कि भारतीय कहानियों में भी उतनी ही ताकत और गहराई है जितनी डीसी (DC) या मार्वल (Marvel) की कहानियों में होती है। इस कॉमिक ने नागराज और ध्रुव को नया जीवन दिया और उन्हें एक ‘डार्क’ और ‘मैच्योर’ टोन दिया।
समीक्षा का निष्कर्ष
‘नागायण: वरण काण्ड’ सिर्फ एक ग्राफिक नॉवेल नहीं है, बल्कि एक पूरा अनुभव है। यह हमें साहस, त्याग और बुद्धिमत्ता का पाठ देती है। इसकी कहानी डर भी देती है और उम्मीद भी जगाती है। कला की बात करें तो यह विश्वस्तरीय है। कहानी की बात करें तो यह कालजयी है।
यह कॉमिक्स हर उस व्यक्ति के लिए है जो एक शानदार कहानी की तलाश में है। यह आपको आपकी जड़ों से जोड़ती है और भविष्य की कल्पना करने के पंख भी देती है। नागराज और ध्रुव की यह जोड़ी आने वाले समय में भी भारतीय पाठकों के दिलों में अपनी जगह बनाए रखेगी। ‘वरण काण्ड’ उस सफर की शानदार शुरुआत है, जिसका अंत बुराई के विनाश और मानवता की जीत के साथ तय है।
अंतिम विचार
अगर आप अभी भी भारतीय कॉमिक्स को केवल बच्चों की चीज़ समझते हैं, तो ‘वरण काण्ड’ आपकी सोच बदल देगी। यह एक गहरा राजनीतिक और सामाजिक ड्रामा है, जिसे सुपरहीरो के कवर में लपेटा गया है। अनुपम सिन्हा की जादुई पेंसिल और संजय गुप्ता के बेहतरीन संपादन ने मिलकर एक ऐसा हीरा तराशा है, जिसकी चमक कभी कम नहीं होगी।
