“अब मरेगा परमाणु” संजय गुप्ता की पेशकश है, जिसे हनीफ अजहर ने लिखा है और मनु ने अपने जबरदस्त चित्रों से सजाया है। यह कॉमिक्स सिर्फ एक सुपरहीरो की कहानी नहीं है, बल्कि इसमें इमोशन्स, साजिशें, जबरदस्त एक्शन और ट्रैजेडी का ऐसा तड़का है कि पढ़ने वाले को सीधे दिल पर असर होता है। यही वजह है कि सालों बाद भी जब इसे पढ़ते हैं, तो रोमांच वैसा ही ताज़ा महसूस होता है और समझ आता है कि आखिर क्यों राज कॉमिक्स ने लाखों फैंस के दिलों पर राज किया।
कथा सार: साजिश और बदले की दर्दनाक कहानी
कहानी की शुरुआत ही धमाकेदार और रहस्यमयी अंदाज़ में होती है। भारत की दो सबसे सुरक्षित जेलों – काला पानी और ओपन एयर जेल – पर एक साथ हमला होता है। काला पानी से, जहाँ सबसे खतरनाक कैदी बंद हैं, वहाँ हायना और फंदेबाज़ जैसे बदनाम अपराधी मिलकर ‘अंगार’ को आज़ाद कर देते हैं, जो आग से बना हुआ इंसान है। वहीं दूसरी तरफ, ओपन एयर जेल से – जहाँ सुधरे हुए कैदी रहते हैं – वहाँ से ‘गुणाकर’ नाम का अपराधी प्रोफेसर मार्टिन का अपहरण कर लेता है। प्रोफेसर मार्टिन कोई आम कैदी नहीं, बल्कि एक बड़े साइंटिस्ट हैं, जो हालात की वजह से अपराधी बने थे लेकिन अब चैन से एक शांत जिंदगी बिता रहे थे।

इंस्पेक्टर विनय, जो असल में परमाणु का ही दूसरा रूप हैं, जब इन वारदातों की जांच करने पहुँचते हैं, तो उन्हें एक ऐसा सदमा मिलता है जो उनकी ज़िंदगी हिला कर रख देता है। उन्हें प्रोफेसर मार्टिन के दो छोटे बच्चों – पिंकी और वीनू – की बुरी तरह से मारी गई लाशें मिलती हैं। इन बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी खुद विनय ने ली हुई थी। यह भयानक हादसा विनय को अंदर से तोड़ देता है। उन्हें तुरंत समझ आ जाता है कि इन दोनों घटनाओं के पीछे सीधा-सीधा संबंध परमाणु से है और कोई बहुत बड़ा और खतरनाक खेल उसके खिलाफ रचा जा रहा है।
कहानी का असली मास्टरमाइंड है पर्दे के पीछे बैठा ‘ब्रेन मास्टर’। यह बेहद शातिर और बेरहम अपराधी सिर्फ परमाणु को खत्म करना ही नहीं चाहता, बल्कि राजा रंजीत सिंह का सदियों पुराना खजाना भी लूटना चाहता है। उसे पता है कि परमाणु को सीधे ताकत के दम पर हराना लगभग नामुमकिन है, इसलिए वह चालबाज़ी करता है। ब्रेन मास्टर परमाणु के पुराने और सबसे खतरनाक दुश्मनों को एक साथ इकट्ठा करता है – अंगार, हायना, फंदेबाज़ और गुणाकर।
लेकिन उसका सबसे खतरनाक दांव होता है प्रोफेसर मार्टिन। ब्रेन मास्टर उन्हें उनके बच्चों की मौत का एक एडिटेड वीडियो दिखाता है, जिसमें ऐसा लगता है जैसे इंस्पेक्टर विनय यानी परमाणु ने ही उनकी हत्या की हो। अपने बच्चों की दर्दनाक मौत देखकर प्रोफेसर मार्टिन का दिमागी संतुलन बिगड़ जाता है। ग़म, ग़ुस्से और बदले की आग में झुलसकर वह अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हैं और बदल जाते हैं ‘टाइफून’ में – एक ऐसा जबरदस्त जल-मानव, जिसका एक ही मकसद है – परमाणु को मिटा देना।
अब परमाणु के सामने सिर्फ कुछ दुश्मन ही नहीं, बल्कि उसका एक पुराना दोस्त खड़ा है, जो धोखे और ग़म की वजह से उसका सबसे बड़ा दुश्मन बन चुका है। यहीं से शुरू होती है एक्शन, इमोशन और सस्पेंस से भरी वो जंग, जो पाठक को आख़िर तक जोड़े रखती है।
पात्र-चित्रण: नायक, खलनायक और इमोशन्स की टक्कर
इस कॉमिक्स की सबसे बड़ी ताक़त इसके किरदार और उनके इमोशन्स का चित्रण है।
परमाणु/इंस्पेक्टर विनय: इस कहानी में परमाणु सिर्फ एक सुपरहीरो नहीं, बल्कि एक इंसान के रूप में भी सामने आता है। बच्चों की मौत का ग़म और प्रोफेसर मार्टिन से किए वादे को पूरा न कर पाने का अपराधबोध उसे तोड़ता भी है और मज़बूत भी बनाता है। वह सिर्फ दुश्मनों से नहीं, बल्कि अपने अंदर के emotional turmoil से भी जूझता है। उसका किरदार यहाँ एक आदर्श नायक का है, जो शारीरिक और मानसिक दोनों स्तरों पर परखा जाता है।
प्रोफेसर मार्टिन/टाइफून: बिना शक, इस कहानी का सबसे दर्दनाक और दमदार किरदार टाइफून है। एक नेक इंसान, एक प्यार करने वाला पिता, जिसे हालात और एक क्रूर साज़िश ने एक तबाही मचाने वाली ताक़त में बदल दिया। उसका दर्द, उसकी चीखें और परमाणु के लिए उसकी नफ़रत, पाठक सचमुच महसूस कर सकते हैं। यह वो विलेन है जिससे नफरत नहीं, बल्कि सहानुभूति होती है। जब वह अपने बच्चों की लाश देखकर टूट जाता है, तो वह पल कॉमिक्स के सबसे मार्मिक और यादगार दृश्यों में से एक बन जाता है। टाइफून का हर हमला परमाणु पर सिर्फ ताक़त का वार नहीं, बल्कि एक टूटा हुआ दिल का दर्द है।

ब्रेन मास्टर: ब्रेन मास्टर एक क्लासिक मास्टरमाइंड विलेन है। वह ताक़तवर शरीर वाला नहीं, बल्कि खतरनाक दिमाग वाला है। वह जानता है कि लोगों की भावनाओं से कैसे खेलना है और अपने मकसद के लिए कितनी भी नीच हरकत कर सकता है। उसकी चालाकी और बेरहमी उसे परमाणु का बेहद ख़तरनाक दुश्मन बना देती है।
खलनायकों की टीम: अंगार, हायना, फंदेबाज़ और गुणाकर – ये सब अपने-अपने अंदाज़ में असर छोड़ते हैं। ये सिर्फ भीड़ बढ़ाने के लिए नहीं लाए गए, बल्कि हर एक को अपनी ताक़त दिखाने का मौका मिलता है। यही वजह है कि ये टीम परमाणु के लिए एक जबरदस्त चैलेंज खड़ी करती है और कहानी का एक्शन लेवल और भी ऊपर चला जाता है।
सहायक किरदार: परमाणु की साथी पत्रकार ममता और उसके मामा प्रोफेसर (जो एक साइंटिस्ट और परमाणु के निर्माता हैं) भी कहानी में अहम रोल निभाते हैं। ममता विनय को इमोशनल सहारा देती है, जबकि प्रोफेसर आखिर में एक अहम मोड़ पर उसकी मदद करके कहानी को नई दिशा दे देते हैं।
लेखन और चित्रांकन: कहानी कहने की कला
हनीफ अजहर का लेखन इस कॉमिक्स की असली जान है। कहानी तेज़ रफ्तार में चलती है और कहीं भी उबाऊ नहीं लगती। डायलॉग्स हर किरदार के मुताबिक और असरदार हैं, खासकर टाइफून के संवाद – जो दर्द और गुस्से से भरे हैं – सीधे दिल को लगते हैं। कहानी की बुनावट इतनी चतुराई से की गई है कि साज़िश धीरे-धीरे खुलती है और आखिर में सच सामने आता है। “अब मरेगा परमाणु” नाम ही इतना बड़ा दांव सेट कर देता है कि पढ़ते वक्त लगातार लगता है – कहीं इस बार सचमुच नायक हार न जाए।

मनु का आर्टवर्क इस कॉमिक्स को और ऊँचाई देता है और राज कॉमिक्स के स्वर्ण युग की याद दिलाता है। हर पैनल ज़बरदस्त और डिटेल्ड है। एक्शन सीन तो जैसे पन्नों से बाहर निकलकर सामने आ जाते हैं। परमाणु, टाइफून, अंगार और बाकी सभी किरदारों के डिज़ाइन याद रह जाने लायक हैं। लेकिन सबसे खास है इमोशन्स का चित्रण। प्रोफेसर मार्टिन के चेहरे पर ग़म, ग़ुस्सा और लाचारी, और परमाणु की आँखों में दर्द के साथ-साथ दृढ़ता – मनु ने इन्हें बड़ी खूबसूरती से उतारा है। रंगों का इस्तेमाल भी मूड के हिसाब से किया गया है – एक्शन में चमकीले रंग और इमोशनल दृश्यों में गहरे, शांत रंग, जो कहानी का असर और बढ़ा देते हैं।
क्यों खास है “अब मरेगा परमाणु“?
यह कॉमिक्स सिर्फ मारकाट और सुपरहीरो-खलनायक की भिड़ंत तक सीमित नहीं है। इसमें दोस्ती, भरोसा, धोखा और बदले जैसी गहरी भावनाएँ छुई गई हैं, जो इसे और पावरफुल बनाती हैं। टाइफून जैसा खलनायक, जिसकी अपनी दर्दनाक कहानी है, उसे साधारण विलेन से अलग खड़ा करता है। ऊपर से, इस हाई-स्टेक्स कहानी में सिर्फ शहर की सुरक्षा ही दांव पर नहीं है, बल्कि नायक की ज़िंदगी, उसकी इज़्ज़त और एक दोस्त का उसका दुश्मन बन जाना भी शामिल है। यही सब इसे और ज़्यादा इमोशनल और इंटेंस बनाता है। हनीफ अजहर की टाइट स्क्रिप्ट और मनु का एनर्जेटिक आर्टवर्क मिलकर इसे एक ऐसा अनुभव बना देते हैं, जो आज भी उतना ही असरदार है जितना उस वक्त था।
निष्कर्ष
“अब मरेगा परमाणु” सिर्फ एक कॉमिक्स नहीं, बल्कि भारतीय कॉमिक्स के इतिहास का एक अहम चैप्टर है। यह परमाणु की सबसे शानदार कहानियों में से एक है और साथ ही राज कॉमिक्स की ताकत को भी दिखाती है – कि कैसे सुपरहीरो की कहानी को एक्शन के साथ-साथ गहरी भावनाओं का आधार देकर यादगार बनाया जा सकता है। अगर आप 90s की कॉमिक्स के फैन हैं या फिर ऐसी स्टोरी पढ़ना चाहते हैं जिसमें एक्शन और इमोशन का परफेक्ट बैलेंस हो, तो यह कॉमिक्स ज़रूर पढ़नी चाहिए। यह सच में एक ऐसी कृति है जो वक्त की कसौटी पर खरी उतरी है और आज भी उतनी ही मज़ेदार और असरदार लगती है, जितनी उस दौर में थी।