“तुरुप चाल”। यह कॉमिक्स सिर्फ एक साधारण सुपरहीरो कहानी नहीं थी, बल्कि यह एक तेज़-रफ़्तार राजनीतिक थ्रिलर थी, जिसमें दो अलग विचारधाराओं और शक्तियों वाले महानायक, परमाणु और तिरंगा, एक साथ एक ही मिशन पर नज़र आते हैं। हनीफ अजहर और विवेक मोहन की कलम से निकली यह कहानी और धीरज वर्मा की कला से सजे इसके पन्ने आज भी कॉमिक्स प्रेमियों के ज़हन में ताज़ा हैं। “तुरुप चाल” महज़ एक कॉमिक्स नहीं, बल्कि उस दौर की रचनात्मकता और कहानी कहने की कला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
देश पर मंडराता एक अनूठा संकट
कहानी की शुरुआत ही एक चौंकाने वाली घटना से होती है। देश के एक पूर्व प्रधानमंत्री, श्री ठकराल, का अपहरण कर लिया जाता है और उन्हें एक चलती ट्रेन के आगे पटरी पर बाँध दिया जाता है। इस दुस्साहसिक कार्य के पीछे है एक रहस्यमयी संगठन – “फ़्लैश गैंग”, जिसका सरगना खुद को ‘इक्का’ कहता है। यह गैंग ताश के पत्तों की थीम पर काम करता है और उनके सदस्य भी इक्का, गुलाम, रानी और बादशाह जैसे नामों से जाने जाते हैं।

संयोग से उसी ट्रेन में दिल्ली पुलिस का इंस्पेक्टर विनय, यानी हमारा सुपरहीरो परमाणु, भी सफ़र कर रहा होता है। खतरे को भाँपकर वह तुरंत एक्शन में आता है, लेकिन इक्का की चालाक “तुरुप चाल” के आगे वह पूर्व प्रधानमंत्री को बचाने में असफल हो जाता है। हत्या का तरीका बेहद अनोखा और क्रूर होता है – ट्रेन की कान फाड़ देने वाली आवाज़ को एम्प्लीफायर के ज़रिए इतना बढ़ा दिया जाता है कि पीड़ित का मस्तिष्क फट जाता है।
यह सिर्फ़ एक शुरुआत थी। फ़्लैश गैंग एक-एक करके देश के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों को अपने निशाने पर ले लेता है। उनकी अगली शिकार एक और पूर्व प्रधानमंत्री, श्री भीमसेन सिंह, होते हैं, जिन पर हमला करता है गैंग का दूसरा सदस्य ‘गुलाम’। यहाँ कहानी में प्रवेश होता है देश के दूसरे रक्षक, तिरंगा का। तिरंगा अपनी देशभक्ति और अदम्य साहस से प्रधानमंत्री को तो बचा लेता है, लेकिन गुलाम अपने शातिर तरीकों से बच निकलने में कामयाब हो जाता है।
दो पूर्व प्रधानमंत्रियों पर हुए इन हमलों से पूरे देश में हड़कंप मच जाता है। सरकार सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों की सुरक्षा बढ़ा देती है। अब यह ज़िम्मेदारी परमाणु और तिरंगा के कंधों पर आ जाती है कि वे इस रहस्यमयी फ़्लैश गैंग का पर्दाफ़ाश करें और उनके सरगना, ‘बादशाह’, तक पहुँचें। कहानी आगे बढ़ती है और दोनों सुपरहीरो अलग-अलग सुरागों पर काम करते हुए फ़्लैश गैंग की अगली योजनाओं को विफल करने की कोशिश करते हैं। परमाणु का सामना ‘रानी’ से होता है, जो एक और पूर्व प्रधानमंत्री को मारने की फिराक में है, तो वहीं तिरंगा ‘गुलाम’ की नई साज़िशों से जूझता है।

कहानी का चरमोत्कर्ष तब आता है जब फ़्लैश गैंग के सरगना ‘बादशाह’ का अंतिम और सबसे भयानक प्लान सामने आता है – एक मनोरंजन पार्क के उद्घाटन समारोह में सभी बचे हुए पूर्व प्रधानमंत्रियों को एक साथ खत्म कर देना। यहीं पर परमाणु और तिरंगा की राहें मिलती हैं और वे मिलकर इस राष्ट्रीय संकट का सामना करते हैं। क्या वे बादशाह की “तुरुप चाल” को मात दे पाएंगे? बादशाह कौन है और वह ऐसा क्यों कर रहा है? इन सवालों के जवाब कॉमिक्स के रोमांचक अंतिम पन्नों में छिपे हैं।
चरित्र–चित्रण: विज्ञान, देशभक्ति और शातिर खलनायक
“तुरुप चाल” की सबसे बड़ी खूबी इसके किरदारों का सशक्त चित्रण है।
परमाणु: इंस्पेक्टर विनय, जो अपने चाचा के दिए हुए वैज्ञानिक सूट की मदद से परमाणु की शक्तियों का इस्तेमाल करता है। इस कॉमिक्स में परमाणु सिर्फ़ अपनी असीम ताकत का प्रदर्शन नहीं करता, बल्कि एक जासूस की तरह भी काम करता है। वह सुराग ढूंढता है, उनका पीछा करता है और खलनायकों से भिड़ने के लिए अपनी वैज्ञानिक समझ का उपयोग करता है। श्री ठकराल को न बचा पाने की उसकी विफलता उसे कहानी में एक मानवीय पक्ष देती है। वह गुस्से और बदले की भावना से भर उठता है, जो उसे और भी ज़्यादा दृढ़निश्चयी बनाता है।

तिरंगा: अभय देशपांडे, एक ऐसा महानायक जिसके पास कोई सुपरपॉवर नहीं है, लेकिन उसका सबसे बड़ा हथियार है उसकी देशभक्ति, मार्शल आर्ट्स में निपुणता और विशेष गैजेट्स (जैसे तिरंगे रंग की रस्सी और ढाल)। तिरंगा का चरित्र परमाणु के ठीक विपरीत है। जहाँ परमाणु विज्ञान और शक्ति का प्रतीक है, वहीं तिरंगा मानवीय कौशल और दृढ़ इच्छाशक्ति का। वह चुपचाप, एक सैनिक की तरह अपना काम करता है। उसका लक्ष्य सिर्फ़ देश की रक्षा करना है, चाहे उसके लिए उसे कोई भी कीमत चुकानी पड़े।
फ़्लैश गैंग: इस कॉमिक्स के खलनायक इसकी जान हैं। वे साधारण गुंडे नहीं हैं। ताश के पत्तों की थीम उन्हें एक अनूठी और यादगार पहचान देती है।
- बादशाह: गैंग का सरगना, एक ऐसा दिमाग जो राजनीति और अपराध की शातिर चालें चलता है। वह पर्दे के पीछे रहकर अपने गुर्गों को आदेश देता है और उसकी असली पहचान अंत तक एक रहस्य बनी रहती है। उसकी प्रेरणा राजनीतिक महत्वाकांक्षा से जुड़ी है, जो उसे एक जटिल और खतरनाक खलनायक बनाती है।
- इक्का, रानी और गुलाम: बादशाह के तीन प्रमुख गुर्गे। हर किसी का काम करने का अपना एक अलग तरीका है। ‘इक्का’ तकनीक का इस्तेमाल करता है, ‘रानी’ धोखे और ज़हर का, और ‘गुलाम’ विस्फोटक और चालाकी का। यह विविधता कहानी में एक्शन को हमेशा ताज़ा और अप्रत्याशित बनाए रखती है।
एक बेजोड़ जुगलबंदी
कला (धीरज वर्मा): धीरज वर्मा का नाम राज कॉमिक्स के सर्वश्रेष्ठ कलाकारों में शुमार है और “तुरुप चाल” में उनका काम इस बात का सबूत है। उनके बनाए गए एक्शन दृश्य गति और ऊर्जा से भरपूर हैं। परमाणु के अणुओं में विघटित होने का दृश्य हो या तिरंगा के हवा में कलाबाज़ियाँ खाने का, हर पैनल जीवंत लगता है। किरदारों के चेहरे पर भावनाओं (गुस्सा, हैरानी, दर्द) को उन्होंने बखूबी दर्शाया है। कॉमिक्स के रंग उस दौर के हिसाब से चमकीले और आकर्षक हैं, जो पढ़ने के अनुभव को और भी बेहतर बनाते हैं।

लेखन (हनीफ अजहर, विवेक मोहन): कहानी की पटकथा बेहद कसी हुई है। एक राजनीतिक थ्रिलर को सुपरहीरो की दुनिया के साथ मिलाना एक साहसिक कदम था, जिसमें लेखक पूरी तरह सफल हुए हैं। कहानी की गति कहीं भी धीमी नहीं पड़ती। एक के बाद एक घटनाएँ होती रहती हैं, जो पाठक को बांधे रखती हैं। संवाद दमदार और पात्रों के अनुकूल हैं। “यह तो तभी बजता है जब इंजन के सामने कोई भारी गड़बड़ हो!” या “हत्यारे मैं तुझे जिन्दा नहीं छोडूंगा!” जैसे संवाद सुपरहीरो कॉमिक्स के रोमांच को बढ़ाते हैं। “तुरुप चाल” शीर्षक अपने आप में बहुत सार्थक है, क्योंकि कहानी में खलनायक हमेशा एक ऐसी चाल चलता है जो नायकों पर भारी पड़ती है।
राजनीति के गलियारों में सुपरहीरो
“तुरुप चाल” सिर्फ एक एक्शन कॉमिक्स नहीं है, यह अपने समय के सामाजिक-राजनीतिक माहौल पर भी एक अप्रत्यक्ष टिप्पणी करती है।
- राजनीतिक अस्थिरता: कॉमिक्स में पूर्व प्रधानमंत्रियों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया गया है, जो यह दर्शाता है कि सत्ता से हटने के बाद व्यक्ति कितना असुरक्षित हो सकता है। यह उस दौर की राजनीतिक उथल-पुथल की ओर भी इशारा करता है।
- दो नायकों का संगम: यह एक क्लासिक क्रॉसओवर है, जहाँ दो अलग-अलग नायक एक साथ आते हैं। परमाणु और तिरंगा का तालमेल शानदार है। वे एक-दूसरे के काम में दखल नहीं देते, बल्कि अपनी-अपनी क्षमताओं का उपयोग करके एक ही लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं। यह दिखाता है कि देश की रक्षा के लिए अलग-अलग तरीकों और विचारधाराओं का एक साथ आना ज़रूरी है।
- रचनात्मकता: फ़्लैश गैंग का कॉन्सेप्ट, ताश के पत्तों की थीम, और हत्याओं के अनोखे तरीके (साउंड वेव, ज़हरीले गुब्बारे, गोल्फ बॉल बम) लेखकों की अद्भुत रचनात्मकता को दर्शाते हैं।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, “तुरुप चाल” राज कॉमिक्स के इतिहास का एक महत्वपूर्ण और यादगार विशेषांक है। यह एक ऐसी कॉमिक्स है जिसमें एक मनोरंजक कहानी, सशक्त किरदार, यादगार खलनायक और बेहतरीन कला का अद्भुत संगम है। यह परमाणु और तिरंगा के प्रशंसकों के लिए किसी तोहफे से कम नहीं है। यह कहानी आज भी उतनी ही प्रासंगिक और रोमांचक लगती है जितनी यह 1998 में थी। यदि आप भारतीय सुपरहीरो कॉमिक्स के शौकीन हैं और एक तेज़-रफ़्तार एक्शन-थ्रिलर पढ़ना चाहते हैं, तो “तुरुप चाल” आपके लिए एक अनिवार्य पठनीय कॉमिक्स है। यह आपको उस दौर में वापस ले जाएगी जब कॉमिक्स की दुनिया कल्पना की ऊँची उड़ानों और रोमांच की गारंटी हुआ करती थी।
