‘अंगारा’ भारतीय कॉमिक्स का एक ऐसा सुपरहीरो है जिसे उसकी जबरदस्त शारीरिक ताकत के लिए जाना जाता है। उसका शरीर अलग-अलग जानवरों के अंगों से बना है, और इसी वजह से उसे कई खास और अनोखी शक्तियाँ मिली हैं। आमतौर पर अंगारा की लड़ाई धरती पर मौजूद शिकारी किस्म के लोगों, अपराधियों या दुष्ट तांत्रिकों से होती है, लेकिन “अंगारा अंतरिक्ष में” उसे एक बिल्कुल ही अलग और नई दुनिया में पहुँचा देती है।
यह कहानी पिछली कॉमिक्स “अंगारा गायब” की सीधी अगली कड़ी (Sequel) है। पिछली कहानी में हमने देखा था कि कैसे बौना चार्ली की चाल में फँसकर अंगारा दक्षिण ध्रुव की एक गुफा से रहस्यमय तरीके से गायब हो जाता है। इस कॉमिक्स में उसी रहस्य से पर्दा उठता है और हमें दिखाया जाता है कि अंगारा कैसे एक बड़े अंतरग्रहीय युद्ध (Interplanetary War) का हिस्सा बन जाता है।
कथानक (Storyline): दो ग्रहों का युद्ध और अंगारा की भूमिका
कहानी ठीक वहीं से शुरू होती है जहाँ पिछली कॉमिक्स खत्म हुई थी। अंगारा बेहोशी से होश में आता है और खुद को एक अनजान सी जगह पर पाता है। जल्दी ही उसे पता चलता है कि वह ‘किंग लूरा’ के अंतरिक्ष यान में है। यहाँ उसे मालूम पड़ता है कि उसका अपहरण ‘किंग लूरा’ ने करवाया है, जो ‘लूरा ग्रह’ का राजा है।

लूरा ग्रह इस समय भारी संकट में है। उनका पड़ोसी ग्रह ‘मूरा’ लगातार उन पर हमले कर रहा है। मूरा का राजा एक क्रूर तानाशाह है, जो ‘बगोला’ नाम की सेना का नेतृत्व करता है। ये बगोला ऐसे योद्धा हैं जिनका सिर पक्षी जैसा और शरीर इंसान जैसा है। मूरा ने लूरा ग्रह के वातावरण को एक जहरीली गैस से भर दिया है, जिससे वहाँ के लोग कमजोर होते जा रहे हैं। लूरा ग्रह के वैज्ञानिकों ने खोज की कि पृथ्वी के जानवरों में इस गैस से लड़ने की ताकत है, और क्योंकि अंगारा जानवरों के अंगों से बना है, इसलिए वह लूरा ग्रह की आखिरी उम्मीद बन जाता है।
इस पूरे अपहरण की साजिश में अंगारा का पुराना दुश्मन ‘बौना चार्ली’ भी शामिल होता है। चार्ली ने लूरा ग्रह के लोगों की मदद की थी ताकि अंगारा को यहाँ लाया जा सके। लेकिन कहानी में एक मजेदार और चौंकाने वाला मोड़ तब आता है, जब वही चार्ली, जो हमेशा अंगारा को नुकसान पहुँचाना चाहता था, खुद भी एक अजीब हालात में फँस जाता है। वह भी अंगारा के साथ कैद हो जाता है।
किंग लूरा अंगारा से विनती करता है कि वह मूरा ग्रह के ‘पगान स्टेशन’ को नष्ट कर दे, जो मूरा की सेना का एक बड़ा युद्ध अड्डा है। अंगारा स्वभाव से नेक दिल है। जब उसे पता चलता है कि लूरा ग्रह के लोग कितनी बड़ी मुसीबत में हैं, तो वह उनकी मदद करने के लिए तैयार हो जाता है। उसे उड़ने के लिए खास तरह के कृत्रिम पंख दिए जाते हैं।
इसके बाद अंगारा और बौना चार्ली एक छोटे से यान में बैठकर पगान की ओर निकल पड़ते हैं। पगान का दृश्य काफी डरावना और अजीब है। यहाँ बर्फ से ढके पहाड़ हैं और तरह-तरह के विचित्र जानवर रहते हैं। अंगारा का सामना इन अनोखे प्राणियों से होता है।
पगान पर अंगारा को कई खतरनाक जानवरों से लड़ना पड़ता है—जैसे दो मुँह वाले कुत्ते, शेर और दूसरे हिंसक पशु। अंगारा के पास एक ‘दुभाषी यंत्र’ (Translator Device) होता है, जिसकी मदद से वह इन जानवरों से बात कर पाता है। वह उन्हें समझाता है कि वह “सभी वन्य प्राणियों का मित्र” है। यहाँ यह साफ हो जाता है कि अंगारा की सबसे बड़ी ताकत सिर्फ उसका बल नहीं, बल्कि जानवरों के लिए उसका प्यार और सम्मान है। वह इन एलियन जानवरों को अपना दोस्त बना लेता है और उन्हें हिंसा छोड़ने का रास्ता दिखाता है।

कहानी अपने चरम पर तब पहुँचती है जब मूरा की बगोला सेना अंगारा पर हमला कर देती है। इनके पास लेज़र गन और बेहद उन्नत हथियार होते हैं। अंगारा अपने नए जानवर दोस्तों के साथ मिलकर इस सेना का डटकर मुकाबला करता है। बौना चार्ली भी मजबूरी में ही सही, लेकिन इस लड़ाई में अंगारा का साथ देता है। अपनी समझदारी और जानवरों की मदद से अंगारा बगोला सेना को हरा देता है और उन्हें बंदी बना लेता है।
कहानी एक अच्छे और संतोषजनक मोड़ पर खत्म होती है। अंगारा ने पगान पर जीत हासिल कर ली है, लेकिन उसकी धरती पर वापसी अभी बाकी है। यही बात अगली कॉमिक्स “अंगारा की वापसी” के लिए कहानी की जमीन तैयार करती है।
पात्र विश्लेषण (Character Analysis)
अंगारा:
इस कॉमिक्स में अंगारा को सिर्फ एक ताकतवर योद्धा नहीं, बल्कि एक समझदार और सूझबूझ वाला इंसान भी दिखाया गया है। वह हर समस्या का हल सिर्फ लड़ाई से नहीं निकालता। जब वह पगान के जानवरों से मिलता है, तो उन पर हमला करने के बजाय उनसे बात करना बेहतर समझता है। उसका यह संवाद— “मैं तुम्हें अहिंसा सिखाऊंगा” —उसके चरित्र की गहराई को साफ दिखाता है। वह पृथ्वी से लाखों मील दूर होने के बावजूद अपनी असली पहचान, यानी जानवरों का रक्षक होना, नहीं भूलता। यही बात उसे एक अलग और खास सुपरहीरो बनाती है।
किंग लूरा:
किंग लूरा एक मजबूर शासक है। उसने अंगारा का अपहरण जरूर करवाया, लेकिन उसके पीछे मकसद अपनी प्रजा को बचाना था। उसका चरित्र यह बताता है कि कई बार हालात ऐसे बन जाते हैं जहाँ अच्छे इरादों वाले लोगों को भी सख्त फैसले लेने पड़ते हैं। उसका तीन आँखों वाला चेहरा उसे एक अलग और यादगार एलियन रूप देता है।
बौना चार्ली:
चार्ली इस कहानी का सबसे मजेदार और मनोरंजन देने वाला पात्र है। वह अंगारा से नफरत करता है, लेकिन अंतरिक्ष में अकेला पड़ जाने की वजह से उसे उसी के साथ रहना पड़ता है। उसका स्वार्थी स्वभाव और हर वक्त डरा हुआ रहना कहानी में हल्का-फुल्का हास्य जोड़ता है। वह बार-बार अपनी जान बचाने की कोशिश करता है, लेकिन आखिरकार उसे अंगारा के पीछे-पीछे ही चलना पड़ता है।

जटायु और चोंचू:
हालाँकि इन दोनों की भूमिका धरती तक ही सीमित है, फिर भी कहानी के शुरुआती हिस्से में ये अपनी वफादारी साबित करते हैं। जटायु का हिममानव को पकड़कर डॉ. कुणाल के पास लाना यह दिखाता है कि पृथ्वी पर भी अंगारा की तलाश पूरी गंभीरता से चल रही है। वहीं चोंचू की जासूसी करने की क्षमता सच में तारीफ के काबिल है।
एलियन जीव (बगोला और जानवर):
परशुराम शर्मा और प्रदीप साठे ने एलियन जीवों की कल्पना बहुत ही रोचक ढंग से की है। ‘बगोला’ यानी पक्षी-मानव और दो मुँह वाले कुत्ते देखने में काफी अलग और प्रभावशाली लगते हैं।
चित्रांकन और कला पक्ष (Artwork & Visuals)
प्रदीप साठे जी का आर्टवर्क हमेशा की तरह इस कॉमिक्स की बड़ी ताकत है। उनकी कल्पना शक्ति अंतरिक्ष और एलियन ग्रहों, खासकर लूरा और पगान, के चित्रण में साफ नजर आती है। पगान की बर्फ से ढकी वादियाँ और अजीब तरह के पेड़-पौधे सच में एक दूसरी दुनिया का एहसास कराते हैं। रंगों का इस्तेमाल बहुत चटक और आकर्षक है। एलियंस की त्वचा के रंग, अंतरिक्ष यानों की बनावट और लेज़र बीम्स के असर को बेहद खूबसूरती से दिखाया गया है। एक्शन सीन काफी तेज और जानदार हैं, चाहे वह बगोलों के साथ अंगारा की लड़ाई हो या जानवरों का हमला। अंत में, पात्रों की डिज़ाइन भी काफी बारीक और डिटेल में है, फिर चाहे अंगारा की मजबूत मस्कुलर बॉडी हो या किंग लूरा का अनोखा एलियन चेहरा।
समीक्षात्मक विश्लेषण (Critical Analysis)

सकारात्मक पक्ष (Pros):
यह कहानी विज्ञान और प्रकृति का एक शानदार मेल दिखाती है। यहाँ साइंस फिक्शन जैसे स्पेसशिप, लेज़र गन और टेलीपोर्टेशन के साथ-साथ जानवरों और जंगल की दुनिया भी देखने को मिलती है। एक देसी हीरो अंगारा जब हाई-टेक एलियंस से भिड़ता है, तो कहानी और भी रोमांचक हो जाती है। इसमें अहिंसा और एकता का साफ संदेश छिपा है, खासकर तब जब अंगारा एलियन जानवरों को समझाता है कि आपस में लड़ने का कोई फायदा नहीं है। यह बात बच्चों के लिए भी एक अच्छी सीख देती है। इसके अलावा, कहानी की रफ्तार काफी तेज है। अपहरण से लेकर युद्ध तक घटनाएँ तेजी से आगे बढ़ती हैं, जिससे पाठक कहीं भी बोर नहीं होता और कहानी से जुड़ा रहता है।

नकारात्मक पक्ष/तार्किक खामियां (Cons/Logic Gaps):
हालाँकि कॉमिक्स काफी मनोरंजक है, फिर भी इसमें कुछ कमियाँ नजर आती हैं। सबसे बड़ी समस्या भाषा को लेकर है। एलियन ग्रह पर अंगारा और चार्ली को हिंदी या मानव भाषा समझने और बोलने में कोई दिक्कत नहीं होती। भले ही दुभाषी यंत्र का जिक्र किया गया हो, फिर भी किंग लूरा का सीधे बात करना थोड़ा अटपटा लगता है, जिसे कॉमिक्स की दुनिया में क्रिएटिव आज़ादी कह सकते हैं। इसके अलावा, जीत बहुत आसानी से मिल जाना भी एक कमजोरी है। अंगारा पगान के खतरनाक जानवरों को बहुत जल्दी अपना दोस्त बना लेता है, जो थोड़ा जल्दबाजी में हुआ लगता है। अंत में, विज्ञान का आधार भी पूरी तरह मजबूत नहीं दिखता। पृथ्वी के जानवरों का दिल एलियन गैस से कैसे सुरक्षित रहता है, इसका साफ वैज्ञानिक कारण नहीं बताया गया है।
निष्कर्ष (Conclusion)
“अंगारा अंतरिक्ष में” अंगारा सीरीज की एक बेहद अहम कड़ी है। यह कहानी अंगारा के किरदार को और बड़ा बनाती है। अब वह सिर्फ जंगलों का राजा नहीं रहता, बल्कि एक तरह से ‘यूनिवर्सल हीरो’ बनकर सामने आता है।
यह कॉमिक्स 90 के दशक की उस सोच को दिखाती है, जब भारतीय कॉिक्स ने अपनी सीमाओं से बाहर निकलकर अंतरिक्ष और विज्ञान की दुनिया में कदम रखा था। परशुराम शर्मा की कहानी और प्रदीप साठे की कला मिलकर ऐसा अनुभव रचती है, जो आज भी पाठकों को उतना ही रोमांचित करता है।
रेटिंग:
कहानी: 4/5
चित्र: 4.5/5
रोमांच: 5/5
अंतिम शब्द:
अगर आपने पिछली कॉमिक्स “अंगारा गायब” पढ़ी है, तो इसे पढ़ना तो बनता ही है। और अगर नहीं भी पढ़ी है, तब भी यह अपने आप में एक बेहतरीन स्टैंड-अलोन एडवेंचर है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि भाषा और रूप-रंग चाहे अलग हों, लेकिन प्रेम और दोस्ती की भाषा पूरे ब्रह्मांड में एक जैसी होती है। अंगारा का यह अंतरिक्ष सफर वाकई पढ़ने लायक है।
