नब्बे के दशक में तुलसी कॉमिक्स जैसे प्रकाशकों ने अपने शानदार किरदारों से पाठकों के दिलों पर राज किया। उसी दौर की एक यादगार पेशकश है “अंगारा” सीरीज़, जिसके हीरो अंगारा ने अपनी अनोखी ताकतों और जानवरों से बात करने की अद्भुत क्षमता की वजह से एक खास पहचान बनाई। आज हम तुलसी कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित अंगारा सीरीज़ के अंक नंबर 352, “हवा का बेटा” की गहराई से समीक्षा करेंगे — एक ऐसी कॉमिक्स जो हमें उस ज़माने की रचनात्मक सोच, कहानी कहने की कला और शानदार चित्रांकन की याद दिलाती है।
कथानक और कहानी का प्रवाह
“हवा का बेटा” की कहानी वहीं से शुरू होती है, जहाँ पिछला अंक खत्म हुआ था। शुरुआत से ही पाठक को जबरदस्त एक्शन और ड्रामा में झोंक दिया जाता है। अंगारा का पुराना दुश्मन, कंकाल जैसे चेहरे वाला सिंहराज, अपनी कैद से भागकर ड्रैगन आइलैंड पहुँच चुका है। यह वही जगह है जहाँ कमांडो ड्रैगन के अनुयायी रहते हैं — एक क्रूर पंथ के अनुयायी जो बिना सोचे-समझे अपने नेता के आदेश मानते हैं।
इस द्वीप के पास ही बौनों का एक छोटा-सा देश है — किम्बा, जहाँ की लड़कियों की बलि कमांडो ड्रैगन को दी जाती है। यहीं से कहानी का असली संघर्ष शुरू होता है, जब किम्बा की राजकुमारी जूनी इस क्रूर रिवाज़ के खिलाफ बगावत कर देती है। उसे भी बलि के लिए पकड़ लिया जाता है, लेकिन तभी कहानी में एक नया और मज़ेदार किरदार एंट्री करता है — गॉडफादर चार्ली।
चार्ली एक अजीबोगरीब इंसान है — उसकी तकनीक, चाल-ढाल और पहनावे को देखकर किम्बा के भोले-भाले बौने उसे सच में “ईश्वर का पिता” यानी गॉडफादर समझ बैठते हैं! यह गलतफहमी पूरी कहानी में हंसी और हल्के-फुल्के पलों का मज़ेदार हिस्सा बन जाती है।
उधर, सिंहराज दोबारा किम्बा पर हमला कर देता है। इसी बीच, अंगारा अपने दुश्मन को छुड़ाने वाले चिल्ली का पीछा करते-करते किम्बा पहुँचता है। वहाँ पहुँचते ही अंगारा फिर से अपनी ताकत का जलवा दिखाता है और सिंहराज को हराकर हवा में लटका देता है। अंगारा की यह ताकत देखकर बौने उसे ईश्वर मान लेते हैं। अब हालत यह है कि किम्बा में दो “ईश्वर” हैं — एक ईश्वर (अंगारा) और दूसरा ईश्वर का पिता (चार्ली) — और दोनों का मकसद है राजकुमारी जूनी और किम्बा की रक्षा करना।
कहानी में असली ट्विस्ट तब आता है जब चार्ली, जूनी को इंप्रेस करने और अपनी बहादुरी दिखाने के लिए, सिंहराज को खुद सज़ा देने का निश्चय करता है। वह सिंहराज को रस्सियों से आज़ाद करता है और अपनी जेट-पैक जैसी मशीन से उसे हवा में घुमाकर खूब परेशान करता है। आखिर में, वह उसे फांसी पर लटका देता है।
लेकिन अंगारा, जो हमेशा तर्क और विज्ञान में भरोसा करता है, सिंहराज की नब्ज जांचकर कहता है कि वह मर चुका है। बौनों की परंपरा के हिसाब से सिंहराज के शरीर को समुद्र में बहा दिया जाता है।
लेकिन कहानी यहाँ खत्म नहीं होती!
असल में, सिंहराज मरा नहीं था — उसने अपनी योगिक शक्तियों से अपनी धड़कन रोक ली थी। समुद्र में पहुँचते ही वह ज़िंदा हो जाता है और अपनी मानसिक शक्ति से समुद्री जीवों को संदेश भेजकर अपने साथी चिल्ली को बुलाता है।
चिल्ली, जो खुद को “हवा का बेटा” कहता है, एक पंखों वाला इंसान-जैसा जीव है जिसकी आँखों से विनाशकारी किरणें निकलती हैं।

इसके बाद, चिल्ली किम्बा में बौनों के उत्सव पर हमला करता है और राजकुमारी जूनी को अगवा कर ले जाता है। अब शुरू होता है असली टक्कर — अंगारा और चार्ली बनाम हवा का बेटा चिल्ली।
हवाई लड़ाई के दृश्य बेहद शानदार तरीके से बनाए गए हैं। चार्ली अपनी मशीनों और गैजेट्स से चिल्ली को रोकने की कोशिश करता है, लेकिन चिल्ली उससे कहीं ज़्यादा ताकतवर साबित होता है। तभी अंगारा अपनी बुद्धिमानी और असाधारण ताकत का इस्तेमाल करता है। वह अपनी हाथी बल शक्ति से चिल्ली को एक गहरे गड्ढे में फंसा देता है और फिर उसे पत्थरों से भर देता है।
कहानी का अंत बहुत अच्छा और संतुलित मोड़ पर आता है। चार्ली और अंगारा एक-दूसरे की क्षमता को पहचानते हैं और दोस्ती का हाथ बढ़ाते हैं। अंगारा सबको समझाता है कि असली खतरा सिंहराज या चिल्ली नहीं, बल्कि उनका गुरु कमांडो ड्रैगन है, जो पूरी दुनिया पर राज करने का सपना देख रहा है।
अंतिम पैनल में अंगारा सभी जानवरों, पक्षियों और समुद्री जीवों को पुकारता है और कमांडो ड्रैगन के खिलाफ युद्ध की घोषणा करता है — जो अगले अंक “अंगारा और कमांडो ड्रैगन” के लिए एक रोमांचक मंच तैयार करता है।
चरित्र–चित्रण
इस कॉमिक्स की सफलता का बड़ा कारण इसके शानदार और दिलचस्प किरदार हैं — हर पात्र अपनी जगह पर याद रह जाने वाला है।
अंगारा:अंगारा सिर्फ एक ताकतवर हीरो नहीं, बल्कि एक समझदार और सोचने वाला योद्धा है। जानवरों से बात करने की उसकी शक्ति उसे सबसे अलग बनाती है। वह न्यायप्रिय, दयालु और असली लीडर है। इस कॉमिक्स में उसने सिर्फ अपनी शारीरिक ताकत (हाथी बल) ही नहीं दिखाई, बल्कि अपनी बुद्धि से भी सबको चौंकाया — जैसे सिंहराज की मौत की जांच करना या चिल्ली के लिए चालाकी से जाल बिछाना।

गॉडफादर चार्ली: चार्ली कहानी में मस्ती और हास्य का रंग भरता है। शुरू में वह थोड़ा डरपोक और बढ़-चढ़कर बोलने वाला लगता है, लेकिन जब बात जूनी की आती है, तो वही चार्ली दिल से बहादुर बन जाता है। उसका साइंटिफिक दिमाग और अजीबो-गरीब गैजेट्स अंगारा की नेचर-आधारित ताकतों से एक शानदार कंट्रास्ट बनाते हैं। दोनों की जोड़ी कहानी में मज़ेदार केमिस्ट्री लाती है।
सिंहराज:सिंहराज एक क्लासिक विलेन है — निर्दयी, चालाक और बदले की आग में जलता हुआ। उसका कंकाल जैसा चेहरा उसे और भी डरावना बनाता है। अपनी धड़कन को रोकने जैसी योगिक शक्ति दिखाकर वह साबित करता है कि वह कोई मामूली गुंडा नहीं, बल्कि बहुत खतरनाक दुश्मन है जो हर हाल में वापस लौटता है।
चिल्ली (हवा का बेटा):इस कॉमिक्स का टाइटल किरदार, चिल्ली, बेहद दिलचस्प और डरावना विलेन है। हवा में उड़ने की ताकत और आंखों से निकलने वाली घातक किरणें उसे अंगारा के लिए भी चुनौती बना देती हैं। वह खुद को “ईश्वर का बेटा” बताकर लोगों में डर फैलाता है। उसकी अकड़ और शक्ति दोनों मिलकर उसे इस कॉमिक्स का यादगार विरोधी बनाते हैं।
राजकुमारी जूनी:जूनी को सिर्फ ‘संकट में फंसी नायिका’ (damsel in distress) कहना गलत होगा। वह शुरुआत से ही बहादुरी दिखाती है — जब वह बलि जैसी अमानवीय प्रथा के खिलाफ खड़ी होती है। वह न सिर्फ चार्ली और अंगारा दोनों के लिए प्रेरणा है, बल्कि कहानी को आगे बढ़ाने में भी उसकी अहम भूमिका है।
कला और चित्रांकन
चित्रकार प्रदीप साठे का काम इस कॉमिक्स की असली जान है। नब्बे के दशक की भारतीय कॉमिक्स की जो खास पहचान थी — वही अंदाज़ इस कॉमिक्स में पूरी शान से दिखता है।
रेखाएँ गतिशील हैं और हर सीन में ऊर्जा झलकती है, खासकर एक्शन वाले पलों में।
हवाई लड़ाई के सीन, धमाके (जैसे ‘बड़ाम’, ‘धड़ाम’ जैसे साउंड इफेक्ट्स) और पात्रों के चेहरे के हाव-भाव कहानी को जिंदा कर देते हैं।

रंगों का इस्तेमाल भी कमाल का है — इससे किम्बा का काल्पनिक द्वीप सचमुच आँखों के सामने उतर आता है।
हर किरदार का डिज़ाइन यादगार है — अंगारा का मांसल शरीर, सिंहराज का हड्डियों वाला चेहरा, चार्ली का अनोखा सूट और चिल्ली का चमगादड़ जैसा डरावना रूप — सब कुछ बड़ी बारीकी से उकेरा गया है।
निष्कर्ष
“अंगारा और हवा का बेटा” सिर्फ एक कॉमिक्स नहीं, बल्कि एक टाइम मशीन जैसी कहानी है जो हमें सीधे उस सुनहरे दौर में ले जाती है, जब कॉमिक्स बच्चों और बड़ों — दोनों की सबसे पसंदीदा मनोरंजन की चीज़ थीं।
लेखक परशुराम शर्मा की कसी हुई स्क्रिप्ट में एक्शन, ड्रामा, कॉमेडी और सस्पेंस का सही संतुलन है। कहानी में कहीं भी ढील नहीं है — यह शुरू से लेकर आख़िर तक बांधे रखती है।
यह अंक अपने आप में पूरा है, लेकिन साथ ही यह अगले भाग के लिए एक रोमांचक माहौल भी बनाता है, जिससे पाठक उत्सुक रहते हैं कि आगे क्या होगा।
कुल मिलाकर, यह कॉमिक्स भारतीय सुपरहीरो कहानियों का एक शानदार उदाहरण है। यह हमें अंगारा की उस दुनिया में ले जाती है जहाँ अच्छाई और बुराई की लड़ाई न सिर्फ ज़बरदस्त है, बल्कि दिल को छू जाने वाली भी है।
अगर आप क्लासिक इंडियन कॉमिक्स के फैन हैं, या उस पुराने सुनहरे दौर की याद ताज़ा करना चाहते हैं, तो “अंगारा और हवा का बेटा” एक ऐसी कॉमिक्स है जिसे ज़रूर पढ़ना चाहिए।
