महाबली भोकाल की कहानियाँ हमेशा से ही शौर्य, जादू और पौराणिक रहस्यों का शानदार मिश्रण रही हैं। “धरणीधर” भी इसी कड़ी में बहुत खास है, क्योंकि यहाँ भोकाल का सामना ऐसे दुश्मन से होता है जो न सिर्फ ताकत में उसके बराबर है, बल्कि अपनी नजर में उसका मकसद भी पवित्र लगता है। यह कहानी असल में ‘गलतफहमी’ और ‘अहंकार’ के टकराव की दास्तान है। जब दो महान योद्धा एक-दूसरे के सामने आते हैं, तो बड़ा धमाका तो होना ही है। इस कॉमिक्स का कवर पेज ही काफी दमदार है, जहाँ भोकाल और धरणीधर की जोरदार भिड़ंत दिखाई गई है, जो शुरुआत से ही पाठक को आकर्षित करती है। यह कॉमिक्स उस बड़े घटना के बाद शुरू होती है—जहाँ भोकाल ने पाप के अवतार ‘महारावण’ को खत्म किया था।
आमतौर पर सुपरहीरो कॉमिक्स में विलेन दुनिया को नष्ट करना चाहता है, लेकिन इस कॉमिक्स की खासियत है कि इसका ‘प्रतिनायक’ (Antagonist) दुनिया को मिटाना नहीं, बल्कि उसे बचाना और एक करना चाहता है—बस अपने पुराने और अजीब तरीकों से। लेखक संजय गुप्ता ने यहाँ दिमागी और शारीरिक टकराव का बढ़िया खेल रचा है।
कथानक (Storyline): विजय के उल्लास में विघ्न
कहानी की शुरुआत विकास नगर में एक ऐतिहासिक पल से होती है। महाबली भोकाल, जिसने अपनी जिंदगी की सबसे मुश्किल लड़ाइयों में से एक—महारावण का वध किया—वापस लौट रहा है। वह अपनी पत्नियों (रूपसी और सलोनी) और बच्चों के साथ देवराज इन्द्र के रथ पर सवार है। शहर में दिवाली जैसा उत्सव चल रहा है। प्रजा अपने रक्षक का स्वागत करने को उतावली है। चारों तरफ “भोकाल” के जयकारे गूंज रहे हैं।

लेकिन, “समय कभी एक जैसा नहीं रहता”। ठीक उसी पल जब खुशी चरम पर थी, धरती जोर से हिलती है। यह कोई साधारण भूकंप नहीं था। जंगल में एक विशाल गुफा से एक महाशक्तिशाली इंसान जाग उठता है—और यही है धरणीधर।
धरणीधर का परिचय:
धरणीधर कोई राक्षस नहीं है। वह प्राचीन समय का एक ऐसा योद्धा है जो हजारों सालों से सोया हुआ था। उसकी ताकत का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह गुफा के दरवाजे पर रखी भारी-भरकम चट्टान को ऐसे हटा देता है जैसे वह कोई लकड़ी की छोटी सी पट्टी हो। वह शुद्ध संस्कृत बोलता है, जिससे उसकी प्राचीनता साफ दिखती है।
टकराव का कारण:
भूकंप के कारण भोकाल का रथ एक गड्ढे में फंस जाता है। सैनिक और स्वयं भोकाल उसे बाहर निकालने की कोशिश करते हैं, तभी धरणीधर वहाँ पहुँचता है और एक हाथ से उस विशाल रथ को उठा लेता है। यहाँ एक दिलचस्प हिस्सा है—धरणीधर अपनी ‘मानसिक शक्ति’ से सामने वाले का दिमाग पढ़कर उनकी भाषा (हिंदी) सीख लेता है।

धरणीधर खुद को “विश्व रक्षक” बताता है और सोचता है कि वह अब भी अपने ही समय में है। वह इन्द्र के सिंहासन को अपने लिए उचित मानकर उसे ले जाने लगता है। यहीं से भोकाल और धरणीधर का टकराव शुरू होता है। भोकाल उसे रोकता है, लेकिन धरणीधर, जो खुद को पृथ्वी का एकमात्र स्वामी मानता है, भोकाल को एक छोटा-मोटा राजा समझकर उस पर हमला कर देता है।
भोकाल की पराजय:
इस कॉमिक्स का सबसे चौंकाने वाला दृश्य है—जहाँ भोकाल, जिसने अभी-अभी महारावण को मारा है, धरणीधर के सामने बिलकुल कमजोर लगने लगता है।

भोकाल की वह ढाल, जो बड़े-बड़े अस्त्रों को रोक लेती थी, धरणीधर के एक मुक्के का झटका नहीं झेल पाती।
उसकी प्रलयंकारी तलवार, जो लोहे को मक्खन की तरह काटती है, धरणीधर की त्वचा को खरोंच तक नहीं पहुंचा पाती।
भोकाल की पूरी शारीरिक ताकत, धरणीधर के सामने फीकी पड़ जाती है।
आखिरकार, धरणीधर एक मानसिक प्रहार कर भोकाल को बेहोश कर देता है और सिंहासन लेकर आगे बढ़ जाता है।
पात्र विश्लेषण (Character Analysis)
महाबली भोकाल:
इस कॉमिक्स में भोकाल को एक अलग ही स्थिति में दिखाया गया है। वह आत्मविश्वास से भरा है क्योंकि वह बड़ी जीत हासिल करके आया है। लेकिन धरणीधर के हाथों तुरंत पराजित होना उसके आत्मविश्वास को हिला देता है। इससे पता चलता है कि इस दुनिया में हमेशा कोई न कोई ऐसा होता है जो आपसे भी ज्यादा ताकतवर हो सकता है। यहाँ भोकाल एक संघर्षरत योद्धा की तरह दिखता है, न कि हर हाल में अजेय देवता की तरह।
धरणीधर:
यह इस कहानी का सबसे दिलचस्प और जटिल किरदार है। वह क्रूर नहीं है, बस बहुत ज्यादा स्वाभिमानी है। वह खुद को ‘दुष्ट’ नहीं मानता, बल्कि दुनिया का रक्षक मानता है। उसका सपना “अखंड पृथ्वी” का है—जो सुनने में अच्छा है, पर आज की दुनिया में इसे हकीकत में बदलना उसे तानाशाह जैसा दिखाता है।

फ्लैशबैक में पता चलता है कि उसे भगवान परशुराम का आशीर्वाद मिला हुआ है। परशुराम ने उसे अपना फरसा और अपना क्रोध दिया था ताकि वह पृथ्वी की रक्षा कर सके। यही बैकस्टोरी उसे विलेन से ज्यादा एक भटका हुआ नायक बनाती है।
कथानक के मुख्य बिंदु और विषय (Themes)
युग परिवर्तन और समय की धारा:
कहानी के बीच में एक गहरा दार्शनिक पहलू दिखाया गया है। बताया गया है कि कैसे समय के साथ सभ्यताएँ बदलती गईं—सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और अब कलयुग। राम, कृष्ण, पांडव जैसे महान युग-पुरुष आए और चले गए। धरणीधर इस बदलाव से अनजान था। जब वह जागता है और धरती को छोटे-छोटे देशों में बँटा हुआ देखता है, तो उसे बड़ा झटका लगता है। यह हिस्सा कॉमिक्स को सिर्फ मारधाड़ नहीं, बल्कि सोचने लायक बनाता है।
गलतफहमी का युद्ध:
भोकाल और धरणीधर की लड़ाई ‘अच्छाई बनाम बुराई’ की लड़ाई नहीं है। यह दो सही लोगों के बीच गलतफहमी की लड़ाई है। धरणीधर को लगता है कि भोकाल बस एक राजा है जो उसके रास्ते में बाधा बन रहा है। भोकाल को लगता है कि धरणीधर कोई लुटेरा या राक्षस है जो सिंहासन चुरा रहा है।
शक्ति बनाम अभिमान:
धरणीधर के पास बहुत बड़ी शक्ति है, लेकिन विवेक की कमी है। परशुराम का क्रोध उसे अंधा बना देता है। वहीं भोकाल हार के बावजूद हिम्मत नहीं हारता और अपनी प्रजा की रक्षा के लिए लड़ने को तैयार रहता है।
चित्रांकन और कला (Artwork)
कदम स्टूडियो का काम उस समय राज कॉमिक्स की पहचान था। भोकाल और धरणीधर की लड़ाई बहुत ही जीवंत और जोरदार दिखती है। जब धरणीधर भोकाल को मारता है, तो इम्पैक्ट सच में पाठक को महसूस होता है। भोकाल का हवा में उछलना और जमीन पर गिरना शानदार तरीके से बनाया गया है।

परशुराम और धरणीधर वाले पन्नों में रंगों का इस्तेमाल बहुत खूबसूरत है। पौराणिक समय दिखाने के लिए कपड़ों और बैकग्राउंड का चयन बेहतरीन है। धरणीधर के चेहरे पर घमंड, गुस्सा और बाद में कलियुग की हालत देखकर हुए दुःख—सब कुछ कलाकारों ने बहुत अच्छी तरह दिखाया है।
संवाद और लेखन (Writing)
संजय गुप्ता का लेखन संतुलित और दमदार है। शुरुआत में धरणीधर का संस्कृत बोलना और फिर कठिन हिंदी बोलना उसके चरित्र को प्राचीन और भारी बनाता है।
जैसे—
“हम महानिद्रा से जागकर आए हैं… हम विश्व रक्षक धरणीधर हैं।”
और भोकाल का यह संवाद—
“इसको मैं जितना समय दूंगा, यह यहाँ उतना ही विनाश मचाएगा।”
—उसकी कर्तव्यनिष्ठा को दिखाता है।
समय और युगों के बदलाव का नैरेशन भी बहुत प्रभावशाली है, जो कहानी को और गहराई देता है।
कमियां (Drawbacks)
कॉमिक्स शानदार है, लेकिन कुछ बातें खटकती हैं:

भोकाल के फैंस सोच सकते हैं कि जिसने देवों और दानवों को हराया, वह एक इंसान से इतनी आसानी से हार कैसे गया? तलवार और ढाल का बेअसर होना थोड़ा अविश्वसनीय लगता है। धरणीधर हजारों सालों से सो रहा था, लेकिन उसकी गुफा विकास नगर के इतना पास थी और कभी किसी को पता नहीं चला—यह थोड़ा अजीब लगता है। यह कॉमिक्स एक शृंखला का पहला हिस्सा है। कहानी आगे “विश्व रक्षक” में बढ़ती है। अंत का चट्टानों वाला दृश्य एक अच्छा क्लिफहैंगर है, जो अगले भाग की उत्सुकता बढ़ाता है, लेकिन एक स्वतंत्र कहानी के तौर पर यह थोड़ा अधूरी लगती है।
निष्कर्ष और अंतिम निर्णय
“धरणीधर” राज कॉमिक्स के स्वर्ण युग का एक चमकदार अध्याय है। यह भोकाल की शक्ति का नहीं, बल्कि उसके धैर्य और जज़्बे का इम्तहान है। यह कॉमिक्स दिखाती है कि सिर्फ ताकत ही सब कुछ नहीं होती—समय और हालात उससे भी बड़े होते हैं।धरणीधर ऐसा विलेन है जिससे आप नफरत नहीं कर पाते। उसका उद्देश्य बड़ा है (पृथ्वी का एकीकरण), लेकिन तरीका गलत है। परशुराम के साथ उसका जुड़ाव कहानी को पौराणिकता से जोड़ता है, जो हमेशा से राज कॉमिक्स की ताकत रही है।
किसे पढ़नी चाहिए?
अगर आप भोकाल के फैन हैं। अगर आपको पौराणिकता वाली कहानियाँ पसंद हैं।
अगर आप देखना चाहते हैं कि क्या होता है जब अजेय हीरो किसी उससे भी ज्यादा ताकतवर इंसान से टकराता है।
रेटिंग: 4/5
अंतिम शब्द:
यह कॉमिक्स एक बेहतरीन ‘सेट-अप’ है। यह आने वाले बड़े युद्ध की बुनियाद रखती है। अगले भाग “विश्व रक्षक” में धरणीधर का अहंकार और भोकाल का संकल्प कैसे भिड़ते हैं—यह देखना सच में मज़ेदार होगा। यह निश्चित रूप से संग्रह करने लायक कॉमिक्स है।
