राज कॉमिक्स के इतिहास में ‘खजाना’ श्रृंखला ने भारतीय सुपरहीरो कहानियों के लिए एक नया, बड़ा और काफी जटिल ब्रह्मांड तैयार किया था। ‘मृत्युदंड’ विशेषांक (#202) ने नागराज को जिस खतरनाक ‘तड़ित जाल’ में फँसाकर छोड़ा था, ‘नागद्वीप’ विशेषांक (#206) उसी जाल को तोड़ते हुए एक ऐसे महायुद्ध की शुरुआत करता है, जो नागराज की पहचान, उसके वंश और उसके सबसे बड़े दुश्मन नागपाशा की किस्मत को हमेशा के लिए बदल देता है। लेखक जॉली सिन्हा और चित्रकार अनुपम सिन्हा की जोड़ी इस अंक में अपने टॉप पर दिखती है, जहाँ एक्शन, इमोशन और दिमाग़ी टकराव एक साथ खुलते हैं। यह कॉमिक्स पिछले अंक की गंभीरता को आगे बढ़ाते हुए, नागराज के सामने उसके सबसे बड़े मानसिक और शारीरिक दुश्मन — महात्मा कालदूत — को खड़ा कर देती है।
‘नागद्वीप’ की कहानी नागराज की ज़िंदगी में शक्ति और सोच के बीच चल रहे बड़े संघर्ष को दिखाती है, जहाँ उसे बार-बार अपनी वैज्ञानिक समझ और तेज दिमाग का इस्तेमाल करके दैवीय, तांत्रिक और अलौकिक शक्तियों से टक्कर लेनी पड़ती है। यह कॉमिक्स नागराज के लिए पर्सनल, पारिवारिक और वैश्विक खतरे का ऐसा मिला-जुला तूफ़ान है, जिसमें वह गुरुदेव की चालाकियों, नगीना की बेरहम महत्वाकांक्षा और कालदूत की अनोखी ताकत के बीच फँसता जाता है।
कहानी का पूर्वावलोकन और पृष्ठभूमि (Story Context)

कहानी की शुरुआत एक बेहद तनावपूर्ण दृश्य से होती है। नागराज यक्ष-राक्षस गरलगंट द्वारा बनाए गए एक “तड़ित गोले” (Lightning Sphere) में फंसा हुआ है। यह दृश्य अनुपम सिन्हा की वैज्ञानिक सोच को दर्शाता है। आमतौर पर सुपरहीरो अपनी शारीरिक ताकत से दीवारों को तोड़ते हैं, लेकिन यहाँ नागराज भौतिकी (Physics) का सहारा लेता है। वह देखता है कि बिजली का पिंजरा हवा में है और ‘अर्थिंग’ (Earthing) नहीं हो रही है। नागराज अपनी बेल्ट से धातु का सर्प निकालकर उसे जमीन में धंसाता है और सर्किट पूरा करके पिंजरे की ऊर्जा को जमीन में उतार देता है। यह दृश्य स्थापित करता है कि नागराज केवल बलवान नहीं, बल्कि बुद्धिमान भी है।
गरलगंट की मुक्ति और वरदान
पिंजरे से बाहर आते ही नागराज का मुकाबला गरलगंट से होता है। यहाँ कहानी में एक महत्वपूर्ण मोड़ आता है। नागराज समझ जाता है कि गरलगंट अपनी मर्जी से नहीं, बल्कि नगीना के ‘तंत्र अंकुश’ के प्रभाव में हमला कर रहा है। बजाय गरलगंट को जान से मारने के, नागराज अपने सूक्ष्म सर्पों (Microscopic Snakes) का उपयोग करके उस अंकुश को बाहर निकाल देता है।

यह घटना नागराज के चरित्र की महानता (Compassion) को दिखाती है। वह अपने शत्रु को भी पीड़ा से मुक्त करता है। इसके बदले में, गरलगंट उसे एक वरदान देता है कि भविष्य में वह अंकुश नागराज पर कभी असर नहीं करेगा। यह एक छोटा सा प्लॉट पॉइंट पूरी कहानी के अंत में निर्णायक साबित होता है।
नगीना का षड्यंत्र और नागद्वीप का पतन
दूसरी ओर, कहानी का दूसरा हिस्सा नगीना की चालाकियों पर केंद्रित है। नगीना, जो कि राज कॉमिक्स की सबसे खतरनाक महिला खलनायकों में से एक है, नागपाशा को भी धोखा देती है। वह तंत्र अंकुश के बल पर नागपाशा को अपना गुलाम बना लेती है। यह देखना पाठकों के लिए चौंकाने वाला था कि नागपाशा जैसा शक्तिशाली विलेन भी किसी के इशारों पर नाच सकता है।

नगीना खजाने की तलाश में ‘नागद्वीप’ पहुँचती है। यहाँ कहानी भावुक मोड़ लेती है। नागद्वीप का रक्षक और नागराज का एक तरह से गुरु/पिता-तुल्य महात्मा कालदूत, नगीना के जाल में फंस जाते हैं। नगीना उन्हें भी अंकुश के प्रभाव से अपना गुलाम बना लेती है। नागद्वीप, जो कभी अजेय था, अब अपनी ही रक्षक शक्ति (कालदूत) के कारण खतरे में है।
विसर्पी का विद्रोह
नागद्वीप में एक गृहयुद्ध (Civil War) जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। विसर्पी, जो कालदूत की बेटी है, देखती है कि उसके पिता नगीना के वश में हैं और अपनी ही प्रजा पर अत्याचार कर रहे हैं। यहाँ विसर्पी का चरित्र बहुत निखर कर आता है। वह “पितृ-भक्ति” और “राज-धर्म” के बीच राज-धर्म को चुनती है। वह विद्रोह का नेतृत्व करती है। यह दृश्य नारी सशक्तिकरण का एक बेहतरीन उदाहरण है, जहाँ विसर्पी एक अबला नहीं, बल्कि एक योद्धा के रूप में अपनी प्रजा की रक्षा के लिए अपने ही पिता के विरुद्ध हथियार उठाती है।
दादा वेदाचार्य और भारती का अपहरण
कहानी में सस्पेंस बनाए रखने के लिए गुरुदेव (नागपाशा का गुरु) एक अलग चाल चलता है। वह खजाने का रहस्य जानने के लिए दादा वेदाचार्य और भारती का अपहरण कर लेता है। यह सबप्लॉट कहानी में भावनात्मक तनाव (Emotional Tension) जोड़ता है क्योंकि नागराज को अब न केवल खजाना बचाना है, बल्कि अपने परिवार (भारती और वेदाचार्य) को भी सुरक्षित करना है।
चरित्र चित्रण (Character Analysis)
नागराज (Nagraj)
इस कॉमिक्स में नागराज एक पूर्ण योद्धा के रूप में उभरता है। वह ‘सर्वशक्तिमान’ है लेकिन अहंकारी नहीं। जब वह गरलगंट से लड़ता है, तो वह आक्रामक होता है, लेकिन जब उसे पता चलता है कि गरलगंट गुलाम है, तो वह दयालु बन जाता है। नगीना और कालदूत के सामने उसकी बेबसी और फिर वापसी का जज्बा पाठकों को बांधे रखता है। उसका सबसे बड़ा हथियार उसकी ‘इच्छाधारी शक्ति’ और ‘कूटनीति’ है।
नगीना (Nagina)
“नागद्वीप” में नगीना को मुख्य खलनायक (Main Antagonist) के रूप में स्थापित किया गया है। उसकी हंसी, उसका आत्मविश्वास और दूसरों को उपयोग करके फेंक देने की उसकी फितरत उसे खौफनाक बनाती है। वह नागपाशा और कालदूत दोनों को नियंत्रित करके यह साबित करती है कि वह केवल जादूगरनी नहीं, बल्कि एक शातिर रणनीतिकार भी है।
नागपाशा और गुरुदेव (Nagpasha & Gurudev)
आमतौर पर नागपाशा ‘मेन विलेन’ होता है, लेकिन इस कहानी में उसकी स्थिति दयनीय दिखाई गई है। वह नगीना का गुलाम बन जाता है, जो उसके चरित्र के पतन (Downfall) को दर्शाता है। हालाँकि, गुरुदेव की उपस्थिति यह सुनिश्चित करती है कि नागपाशा का खेमा अभी भी खेल में बना हुआ है। गुरुदेव की वफादारी और धूर्तता कहानी को संतुलित करती है।

सम्राट कालदूत (Emperor Kaaldoot)
कालदूत का पात्र इस कहानी में सबसे त्रासद (Tragic) है। एक महान योद्धा और ज्ञानी महात्मा, जो अपनी इच्छा के विरुद्ध अपने ही लोगों और अपनी बेटी पर हमला करने को मजबूर है। उनके चेहरे पर क्रोध और मजबूरी का मिश्रण दिखाना कलाकार की बहुत बड़ी सफलता है।
विसर्पी (Visarpi)
विसर्पी इस कहानी की ‘अघोषित नायिका’ (Unsung Heroine) है। जब नागराज वहाँ नहीं था, तब उसने मोर्चा संभाला। उसका नेतृत्व कौशल और युद्ध कला (Combat Skills) अद्भुत है। नगीना के सामने उसका निडर होकर खड़े होना यह बताता है कि वह नागराज की प्रेमिका होने के साथ-साथ एक स्वतंत्र योद्धा भी है।
चित्रांकन और कला पक्ष (Artwork and Visuals)
अनुपम सिन्हा जी का आर्टवर्क इस कॉमिक्स की जान है।
नागद्वीप का चित्रण: नागद्वीप को उन्होंने जिस तरह से कागज पर उतारा है, वह अद्भुत है। उन्नत तकनीक (Futuristic Tech) और प्राचीन वास्तुकला (Ancient Architecture) का मिश्रण। पृष्ठभूमि में दिखने वाली इमारतें, प्रयोगशालाएँ और समुद्र का किनारा—हर पैनल में गजब की डिटेलिंग है।
एक्शन दृश्य: नागराज और गरलगंट की लड़ाई के दौरान शरीर की मांसल संरचना (Anatomy) और गति (Movement) का चित्रण सजीव लगता है। जब नागराज बिजली के पिंजरे से बचता है, तो बिजली की चमक (Lighting Effects) का प्रयोग बेहतरीन है।

चेहरे के भाव: नगीना के चेहरे पर क्रूरता, विसर्पी के चेहरे पर दृढ़ता और कालदूत के चेहरे पर शून्यता (Blank expression of a slave) को बहुत बारीकी से उकेरा गया है।
रंग संयोजन: सुनील पाण्डेय का रंग संयोजन (Coloring) कहानी के मूड के साथ न्याय करता है। नगीना के दृश्यों में गहरे और रहस्यमयी रंगों का प्रयोग किया गया है, जबकि नागद्वीप के दृश्यों में चमकीले और तकनीकी रंगों की भरमार है।
संवाद और पटकथा (Dialogue and Screenplay)
जॉली सिन्हा की पटकथा कसी हुई है। कहानी कहीं भी धीमी (Lag) नहीं पड़ती।
संवाद: संवादों में नाटकीयता (Drama) है जो भारतीय पाठकों को पसंद आती है। उदाहरण के लिए, जब नगीना कहती है, “अब यह पूरा नागद्वीप मेरा गुलाम है,” तो उसमें एक सिहरन पैदा करने वाली शक्ति महसूस होती है।
हास्य: बीच-बीच में केंटुकी और नागपाशा के बीच की बातचीत या नागराज की खुद से की गई टिप्पणियां माहौल को थोड़ा हल्का करती हैं, हालांकि यह कॉमिक्स मुख्य रूप से गंभीर है।
विषय वस्तु और प्रतीकवाद (Themes and Symbolism)
पूरी कहानी का मूल विषय ‘नियंत्रण’ है। अंकुश शक्ति का प्रतीक है। जिसके पास अंकुश है, वह राजा है। यह दर्शाता है कि शक्ति अगर गलत हाथों में जाए (नगीना), तो वह विनाश लाती है। राज कॉमिक्स की खासियत रही है कि वह अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देती, बल्कि उसे एक ‘तकनीक’ के रूप में पेश करती है। नागराज का बिजली से बचना विज्ञान है, जबकि अंकुश तंत्र है। अंत में, नागराज की जीत दोनों के संतुलन से होती है। गरलगंट का नागराज के प्रति आभार जताना वफादारी का प्रतीक है, जबकि नगीना का नागपाशा को धोखा देना सत्ता के लालच को दर्शाता है।
समीक्षात्मक विश्लेषण (Critical Analysis)
सकारात्मक पक्ष (Pros):
कहानी बहुत तेजी से आगे बढ़ती है। पाठक को पन्ना पलटने की जल्दी रहती है। खजाना कहाँ है? मणियों का क्या होगा? यह रहस्य अंत तक बना रहता है। जैसा कि पहले बताया गया, आर्टवर्क विश्वस्तरीय है।
नकारात्मक पक्ष (Cons):
नए पाठकों के लिए जो पिछली कड़ियाँ (जैसे ‘मृत्युदंड’) नहीं पढ़ पाए हैं, उनके लिए कहानी के बीच में कूदना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। पात्रों की अधिकता (Overcrowding) कभी-कभी भ्रमित कर सकती है। नागपाशा के प्रशंसकों को निराशा हो सकती है क्योंकि इस अंक में उसे बहुत कमजोर और लाचार दिखाया गया है। हालाँकि, यह कहानी की मांग थी।
राज कॉमिक्स के ब्रह्मांड में स्थान
“नागद्वीप” इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह नागराज की दुनिया को ‘महानगर’ से बाहर ले जाती है। अक्सर नागराज की कहानियां आतंकवादियों और शहरी अपराधों के इर्द-गिर्द घूमती हैं। लेकिन यह कहानी फैंटेसी (Fantasy) शैली की है। इसमें जादू, राक्षस, उड़ने वाले सांप और रहस्यमयी द्वीप हैं। यह विविधता नागराज को भारत का सबसे वर्सटाइल (Versatile) सुपरहीरो बनाती है। यह कॉमिक्स साबित करती है कि नागराज जेम्स बॉन्ड की तरह जासूसी भी कर सकता है और ही-मैन (He-Man) की तरह फैंटेसी दुनिया में भी लड़ सकता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
अंततः, “नागद्वीप“ एक “मस्ट रीड” (Must Read) कॉमिक्स है। यह केवल एक बच्चों की किताब नहीं है, बल्कि एक ग्राफिक नॉवेल है जिसमें राजनीति, युद्ध, विज्ञान और भावनाएं सब कुछ है। लेखक जॉली सिन्हा और चित्रकार अनुपम सिन्हा की जोड़ी ने यहाँ कमाल किया है। यह कॉमिक्स हमें सिखाती है कि मुसीबत चाहे कितनी भी बड़ी हो (चाहे आप बिजली के पिंजरे में ही क्यों न हों), ठंडे दिमाग और बुद्धिमानी से उससे बाहर निकला जा सकता है। साथ ही, यह भी सिखाती है कि कभी-कभी दुश्मन को हराने के लिए उसे मारना जरूरी नहीं, उसे अपना दोस्त बना लेना (जैसे गरलगंट) ज्यादा बड़ी जीत होती है।
अगर आप 90 के दशक के पाठक हैं, तो यह कॉमिक्स आपको पुरानी यादों (Nostalgia) में ले जाएगी। और अगर आप नए पाठक हैं, तो भारतीय कॉमिक्स की गहराई और गुणवत्ता को समझने के लिए यह एक बेहतरीन शुरुआत है। यह विशेषांक पूरी तरह से अपने मूल्य (20 रुपये उस समय के हिसाब से) को सार्थक करता है।
रेटिंग: 4.5/5 फैसला: एक उत्कृष्ट कृति जो हर कॉमिक्स प्रेमी के संग्रह (Collection) में होनी चाहिए।
अतिरिक्त टिप्पणियाँ (कहानी के अगले भाग के संकेत)
समीक्षा के अंत में यह उल्लेख करना आवश्यक है कि कहानी यहाँ समाप्त नहीं होती। अंतिम पृष्ठों में त्रिफना(Trifana) का जिक्र आता है, जो रहस्य को और गहरा कर देता है। यह “क्लिफहैंगर” पाठकों को अगली कॉमिक्स खरीदने के लिए मजबूर कर देता है। जिस तरह से नगीना और नागराज आमने-सामने आते हैं और पीछे से त्रिफना का रहस्य खुलता है, वह एक एपिक फिनाले की नींव रखता है। इस प्रकार, “नागद्वीप” राज कॉमिक्स के ताज में जड़े एक कीमती रत्न के समान है।
